मजदूर दिवस पर एक कविता .......
भारत का मजदूर ....
वह आता है
सड़कों पर ठेले में
बोरियां लादे
भरी दोपहर और तेज धूप में
पसीने से तर -बतर
जलती है देह
ठेले पर नहीं है पानी से भरी
कोई बोतल .....
वह आता है
कमर झुकाए
कोयले की खदानों से
बीस मंजिला इमारत में
चढ़ता है बेधड़क
गटर साफ़ करने झुका
वह मजदूर ...
वह खड़ा है चौराहे पर
एक दिन की खातिर बिकने के लिए
दिन भर ढोयेगा ईंट, मिटटी , रेत
पेट में जलती आग लिए ..
डामर की टूटी सड़कों पर
उढ़ेलेगा गर्म तारकोल
कतारबद्ध, तसला, गिट्टी ,बेलचा
जलते पैरों से होगा हमारी खातिर
तब इक सड़क का निर्माण ...
वह दिन भर
धूप में झुलसेगा
एक पाव दाल
एक पाव चावल
एक किलो आटा
एक बोतल मिटटी के तेल की खातिर
काला पड़ गया है बदन
फटी एड़ियाँ
खुरदरे हाथ
दुर्गन्ध में कुनमुनाता
बोझ से दबा हुआ
धड़ है जैसे सर विहीन ....
वह सृजनकर्ता है
दुख सहके भी सुख बांटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है
दसवीं मंजिल से गिरता है
वह भारत का मजदूर ...
वह भारत का मजदूर ...!!
33 comments:
श्रमिक दिवस की शुभ कामनाएं !
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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मजदूर की यही हालत है, एक दिन मजदूर दिवस मना लेने से मजदूरों का कुछ भला नही होने वाला, सिर्फ़ नेताओं की नेतागिरी चमकाने का धंधा है.
रामराम.
वह सृजनकर्ता है
दुख सहके भी सुख बांटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है
....
अक्षरश: कटु सत्य बयां करती पंक्तियां
सादर
सार्थक रचना
मजदूरों की दशा बदले बगैर बेमानी है मजदूर दिवस
देश रचने वाले को साध नहीं पा रहा है देश..
भारत के मजदूर का चेहरा मोहरा बाखूबी शब्दों के सहारे उतारा है ... जीवंत कर दिया उनको ...
जीवंत और सार्थक पोस्ट... सिर्फ नाम का मजदूर दिवस.. जमीन पर कुछ भी नहीं..
मजदूर दिवस पर बहुत बढ़िया प्रभावशाली चिंतन से भरी कविता प्रस्तुति हेतु आभार
एक दिन मजदूर दिवस मना लेने से मजदूरों का कुछ भला नही होने वाला,बहुत ही सशक्त रचना.
मजदूर किसान ये कब तक शोषित रहेंगे..कब तक इन पर ऐसी रचनाये बनती रहेंगी.
कुछ तो उपाय ढूंढने होंगे.
वह सृजनकर्ता है
दुख सहके भी सुख बांटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है
दसवीं मंजिल से गिरता है
वह भारत का मजदूर ...सच है
मजदूरों के जीवन को सच्ची तौर पर बयां करती रचना
मजदूर दिवस पर सार्थक
उत्कृष्ट प्रस्तुति
दुनियां के मजदूरों एक हो
मजदूरों को लाल सलाम
विचार कीं अपेक्षा
आग्रह है मेरे ब्लॉग का अनुसरण करें
jyoti-khare.blogspot.in
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?
मार्मिक रचना।
इस एक दिन यदि हम भी मेहनत का कोई काम करें तो शायद इस दिन की अहमियत समझ आए।
वह सृजनकर्ता है
दुख सहके भी सुख बांटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है
सत्य कहती रचना ....!!समय है सरकार को जागना चाहिए ...एक दिन मजदूर दिवस भर मना लेने से क्या होगा ...???
मजदूर का सजीव चित्रण करती संवेदनशील रचना
श्रमिक दिवस की शुभ कामनाएं !
मजदूरों की ये स्थिति ही आज का कटु सत्य है ......
एक हकीक़त .......
wastvikta ka sahi chitran...
वह सृजनकर्ता है
दुख सहके भी सुख बांटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है
दसवीं मंजिल से गिरता है
वह भारत का मजदूर ...
वह भारत का मजदूर ...!!
BEAUTIFUL LINES WITH GREAT EMOTIONS
मजदूरों का बहुत मार्मिकऔर सटीक चित्रण किया है..
हीर जी नमस्ते
बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आई हूँ ,
सबसे पहले आपको मुबारक हर बार की तरह !!
बहुत सच्ची बात लिखते हो आप !!
हो सके तो इस छोटी सी पंछी की उड़ान को आशीष दीजियेगा
नई पोस्ट
तेरे मेरे प्यार का अपना आशियाना !!
क्या बात , बहुत अच्छा है
वह सृजनकर्ता है
दुख सहके भी सुख बांटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है
वह भारत का मजदूर है । सच्चाई से ओतप्रोत रचना ।
वह एक लम्बी उम्र दूसरों के नाम कर देता है ...और अपनी ज़िन्दगी घेलुए में जीता है ...वह मजदूर...!!
मार्मिक
namaskar
behad sunder
वह सृजनकर्ता है
दुख सहके भी सुख बांटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है.
सभी इन मजदूरों की दुर्गति के लिये कमोवेश जिम्मेदार. सिर्फ मजदूर दिवस मनाने से क्या होगा उनके कल्याण के बारे में सोचना ज्यादा जरूरी है.
सुंदर संवेदनशील प्रस्तुति.
वस्तुस्थिति बयां करती कविता
सार्थक रचना ..
बहुत ही उम्दा रचना है बहुत खूब
http://ekkavitaa.blogspot.in/2010/01/blog-post_6028.html
Majdur Hai Majbur,Khud Ke Aage Ya Duniya Ke Aage ? Majdur Ko Bhi Khabar Nhi... :(
बहुत ही उम्दा मजदूर कविता शेयर की.
Inspirational information in hindi
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