Tuesday, April 16, 2013

खामोश चीखें ....

मित्रो , बेहद ख़ुशी की बात है आज मेरा पंजाबी का काव्य संग्रह .''खामोश चीखां '' ( खामोश चीखें ) छप कर आ गया है ....जोकि दिल्ली 'शिलालेख प्रकाशन' से प्रकाशित हुआ है .....इस पुस्तक के प्रकाशन का सम्पूर्ण श्रेय इमरोज़ जी को जाता है ...'शिलालेख प्रकाशन' से अब तक अमृता-प्रीतम की पुस्तकें प्रकाशित होती रही हैं इमरोज़ जी ने मेरा यह काव्य संग्रह भी वहीँ से प्रकाशित करवाया ...इस पुस्तक में इमरोज़ जी के बनाये ३० चित्र हैं ....कवर पृष्ठ भी उन्हीं का बनाया हुआ है ... ....समर्पित है -'दुनिया के तमाम उन शख्सों को जो मुहब्बत को देह नहीं समझते ' ......
इस काव्य संग्रह की एक छोटी सी  नज़्म आप  सब  लिए .....

तुम और मैं ....

तुमने  तो ..
कई बार मेरा हाथ पकड़ा 
बुलाया भी 
मैं ही हवाओं का 
मुकाबला न कर सकी 
वे मेरा घर भी उजाड़ गईं 
और तुम्हारा भी ....!!





Monday, April 1, 2013

'अभिनव इमरोज़' पत्रिका के अप्रैल अंक में मेरे कुछ हाइकू ......

'अभिनव इमरोज़' पत्रिका  के अप्रैल अंक में मेरे कुछ हाइकू ......




कुछ अन्य हाइकु .......


1
बिन रोए ही 
बहे आँखों से आँसू 
जख्मों की रात 
2
आँखों में बसी 
इक आग इश्क की 
प्यार ये कैसा ?
3
यह तो बता 
ऐ ! ठहरी ज़िन्दगी -
‘जिऊँ  मैं कैसे ?’ 
4
बता तो ज़रा -
भेजूँ कहाँ पैगाम 
तुझे ज़िन्दगी ?
5
आधी रात में 
रोया दस्तक दे -दे 
दिल का पंछी  ।
6
लूट ले गए 
मीठे -मीठे बोल वो 
पलों में दिल  ।
7
आ अए दिल !
घड़ी बैठ, सुनाऊँ 
दर्द के किस्से 
8
दे न सकी मैं 
यकीं मुहब्बत का 
टूटे बुत को  ।
9
क्यों बजती है 
बाँसुरी-सी रातों में 
यहीं  है  राँझा  ।
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कुछ माहिया भी देखें ...

(१)
 
आँखों में ख्व़ाब उगा  
 वक़्त कहे  हर दम
 उल्फ़त की पौध लगा
-

 (२)

अहसासों को जी ले
सपनों की चादर
अरमानों से सी ले 

(3)

 थीं इश्क-पगी बातें
 अब तो बीत रही
 रो-रो के सब रातें 

(4)

कसम तेरे नाम की
साँसों में उठती
 तड़प तेरे प्यार की

(५)

 आज हवा 
है बहकी 
इश्क-झरोखे पर
 
इक चिड़िया है चहकी   
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