'महिला - दिवस' एक वेश्या की नज़र से ....
देर रात ....
शराब पीकर लौटी है रात
चेहरे पर पीड़ा के गहरे निशां
मुट्ठियों में सुराख
.चाँद के चेहरे पर भी
थोड़ी कालिमा है आज
उसके पाँव लड़खड़ाये
आँखों से दो बूंद हथेली पे उतर आये
भूख, गरीबी और मज़बूरी की मार ने
देह की समाधि पर ला
खड़ा कर दिया था उसे
वह आईने में देखती है
अपने जिस्म के खरोचों के निसां
और हँस देती है ...
आज महिला दिवस है .....
हरकीरत हीर
देर रात ....
शराब पीकर लौटी है रात
चेहरे पर पीड़ा के गहरे निशां
मुट्ठियों में सुराख
.चाँद के चेहरे पर भी
थोड़ी कालिमा है आज
उसके पाँव लड़खड़ाये
आँखों से दो बूंद हथेली पे उतर आये
भूख, गरीबी और मज़बूरी की मार ने
देह की समाधि पर ला
खड़ा कर दिया था उसे
वह आईने में देखती है
अपने जिस्म के खरोचों के निसां
और हँस देती है ...
आज महिला दिवस है .....
हरकीरत हीर
44 comments:
वह आईने में देखती है
अपने जिस्म के .....
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जीवंत पोस्ट ..
बहुत गहरी रचना है. कितने उसकी इंसानियत को देख पाते हैं, उसकी परिस्थितियों को देख पाते है. शायद वही कोई प्यासा गुरु दत्त. फिल्मों में!
भावनात्मक प्रस्तुति ."महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें"आभार मासूम बच्चियों के प्रति यौन अपराध के लिए आधुनिक महिलाएं कितनी जिम्मेदार? रत्ती भर भी नहीं . आज की मांग यही मोहपाश को छोड़ सही रास्ता दिखाएँ . ''शालिनी''करवाए रु-ब-रु नर को उसका अक्स दिखाकर .
ॐ नाम: शिवाय ! हर-हर महादेव !!
वह आईने में देखती है
अपने जिस्म के खरोचों के निसां
और हँस देती है ...
आज महिला दिवस है .....
ये हालात तो कुछ अच्छे घरो के रानियों के भी होगें ना .... ??
सादर !!
गहन सोच
गहरे भाव..चुभते हुये..
क्या कहें
यह कि
निशां जिस्म पर नहीं
रूह पर भी है
खरोंच की टीस
सिर्फ उसे ही क्यों?
भूख तो महिला दिवस पर भी लगती है। ग़रीबी की मज़बूरी कहाँ जाती है एक दिन में।
जिंदगी की यह भी एक सच्चाई है।
मार्मिक।
बहुत मार्मिक और पीडा दायक हकीकत है ये.
रामराम.
गहन..... विचारणीय भाव
गहन सोंच,भावपूर्ण प्रस्तुति.आपको महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
गहन ...मन उद्वेलित करती रचना ....
झकझोरती हुई रचना
नारी उत्पीडन में शराब को दोष देना अनुचित ही है, ज्यादा तो पुरुष मन की कुत्सित सोच दोषी है.
भावुक करती प्रस्तुति.
महाशिवरात्रि पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
भूख ने मजबूर कर दिया होगा,
आचरण बेच के पेट भर लिया होगा ।
अंतिम सांसो पर आ गया होगा संयम,
बेबसी में कोई गुनाह कर लिया होगा।
खुदा की नज़र कहूँ या खुदा की कलम .......... सजदे में सर झुकाती हूँ
महिला दिवस के अलावा रूह पर पड़ने वाली खरोंचों का क्या ?
सचमुच...ऐसा ही है महिला दिवस.
मार्मिक ह्रदय स्पर्शी.........
महाशिव रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
बेहद मार्मिक...
maarmik rachana
उफ़ ..तीर सी दिल भेदती पंक्तियाँ.
http://www.madhepuratoday.com/2013/03/3.html
गहरे भाव
वह आईने में देखती है
अपने जिस्म के खरोचों के निसां
और हँस देती है ...
आज महिला दिवस है .....
कमज़ोरों के लिए बने दिनों की एक लम्बी फेहरिस्त में शुमार एक और दिन ...इसके अलावा और कुछ नहीं ......नि:शब्द हूँ.....
वह आईने में देखती है
अपने जिस्म के खरोचों के निसां
और हँस देती है ...
आज महिला दिवस है .....
.............. आपकी कलम और उसकी गहनता को नमन
सादर
सीधे ह्रदय को छू जाने वाली नज़्म...बहुत बहुत बधाई!
बहुत कुछ सोंचने पर विवश करती सटीक सामयिक अभिव्यक्ति...
हीर जी ..क्या कहूँ निशब्द हूँ
वह इस समाज का विष पी कर नीलकंठ हो रही है ।
बहुत तीखा व्यंग ।
सजीव रचना ... महिला दिवस का कडुआ सच ...
इस दुनिया में सब कुछ सापेक्ष है ,निरपेक्ष कुछ नहीं । कौन वेश्या कौन सावित्री ,सब परिस्थितियाँ तय करती हैं ।
satik aur ispasht-***
उसकी तरफ देखने की फुरसत किसे है
यूँ भी सब अपने ही सीखचों में हैं कैद
और फिर उसे स्त्री माना ही किसने
वो तो एक खिलौना है ना ...
उसका ...जो दाम दे सके
मजबूरी से हारी बेबसी का
आपके स्वागत के इंतज़ार में ...
स्याही के बूटे
आज महिला दिवस है .....
सच मे आज़ादी के इतने बरसों बाद भी औरत को वो मुकाम नहीं मिल पाया जिसकी वो हकदार है। आज भी पुरुष प्रधान समाज मे अपनी हैसियत को तलाश रही है औरत ।
जिंदगी के आईने में एक कड़वा सच ...बहुत खूब
सुन्दर प्रस्तुति..
Chubhta sachh...
महिला दिवस - वेश्या हो या आम महिला, सब खामोश, अपने अपने अस्तित्व के लिए सवाल लिए... भावपूर्ण रचना, शुभकामनाएँ.
आँखों से दो बूंद हथेली पे उतर आये
भूख, गरीबी और मज़बूरी की मार ने
देह की समाधि पर ला
खड़ा कर दिया था उसे
sach me mn ko chhoo jane wali rachana .....hardik badhai Heer ji .
bahut bhawanaatmak prastuti. aapne samaaj jis ansh ko apni kavitaa ke maadhyam se chhuaa hai wo aamtaur par havaaniyat se hi chhuaa jaataa, amaanviyaataa ki aankh gadi rahti aur manviyataa to pahunch hi nahi pati un tak.
गहन भाव बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ओह .... एक सच यह भी है ... बहुत मार्मिक
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