Sunday, October 21, 2012

'सरस्वती सुमन' पर आई समीक्षाएं और प्रतिक्रियाएँ

'सरस्वती सुमन' पर आई समीक्षाएं और प्रतिक्रियाएँ  कुछ इस प्रकार  रहीं   .....
(1)डॉ. उमेश महादोषी

जन्म : लगभग पचास वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश के जनपद एटा के एक छोटे से गावं दौलपुरा में।


शिक्षा : कृषि अर्थशास्त्र में पी-एच० डी० एवं सी ऐ आई आई बी


कार्यक्षेत्र-

लगभग तेईस वर्षों तक एक राष्ट्रीयकृत बैंक में सेवा के बाद ज

नवरी २००९ में प्रबंधक पद से स्वैच्छिक सेवानिवृति ली। संप्रति प्रबंधकीय शिक्षा में संलग्न एक कालेज में प्राध्यापक एवं निदेशक के रूप में कार्यरत तथा साहित्यिक त्रैमासिक लघु पत्रिका "अविराम" का संपादन। मुख्यतः नई कविता एवं क्षणिकाओं के साथ साथ अन्य विधाओं में यदा-कदा लेखन।

प्रकाशित कृतियाँ-

-साहित्यिक गतिविधियाँ- १९९२-१९९३ तक निरंतर पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन, उसी दौरान "नई कविता" एवं "क्षणिका" पर कुछ प्रकाशनों का सम्पादन। आगरा की तत्कालीन बहुचर्चित संस्था "शारदा साहित्य एवं ललित कला मंच" से जुड़कर साहित्यिक कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभाई। वर्ष १९९२-९३ के बाद से लम्बे साहित्यिक विश्राम के बाद २००९ में फिर से साहित्यिक दुनिया में लौटने की कोशिश के साथ वर्ष २०१० में समग्र साहित्य की लघु पत्रिका के रूप में "अविराम" का पुनर्प्रकाशन एवं संपादन प्रारंभ किया।

ईमेल- umeshmahadoshi@gmail.कॉम



समीक्षक - डॉ उमेश महादोषी

'सरस्वती-सुमन' का प्रतीक्षित क्षणिका विशेषांक मिला। निःसन्देह उम्मीदों के अनुरूप एक सार्थक अंक है। मुझे लगता है कि सृजन और संपादन/प्रकाशन के कुछ उद्देश्यों व सरोकारों के सामान्य होने के बावजूद कुछ उद्देश्य व सरोकार भिन्न भी होते हैं। मसलन सृजन के विविध पहलुओं/आयामों को सामने लाना प्रकाशन/संपादन का एक भिन्न उद्देश्य होता है। ऐसे में किसी भी पत्रिका, विशेषतः विशेषांक के संपादन/प्रकाशन को उसकी व्यापक उद्देश्यपरकता के सन्दर्भ में देखा जाना चाहिए। इसलिए इस अंक में शामिल सृजन में यदि समालोचनात्मक दृष्टि से किसी के लिए कुछ है तो उसे भी सकारात्मक दृष्टि से देखा जाना जरूरी है। ‘क्षणिका’ को विधागत कसौटी पर परखने की जो घोर उपेक्षा हुई है, उसके संदर्भ में आपने जो सोचा, संकल्प लिया और सामर्थ्यवान एवं क्षणिका के शिल्प को अपने लेखन में पहचान देने वाली कवयित्री हरकीरत हीर एवं संतुलित समालोचनात्मक दृष्टि के धनी युवा रचनाकार-समालोचक जितेन्द्र जौहर की क्षमताओं का भरपूर उपयोग करते हुए उस संकल्प को पूरा किया, यह अत्यंत महवपूर्ण है। विश्वासपूर्वक कह सकता हूँ कि आपकी प्रणम्य दृष्टि और यह आहुति क्षणिका के यज्ञ के प्रभावों को दूर तक ले जायेगी और अनेकानेक सुफलों की प्रेरणा बनेगी। इस अंक की रचनाओं को क्षणिका के सन्दर्भ में परखने के लिए समालोचकों को समय मिलेगा, लेकिन एक बात तय है कि क्षणिका के अनेकानेक पक्ष उभरकर सामने आयेंगे। जैसे-जैसे क्षणिका पर चर्चा आगे बढ़ेगी, इस अंक की महत्ता वैसे-वैसे अधिक, और अधिक उभरकर सामने आयेगी। इसलिए यह अंक आज के लिए होने से ज्यादा भविष्य का दस्तावेज है। हीर जी परिश्रमी और सामर्थ्यवान तो हैं ही, पर वह दूसरों के दृष्टिकोंण और भविष्य की चीजों को भी समझने का माद्दा रखती हैं। रचनाओं के चयन और संकलन से यह बात स्पष्ट है। अनुवाद के माध्यम से उन्होंने हिन्दीतर भारतीय भाषाओं- असमी एवं पंजाबी के कई सशक्त क्षणिकाकारों को प्रस्तुत किया है। जितेन्द्र जी, कथूरिया जी और बलराम अग्रवाल जी के आलेख क्षणिका के प्रति समझ विकसित करने में सहायक होंगे। जितेन्द्र जी ने अपने आलेख में अपनी शोधवृत्ति के सहारे कई दृष्टियों से क्षणिका का विवेचन प्रस्तुत किया है। यद्यपि उन्होंने मेरे छुटपुट कार्य की कुछ ज्यादा चर्चा कर दी है, पर उसको छोड़कर भी आलेख को देखा जाये, तो उन्होंने कई अच्छी चीजें रखी हैं। श्रद्धेय विष्णु प्रभाकर जी की क्षणिका को लेकर क्षणिका के रूप-स्वरूप को स्पष्ट करने से क्षणिका के रूपाकार को एक प्रामाणिकता मिली है। एक विधा के साथ लेखन करते हुए कई बार दूसरी विधाओं के साथ हम कैसे जुड़ जाते हैं, इसे उन्होंने वरिष्ठ कवयित्री आदरणीया डॉ. मिथिलेश दीक्षित जी की क्षणिका का उदाहरण देकर स्पष्ट किया है। दरअसल यह ऐसी प्रक्रिया है, जो बेहद स्वाभाविक होती है और अपने स्वभाववश बहुत बार तो दूसरी विधाओं के प्रस्फुटन का कारण बनती है (और समरूप विधाओं के मध्य अन्तर को रेखांकित करने का सूत्र भी उपलब्ध करवाती है)। स्वयं क्षणिका का प्रस्फुटन इसी प्रक्रिया का एक उदाहरण है। मिथिलेश दीदी अच्छी-समर्पित क्षणिकाकार हैं और खोजने पर उनकी रचनाओं में शोध की दृष्टि से काफी कुछ मिलेगा, जो अन्ततः क्षणिका की पंखुड़ियों को खोलने में मदद करेगा। ऐसे कुछ उदाहरण इस विशेषांक में अन्य रचनाकारों की क्षणिकाओं के मध्य भी उपस्थित हैं। अध्ययनशील रचनाकारों के लिए इस आलेख में कई संपर्क सूत्र भी दिए हैं जितेन्द्र जी ने। कई युवा रचनाकारों में सम्भावनाओं को टटोलते हुए उन्हें भविष्य में अच्छी क्षणिकाएं देने के लिए प्रेरित किया है। आदरणीय डॉ. कथूरिया जी के आलेख की कुछेक बातों पर भले मेरी दृष्टि में विस्तार से चर्चा की गुंजाइश हो, पर उन्होंने जिन सशक्त उदाहरणों के माध्यम से अपनी बात को सामने रखा है, वे क्षणिका की वास्तविक सामर्थ्य को रेखांकित करते हैं। उम्मीद है उनका मार्गदर्शन भविष्य में भी क्षणिकाकारों को उपकृत करता रहेगा। डॉ. बलराम अग्रवाल जी मूलतः लघुकथा से जुड़े होने और अपनी तत्संबंधी अत्यधिक व्यस्तताओं के बावजूद पिछली सदी के आठवें दशक के मध्य से ही क्षणिका को सृजन और चिन्तन- दोनों स्तरों पर अपना प्रभावशाली समर्थन देते रहे हैं। दुर्भाग्यवश क्षणिका से जुड़े लोग उनका लाभ नहीं उठा पाये। भविष्य में क्षणिका पर काम होगा तो उनका मार्गदर्शन और समर्थन भी मिलेगा ही।
सरस्वती सुमन का यह अंक क्षणिका के मैदान में छाए सन्नाटे को तोड़ेगा, हर हाल में तोड़ेगा। मेरी ओर से संपादन-परिवार, हीर जी, जितेन्द्र जी- सभी को हार्दिक बधाई, बार-बार बधाई!

उमेश महादोषी, एफ-488/2, गली संख्या-11, राजेन्द्रनगर, रुड़की-247667, जिला-हरिद्वार (उत्तराखण्ड) मोबाइल : 9412842467
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 (2) रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ जी की समीक्षा 
रस्वती सुमन’ त्रैमासिक का क्षणिका विशेषांक मिला । लघुकथा, मुक्तक और अब क्षणिका विशेषांक तथा अगला अंक ‘ हाइकु’ के रूप में प्रस्तावित है । कोई विधा अपने आकार -प्रकार से नही वरन् प्रभावापन्न होने   से ही महत्त्वपूर्ण होती है ।श्री आनन्द  सुमन सिंह  जी  ने  विशेषांकों के माध्यम से हिन्दी -जगत् का ध्यान आकृष्ट किया है । मुक्तक और क्षणिका के क्षेत्र में यह पहला बड़ा प्रयास है । इसके अतिथि सम्पादकों के लिए भी यह कार्य चुनौतीपूर्ण रहा है । हरकीरत’हीर’ जी ने असमिया और पंजाबी भाषा की क्षणिकाएँ देकर भाषायी  सेतु का निर्माण किया है जो आज के भारत की सबसे  बड़ी ज़रूरत है । सबसे बड़ी आश्वस्ति की बात यह है कि आपने रचना का चयन किया है , रचनाकार का नहीं । किसी बड़े साहित्यकार की सन्तान होने से ही किसी को  साहित्यकार नहीं माना जा सकता । यह तो वही बात हुई कि हमारे दादा ने घी खाया था ,हमारे हाथ सूँघ लो । हरकीरत जी स्वय भी संवेदन्शील कवयिती हैं , इसका प्रभाव इनके चयन में भी नज़र आता है । इमरोज़ की ‘प्यार’, प्रतिभा कटियार की  ‘तुमसे मिलकर’, सीरियाई कवयित्री मरम अली मासरी की दूसरी और तीसरी क्षणिकाएँ( उसने पुरुष  से कहा -नमक के कणों की मानिन्द), मीरा ठाकुर की  दूसरी क्षणिका ‘ मैं/ सुख में रहूँ / या दु:ख में’ मंजु मिश्रा की ‘रिश्ते’ ,  एक ही विषय पर रचना श्रीवास्तव की दसों क्षणिकाएँ , डॉ (सुश्री ) शरद सिंह की सभी क्षणिकाएँ एक अलग संवेदना लिये हुए हैं, जो क्षणिका को  गहन और गम्भीर काव्य -रचना के रूप में प्रतिष्ठित करती हैं ।  डॉ गोपाल बाबू शर्मा की ‘मीठे सपने’, सर्वजीत ‘सवी’ की पंजाब, डॉ मिथिलेश दीक्षित की क्षणिकाएँ अलग तेवर लिये हुए हैं। इस अंक में और भी ढेर सारी क्षणिकाएँ प्रभावित करती हैं , जिनका उल्लेख यहां सम्भव नहीं। यदि  डॉ दीक्षित के अनुसार कहूँ -‘नहीं फ़र्क होता  है/ वय से / कविता उपजी/ अन्तर्लय से’। इस अंक की क्षणिकाओं में जो अन्तर्लय है , वह इसे उन हल्की और भद्दी  रचनाओं से अलग करेगी  ,जो  क्षणिकाओं के नाम पर मंचों पर परोसी जाती हैं । जितेन्द्र ‘जौहर’ ,डॉ उमेश महादोषी और डॉ सुन्दर  लाल कथूरिया के लेख क्षणिका  के भाव-रूप की सूक्ष्म जानकारी देते  हैं । अपनी पारिवारिक कठिनाइयों के बावज़ूद हरकीरत जी ने इस अंक को बेहतर बनाने में जो बेहतर प्रयास किया है , वह श्लाघ्य है ।
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
फ्लैट न-76,( दिल्ली सरकार आवासीय परिसर)
रोहिणी सैक्टर -11 , नई दिल्ली-110085
(3)सुखदर्शन सेखों जी की प्रतिक्रिया .....
 
संक्षिप्त परिचय .....
नाम- सुखदर्शन सेखों
शिक्षा - स्नातक , डिप्लोमा इन नैचुरोपैथी
कृतित्व- टी.वी धारावाहिक दाने अनार के ( लेखक व निर्देशक ),ए.डी फिल्म(हिंदुस्तान कम्बाइन,गुरु रिपेयर ,डिस्कवरी जींस , राजा नस्बर, बिसलेरी, ओक्सेम्बेर्ग, डोकोमेन्ट्री फिल्म (चौपाल गिद्दा

, नगर कीर्तन , एक अकेली लड़की, यू आर इन अ क्यू ) टेली फिल्म (एक मसीहा होर, सितारों से आगे , बचपन डा प्यार , है मीरा रानिये, धोखा , झूठे साजना, सोनिका तेरे बिन , बरसात आदि )
संवाद लेखन , धारावाहिकों के शीर्षक गीतों का लेखन , गीत, नज्में , कहानियाँ ,उपन्यास ,फीचर फिल्म
सम्प्रति - फिल्म निर्माता निर्देशक और लेखक
संपर्क - sukhdrshnsekhon@in.com


क्षणिका विशेषांक मिला , पढ़कर बहुत ही ख़ुशी हुई . इतनी मेहनत की है आपने कि कभी भी भुलाई नहीं जा सकती . उम्र भर संभाल कर रखने वाला अंक बन गया है . हरकीरत हीर जी ने मेरी क्षणिकाएं अनुदित कर
मेरी खुशियों में और भी इजाफ़ा किया है . और ऊपर से क्षणिका के महत्व का भी गंभीरता से पता चल गया है कि एक क्षणिका कैसे अपने भीतर एक पूरी कहानी छुपाये रहती है . बहुत सारे लेखकों की क्षणिकाएं पसंद आईं जिनमें अमृता प्रीतम , अनिता कपूर , अशोक दर्द , हरकीरत हीर , अदेले ग्राफ , इमरोज़, चित्रा सिंह, जितेन्द्र जौहर , आशा रावत , पल्लवी दीक्षित , रमा द्रिवेदी , रनवीर कलसी , सुदर्शन गासो , धर्मेन्द्र सिखों , प्रियंका गुप्ता आदि का ज़िक्र किये बगैर नहीं रह सकता . अब तो जब भी समय मिलेगा इसको बार-बार पढूंगा . एक बार फिर आपको ऐसा अंक परोसने के लिए धन्यवाद .....!!

दर्शन दरवेश
अजीतगढ़ (मोहाली) पंजाब
+919041411198
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(4)  त्रिपुरारी कुमार शर्मा की प्रतिक्रिया 

आज डेढ़ साल की प्रतीक्षा के बाद त्रैमासिक पत्रिका ‘सरस्वती सुमन’ प्राप्त हुई। क्षणिका विशेषांक (अतिथि सम्पादक : Harkirat Haqeer) का यह अंक सराहणीय और पर्सनल लाइब्रेरी में संजोने योग्य है। इस अंक में विष्णु प्रभाकर, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, अमृता प्रीतम, अज्ञेय सहित 179 रचनाकारों को शामिल किया गया है, जिसमें एक छोटा-सा नाम मेरा, त्रिपुरारि कुमार शर्मा भी है।

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(5)  संगीता स्वरूप जी की प्रतिक्रिया .....

हरकीरत  जी ,

आपके सौजन्य  से मुझे सरस्वती सुमन पत्रिका प्राप्त हुई ... सरस्वती सुमन का यह क्षणिका विशेषांक  बहुत पसंद आया । 
क्षणिका विधा पर जितेंद्र जौहर जी का विस्तृत लेख  जिससे इस विधा के बारे में  काफी कुछ जानने और समझने का अवसर मिला ।
शुभड़ा पांडे जी द्वारा क्षणिका  को परिभाषा में बांधने का प्रयास भी सराहनीय लगा । क्षणिका को जानने और समझने के लिए इसमे दिये चारों लेख महत्त्वपूर्ण  स्थान रखते हैं । 
संपादक के रूप में निश्चय ही दुरूह कार्य  रहा होगा .... लेकिन आपने जिस योग्यता से इसे किया है उसके लिए साधुवाद ।  इतने सारे रचनाकारों से संपर्क करना , उनसे रचनाएँ आमंत्रित करना और फिर स्तरीय  रचनाओं का चयन करना अपने आप में किला फतह करने जैसा है । भिन्न भाषाओं के रचनाकारों की क्षणिकाओं के अनुवाद  भी शामिल किए हैं और कुछ के अनुवाद तो आपने स्वयं ही किए हैं .... इस तरह पाठकों को अन्य भाषाओं के रचनाकारों की कृतियाँ पढ़ने का भी सहज अवसर प्रदान किया है ।
जाने माने  साहित्यकारों की  रचनाएँ पढ़ने का भी  सौभाग्य इस पत्रिका के माध्यम से  आपने प्रदान किया ..... आपके माध्यम से मैं आनंद सुमन जी  को हार्दिक बधाई देती हूँ जो यह श्रमसाध्य  काम कर रहे हैं ..... यह पत्रिका निश्चय ही हिन्दी साहित्य  के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी .... जाने माने रचनाकारों के बीच स्वयं को पा कर गौरवान्वित हूँ ...इसके लिए मैं हृदय  से आपकी आभारी हूँ ...


  संगीता स्वरूप,
333  बहावलपुर   सोसाइटी  CGHS , प्लाट  नो - 1 , सेक्टर  - 4 / द्वारका  / न्यू  डेल्ही  - 75 

मो . -- 9868769021
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(6) वंदना गुप्ता की प्रतिक्रिया .....

आदरणीय हरकीरत जी,जितेन्द्र जौहर जी
सादर नमस्कार

मुझे क्षणिका विशेषांक मिल गया जिसके लिये हार्दिक आभार । उसे पढकर जो भाव उभरे भेज रही हूँ  और कल इसे ब्लोग व फ़ेसबुक पर भी लगाऊँग़ी।


क्षणिका………एक दृष्टिकोण


क्षण क्षण भावों का रेला

कैसे रूप बदलता है

तभी तो प्रतिपल

क्षणिका का ढांचा बनता है





क्षणिक अभिव्यक्ति

क्षणिक आवेग

क्षणिक संवेग

क्षणिक है जीवन की प्रतिछाया

तभी तो क्षणिका के क्षण क्षण मे
जीवन का हर रंग समाया





क्षण क्षण मे क्षण घट रहा

नया रूप ले रहा

वंचित भावों का उदगम स्थल

त्वरित विचारों का जाल

क्षणिका का रूप बन रहा





दोस्तों ,



क्षणों का हमारे जीवन मे कितना महत्त्व है ये उस वक्त पता लगा जब सरस्वती सुमन पत्रिका का त्रैमासिक क्षणिका विशेषांक (अक्टूबर - दिसम्बर 2012)  मिला तो ख़ुशी का पारावार न रहा . इतनी बड़ी पत्रिका में एक नाम हमारा भी जुड़ गया . ह्रदय से आभारी हूँ हरकीरत हीर जी की और जीतेन्द्र जौहर जी की जो उन्होंने हमें इस लायक समझा और इतने वरिष्ठ कवियो और  रचनाकारों के बीच एक स्थान हमें भी दिया .

क्षणिका विशेषांक पढना अपने आप में एक सुखद अनुभूति है . सबसे जरूरी होता है उस विशेषांक का महत्त्व दर्शाना और उसकी विशेषता बताना , उसकी बारीकियों पर रौशनी डालना और ये काम आदरणीय जीतेन्द्र जौहर जी ने बखूबी किया है .पहले तो सबकी क्षणिकाएं आमंत्रित करना उसके बाद 179 रचनाकारों को छांटकर उन की क्षणिकाओं को स्थान देना कोई आसान कार्य नहीं था जिसे हरकीरत जी ने बखूबी निभाया . तक़रीबन एक साल से वो इसके संपादन में जुडी थीं ....नमन है उनकी उर्जा और कटिबद्धता को .

सरस्वती सुमन का क्षणिका विशेषांक यूं लगता है जैसे किसी माली ने  उपवन के एक- एक फूल पर अपना प्यार लुटाया हो . कुछ भी व्यर्थ या अनपेक्षित नहीं ........सब क्रमवार . संयोजित और संतुलित ढंग से सहेजना ही कुशल संपादन का प्रतीक है . शुभदा पाण्डेय जी द्वारा " क्षणिका क्या है " की व्याख्या करना क्षणिका के महत्त्व को द्विगुणित करता है . क्षणिका के शिल्प और संवेदना पर प्रोफेसर सुन्दर लाल कथूरिया जी का आलेख क्षणिका के प्रति गंभीरता का दर्शन कराता है तो दूसरी तरफ डॉक्टर उमेश महादोषी ने क्षणिका के सामर्थ्य पर एक बेहद सारगर्भित आलेख प्रस्तुत किया है जो क्षणिका की बारीकियों के साथ कैसे क्षणिकाएं लिखी जाएँ उस पर रौशनी डालता है और कम से कम नवोदितों को एक बार इस विशेषांक को जरूर पढना चाहिए क्योंकि ये विशेषांक अपने आप में क्षणिकाओं का एक महासागर है जिसमे वो सब कुछ है जो किसी को भी लिखने से पहले पढना जरूरी है . बलराम अग्रवाल जी द्वारा क्षणिका के रचना विधान को समझाया गया है कि  काव्य से क्षणिका किस तरह भिन्न है और उसे कैसे प्रयोग करना चाहिए , कैसे लिखना चाहिए हर विधा को बेहद सरलता और सूक्ष्मता  से समझाया गया है .

पूरा विशेषांक एक उम्दा , बेजोड़ , पठनीय और संग्रहनीय संस्करण है और यदि ये संस्करण किसी के पास नहीं है तो वो एक अनमोल धरोहर से वंचित है . सब रचनाकारों के विषय में कहना तो कठिन है क्योंकि सभी बेजोड़ हैं . हर क्षणिका अपने में एक कहानी समेटे हुए हैं . सोच के दायरे को विस्तार देती अपने होने का अहसास कराती है जो किसी भी पत्रिका का अहम् अंग होता है . क्षणिका विशेषांक निकलना अपने आप में पहला और अनूठा प्रयास है जो पूरी तरह सफल है जिसकी सफलता में सभी संयोजकों और संपादकों की निष्ठा और लगन का हाथ है जिसके लिए सभी रचनाकार कृतज्ञ हैं।

अंत में आनंद सिंह सुमन जी का हार्दिक आभार जो अपनी पत्नी की याद में ये पत्रिका निकालते हैं अगर कोई संपर्क करना चाहे तो इस मेल या पते पर कर सकता है

सारस्वतम
1---छिब्बर मार्ग (आर्यनगर) देहरादून --- 248001

mail id ...... saraswatisuman@rediffmail.com

Tuesday, October 9, 2012

फैसला,अक्स,तलाश,नज़्म का जन्म और दर्द की नौकाएं....

मित्रो मेरी कुछ नज्में ज्ञानपीठ से निकलने वाली देश  की सर्वश्रेष्ठ पत्रिका 'नया ज्ञानोदय' के अक्टूबर- १२ के अंक  में प्रकाशित हुई हैं ...उन्हें आप सब के लिए यहाँ पुन: प्रेषित  कर रही हूँ ...साथ ही पत्रिका का वह अंश भी संलग्न है जिसमें रचनायें प्रकाशित हैं .... आप सब के साथ एक और खुशखबरी सांझा करना चाहती हूँ जैसा कि मैं पहले भी सूचित कर चुकी हूँ  कि बोधी प्रकाशन पूर्वोत्तर के रचनाकारों को लेकर  ( पूर्वोत्तर से तात्पर्य - असम, मणिपुर , नागालैंड , मेघालय ,अरुणाचल , सिक्किम ,इम्फाल से है )एक काव्य-संग्रह निकालने जा  रहा है ...जिसके संपादन का दायित्व  उन्होंने मुझे सौंपा है ...अत: पूर्वोत्तर के सभी रचनाकारों से अनुरोध है कि अपनी दो-तीन रचनायें (स्त्री विमर्श पर आधारित ), संक्षिप्त परिचय और तस्वीर ३० अक्टूबर तक  मुझे इस पते पर मेल कर  दें  harkirathaqeer@gmail.com या बोधी प्रकाशन के इस मेल पर मेल करें ....bodhiprakashan@gmail.com
(१)

फैसला ....


तूने ....
सिर्फ उन परिंदों की बात की
जो अपनी उडारियों से
 छूना चाहते थे आसमां
कभी जो ...
उनके प्रेम से
चोंच से चोंच मिलाकर
दानों के लिए ...
जद्दोजहद की बात करते
तो मैं.....
साथ चल पड़ती .....!!

(२)
अक्स.....

अभी-अभी हुई बारिश में
सड़क पर तैरते बुलबुलों के बीच
तलाशना चाहती थी तेरा अक्स
कि गुजरती इक कार ने
सब कुछ तहस -नहस कर दिया
उतरती इक नज़्म
फिर वहीँ ...
खामोश हो गई .....!

(३)

तलाश ....

न जाने कितने  रिश्ते
बिखरे पड़े हैं मेरी देह में
फिर भी तलाश है जारी है
इक ऐसे रिश्ते की
जो लापता है उस दिन से
बाँध दी गई थी गाँठ
जिस दिन ...
सात फेरों साथ
चूल्हे की आग संग ....

(४)

नज़्म का जन्म .....

इस नज़्म के
जन्म से पहले
ढूंढ लाई थी अपने आस-पास से
कई सारे दर्द के टुकड़े
कुछ कब्रों की मिट्टी
कुछ दरख्तों के ज़िस्म से
सूखकर झड़ चुके पत्ते
फिर इक बुत तैयार किया
ख़ामोशी का बुत ...
और लिख दिए इसके सीने पर
तेरे नाम के अक्षर
नज़्म ज़िंदा हो गई .....

(५)

दर्द की नौकाएं  ....

बरसों से ...
बाँध रखी थी दिल में
दर्द की नौकाएं
आज तुम्हारी छाती पर
खोल देना चाहती हूँ इन्हें ...
पर तुम्हें ...
इक वादा करना होगा
तुम बनोगे इक दरिया
और मोहब्बत की पतवार से
बहा ले जाओगे इन्हें
वहां .....
जहाँ प्रेम का घर है ....!!

Monday, October 1, 2012

' सरस्वती-सुमन 'का क्षणिका विशेषांक़

आप सब के लिए एक खुशखबरी .......

' सरस्वती-सुमन ' पत्रिका के जिस  अंक ( क्षणिका विशेषांक़ )अतिथि संपादन का कार्य  भार मैंने लिया था , वो पूरा हुआ और अब ये अंक छप कर तैयार है ...कुछ वक़्त जरुर लगा संपादन में ...वजह  प्रधान संपादक की सम्पादकीय में आप सब  जान ही जायेंगे ...इसमें ब्लॉग और फेस बुक से जुड़े बहुत से रचनाकारों की क्षणिकाएं  हैं ...करीब दो सौ रचनाकार इसमें शामिल हैं...सभी तो नहीं  कुछ नाम मैं यहाँ देने की कोशिश कर  रही हूँ ....क्योंकि मुझसे बार बार पूछा जाता हर है ..''अंक कब तक आयेगा '' .....तो आप सब की प्रतीक्षा समाप्त हुई ..अंक जल्द ही आपके पते पर पहुँच जाएगा .....मिठाई तैयार रखियेगा ......प्रतिक्रिया का भी इंतजार रहेगा  .....:))

विशेष आभार -- प्रधान  संपादक डॉ आनंद सुमन जी एवं जितेन्द्र जौहर जी का जो पग-पग पर मेरा सहयोग करते रहे .....

१. अपूर्व शुक्ल
२. अमिया कुंवर
३. अश्विनी कुमार
४. अनीता कपूर
५. अनवर सुहैल
६ अविनाश चन्द्र
७. अमिताभ श्रीवास्तव
८. अश्विनी राय प्रखर
९.अशोक ' दर्द '
१०. अशोक 'अंजुम'
११. ओम प्रकाश 'अडिग'
१२ अवधेश शुक्ल
१३. अरविन्द कुमार
१४ अशोक विश्नोई
१५ . अशोक 'अकेला'
१६ अमित कुमार 'लाडी'
१७ अदेले ग्राफ
१८. ओम प्रकाश सोनी
१९ अनंत आलोक
२० आनंद वर्धन ओझा
२१ . आलोक तिवारी
२२. आनंद द्रिवेदी
२३. इन्द्रनील भट्टाचार्जी
२४ इमरोज़
२५ उपेन्द्र नाथ
२६. ऍम.एल. वर्मा
२७. एस ऍम . हबीब
२८ ओमिश परूथी
२९ कैलाश चन्द्र शर्मा
३० किशोर कुमार जैन
३१. कमल कुमार जैन
३२ . केवल कृष्ण
३३. कुंवर प्रेमिल
३४ कन्हैया लाल अग्रवाल
 ३५. गौरी शंकर वैश्य
३६ गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
३७. घमंडी लाल
३८. चित्रा सिंह
३९ चक्रधर शुक्ल
४० चेतन दुबे अनिल
४१ जितेन्द्र जौहर
४२. डॉ अनुराग आर्य
४३. डॉ अमरजीत कौंके
४३ . डॉ अरुण द्रिवेदी
४४. डॉ उमेश महादोषी
४५. डॉ कौशलेन्द्र मिश्र
४६.  डॉ केवल कृष्ण पाठक
४७.डॉ  कमलेश द्रिवेदी
४८. डॉ चरनजीत मान
४९ डॉ टी एस . दराल
५० डॉ सुमन शर्मा
५१. डॉ रमा द्रिवेदी
५२.डॉ  रमेश कटारिया 'पारस'
५३. डॉ स्याम शखा स्याम
५४. डॉ सुरेश 'उजाला'
५५. डॉ सुश्री शरद सिंह
५६. डॉ सोंरुपा
५७ डॉ सुशिल रहेजा
५८. दी के सचदेवा 'दानिश'
५९. दी ऍम मिश्र
६० दर्शन  दरवेश
६१ . देवेन्द्र शर्मा
६२. देवेन्द्र कुमार पांडे
६३. दिगंबर नासवा
६४. धर्मेन्द्र गोयल
६५. धर्मेन्द्र सिंह सेखों
६६. निलेश माथुर
६७. प्रियंका गुप्ता
६७. प्रेम चंद 'प्रेमी'
६८. बलराम अग्रवाल
६९. ममता किरण
 ७० मोहिन्दर कुमार
७१. महेंद्र वर्मा
७२. मीनू खरे
७३. मंजू मिश्रा
७४. महावीर रवांल्टा
७५. रश्मि प्रभा
७६. रामेश्वर कंबोज 'हिमांशु'
७७. रचना श्रीवास्तव
७८. रचना दीक्षित
७८. राजेन्द्र स्वर्णकार
७९ . रंजना रंजू भाटिया
८०. राजेन्द्र परदेशी
८१. राजवंत राज
८२. लखमी शंकर बाजपेयी
८३. वंदना गुप्ता
८४. विकेश निझावन
८५. विवेक रस्तोगी
८६. विजय तन्हा
८७. शोभा रस्तोगी
८८ . समीर लाल 'समीर '
८९. सुरजीत कौर
९०. स्वर्णजीत 'सवी'
९१. सुमन पाटिल
९२. स्वप्निल कुमार 'आतिश'
९३. सुनील गज्जाणी
९४.संगीता स्वरूप
९५. सीमा सिंघल
९६.सरस दरबारी
९७. सुधा ओम ढींगरा
९८. संदीप 'सरस'
९९. त्रिपुरारी शर्मा
१००. ज्ञानचंद मर्मज्ञ
एक अंतिम महत्वपूर्ण नाम जो छूट गया  था कीनिया की कवयित्री डॉ रनवीर कलसी का जो कि फेस बुक से जुडी हुई हैं .....
आप सभी को बहुत -बहुत बधाई .....!!

बाकी के नाम मिठाई खाने के बाद .....:)