Wednesday, May 1, 2013

मजदूर दिवस पर एक कविता .......

मजदूर दिवस पर एक कविता .......

भारत का मजदूर ....

वह आता है
सड़कों पर ठेले में
बोरियां लादे
भरी दोपहर और तेज धूप में
पसीने से
तर -बतर
जलती है देह 

ठेले पर नहीं है पानी से भरी
कोई बोतल .....

वह आता है
 कमर झुकाए
कोयले की खदानों से
बीस मंजिला इमारत में
चढ़ता है बेधड़क
गटर साफ़ करने झुका
वह मजदूर ...

वह खड़ा है चौराहे पर

एक दिन की खातिर बिकने के लिए
दिन भर ढोयेगा ईंट, मिटटी , रेत
पेट में जलती आग लिए ..
डामर की टूटी सड़कों पर
 उढ़ेलेगा  गर्म तारकोल
कतारबद्ध, तसला, गिट्टी ,बेलचा
जलते पैरों से होगा हमारी खातिर
 तब इक सड़क का निर्माण ...

वह दिन भर
धूप में झुलसेगा
एक पाव दाल
एक पाव चावल
एक किलो आटा
एक बोतल मिटटी के तेल की खातिर
काला पड़ गया है बदन
फटी एड़ियाँ
खुरदरे  हाथ
दुर्गन्ध में कुनमुनाता
बोझ से दबा हुआ
 धड़ है जैसे सर विहीन ....

वह सृजनकर्ता है 

दुख सहके भी सुख बांटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है
दसवीं मंजिल से गिरता है
वह भारत का मजदूर   ...
वह भारत का मजदूर   ...!!

33 comments:

कालीपद "प्रसाद" said...

श्रमिक दिवस की शुभ कामनाएं !
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest postजीवन संध्या
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ताऊ रामपुरिया said...

मजदूर की यही हालत है, एक दिन मजदूर दिवस मना लेने से मजदूरों का कुछ भला नही होने वाला, सिर्फ़ नेताओं की नेतागिरी चमकाने का धंधा है.

रामराम.

सदा said...

वह सृजनकर्ता है
दुख सहके भी सुख बांटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है
....
अक्षरश: कटु सत्‍य बयां करती पंक्तियां

सादर

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

सार्थक रचना

मजदूरों की दशा बदले बगैर बेमानी है मजदूर दिवस

प्रवीण पाण्डेय said...

देश रचने वाले को साध नहीं पा रहा है देश..

दिगम्बर नासवा said...

भारत के मजदूर का चेहरा मोहरा बाखूबी शब्दों के सहारे उतारा है ... जीवंत कर दिया उनको ...

राहुल said...

जीवंत और सार्थक पोस्ट... सिर्फ नाम का मजदूर दिवस.. जमीन पर कुछ भी नहीं..

कविता रावत said...

मजदूर दिवस पर बहुत बढ़िया प्रभावशाली चिंतन से भरी कविता प्रस्तुति हेतु आभार

Rajendra kumar said...

एक दिन मजदूर दिवस मना लेने से मजदूरों का कुछ भला नही होने वाला,बहुत ही सशक्त रचना.

PAWAN VIJAY said...

मजदूर किसान ये कब तक शोषित रहेंगे..कब तक इन पर ऐसी रचनाये बनती रहेंगी.

कुछ तो उपाय ढूंढने होंगे.

रश्मि प्रभा... said...

वह सृजनकर्ता है
दुख सहके भी सुख बांटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है
दसवीं मंजिल से गिरता है
वह भारत का मजदूर ...सच है

Jyoti khare said...


मजदूरों के जीवन को सच्ची तौर पर बयां करती रचना
मजदूर दिवस पर सार्थक
उत्कृष्ट प्रस्तुति

दुनियां के मजदूरों एक हो
मजदूरों को लाल सलाम

विचार कीं अपेक्षा
आग्रह है मेरे ब्लॉग का अनुसरण करें
jyoti-khare.blogspot.in
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?

डॉ टी एस दराल said...

मार्मिक रचना।
इस एक दिन यदि हम भी मेहनत का कोई काम करें तो शायद इस दिन की अहमियत समझ आए।

Anupama Tripathi said...

वह सृजनकर्ता है
दुख सहके भी सुख बांटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है

सत्य कहती रचना ....!!समय है सरकार को जागना चाहिए ...एक दिन मजदूर दिवस भर मना लेने से क्या होगा ...???

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मजदूर का सजीव चित्रण करती संवेदनशील रचना

Unknown said...

श्रमिक दिवस की शुभ कामनाएं !

निवेदिता श्रीवास्तव said...

मजदूरों की ये स्थिति ही आज का कटु सत्य है ......

अशोक सलूजा said...

एक हकीक़त .......

Dr.NISHA MAHARANA said...

wastvikta ka sahi chitran...

Ramakant Singh said...

वह सृजनकर्ता है
दुख सहके भी सुख बांटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है
दसवीं मंजिल से गिरता है
वह भारत का मजदूर ...
वह भारत का मजदूर ...!!

BEAUTIFUL LINES WITH GREAT EMOTIONS

Maheshwari kaneri said...

मजदूरों का बहुत मार्मिकऔर सटीक चित्रण किया है..

उड़ता पंछी said...

हीर जी नमस्ते

बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आई हूँ ,
सबसे पहले आपको मुबारक हर बार की तरह !!

बहुत सच्ची बात लिखते हो आप !!

हो सके तो इस छोटी सी पंछी की उड़ान को आशीष दीजियेगा
नई पोस्ट
तेरे मेरे प्यार का अपना आशियाना !!

ashokkhachar56@gmail.com said...

क्या बात , बहुत अच्छा है

Asha Joglekar said...

वह सृजनकर्ता है
दुख सहके भी सुख बांटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है

वह भारत का मजदूर है । सच्चाई से ओतप्रोत रचना ।

Saras said...

वह एक लम्बी उम्र दूसरों के नाम कर देता है ...और अपनी ज़िन्दगी घेलुए में जीता है ...वह मजदूर...!!

Arun sathi said...

मार्मिक

सुनील गज्जाणी said...

namaskar
behad sunder

रचना दीक्षित said...

वह सृजनकर्ता है
दुख सहके भी सुख बांटता
भूख को पटकनी देता
वह हमारी खातिर तपता है.

सभी इन मजदूरों की दुर्गति के लिये कमोवेश जिम्मेदार. सिर्फ मजदूर दिवस मनाने से क्या होगा उनके कल्याण के बारे में सोचना ज्यादा जरूरी है.

सुंदर संवेदनशील प्रस्तुति.

Onkar said...

वस्तुस्थिति बयां करती कविता

Anju (Anu) Chaudhary said...

सार्थक रचना ..

Kuldeep Saini said...

बहुत ही उम्दा रचना है बहुत खूब
http://ekkavitaa.blogspot.in/2010/01/blog-post_6028.html

मन्टू कुमार said...

Majdur Hai Majbur,Khud Ke Aage Ya Duniya Ke Aage ? Majdur Ko Bhi Khabar Nhi... :(

arpitsadhanapal said...

बहुत ही उम्दा मजदूर कविता शेयर की.
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