Wednesday, August 2, 2017

ग़ज़ल

ग़ज़ल
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ले गया लूट कर दिल मेरा कौन है
दे गया ग़म नया,  बेवफ़ा कौन है

जात क्या,उम्र क्या, क्या ग़लत क्या सही
इश्क़ में सब भला सोचता कौन है

टूटकर था कभी दिल ने' चाहा जिसे
चल दिए कह यही, तू मेरी कौन है ?

इक मुद्दत बाद देखा अभी आइना
पूछने है लगा,  तू बता कौन है ?

कौन रह रह सदा,दे रहा रात भर
तू नहीं तो भला,  कौन है कौन है

यूँ तो' ग़म के सिवा घर में' कोई नहीं
दास्ताँ सुन मे'री,  रो रहा कौन है

आज भी 'हीर' तुझको न पाई भुला
इश्क़ के दर्द यूँ  , भूलता कौन है

हीर ....

6 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

वाह, शानदार गजल, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

Rohitas Ghorela said...

बहुत ही सुंदर गजल
वाह

Asha Joglekar said...

कमाल की गजल ।

हितेष said...

इक मुद्दत बाद देखा अभी आइना
पूछने है लगा, तू बता कौन है ?

क्या बात है हीर जी.. हर एक शेर लाजवाब, बस वाह वाह

हर एक शेर मुक़र्रर.

kya hai kaise said...

बहुत ही खुबसूरत
बहुत उम्दा लिखा है.
Raksha Bandhan Shayari

Unknown said...

यूँ तो' ग़म के सिवा घर में' कोई नहीं
दास्ताँ सुन मे'री, रो रहा कौन है

Bohut khubsurat
Heer ji