ग़ज़ल
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ले गया लूट कर दिल मेरा कौन है
दे गया ग़म नया, बेवफ़ा कौन है
जात क्या,उम्र क्या, क्या ग़लत क्या सही
इश्क़ में सब भला सोचता कौन है
टूटकर था कभी दिल ने' चाहा जिसे
चल दिए कह यही, तू मेरी कौन है ?
इक मुद्दत बाद देखा अभी आइना
पूछने है लगा, तू बता कौन है ?
कौन रह रह सदा,दे रहा रात भर
तू नहीं तो भला, कौन है कौन है
यूँ तो' ग़म के सिवा घर में' कोई नहीं
दास्ताँ सुन मे'री, रो रहा कौन है
आज भी 'हीर' तुझको न पाई भुला
इश्क़ के दर्द यूँ , भूलता कौन है
हीर ....
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ले गया लूट कर दिल मेरा कौन है
दे गया ग़म नया, बेवफ़ा कौन है
जात क्या,उम्र क्या, क्या ग़लत क्या सही
इश्क़ में सब भला सोचता कौन है
टूटकर था कभी दिल ने' चाहा जिसे
चल दिए कह यही, तू मेरी कौन है ?
इक मुद्दत बाद देखा अभी आइना
पूछने है लगा, तू बता कौन है ?
कौन रह रह सदा,दे रहा रात भर
तू नहीं तो भला, कौन है कौन है
यूँ तो' ग़म के सिवा घर में' कोई नहीं
दास्ताँ सुन मे'री, रो रहा कौन है
आज भी 'हीर' तुझको न पाई भुला
इश्क़ के दर्द यूँ , भूलता कौन है
हीर ....
6 comments:
वाह, शानदार गजल, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
बहुत ही सुंदर गजल
वाह
कमाल की गजल ।
इक मुद्दत बाद देखा अभी आइना
पूछने है लगा, तू बता कौन है ?
क्या बात है हीर जी.. हर एक शेर लाजवाब, बस वाह वाह
हर एक शेर मुक़र्रर.
बहुत ही खुबसूरत
बहुत उम्दा लिखा है.
Raksha Bandhan Shayari
यूँ तो' ग़म के सिवा घर में' कोई नहीं
दास्ताँ सुन मे'री, रो रहा कौन है
Bohut khubsurat
Heer ji
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