Friday, December 31, 2010

अलविदा....तोहफ़ा और... दर्द की महक ....

ज वर्ष का आखिरी दिन है .....नववर्ष द्वार पर है ....सोचती हूँ क्या खोया ...क्या पाया ..?....तो पाया का पलड़ा जरा भारी लगता है .....आप सब का स्नेह ...प्यार ...मित्रता ....कई तोहफे .. ....सम्मान .....तो शुक्रिया तेरा वर्ष २०१० ...अलविदा .....

इस अलविदा और स्वागत के साथ ....कुछ शब्दचित्र ....

()

अलविदा .....

मैंने.....
उसके चेहरे से
चादर उठाकर देखा
उसके चेहरे पर खरोंचे थीं
सीने पर गोलियों के निशां
और पाँव ज़ख़्मी थे ......
मैंने नम आँखों से
हाथों में पकड़े फूल
उसके सीने पर रखे
और कहा .....
अलविदा वर्ष .....!!

()

तोहफ़ा ......

सने ...
जाते हुए गठरी में
अपना सारा समान बाँध लिया
मैंने धीमे से कहा -
कुछ तो छोड़ जाओ मेरे लिए
जिससे तुम्हें याद कर सकूँ ....?
उसने गठरी खोली ...
और कुछ खुशनुमा यादें निकाल
मेरी हथेली पे रख दीं
मैंने देखा उनमें ....
राजेन्द्र जी का दिया
हीर को तोहफा भी था .....!!


()

स्वागत .....

दर्द से कराहता
द्वार पर औंधा पड़ा था
मैंने देखा उसके हाथों में
इक पर्ची थी .....
जिस पर लिखा था -
'' स्वागत है मित्र ...''
मैंने उसके हाथों से पर्ची ली
और नववर्ष को
पकड़ा
दी .....!!

()

दर्द की महक ....

सने हौले से
द्वार पे दस्तक दी ...
मैंने दरवाज़ा खोला
देखा ...तो नववर्ष था
मैंने कहा -तुम्हें देने के लिए
मेरे पास कुछ नहीं है वर्ष
वह मुस्कुरा कर बोला -
मैं तुमसे कुछ लेने नहीं
देने आया हूँ हीर ....
मैंने हैरानी से पूछा -
क्या ......?
वह बोला -
'दर्द की महक' ....!!

()

ईमान के बीज .....

....
खुश था ,बेहद खुश
आँखों में हजारों सपने ,
ख्वाहिशें , उम्मीदें , अरमान लिए
दौड़ता चला आया ....
राह में बीता वर्ष पड़ा था
उसने पूछा- 'क्या हुआ मित्र...?'
वह बोला - ताउम्र झूठ,फरेब,
भ्रष्टाचारी के दाने खाते-खाते
आँते ज़ख़्मी हो गईं हैं ....
कुछ बीज ईमान के बचा रखे हैं
इन्हें तुम ले जाओ ...
इक इल्तिज़ा है ...
इस बार इन्हें जरुर
बो देना .......!!


82 comments:

vandana gupta said...

अब इस सबके बाद हम क्या कहें………………सुन्दर अन्दाज़्।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

Pradeep said...

हरकीरत जी प्रणाम!
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें .....
आपकी हर रचना भीतर तक चली जाती है और मुझे प्रेरित कर जाती है......आपका बहुत धन्यवाद....आप यूँ ही लिखती रहे यही प्रार्थना है.....
कुछ नया लिखा है.....आपकी खिदमत में पेश है......

http://pradeep-splendor.blogspot.com/2010/12/blog-post.html

Sunil Kumar said...

मैंने.....
उसके चेहरे से
चादर उठाकर देखा
उसके चेहरे पर खरोंचे थीं
सीने पर गोलियों के निशां
और पाँव ज़ख़्मी थे ......
मैंने नम आँखों से
हाथों में पकड़े फूल
उसके सीने पर रखे
और कहा .....
अलविदा वर्ष .....!!
bahut dard bhari alvida...
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

उपेन्द्र नाथ said...

इन भावपूर्ण और सुंदर क्षनिकायों के माध्यम में आपने इस वर्ष के दर्द को सही तरीके से उकेरा है.. नये वर्ष के स्वागत में हम पुराने वर्ष को भूल जा रहे है. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति........नूतन वर्ष २०११ की आप को हार्दिक शुभकामनाये.

केवल राम said...

सीने पर गोलियों के निशां
और पाँव ज़ख़्मी थे ......
मैंने नम आँखों से
हाथों में पकड़े फूल
उसके सीने पर रखे
और कहा .....
अलविदा वर्ष .....!!
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
बहुत गहरे भाव ....सभी नज्में बहुत प्रभावी हैं ...दिल पर प्रभाव डालने वाली ....शुक्रिया

केवल राम said...

आपको नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ...स्वीकार करें , आप इसी तरह ब्लॉग जगत को अपनी प्रेरक रचनाओं से समृद्ध करते रहें यही कामना है ...शुक्रिया

फ़िरदौस ख़ान said...

मैंने.....
उसके चेहरे से
चादर उठाकर देखा
उसके चेहरे पर खरोंचे थीं
सीने पर गोलियों के निशां
और पाँव ज़ख़्मी थे ......
मैंने नम आँखों से
हाथों में पकड़े फूल
उसके सीने पर रखे
और कहा .....
अलविदा वर्ष .....!!


बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

संजय भास्‍कर said...

आदरणीय हरकीरत जी
नमस्कार !
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
.सभी नज्में बहुत प्रभावी हैं .

संजय भास्‍कर said...

आपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......

संजय कुमार चौरसिया said...

आदरणीय हरकीरत जी, नमस्कार !


बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

चैन सिंह शेखावत said...

मैंने नम आँखों से
हाथों में पकड़े फूल
उसके सीने पर रखे
और कहा .....
अलविदा वर्ष .....!!

behad khoobsurat rachnaen..
navvarsh ki hardik shubhkamnaen..

Alpana Verma said...

सभी शब्दचित्र एक से एक बढ़कर हैं.
पांचवां चित्र खास लगा .
..............
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ हरकीरत जी आप को..अगला साल भी कई तोहफे सम्मान आप के जीवन में लाये और क्या पाया क्या खोया में 'पाया' का पलड़ा भारी रहे.

__अल्पना

मुकेश कुमार सिन्हा said...

उसने ...
जाते हुए गठरी में
अपना सारा समान बाँध लिया
मैंने धीमे से कहा -
कुछ तो छोड़ जाओ मेरे लिए
जिससे तुम्हें याद कर सकूँ ....?
उसने गठरी खोली ...
और कुछ खुशनुमा यादें निकाल
मेरी हथेली पे रख दीं

aapki ye khushnuma yaaden....hame bhi khushi de gayee....achchha laga padh kar, beshak ye yaaden aapnko rajendra jee ne di...:)


nav varsh ki bahut bahut shubhkamnayen...aur ummid karunga sneh banaye rakhengi...

Avinash Chandra said...

"दर्द की महक" और "ईमान के बीज" ...

क्या कहूँ? सब तो है, इन दोनों में ही.
दुआ है, ये दुआयें पूरी हों.

डॉ टी एस दराल said...

पोस्ट की भूमिका पढ़कर प्रसन्नता हुई कि पाया का पलड़ा ज़रा भारी लगता है ।
अलविदा --सच कुछ ऐसा ही था गत वर्ष ।
तोहफा --वाह वाह । हमें भी बड़ा पसंद आया था जी ।
महक --तो ज़रूर , लेकिन दर्द की नहीं । कहें तो सिफारिस लगा दें ।
ईमान के बीज --बोने की आपकी अपील पर सबको ध्यान देना पड़ेगा ।

सकारत्मक सोच के साथ नव वर्ष में प्रवेश करने के लिए हार्दिक शुभकामनायें हीर जी ।

हरकीरत ' हीर' said...

'दर्द की महक ' मेरा आने वाला काव्य संग्रह भी है दराल जी ....

डॉ टी एस दराल said...

फिर तो अग्रिम बधाई एवम शुभकामनायें ।

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

आदरणीया हरकीरत हीर जी
… … …
हीर जी
आप भी … बस,
इतनी परीक्षाएं लेती हैं !
… ज़्यादा बड़बोला तो मैं हूं नहीं …फिर भी, बोलती बंद है ! :)

आपने मुझे जो मान दिया उसके लिए आभार कृतज्ञता के सार्थक समर्थ शब्द मिल नहीं रहे …

सादर आपके लिए -
ले आ नया हर्ष
नव वर्ष आ !

आजा तू मुरली की तान लिये ' आ !
अधरों पर मीठी मुस्कान लिये ' आ !
विगत में जो आहत हुए , क्षत हुए ,
उन्हीं कंठ हृदयों में गान लिये ' आ !

आ ' कर अंधेरों में दीपक जला !
मुरझाये मुखड़ों पर कलियां खिला !
युगों से भटकती है विरहन बनी ;
मनुजता को फिर से मनुज से मिला !

स्वागत है आ, मुस्कुराता हुआ !
संताप जग के मिटाता हुआ !!
नव वर्ष आ , मुस्कुराता हुआ !!!


नये वर्ष में आपसे चंद मुस्कुराहटों की उम्मीद रहेगी …

~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

राज भाटिय़ा said...

अब नये साल पर यह इमानदारी के बीज पनपे जी, बहुत सुंदर आप की तीनो रचनाये लगी , धन्यवाद

समयचक्र said...

सुन्दर प्रस्तुति .. ... नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ...

kunwarji's said...

खूबसूरती का खुबसूरत सा उदाहरण आपकी यें सुन्दर प्रस्तुति..

नव वर्ष कि शुभकामनाये स्वीकार करे..

कुंवर जी,

कविता रावत said...

वह दर्द से कराहता
द्वार पर औंधा पड़ा था
मैंने देखा उसके हाथों में
इक पर्ची थी .....
जिस पर लिखा था -
'' स्वागत है मित्र ...''
मैंने उसके हाथों से पर्ची ली
और नववर्ष को
पकड़ा दी .....!!

...बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति........
नव वर्ष २०११ की आप को हार्दिक शुभकामनाये.

Arvind Jangid said...

सुन्दर रचना.....

नव वर्ष की आपको हार्दिक सुभकामनाएँ.

प्रवीण पाण्डेय said...

काश, खरोंच भरी राहें आगे न हों, पूलों की डगर मिले, नये वर्ष की शुभकामनायें।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

गज़ब गज़ब और बस गज़ब की क्षणिकाएं ...

ज़ख़्मी वर्ष --- फूल रख श्रद्धांजलि देना ...

खुशनुमां यादें ...कम से कम एक तो निकली ..

नए वर्ष का स्वागत ...

और दर्द की महक ...बस महसूस हो रही है ...

ईमान के बीज ...काश नन्हा स पौधा निकल ही आये ....


बहुत खूबसूरत ...

नव वर्ष की शुभकामनायें

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

शानदार तोहफा..

ब्लॉ.ललित शर्मा said...


नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं

चुड़ैल से सामना-भुतहा रेस्ट हाउस और सन् 2010 की विदाई

daanish said...

"ईमान के बीज" ....
हरकीरत 'हीर' की रचना कुशलता का
एक और प्रमाण ....
काव्य में... मात्र शब्द नहीं हैं
एक प्रबुद्ध लेखक के भरपूर भाव हैं ...
बधाई स्वीकारें ...
और हाँ ....
"पाया का पलड़ा जरा भारी लगता है ..."
पढ़ कर बहुत ख़ुशी हासिल हुई
नव वर्ष आपके लिए
ऐसी
ढेरों ढेरों खुशियाँ
और
नायाब तोहफे लाता रहे ,,
यही कामना है
happy new year 2011

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

आपके ये शब्दचित्र संग्रहणीय है.
मैंने इसे सहेज लिया है. शुक्रिया!
-
और ढेरो शुभकामनाएं !!

नीरज गोस्वामी said...

दर्द की महक' ....!!

शब्दों की जादूगरी कोई आपसे सीखे...वाह...पुराने साल की विदाई और नए साल के आने के जो मंज़र आपने खींचे हैं वो सिर्फ और सिर्फ आपके ही बस की बात है...लाजवाब रचनाएँ...कोई दूसरी से कम नहीं...

नीरज

Sushil Bakliwal said...

उत्तम अनुभूतियां. श्रेष्ठ प्रस्तुति. धन्यवाद

2011 का आगामी नूतन वर्ष आपके लिये शुभ और मंगलमय हो,
हार्दिक शुभकामनाओं सहित...

Parul kanani said...

shbdon ka ye dilkash libaas odhne ka man karta hai...ummid hai 2011 mein aapka mukam aur buland hoga..aamin!

वीना श्रीवास्तव said...

बहुत अच्छी क्षणिकाएं....नव वर्ष पर हार्दिक बधाई

shikha varshney said...

उफ़ एक से बढ़कर एक गचपचा जाती हूँ कौन सी पंक्तियाँ कोटे करूँ :).
नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

आदरणीय हीर जी, सुकून देती हैं सभी रचनाएं...
जिस प्रकार हर पाठक कुछ बीज "ईमान" की ले गए होंगे, मैं भी लिए जा रहा हूँ.... उम्मीद है नए साल में ईमान का लहलहाता जंगल देखेंगे हम सब... आमीन.
नए वर्ष की हार्दिक सादर शुभकामनाएं.

कडुवासच said...

... bahut sundar ... behatreen rachanaayen !

नया साल शुभा-शुभ हो, खुशियों से लबा-लब हो
न हो तेरा, न हो मेरा, जो हो वो हम सबका हो !!

एस एम् मासूम said...

नववर्ष आपके लिए मंगलमय हो और आपके जीवन में सुख सम्रद्धि आये…एस.एम् .मासूम

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

"डायमंड" जी ! एकदम "डिवाइन सॉन्ग" सी लगीं आपकी क्षणिकाएं .... बेबाक ....दर्द भी और ...उम्मीद भी. इसी उम्मीद पर कायम है दुनिया. आपकी लेखन शैली का कायल होता जा रहा हूँ आप मुझे अपना शागिर्द बना लीजिये....चौबीस कैरेट का लिखती हैं आप ...बिलकुल डायमंड की तरह ....नाम सार्थक है आपका.
बहुत अच्छा लगा यह जानकार कि "पाने" का पलड़ा "भारी" है. अब मैं निश्चिन्त हुआ. बहुत-बहुत मंगलकामनाएं. दर्द की महक के लिए बधाई ....देखते हैं हमारे पास तक कब आ पाती है महक !! नव वर्ष प्रारम्भ हुए आधा घंटा बीत गया ...प्रथम भोर में आपका स्वागत है ...अभिनन्दन है ......ताजिन्दगी यूँ ही महकती रहें आप. शुभ-प्रभातं !!!!!!!!!!!!!!!!!!!

इस्मत ज़ैदी said...

हरकीरत जी कमाल की क्षणिकाएं हैं
बेहतरीन !

अलविदा और
ईमान के बीज
बहुत उम्दा !
ख़ुदा करे इस नए साल में भी आप को यूंही स्नेह, प्यार और मित्रता मिलती रहे (आमीन)

Shabad shabad said...

ਨਵਾਂ ਸਾਲ…
ਤਰੀਕ ਤੋਂ ਸਿਵਾ
ਸਭ ਕੁਝ ਓਹੋ !
ਨਵਾਂ ਸਾਲ ਬਹੁਤ-ਬਹੁਤ ਮੁਬਾਰਕ ਹੋਵੇ !

ਹਰਦੀਪ

Khushdeep Sehgal said...

सुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
यह हमारी आकाशगंगा है,
सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
उनमें से एक है पृथ्वी,
जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
सुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
यह हमारी आकाशगंगा है,
सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
उनमें से एक है पृथ्वी,
जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,
नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...
-डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...

जय हिंद...
नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...
-डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...

जय हिंद...

Anonymous said...

हीर जी,

आपके अपने अलग अंदाज़ में नव वर्ष और बीते वर्ष की ये क्षणिकाएं बहुत ही पसंद आयीं....हमेशा की तरह लाजवाब|

नववर्ष की ढेरों शुभकामनाये|

सदा said...

कुछ बीज ईमान के बचा रखे हैं
इन्हें तुम ले जाओ ...
इक इल्तिज़ा है ...
इस बार इन्हें जरुर
बो देना .......!!
आप की यह इल्तिजा जरूर कुबूल हो ...नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ ...बधाई इस सुन्‍दर भावमय प्रस्‍तुति के लिये ।

Unknown said...

नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें!

पल पल करके दिन बीता दिन दिन करके साल।
नया साल लाए खुशी सबको करे निहाल॥

ashish said...

जो बीत गया उसकी अनुभूतियाँ , जो रीत गया उसका खालीपन और कसक . जो दस्तक दे रहा है उसके आने की ख़ुशी और आशाये , हम आशावादी है . " दर्द की महक:" , कस्तूरी जैसे फैले .ये हमारी दुआ होगी .
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये .

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

paanchon kavitayen sundar..
'dard ki mahak' kuchh jyada hi achchhi lagi.
nav varsh ki dher sari shubhkamnayen sweekaren!

Kunwar Kusumesh said...

Friday, December 31, 2010
अलविदा....तोहफ़ा और... दर्द की महक ....

आज वर्ष का आखिरी दिन है .....नववर्ष द्वार पर है ....सोचती हूँ क्या खोया ...क्या पाया ..?....तो पाया का पलड़ा जरा भारी लगता है .....आप सब का स्नेह ...प्यार ...मित्रता ....कई तोहफे .. ....सम्मान .....तो शुक्रिया तेरा वर्ष २०१० ...अलविदा .....

इस अलविदा और स्वागत के साथ ....कुछ शब्दचित्र ....

(१)

अलविदा .....

मैंने.....
उसके चेहरे से
चादर उठाकर देखा
उसके चेहरे पर खरोंचे थीं
सीने पर गोलियों के निशां
और पाँव ज़ख़्मी थे ......
मैंने नम आँखों से
हाथों में पकड़े फूल
उसके सीने पर रखे
और कहा .....
अलविदा वर्ष .....!!

(२)

तोहफ़ा ......

उसने ...
जाते हुए गठरी में
अपना सारा समान बाँध लिया
मैंने धीमे से कहा -
कुछ तो छोड़ जाओ मेरे लिए
जिससे तुम्हें याद कर सकूँ ....?
उसने गठरी खोली ...
और कुछ खुशनुमा यादें निकाल
मेरी हथेली पे रख दीं
मैंने देखा उनमें ....
राजेन्द्र जी का दिया
हीर को तोहफा भी था .....!!

(३)

स्वागत .....

वह दर्द से कराहता
द्वार पर औंधा पड़ा था
मैंने देखा उसके हाथों में
इक पर्ची थी .....
जिस पर लिखा था -
'' स्वागत है मित्र ...''
मैंने उसके हाथों से पर्ची ली
और नववर्ष को
पकड़ा दी .....!!

(४)

दर्द की महक ....

उसने हौले से
द्वार पे दस्तक दी ...
मैंने दरवाज़ा खोला
देखा ...तो नववर्ष था
मैंने कहा -तुम्हें देने के लिए
मेरे पास कुछ नहीं है वर्ष
वह मुस्कुरा कर बोला -
मैं तुमसे कुछ लेने नहीं
देने आया हूँ हीर ....
मैंने हैरानी से पूछा -
क्या ......?
वह बोला -
'दर्द की महक' ....!!


कम शब्दों में अपनी बात कहने का आपका अंदाज़ बड़ा प्यारा है.
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.

Kunwar Kusumesh said...

उसने हौले से
द्वार पे दस्तक दी ...
मैंने दरवाज़ा खोला
देखा ...तो नववर्ष था
मैंने कहा -तुम्हें देने के लिए
मेरे पास कुछ नहीं है वर्ष
वह मुस्कुरा कर बोला -
मैं तुमसे कुछ लेने नहीं
देने आया हूँ हीर ....
मैंने हैरानी से पूछा -
क्या ......?
वह बोला -
'दर्द की महक' ....!!


कम शब्दों में अपनी बात कहने का आपका अंदाज़ बड़ा प्यारा है.
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.

खबरों की दुनियाँ said...

आपका आगमन - शुभ कामनाएं अच्छी लगीं ,शुक्रिया आपका । नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं स्वीकार कीजिए । सादर - आशुतोष मिश्र

वन्दना अवस्थी दुबे said...

मैंने.....
उसके चेहरे से
चादर उठाकर देखा
उसके चेहरे पर खरोंचे थीं
सीने पर गोलियों के निशां
और पाँव ज़ख़्मी थे ......
मैंने नम आँखों से
हाथों में पकड़े फूल
उसके सीने पर रखे
और कहा .....
अलविदा वर्ष .....!!
क्या बात है हरकीरत जी.
नये वर्ष की असीम-अनन्त शुभकामनाएं.

ज्योति सिंह said...

andaaz naayab raha ,man khush ho gaya padhkar
वह दर्द से कराहता
द्वार पर औंधा पड़ा था
मैंने देखा उसके हाथों में
इक पर्ची थी .....
जिस पर लिखा था -
'' स्वागत है मित्र ...''
मैंने उसके हाथों से पर्ची ली
और नववर्ष को
पकड़ा दी .....!!
main bhi apni badhiyaan aapko ssneh deti hoon ,nav barsh mangalmai ho .

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

मैंने.....
उसके चेहरे से
चादर उठाकर देखा
उसके चेहरे पर खरोंचे थीं
सीने पर गोलियों के निशां
और पाँव ज़ख़्मी थे ......
मैंने नम आँखों से
हाथों में पकड़े फूल
उसके सीने पर रखे
और कहा .....
अलविदा वर्ष .....!!
हरकीरत जी,
आपकी कविता सच्चाई की अभिव्यक्ति का दर्पण है जिसमें बीते वर्ष के दर्द का अक्स अंकित है !
आपको सपरिवार नव वर्ष की ढेरों मंगलकामनाएं !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

महेन्‍द्र वर्मा said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति
........
नव वर्ष 2011
आपके एवं आपके परिवार के लिए
सुख-समृद्धिकारी एवं
मंगलकारी हो।
।।शुभकामनाएं।।

रवि धवन said...

इस बार इन्हें जरुर
बो देना .......!!
अब तक की सबसे बेस्ट रचना लगी मुझे।
काश! अगली बार जब आप 2012 का स्वागत करें तब ये ईमान के बीज कम से कम पौधे तो बन जाएं।
यही मेरी कामना है।
आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

ਹੀਰ ਜੀ,
ਸਤ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ!
ਕੋਪੀ ਟੂ ਆਲ!
ਮੁਬਾਰਕ ਹੋ ਤੁਹਾਨੂ ਨਵਾਂ ਸਾਲ!
ਤੁਹਾਨੂ ਕਿਤ੍ਥੇ ਤੋਂ ਆਂਦੇ ਨੇ ਇੱਦਾ ਦੇ ਖਯਾਲ?
ਮੈਕਯਾ ਜੀ, ਤੁਸ੍ਸੀਂ ਕਰਦੇ ਨੇ ਕਮਾਲ!
ਆਸ਼ੀਸ਼
---
ਹਮਹੂੰ ਛੋੜਕੇ ਸਾਰੀ ਦੁਨਿਯਾ ਪਾਗਲ!!!

Dorothy said...

गहन भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.

अनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.

आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.

Er. सत्यम शिवम said...

.नया साल आपको और आपके पूरे परिवार को मुबारक हो..

प्रेम सरोवर said...

आप जहाँ भी रहे आबाद रहें,
वैभव सुख-शांति साथ रहे,
पुनीत हृदय से कहता हूँ,
जग की सारी खुशियां पास रहे।
नव वर्ष 2011 मंगलमय हो।

amit kumar srivastava said...

पहली बार आज पढ़ा आपको,बहुत ही भावपूर्ण। नये वर्ष का तोहफ़ा सा मिल गया ।आभार । आपको भी नव वर्ष की शुभकामनाएं।

Fani Raj Mani CHANDAN said...

Such brilliant and wonderful creations that leaves no word after reading it. With so many messages, hopes...

ab ham kya kahe, subahaan allah!!
nayaa saal khushiyon ki bahaar laye, aur humaare liye aapki behtareen rachnayein :-)

Regards
Fani Raj

mridula pradhan said...

har rachna ek-ek moti jaisa hai.

amar jeet said...

हरकीरत जी क्या कहने बहुत खूब लिखा आपने! बीते वर्ष के कडवे अनुभवों और सीख को नए वर्ष से इस तरह साँझा कर आपने रचना लिखी की पढ़ते पढ़ते वर्ष भर में बीते पल आँखों के सामने आ गये !परन्तु ये क्या फिर से दर्द
(देने आया हूँ हीर ....
मैंने हैरानी से पूछा -
क्या ......?
वह बोला -
'दर्द की महक' ....!!)
नव वर्ष की आपको शुभकामनाये

Arun sathi said...

और कहा .....
अलविदा वर्ष .....!!

जयकृष्ण राय तुषार said...

nav varsh ki aseem shbhkamnayen

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

हर नज़्म में वो अंदाज़,
जो हरकीरत हीर साहिबा की पहचान है...
नए साल की मुबारकबाद.

दर्शन कौर धनोय said...

"ਵਾਹੇਗੁਰੁਜੀ ਦਾ ਖਾਲਸਾ ਵਾਹੇਗੁਰੁਜੀ ਦੀ ਫ਼ਤੇਹ "
सबसे पहले तो नव -वर्ष की लख -लख बधाइयाँ होवे जी|
आपके ब्लोक पर पहली बार आने का मौका मिला |
कविताए बहुत मार्मिक लगी ..दिल को होले से छु गई|
धन्यबाद | फिर मिलेगे .....

रश्मि प्रभा... said...

उसने ...
जाते हुए गठरी में
अपना सारा समान बाँध लिया
मैंने धीमे से कहा -
कुछ तो छोड़ जाओ मेरे लिए
जिससे तुम्हें याद कर सकूँ ....?
उसने गठरी खोली ...
और कुछ खुशनुमा यादें निकाल
मेरी हथेली पे रख दीं
मैंने देखा उनमें ....
राजेन्द्र जी का दिया
हीर को तोहफा भी था .....!!
इस तोहफे में क्या नहीं है...नए साल की शुभकामनायें

ManPreet Kaur said...

bahut hi badiya..

Lyrics Mantra
Ghost Matter

निर्मला कपिला said...

हरकीरत जी आपके एक शब्द पर ही बहुत कुछ लिखा जा सकता है फिर यहाँ तो शब्दों की कितनी मालायें गुँथी हैं । लाजवाब रचनायें। बधाई। आपको सपरिवार नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।

Thakur M.Islam Vinay said...

nice

जयकृष्ण राय तुषार said...

aadrniya harkiratji main aapse dar raha tha.lekin gehun par batha tota ka chitra nahin mil saka.abhi main type aur posting nahi kar pata shighra shikhunga aap apna aatmiya sneh mujh par banaye rakhiyega.

Anonymous said...

मैंने.....
उसके चेहरे से
चादर उठाकर देखा
उसके चेहरे पर खरोंचे थीं
सीने पर गोलियों के निशां
और पाँव ज़ख़्मी थे ......
मैंने नम आँखों से
हाथों में पकड़े फूल
उसके सीने पर रखे
और कहा .....
अलविदा वर्ष ....


बेहतरीन...

neera said...

प्रभावशाली अभिवक्ति से क्या खूब स्वागत किया है नव वर्ष का ....

अभिन्न said...

bahutttttt khub padh kar dil ko kuchh kuchh ho gaya

मनोज भारती said...

बहुत ही भावपूर्ण शब्दचित्र उतारे हैं आपने बीते वर्ष के और आने वाले वर्ष के ...

नव वर्ष की मंगलकामनाएं ...

surjit said...

Kamal hai Harkirat ji !

Dr Xitija Singh said...

आप इस नए साल में भी इस 'दर्द की महक ' को लफ़्ज़ों में पिरोकर हम तक पहुंचतीं रहे ... और हमारा दर्द हल्का होता रहे ...

आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

Suman said...

bahut khubsurat yekse yek lajavab..........

Prakash Badal said...

नव वर्ष की बधाई! आपकी कविताओँ की ख़ुश्बू खूब महके!

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

इस बार इन्हें जरुर
बो देना .......!! bahut hi sundar!

sunita upadhyay said...

प्रिय ,हीर जी,
क्या कहूँ शब्द नही मिल रहे हैं, आपकी कविता पढ़ कर सिर्फ इतना कहना चाहती हूँ की मेरे आँखों में आंसू और होठों पर मुस्कान आ गये.बधाई
सुनीता उपाध्याय.

Madan tiwary said...

अलविदा वर्ष , वाह एक वर्ष चंद लाईनों में।