Tuesday, March 26, 2013

उड़ा गुलाल ...........

 होली पर कुछ हाइकू ....

उड़ा गुलाल ...........

उड़ा गुलाल
फिर आसमान में
 आई रे होली  ..!

2

रंग -रंगोली
मन हुआ फागुनी
भांग की गोली

 रंग प्रेम का
मिल सारे रंग लो
भुला दो बैर ।


दगाबाज तू
खेलूँ न तुझ संग
बैरी मैं होरी  ..!
( एक अज़ीज़ मित्र के लिए )

मन रंग दे
तन रंग दे मोरा
आई रे होली  ..!॥


अखियाँ ढूंढें
तुझको, तुझ बिन
कैसी ये होली  ..?

मीत बिना, न
रंग सुहाए,सूनी
सूनी होली रे ..!


भीगी अखियाँ
भीगा है तुझबिन
मन होली में ।



भीगे - चूनर
गली -गली में खेले
नन्द किशोर 

Sunday, March 10, 2013

महिला - दिवस' एक वेश्या की नज़र से ....

'महिला - दिवस' एक वेश्या की नज़र से     ....

देर रात ....
शराब पीकर लौटी है रात
चेहरे पर पीड़ा के गहरे निशां
मुट्ठियों में सुराख
.चाँद के चेहरे पर भी
थोड़ी कालिमा है आज
उसके पाँव लड़खड़ाये
आँखों से दो बूंद हथेली पे उतर आये
भूख, गरीबी और मज़बूरी की मार ने
देह की समाधि पर ला
खड़ा कर दिया था उसे
वह आईने में देखती है
अपने जिस्म के खरोचों के निसां
और हँस देती है ...
आज महिला दिवस है .....

हरकीरत हीर