Sunday, September 9, 2012

इमरोज़ जी का ख़त और हीर का जवाब .....

ठीक जन्मदिन वाले दिन इमरोज़ जी का ख़त मिलता है ...
जिसका हिंदी तर्जुमा
आप सबके लिए .....

खास दिन .....३१/८/१२


किसी खास के साथ
कोई भी दिन ख़ास हो जाता है
जिस दिन हीर जन्मी थी
वह दिन भी खास था
और खुद वह इतनी खास थी और ख़ास है भी ...
कि हम आज भी उसे गा-गा कर कभी थके ही नहीं ...

जिस दिन कोई हीर हुई थी -अपनी मुहब्बत से
वह दिन भी ख़ास है और ख़ास है भी
और जिस दिन किसी की तलाश हीर होगी
वह दिन भी खास बन जाएगा ....

इक ख़ास के साथ
आम दिन भी , आम महीना भी
आम साल भी , आम सदी भी
ख़ास हो जाती है , ख़ास हो भी रही है ....

इक ख़ास का
आज जन्म हुआ था
वह दिन भी ख़ास था -३१ अगस्त का दिन
वह खुद कल भी ख़ास थी
और आज भी ख़ास है ......

मूल  : इमरोज़
अनु;हरकीरत हीर

मेरा जवाब इमरोज़ जी के लिए ... ......

अय रांझे .....
इक बार ही सही
आ अपनी कब्र से
 कि मैंने तेरे साथ
फिर उस आग में
जलना है .....



         हीर ..............