मित्रो
, बेहद ख़ुशी की बात है आज मेरा पंजाबी का काव्य संग्रह .''खामोश चीखां
'' ( खामोश चीखें ) छप कर आ गया है ....जोकि दिल्ली 'शिलालेख प्रकाशन' से
प्रकाशित हुआ है .....इस पुस्तक के प्रकाशन का सम्पूर्ण श्रेय इमरोज़ जी
को जाता है ...'शिलालेख प्रकाशन' से अब तक अमृता-प्रीतम की पुस्तकें
प्रकाशित होती रही हैं इमरोज़ जी ने मेरा यह काव्य संग्रह भी वहीँ से
प्रकाशित करवाया ...इस पुस्तक में इमरोज़ जी के बनाये
३० चित्र हैं ....कवर पृष्ठ भी उन्हीं का बनाया हुआ है ... ....समर्पित
है -'दुनिया के तमाम उन शख्सों को जो मुहब्बत को देह नहीं समझते ' ......
इस काव्य संग्रह की एक छोटी सी नज़्म आप सब लिए .....
तुम और मैं ....
तुमने तो ..
कई बार मेरा हाथ पकड़ा
बुलाया भी
मैं ही हवाओं का
मुकाबला न कर सकी
वे मेरा घर भी उजाड़ गईं
और तुम्हारा भी ....!!