उर्दू के मशहूर शायर जोश मलीहाबादी की नज़्म ‘लम्हा-ए-आज़ादी’ का एक बड़ा लोकप्रिय शेर है:
कि आज़ादी का इक लम्हा है बेहतर
ग़ुलामी की हयाते-जाविदाँ से
आइये हम इस आज़ादी को 'जश्ने आज़ादी' बनाएं और इसका लुफ्त उठाएं ......
मनायेंगे ज़मीने -हिंद पर हम ज़श्ने आज़ादी
वतन के इश्क में हम सरों का ताज रखेंगे
बहा दो दिलों की रंजिशें
अमन की करो कुछ बात
सजी है ज़मीं तिरंगों से
आज़ादी का ज़श्न लिए आज
कुछ ख्वाहिशें हों कुछ ख्वाब हों
साथ चलने की आवाज़ हो
कुछ रस्में - ईद दस्तूर हों
कुछ होली,दिवाली का सरूर हो
कोई प्यार हो, इकरार हो
खफ़ा-रुसवा न कोई यार हो
टूटे घरौंदे , तुम जोड़ लो
गांठें दिलों की , तोड़ दो
न खंज़र हो न तलवार हो
मीठी प्यार की बयार हो
तेरे दर्द से होऊँ मैं दुखी
मेरा दर्द तेरे दिल के पार हो
मेरी साँसें माँ के नाम हो
तेरी जां वतन के काम हो
मैं जिऊँ तो देश की शान में
तू मरे तो देश की आन में
आज़ाद हैं हम, आज़ाद वतन
मत छिटको जहरीले बीज तुम
कोई चुरा न ले जाये हँसी इसकी
मत फेंको ऐसी चिंगारियाँ तुम
ज़ख़्मी हैं अभी भी रूहें इसकी
है धुंएँ में लिपटी यादें इसकी
अब और न करो लाशों की बात
कुछ तो करो अमन की बात
सजी है ज़मीं तिरंगों से
आज़ादी का जश्न लिए आज
बहा दो दिलों की रंजिशें
अमन की करो कुछ बात .
जय- हिंद ,जय भारत
49 comments:
आज़ादी के पर्व का सुन्दर गीत... बहुत बढ़िया... अदभुद गीत....
"आज़ाद हैं हम, आज़ाद वतन
मत छिटको जहरीले बीज तुम
कोई चुरा न ले जाये हँसी इसकी
मत फेंको ऐसी चिंगारियाँ तुम "
.... ये पंक्तियाँ बेहतरीन हैं...
जय हिंद, जय हिंद की सेना...
हौसला बढ़ाने के लिए शुक्रिया कवितागुरु जी, अब तंग करता रहूंगा...
जय हिंद...
हरकीरत जी,
कवी लोगों की भावपूर्ण पंक्तियाँ कितना अच्छी लगती है - पर वास्तिविकता से कितनी दूर होती हैं.
ज़ख़्मी हैं अभी भी रूहें इसकी
है धुंएँ में लिपटी यादें इसकी
अब और न करो लाशों की बात
कुछ तो करो अमन की बात
.
.
.
देश में आज़ादी रहे...अमन,चैन,सुकून रहे।
स्वतंत्रता दिवस पर स्वतंत्रता का सम्मान हो...सही बात को सुना जाए और सरकार सत्य का दमन न करे...यही अभिलाषा है।
कोई प्यार हो, इकरार हो
खफा-रुसवा न कोई यार हो
टूटे घरौंदे , तुम जोड़ लो
गांठें दिलों की , तोड़ दो
अगर ऐसा हो जाए तो फिर यहाँ यह हालत पैदा ही न हों .....यह सिर्फ सोच का हिस्सा हो सकता है ..लेकिन एक बेहतर सोच ही तो अच्छे समाज का निर्माण कर सकती है .....एक नया फलसफा पेश किया है आपने इस गीत के माध्यम से ....आपका भर
केवल राम जी ,
हमें यह स्वतंत्रता बहुत संघर्षों के बाद मिली है
जलियाँ वाले बाग़ का दृश्य आज भी दिल दहला देता है
अमन की बात करेंगे तो कदम भी उठेंगे ....
ज़ख़्मी हैं अभी भी रूहें इसकी
है धुंएँ में लिपटी यादें इसकी
अब और न करो लाशों की बात
कुछ तो करो अमन की बात
बहुत सुन्दर हरकीरत जी. जोश जगाने वाला सुन्दर गीत.
आज़ादी का ये पर्व आपको बहुत-बहुत मुबारक हो.
कोई प्यार हो, इकरार हो
खफा-रुसवा न कोई यार हो
टूटे घरौंदे , तुम जोड़ लो
गांठें दिलों की , तोड़ दो
न खंज़र हो न तलवार हो
मीठी प्यार की बयार हो
तेरे दर्द से होऊँ मैं दुखी
मेरा दर्द तेरे दिल के पार हो
जिस दिन ये भावना हम में पैदा हो जाएगी उसी दिन ये दुनिया जन्नत होगी
स्वाधीनता दिवस मुबारक हो
आज़ादी तो बहुत कुर्बानियों के बाद मिली है ..पर आज जो देश की हालत है उसे देख मन क्षुब्ध है ...
आपकी नज़्म ने मन को सुकूँ से भरा कि कम से कम भाई चारा तो रखें हम अपने मन में .. बहुत अच्छी रचना
बहुत अच्छे जज़्बात॥
prernadayi rachna .स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें !
bahut sunder sandesh sametehai ye geet.
Aabhar .
आज सजी है ज़मीं तिरंगों से
आज़ादी वतन की लिए हाथ
बहाकर दिलों की तुम रंजिशें
अमन की करो कुछ तो बात .
कितना प्यारा पैग़ाम दिया है हरकीरत जी...
योमे-आज़ादी की मुबारकबाद.
जय- हिंद ,जय भारत...
सुंदर रचना ...जय हिंद ... शुभकामनायें
जय हिंद , जय भारत .. आपके इस सुंदर सी प्रस्तुति से हमारी वार्ता भी समृद्ध हुई है !!
स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत शुभकामनाएँ.
स्वतंत्रता दिवस पर देशवासियों के लिए सार्थक सन्देश देती रचना ।
आज सजी है ज़मीं तिरंगों से
आज़ादी वतन की लिए हाथ
बहाकर दिलों की तुम रंजिशें
अमन की करो कुछ तो बात .
आमीन । काश ऐसा हो सके ।
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें ।
happy Independence day
JAI HIND....
yahi wo zami hai jaha kurbaaniyaan bhi thi jazbaat bhii the .par aaj kahaan hai hum khud taalashne ki zroorat hai
PRITI
मेरी साँसें माँ के नाम हो
तेरी जां वतन के काम हो
मैं जिऊँ तो देश की शान में
तू मरे तो देश की आन में
ameen ---- vande matram
न खंज़र हो न तलवार हो
मीठी प्यार की बयार हो
तेरे दर्द से होऊँ मैं दुखी
मेरा दर्द तेरे दिल के पार हो
वाह, काश ऐसा हो पाये.
स्वतंत्रता दिवस की घणी रामराम.
रामराम.
आपके एक एक शब्दों से इत्तेफाक रखता हूँ . जश्ने आज़ादी की ६५ वी सालगिरह पर आपको शुभकामनाये . जय हिंद
बहुत सुंदर अमन का पैगाम देता सुंदर गीत. जय हो.
स्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ.
न खंज़र हो न तलवार हो
मीठी प्यार की बयार हो
तेरे दर्द से होऊँ मैं दुखी
मेरा दर्द तेरे दिल के पार हो
" aah ! dard ko aapne bator liye in alfazoan me jo aaj is desh ki hakikat hai "
http://eksacchai.blogspot.com/2011/08/blog-post_10.html
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,
बहुत सशक्त लेखन और हमारे देश के लिए क्या कहूँ यहाँ के वीरों यहाँ की मिटटी के लिए क्या कहूँ देश के कोने कोने से एक ही आवाज़ आती है सरे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा बहुत ही अच्छा लिखा है आपने बहुत सार्थक सन्देश दिया आपने अक्षय-मन
स्वतंत्रता दिवस की शुभकानाएं
न खंज़र हो न तलवार हो
मीठी प्यार की बयार हो
तेरे दर्द से होऊँ मैं दुखी
मेरा दर्द तेरे दिल के पार हो
बेहतरीन...
नीरज
संग हो हम,
तो हैं दम।
न खंज़र हो न तलवार हो
मीठी प्यार की बयार हो
तेरे दर्द से होऊँ मैं दुखी
मेरा दर्द तेरे दिल के पार हो
BAHUT KHOOB
HAPPY INDEPENDENCE DAY
बहा दो दिलों की रंजिशें
अमन की करो कुछ बात
सजी है ज़मीं तिरंगों से
आज़ादी का ज़श्न लिए आज
कुछ ख्वाहिशें हों कुछ ख्वाब हों
साथ चलने की आवाज़ हो
कुछ रस्में - ईद दस्तूर हों
कुछ होली,दिवाली का सरूर हो
waah bahut khoob ,man ko chhoo gayi ,swatantrata divas ki badhai .
स्वतंत्रता दिवस की बधाई ! बड़े ही नाजुक कवीता !
यौमे आज़ादी की साल गिरह मुबारक ,"खूबसूरत शब्द चित्र आशिक -माशूक के बीच "मौन संवाद का नैनों से नैनों की कही -बतकही का .खूबसूरत अंदाज़ आपके ,मुबारक .कृपया यहाँ भी दस्तक देवें -
Sunday, August 14, 2011
आज़ादी का गीत ......
उर्दू के मशहूर शायर जोश मलीहाबादी की नज़्म ‘लम्हा-ए-आज़ादी’ का एक बड़ा लोकप्रिय शेर है:
कि आज़ादी का इक लम्हा है बेहतर
ग़ुलामी की हयाते-जाविदाँ से
आइये हम इस आज़ादी को 'जश्ने आज़ादी' बनाएं और इसका लुफ्त उठाएं ......
मनायेंगे ज़मीने -हिंद पर हम ज़श्ने आज़ादी
वतन के इश्क में हम सरों का ताज रखेंगेबढ़िया और मौजू नज्म पढवाई जश्ने आज़ादी पर ,शुक्रिया हरकीरत जी .
ram ram bhai
रविवार, १४ अगस्त २०११
संविधान जिन्होनें पढ़ा है .....
Sunday, August 14, 2011
चिट्ठी आई है ! अन्ना जी की PM के नाम !
ज़ख़्मी हैं अभी भी रूहें इसकी
है धुंएँ में लिपटी यादें इसकी
अब और न करो लाशों की बात
कुछ तो करो अमन की बात
आपके रचनाओं पर कहते हुए मौन हावी हो जाता है.... बहुत सुन्दर...
राष्ट्र पर्व की सादर बधाईयाँ...
Jai Hind.. Jai Bharat..
हीर जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
बहा दो दिलों की रंजिशें
अमन की करो कुछ बात
सजी है ज़मीं तिरंगों से
आज़ादी का ज़श्न लिए आज
ऐसे निराशाजनक माहौल में ऐसी सकारात्मक सोच !
Such like positive thinking is possible only for those persons who keep great humanity .
…और इंसानियत दर्द को जीने वालों में नहीं तो और कहां मिलेगी ?!
ख़ूबसूरत नज़्म के लिए मुबारकबाद !
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
-राजेन्द्र स्वर्णकार
सजी है ज़मीं तिरंगों से
आज़ादी का जश्न लिए आज
बहा दो दिलों की रंजिशें
अमन की करो कुछ बात .
बहुत ही अच्छी रचना ...आभार ।
कुछ ख्वाहिशें हों कुछ ख्वाब हों
साथ चलने की आवाज़ हो
कुछ रस्में - ईद दस्तूर हों
कुछ होली,दिवाली का सरूर हो
........
आज़ादी के पर्व का सुन्दर गीत... बहुत बढ़िया
न खंज़र हो न तलवार हो
मीठी प्यार की बयार हो
तेरे दर्द से होऊँ मैं दुखी
मेरा दर्द तेरे दिल के पार हो
मन की गहराई से निकले अनुपम विचार
और पावन भावनाओं को
बहुत सुन्दर में पिरो कर
एक सार्थक कृति की रचना हुई है ...
आपकी इन मासूम दुआओं में
हम सब भी शामिल हैं .
न खंज़र हो न तलवार हो
मीठी प्यार की बयार हो
तेरे दर्द से होऊँ मैं दुखी
मेरा दर्द तेरे दिल के पार हो
गहन भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
.....bas....
jai hind jai bharat
spne poore krne ke liye spne dekhna jroori hai lekin usse phle ye dekhna kafi ahmiyat rkhta hai ki us spne ki sarthkta our upadeyta kya our kitni hai .
oojpurn kvita ke liye sadhuvaad .
भावमय करते शब्दों के साथ गजब का लेखन ...आभार । जय हिंद
बहुत खूबसूरत.......
बहुत सुन्दर गीत्।
नमस्कार....
बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में पलकें बिछाए........
आपका ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"
इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्
1- MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......
2- BINDAAS_BAATEN: व्यंगात्मक क्षणिकाएं......
3- MADHUR VAANI: व्यंगात्मक क्षणिकाएं......
Bahut khub !
बस यही कह सकता हूँ.. आमीन !
जय हिंद.. जय भारत..
आज़ाद हैं हम, आज़ाद वतन
मत छिटको जहरीले बीज तुम
कोई चुरा न ले जाये हँसी इसकी
मत फेंको ऐसी चिंगारियाँ तुम
ज़ख़्मी हैं अभी भी रूहें इसकी
है धुंएँ में लिपटी यादें इसकी
अब और न करो लाशों की बात
कुछ तो करो अमन की बात .......vah harkirat ji....aapaki lekhani ka ye andaz bhi pasand aaya. xnikaye hamesha ki tarah chhoo gayi....
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