Thursday, August 27, 2015

आज़ राखी के कुछ हाइकु  …सभी भाइयों को राखी की हार्दिक शुभकामनाएँ  ....
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1-
रिश्तों का प्यार
लिए आया है द्वार
राखी त्यौहार।
2-
राखी है भाई
लिए बहना आई
बाँधे कलाई।
3-
छूटे न कभी
तेरा मेरा ये प्यार
भैया हमार
4-
राखी की मौली
लिए आई बहना
अक्षत - रोली।
5-
रक्षा बंधन
इक पाक त्यौहार
जैसे चंदन। 
6-
राखी त्यौहार
देती तुझे बहना
दुआ अपार। 
7-
हिस्सा न पैसा
सुख दुःख में रहें
साथ हो ऐसा ।
8-
है अनमोल
रिश्ता पैसों से भैया
इसे न तोल ।
9-
राखी बंधाने
आसमां से उतरे
चाँद सितारे ।
10-
चली चिरैया
लिए राखी की डोर
भैया की ओर ।

हीर  …

Wednesday, June 3, 2015

मुरझाये फूल .....
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भी चाहतों के धागे से
लिखा था मुहब्बत का पहला गीत
इक हर्फ़ बदन से झड़ता
और इश्क़ की महक फ़ैल जाती हवाओं में
देह की इक-इक सतर गाने लगती
रंगों के मेले लगते
बादलों की दुनियाँ बारिशों के संग गुनगुनाने लगती
आस्मां दोनों हाथों से
आलिंगन में भर लेता धरती को …


कभी उम्र के महल में
हुस्नों के दीये जलते थे
रात भर जागती रहती आँखों की मुस्कराहट
शहद सा भर जाता होठों में
इक नाजुक सा दिल
छुपा लेता हजारों इश्क़ के किस्से करवटों में
रात घूँट -घूँट पीती रहती
इश्क़ का जाम ....

आज बरसों बाद
दर्द का एक कटोरा उठाकर पीती हूँ
रूह के पानी से आटा गूँधती हूँ
ग़म की आँच पर सेंकने लगती हूँ
अनचाहे रिश्तों की रोटियाँ
और उम्र के आसमान पर उगते सफेद बादलों में
ढूंढने लगती हूँ टूटे अक्षरों की कोई मज़ार
जहाँ रख सकूँ बरसों पहले मर गए
देह के खुशनुमा अक्षरों के
मुरझाये फूल …

हीर ……