Tuesday, July 4, 2017

इश्क़ का बीज

लो मैंने बो दिया है
इश्क़ का बीज
कल जब इसमें फूल लगेंगे
वो किसी जाति मज़हब के नहीं होंगे
वो होंगे तेरी मेरी मुहब्बत के पाक ख़ुशनुमा फूल
तुम उन अक्षरों से मुहब्बत की नज़्म लिखना
मैं बूंदों संग मिल हर्फ़ हर्फ़ लिखूंगी इश्क़ के गीत
क्या ख़बर कोई चनाब फ़िर
लिख दे इतिहास
तेरे मेरे इश्क़ का नया सफ़्हा हो इज़ाद
आ बेख़ौफ़ इसे पी लें हम
आज़ अक्षर अक्षर जी लें हम...

हीर ...

Saturday, July 1, 2017

आज ब्लॉग दिवस की सबको शुभकामनाएं देते हुए ... बारिश की बूंदों में भीगी भीगी सी इक नर्म सी नज़्म .....

बारिश की पहली बूंद .....
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खुली हथेलियों पे
जब से गिरी है बारिश की पहली बूँद
बन्द खिड़कियाँ ...
द्वार खटखटाने लगीं है
हवाओं में रह रह गूँजता है इक शब्द
देह ढूँढती है
गुम हुए शब्दों की पदचाप ....

टप ..टप ...तप
बारिश की बूंदे लिखने लगी हैं
देह पर भीगते शब्दों के गीत
कहीं कोरों में ठहरा हुआ पानी
खुरचने लगा है कोनों में उग आई काई
रात गला खँगार कर मुस्कुराने लगी है
फुनगी पर बैठे दर्द ने हौले से
नज़रें फेर लीं हैं ....

खिड़कियों से कूद आई हैं
गिलहरी सी उछलती कूदती मुस्कुराती लम्बी साँसें
इक शरारती सा शब्द होंठों पर तैर गया है ...

बारिश की बूंदें नहीं जानती
उनका आना कितने मुर्दा शब्दों का ज़िंदा होना होता है
सूखे पड़े बंजर में कितने बीज अंकुरित होते हैं
आज बहुत सारे झूठे शब्द
पानी पर लिखेंगे
अधूरी कविताओं का प्रेम संदेश ...


हीर ...