करवा चौथ पर दो नज्में ……
(जो व्यस्तता के कारण उस दिन पोस्ट नहीं कर पाई )
एक कसक,एक बेचैनी
एक बेनाम सा दर्द थाली में …
चाँद तब भी था
चाँद आज भी है
तन्हाइयाँ तब भी थीं
दूरियाँ अब भी हैं
पर दिलों में कुछ तो है
जो बांधे हुए है अब तक
आज के दिन कहीं भीतर
कुछ सालता है …।
(२)
आज की रात
उफ़क पर निकल आया है चाँद
तेरी सलामती का ….
बरसों की दबी मोहब्बत
दीवानगी में चुपके से
चूम लेती हूँ तस्वीर तुम्हारी
लम्बी उम्र की
दुआओं के साथ …
आज की रात
उफ़क पर निकल आया है चाँद
तेरी सलामती का ….
इश्क का उड़ता पंछी
आ बैठा है मुंडेर पर
आँखों में उतर आई है बरसों की दबी मोहब्बत
दीवानगी में चुपके से
चूम लेती हूँ तस्वीर तुम्हारी
लम्बी उम्र की
दुआओं के साथ …