बहुत सुन्दर प्रस्तुति...! -- आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (08-02-2014) को "विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता" (चर्चा मंच-1517) पर भी होगी! -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
दर्द को इतनी खूबसूरती से बयां किया जा सकता है.., सोचा न था.. अलग-अलग बिम्ब और प्रतीक.. इस दर्द में एक राग है, सहज प्रवाह है जो सीधे हमारे अंतर्मन को स्पर्श करता है...बकौल ग़ालिब 'दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना..' इल्तिजा है कि अपनी बेशकीमती रायों से ब्लॉग को नवाजते रहा करें...हौसला अफजाई होगी...
क्या कहूँ अपने बारे में...? ऐसा कुछ बताने लायक है ही नहीं बस -
इक-दर्द था सीने में,जिसे लफ्जों में पिरोती रही
दिल में दहकते अंगारे लिए, मैं जिंदगी की सीढि़याँ चढती रही
कुछ माजियों की कतरने थीं, कुछ रातों की बेकसी
जख्मो के टांके मैं रातों को सीती रही। ('इक-दर्द' से संकलित)
20 comments:
दर्द के इतने सारे शेड्स देखकर तो दर्द से मोहब्बत होने लगी है!!
सारी की सारी क्षणिकाएँ दर्द को एक नए सिरे से डिफ़ाइन करती हैं!
सलिल को बोलो
मोहब्बत कर ले !
सीने में ये कैसा
फिर इश्क़ सा जला है
कि इस आग की लपल से
आज मेरा दुपट्टा जला है
...बेहद दर्द भरी हैं नज्म... रभावशाली पीड़ा शदों में घुल सी गयी है...!!
गहराई लिये होती हैं आपकी शब्द-संरचना...हरकीरत जी
आग्रह है-- हमारे ब्लॉग पर भी पधारे
शब्दों की मुस्कुराहट पर ....दिल को छूते शब्द छाप छोड़ती गजलें ऐसी ही एक शख्सियत है
दर्द में आशिकी इतनी !
लाजवाब !
...दर्द की स्याही से भीगी हुई कलम ...
बहुत खूबसूरत लिखा है ...
हर ओर से दर्द को कुरेदा है, कौन जाने किसके दर्द अधिक है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (08-02-2014) को "विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता" (चर्चा मंच-1517) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
फिर वोही दर्द ,वोही तन्हाई
दोनों को इक-दूजे की याद आई ....
दर्द ही दर्दे दिल की दवा है .....
शुभकामनायें!
प्रखर प्रेम में दर्द की आह सुनाती क्षणिकाएं !
बेहतरीन, साभार !
बहुत सुन्दर क्षणिकाएं .. दर्द की सुन्दर बयानी
मर्म को छू गयीं पंक्तियाँ
बहुत खूब
छू गयीं पंक्तियाँ ...बहुत खूब
अंतस को छूती लाज़वाब क्षणिकाएं...
गहन अभिव्यक्ति...
दर्द को इतनी खूबसूरती से बयां किया जा सकता है.., सोचा न था.. अलग-अलग बिम्ब और प्रतीक.. इस दर्द में एक राग है, सहज प्रवाह है जो सीधे हमारे अंतर्मन को स्पर्श करता है...बकौल ग़ालिब 'दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना..'
इल्तिजा है कि अपनी बेशकीमती रायों से ब्लॉग को नवाजते रहा करें...हौसला अफजाई होगी...
दर्द को किस अंदाज़ से बयाँ किया है ... बहुत ही अलग बिम्ब और अलग अभिव्यक्ति ...
दर्द हैरान था
ये किसने आह भरी है
जो मेरी कब्र पर से आज
फिर रेत उड़ी है …
bahutkhub !
बहुत खूबसूरत नज्में ...
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