आज़ादी पर कुछ लिखना चाहा तो जेहन में पिछले महीने की घटी घटनाएं अभी
ताजा थीं ....घटा तो यहाँ बहुत कुछ कोकराझार और धुबड़ी में जो हजारों लोग
बेघर बैठे हैं उनके लिए क्या आज़ादी ....? 9 जुलाई को जी.एस.रोड में घटी
घटना जहां इक लड़की की इज्ज़त 20 लड़कों द्वारा
तार-तार कर दी जाती है......२२ जुलाई २०१२ राजस्थान के उदयपुर जिले में एक शर्मसार कर देने वाले
घटनाक्रम में युवती को प्रेम करने के जुर्म में उसके प्रेमी के साथ उसे पूरे गांव के सामने निर्वस्त
कर पीटा जाता है और नंगा कर पेड़ से बांधा दिया जाता है .....१६
जुलाई २०१२ इंदौर में एक महिला पिछले चार सालों
से पति द्वारा किये गए असहनीय कृत्य को अपने सीने में छुपाये ख़ुदकुशी कर
लेती है....
शंकालु पति ने अमानवीयता की सारी हदें पार करते हुए पत्नी के गुप्तांग पर
ताला लगा रखा था । इसका खुलासा तब हुआ जब अस्पताल में डॉक्टरों ने जांच
की .....ऐसी घटनाओं को देखते हुए सोचती हूँ कि हम कितने स्वतंत्र हुए
हैं ......? या महिलाओं की स्वतंत्रता को लेकर क्या स्तिथि है ......?
क्या आज़ादी का गरीब तबके में कोई महत्त्व है ...? क्या आज़ादी सिर्फ बड़े
लोगों का ज़श्न बन कर नहीं रह गई है .....? इस बार सोचा यही सवाल आज़ादी से
क्यों न किये जायें .....
आज़ादी पर मेरे कुछ हाइकू देखें यहाँ .......
आज़ादी से कुछ सवाल ......
रुको ....!
जरा ठहरो अय आज़ादी .....
तुम्हें केवल ज़श्न मनाने के लिए
हमने नहीं दिया था तिरंगा
इसे फहराने से पहले तुम्हें
देने होंगे मेरे कुछ सवालों के जवाब ....
उस दिन तुम कहाँ थी
जिस दिन यहाँ बीस लोग बीच सड़क पर
उतार रहे थे मेरे कपड़े ....?
या फिर उस दिन ....
जिस दिन प्रेम करने के जुर्म में
मुझे नंगा कर लटका दिया गया था
दरख़्त से ....?
या उस दिन ....
जब मेरी खुदकशी के बाद तुमने
खोला था ताला मेरे गुप्तांग से ...?
या फिर उस दिन ...
जिस दिन नन्हीं सी मेरी लाश
तुम्हें मिली थी कूड़ेदान में ...?
मौन क्यों हो ...?
लगा लो झूठ का कितना ही आवरण भले
पर यह सच है ....
तुम छिपी बैठी हो सिर्फ और सिर्फ
अमीरजादों और नेताओं की टोपियों तले
कभी किसी गरीब की झोंपड़ी में झांकना
तुम टंगी मिलोगी किसी
सड़े हुए खाली थैले में
या किसी टूटी खाट पर
ज़िन्दगी की आखिरी साँसे गिनती
फुटपाथों पर कूड़े के ढेर में देखना
कटे अंगों की चीखों में
जहां तुम्हें जन्म देने का भी मुझे
अधिकार नहीं ....
आज़ादी ...
जाओ लौट जाओ ,पहले
पाक और साफ कर लो अपनी आन
खोल दो मेरे बंधन
जोड़ दो मेरे कटे पंख ...
कर दो मुझे भी स्वतंत्र
फिर हम और तुम मिल कर गायेंगे
आसमां में ....
जन ,गण मन का
पावन गान ....!!