२७ फरवरी प्रगति मैदान दिल्ली में मेरे काव्य संग्रह ''दर्द की महक'' का लोकार्पण चित्रकार व कवि इन्द्रजीत इमरोज़ जी , हिंदी साहित्य जगत के सशक्त हस्ताक्षर कवि-गीतकार-नवगीतकार, ग़ज़लगो, कथाकार, समीक्षक, संपादक, अनुवादक एवं बाल साहित्यकार रमाकांत शर्मा उद्भ्रांत जी , राम कुमार कृषक जी(संपा.अलाव ) , यशवंत सिंह और विजय शंकर जी के हाथों हुआ .....प्रकाशक 'हिंद-युग्म' के शैलेश भारतवासी जी का आभार ....पहली बार अपने प्रसंशक ब्लोगर मित्रों से भी रूबरू हुई ..ये मेरे लिए रोमांच से भरे हुए सुखद पल थे ....मनु जी गेट पर ही मुझे लेने आ गए थे ...अन्दर पहुँचते ही अंजू अनु चौधरी , मुकेश तिवारी, अविनाश वाचस्पति, अनुपमा त्रिपाठी ,सुनीता सानू ,गुंजन अग्रवाल,महफूज़, राजीव तनेजा ,श्रीमती तनेजा , आनंद द्रिवेदी, इमरोज़ जी , विकेश निझावन जी , आनंद सुमन जी , मुकेश कुमार सिंहा, डॉ. वेद व्यथित, हरी शर्मा , काजल कुमार, प्रमोद कुमार तिवारी,शैलेश भारतवासी , संगीता मनराल, विजेंद विज , शिवम् मिश्रा, केवल राम , ललित शर्मा ललित, वंदना गुप्ता यशवंत जी आदि...आदि....आदि ....(मुझे तो नाम भी ठीक से याद नहीं ) से एक साथ मुलाकात ....एतिहासिक और यादगार पल थे वे ....
बहुत ही रोमांचक और सुखद दिन था मेरे लिए ...जाते ही एक के बाद एक सभी ब्लोगर सामने आते गए ...लेकिन तस्वीरों से कुछ हट के पहचानना जरा कठिन हो रहा था पर मुश्किल नहीं .....
बहुत सी तस्वीरें छूट गयीं हैं ...अगर किसी मित्र के पास हों तो भेज दें .....
शुक्रिया मनु जी का जो हर वक़्त मुझे सहयोग देते रहे .....
जिनका इंतजार था ......डॉ दराल जी , पंकज सुबीर जी , मुफलिस जी , खुशदीप जी , आशीष जी पर नहीं आये .......
शिकायत रही वंदना गुप्ता , अनु चौधरी , सुनीता शानू , अनुपमा त्रिपाठी, गुंजन जी से जो अंत में एक साथ स्टाल में चलने का वादा कर पहले ही चली गयीं .....:))
(१)
'' दर्द की महक '' का विमोचन .....
(२)
हीर , कहानीकार व पत्रिका 'पुष्प-गंधा' के संपादक विकेश निझावन , उनके पुत्र , इनका नाम भूल रही हूँ ....
(३)
(४) हीर , सरस्वती- सुमन के संपादक डॉ आनंद सुमन .....
इमरोज़ जी के साथ .....
(५)
अंजू अनु चौधरी की ''क्षितिजा'' का विमोचन.....
इमरोज़ जी ''दर्द की महक '' पर अपने विचार रखते हुए .....
(७)
'' दर्द की महक ''पुस्तक पर अपने विचार और नज़्म सुनाते हुए .....
(८)
(९)
'जुगलबंदी' का लोकार्पण
(१०)
मुकेश कुमार तिवारी जी की 'शब्दों की तलाश में' का लोकार्पण....
कुछ और चित्र......
इमरोज़ जी , हीर व आनंद द्रिवेदी जी ....
19 comments:
"दर्द की महक " के विमोचन की बधाइयाँ . ना पहुँच पाने की कसक तो है . इश्वर करे ये महक हिन्दुस्तान को सुगन्धित करती रहे . आभार .
कमेन्ट की समस्या हो रही है .....
कमेन्ट अपने आप गायब होते जा rahe हैं ....
स्पैम में भी नहीं हैं ...
कृपया अन्यथा न लें .....
हरकीरत जी,
चाहते हुए भी आपके मैं इस महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम में न पहुँच सका। यक़ीनन मन से मैं लगातार वहाँ उपस्थित था। था न...?
मुझे ख़ुशी है कि इस पुस्तक के बलर्ब (फ़्लैप) पर मैं आपके लिखे पर कुछ लिखकर अपनी वैचारिक उपस्थिति दर्ज करा सका।
आपको पुनः हार्दिक बधाई...!
ऐसी अपार सफलता मिलने पर
हार्दिक बधाई .....
ऐसे अनुपम कार्यक्रम में न पहुँच पाने के
'दर्द' की 'महक' उम्र भर साथ रहेगी....
लेकिन
हर पल , हर घटना का ब्योरा
मिलता ही रहा आपसे
पटियाला में भी,,,, लुधियाना में भी..
ढेरों बधाई स्वीकारें !
bahut wadhaayii ho aap ko ,aap ko aap ki kitaab ke vimochan par.
zor-e-qalam aur ziaadaa!!!!
उफ़ !
इंतजार हम करते रहे आपके आने का .
अफ़सोस रहेगा सदा , न आ पाने का !
हीर जी, पुस्तक लोकार्पण की हार्दिक बधाई .
पर कैसे होगी हमारे नुकसान की भरपाई !
यह पोस्ट हमारे ब्लॉग के डैशबोर्ड पर नहीं दिख रही थी . आपके ब्लॉग के साइड बार में जाकर ब्लॉग आइकाइव में मार्च की पोस्ट पर क्लिक करने से खुल पाया है .
अब इंतजार करते हैं , पुस्तक प्राप्त करने का .
फ़िलहाल होली की रंग बिरंगी शुभकामनायें जी .
उफ़ !
इंतजार हम करते रहे आपके आने का .
अफ़सोस रहेगा सदा , न आ पाने का !
हीर जी, पुस्तक लोकार्पण की हार्दिक बधाई .
पर कैसे होगी हमारे नुकसान की भरपाई !
यह पोस्ट हमारे ब्लॉग के डैशबोर्ड पर नहीं दिख रही थी . आपके ब्लॉग के साइड बार में जाकर ब्लॉग आइकाइव में मार्च की पोस्ट पर क्लिक करने से खुल पाया है .
अब इंतजार करते हैं , पुस्तक प्राप्त करने का .
फ़िलहाल होली की रंग बिरंगी शुभकामनायें जी .
प्रभावशाली लेखनी को बधाई !
रंगोत्सव की आपको शुभकामनायें ...
"दर्द की महक " के विमोचन की बधाइयाँ ………आपकी शिकायत वाज़िब है मगर क्या करें काफ़ी देर हो गयी थी घर से बार बार फोन आ रहे थे पता है रात को 9 बजे घर पहुंचे हम बस इसी वजह से उस दिन कोई किताब भी नही खरीदी और ना पुस्तक मेला ही देखा बस दोनो विमोचन ही देखे बल्कि किताबें लेने तो बाद मे एक दिन और गयी।बहरहाल आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा एक यादगार दिन बन गया ।
वंदना जी आपसे मिल कर मुझे भी बहुत अच्छा लगा ...बस किसी से अच्छी तरह मिल ही नहीं पाई यही गिला रहा ...न कोई तस्वीर खीच पाए साथ .....
पुस्तक के विमोचन पर बहुत बहुत बधाई...
होली की शुभकामनाएं....
.
पुस्तक के प्रकाशन और लोकार्पन के लिए बधाई !
सारी उपलब्धियों के लिए मुबारकबाद !
तस्वीरों के लिए शुक्रिया !
(कुछ चित्र खुल नहीं रहे …)
.
…और जो जो आपसे मिले उनसे ईर्ष्या !!
:)))
'
# …और डॉक्टर दराल साहब से शिकायत और सहानुभूति !
हीर जी बहुत बहुत बधाई दर्द की महक के लोकार्पण समारोह के लिये । जो जो आपसे मिले उनसे मुझे भी ईर्षा हो रही है पर आप के लिये बहुत खुशी । दर्द की महक ने ही सही आप को मुस्कुराने का मौका जो दिया ।
badhai ek bar aur kbool karen...:)
मैं इस दुनिया में नयी हूँ ..धीरे धीरे सबसे परिचय हो रहा है ..'ब्लॉग' की इस दुनिया से जुड़ने का अनुभव बहुत ही सुखद लग रहा है ...आपके बारे में जाना ...बेहद ख़ुशी हुई .....आपकी किताब को पढना चाहूंगी ,,,,,बहुत बहुत बधाई !
bahut achha laga .....heer ji ....kas mai bhi apke karykrm men sirkat kr sakata ....
सच ईर्ष्या हो रही हैं की मैं वह क्यों नहीं ...और जो थे वो ठीक से आपसे मिल ही नहीं पाए ...मैं होती तो शायद तुम्हारा साथ ही न छोडती ...खेर तुम्हारी पुस्तक लेने की कोशिश करुँगी ..
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