मैं हैरान थी ....रंगों ने पानी में कई सारी चूड़ियां सी बना रखी थीं ....मैंने छुआ तो हाथों को राह मिल गई ....ख्यालों ने रंगों की चूड़ियां पहनी और बदन खिल उठा ....मैंने ऊपर देखा ....सामने वही परिंदा था जिसे रात मैंने मुक्त किया था .....मुझे देख मुस्कुराने लगा ....मैंने उसे कलाइयों की चूड़ियां दिखलायीं ....वह चहकने लगा ....ख्वाबों ने कई साज़ तरन्नुम भरे छेड़ दिए .....रब्ब ने इक खामोश नदी में मोहब्बत का पत्थर फेंका .....इश्क़ ने धड़कना सीख लिया ...बस ये ख्याल थे जो एक-एक कर सामने आते रहे ......
(१)
तेरा ख्याल
कभी रुकता नहीं
मानसून के मिजाज़ सा
वक़्त बे वक़्त बेखौफ
भिगोने चला आता है
तेरा ख्याल .....!!
(२)
सुब्ह उठती हूँ
तो लक्स की महक में
तारी होता है तेरा ख्याल
शाम होते ही .....
व्हाइट मिसचीफ सा
खिलखिला उठता है
तेरा ख्याल ......!!
(३)
बड़ा ही बेहया है
तेरा ख्याल ...
जब भी तन्हा होती हूँ
शर्ट का ऊपरी बटन खोल
बेफिक्र चला आता है
तेरा ख्याल ......!!
(४)
बड़ा ही बेअदब है
तेरा ख्याल .....
हजारों -लाखों की भीड़ में भी
सामने अकेला खड़ा ...
मुस्कुराता रहता है
तेरा ख्याल .....!!
(५)
सड़क के किनारे लगे
बैनर , पोस्टरों से
इशारे करता है तेरा ख्याल
झिड़क देती हूँ तो
बड़ा मासूम सा .....
किसी लैम्प पोस्ट के नीचे
जा खड़ा होता है
तेरा ख्याल .......!!
(६)
बिखरे हुए शब्दों से
अभी-अभी नज़्म बन
उतर आया है तेरा ख्याल
जरा सा छूती हूँ तो ....
गीत बन गुनगुनाने लगता है
तेरा ख्याल .......!!
(७)
तपिश देती
गर्म हवाओं में भी
सर्द हवा का सा एहसास
दे जाता है तेरा ख्याल
बड़ा ही काज़िब* है
कहता है -" मैं नहीं आता
तेरे ही दिल में बसा है
मेरा ख्याल" ......!!
काज़िब- झूठा
Sunday, June 27, 2010
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93 comments:
हरकीरत जी शब्दहीन कर दिया है आपकी इस बेहतरीन रचना ने...ख्याल आने के एक से बेहतर एक मंज़र खींचे हैं आपने...ये आपकी कलम का ही कमाल है...भाई वाह...ढेरों दाद कबूल कीजिये...
नीरज
नीरज जी सभी की शिकायत रहती है की हमेशा दर्द भरा ही लिखती हूँ ....
तो बस इस बार यूँ ही ये ख्याल.....
आप सब के लिए .....
कोशिश भर है .....
शुक्रिया इस दिली दाद के लिए .....!!
बहुत ही शानदार रचना।
ओए.! होए.!
क्या ख्याल है...!!
आज तो क़यामत आ गई लगता है ..
हर रंग को बड़ी खूबसूरती से उतारा है आपने
निगाहों के सामने ख्यालों के इन्द्रधानुध बिछ गए हैं...
बेहया..बेअदब..झूठा...है
वाकई बड़ा प्यारा है.
..दिल खुश कर देने वाले इस नज्म के लिए ढेरों बधाई.
मैंने आपके दिए हुए नंबर पर प्रकाशक को फोन लगाया था.. उन्होंने कहा था कि किताब भिजवा देंगे। कुछ दिनों बाद उनका फोन आया कि एक बार घर का पता भेज दीजिए... मैंने फोन नं. के साथ वह भी दे दिया लेकिन किताब नहीं मिल पाई है।
अब देखिए... मैं कब एक बड़ी कवियित्री की रचनाओं को पढ़ पाता हूं।
आज की रचना तो बहुत ही धमाल है।
मिसचिफ कभी मेरा सच्चा दोस्त हुआ करता था। अब नहीं है।
नीरज जी ने सही कहा है। कितने गहरे एहसास हैं बधाई इस सुन्दर रचना के लिये।
सर्वथा नवीन बिम्बों के माध्यम से किसी के ख़्याल को प्रतिबिम्बित करती ये रचनाएं आपकी चमत्कारी शैली का कमाल है। मुझे खास कर मानसून का मिज़ाज़, लैम्प पोस्ट के नीचे और बिखरे शब्दों वाले बिम्ब बहुत भाए।
राजकुमार सोनी जी ,
प्रकाशक के बारे मैं क्या कह सकती हूँ ....
वह मेरा पहला प्रयास भर था ...उसमें रचनायें इतनी अच्छी नहीं हैं ....
कुछ ब्लोगर मित्रों को भेजी थी ....तनकीद का वादा कर भी जिक्र नहीं किया ...तो लगा पसंद नहीं आई ....
दूसरा संकलन आया तो जरुर भेजूंगी .....!!
बहुत सुंदर आज पहली बार बारिस की बूंदो सी ठंडक मिली है आप की कविता मै, वर्ना हम भी नीरज जी की बात से सहमत है
sada ki hi tarah bahut khubsurat...par is baar behad mithi.
khaaskar...
तपिश देती
गर्म हवाओं में भी
सर्द हवा का सा एहसास
दे जाता है तेरा ख्याल
बड़ा ही काज़िब* है
कहता है -" मैं नहीं आता
तेरे दिल में बसा है
मेरा ख्याल" ......!!
haan लैक्स ka matlab?
इस बार तो अलग ही रंग मे रंगी रचना लगायी है और सच ऐसे ख्याल बहुत ही खूबसूरत होते हैं और आपने तो उन्हें भी सप्तरंगी रंगों मे रंग दिया है।
कल के चर्चा मंच पर आपकी पोस्ट होगी।
अविनाश जी ,
'लैक्स' साबुन ....
और' व्हाइट मिसचिफ' - मदिरा की एक किस्म का नाम .....
wahi, mujhe laga hi लक्स hoga, par fir socha 'लैक्स' ka kuchh aur matlab hoga.
White mischief to doordarshan ki kripa se pata hai :)
Jigyaasa shant karne ka dhanyawaad
तेरा ख्याल --मानसून के मिज़ाज़ सा , लक्स की महक सा , वाईट मिस्चीफ़ के नशे सा , बेअदब , बेहया , झूठा --तेरा ख्याल ।
मगर फिर भी सबसे प्यारा --तेरा ख्याल ।
आज बहुत ही सुन्दर लिखा है हरकीरत जी । सुन्दर इसलिए भी कि कोई दर्द नहीं है , बस एक ख़ुशी झलक रही है इन पंक्तियों में ।
आखिरी पंक्तियाँ बड़ी शोख हैं ।
इस सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकारें ।
आपने तो इस प्यारी सी नज्म में मुफ्त में ही "लैक्स" और "व्हाइट मिसचिफ" का विज्ञापन कर दिया । सच कहूँ आप की लेखनी में कमाल का जादू है ...जिसे छूती है ...उसी को अनमोल कर जाती है । और इस की भूमिका में जो शब्द बाँधे हैं ...वे तो बहुत ही खूबसूरत हैं ।
दराल जी ,
पिछली बार आपने चुटकी ली थी तो सोचा इस बार कुछ और मज़ा लेने दूँ .....!!
तपिश देती
गर्म हवाओं में भी
सर्द हवा का सा एहसास
दे जाता है तेरा ख्याल
बड़ा ही काज़िब* है
कहता है -" मैं नहीं आता
तेरे ही दिल में बसा है
मेरा ख्याल" ......!!
har rang ko padhkar mera ye hai khayal ,ki aapko padhne se dil me jagta sukhad ahsaas ,laazwaab hai yah naya andaaz .khoobsurat bahut hi ....
ढेरों दाद ..इस सुन्दर रचना के लिये।
नमस्ते हीर जी ,
आपको मेरी लिखी गज़ल पसंद आई ,
शुक्रिया ||
आपने पूछा था ,
इतने दिन कहाँ थे अशोक जी ?
छात्र हूँ ना , पढ़ाई में
व्यस्त रहने के कारण ,
थोड़ी देर हो जाती है ||
अब रचना की बात करते हैं ||
तपिश देती
गर्म हवाओं में भी
सर्द हवा का सा एहसास
दे जाता है तेरा ख्याल
बड़ा ही काज़िब* है
कहता है -" मैं नहीं आता
तेरे ही दिल में बसा है
मेरा ख्याल" ......!!
वैसे तो "तेरा ख़्याल" का हर रंग
दिल को छू गया ||
पर ये रंग दिल को
कुछ ज्यादा ही रंग गया ||
तू ये समझे न समझे, बड़ा बेदर्द है तेरा ख्याल ।
शुक्रिया जी , मज़ा तो बहुत आया जी ।
अब हम भी एक रोमानियत वाली ग़ज़ल लिखने का प्रयास कर रहे हैं । लेकिन क्या करें-- सुर न सजे , कैसे गाऊं मैं ।
आपका ख्याल सही कहता है ..ये ख्याल कहीं से आता नहीं बल्कि आपके दिल ही में बसा हुआ है.
बेहद खूबसूरत रचना है.
बधाई..
सुब्ह उठती हूँ
तो लक्स की महक में
तारी होता है तेरा ख्याल
शाम होते ही .....
व्हाइट मिसचीफ सा
खिलखिला उठता है
तेरा ख्याल ......!!
गजब कर दिया भाई
सुंदर बहुत सुंदर
hakikat ji maaf karna aapke name ki spelling shayad galat likh di ho lekin ab baar karen rachna ki to speechless kar diya aapki rachna ne bahut behatrin
बहुत सुन्दर कविता, हरकीरत जी. बहुत बहुत धन्यवाद.
बड़ा ही बेअदब है
तेरा ख्याल .....
हजारों -लाखों की भीड़ में भी
सामने अकेला खड़ा ...
मुस्कुराता रहता है
इन पंक्तियों ने एक शेर याद दिला दिया..
याद वो नहीं जो अकेले में आए
याद तो वो है जो महफ़िल में आए और अकेला कर जाए
सारे ही ख़याल बहुत ही दिलकश हैं...
वाह क्या ख्याल था, दिल में घर कर गया, ख्याल ही ऐसा हो तो क्या करें!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
ख़याल पर लिखी सुन्दर नन्ही नन्ही नज्में ...
बिखरे हुए शब्दों से
अभी-अभी नज़्म बन
उतर आया है तेरा ख्याल
जरा सा छूती हूँ तो ....
गीत बन गुनगुनाने लगता है
तेरा ख्याल .......!!
बहुत खूबसूरत ...
प्रत्येक अंतरा लाजवाब है..बहुत ही उम्दा सुंदर कविता...!!
एक से एक बढिया नजारे पेश किये हैं आपने इस खूबसूरत ख्याल के और इस खयाल का एक चरित्र सा बना दिया है जो प्यारा है और शरीर भी । वाह ! वाह ! वाह !
ख़्याल को इतने रूप में पेश करना....
ये ’हीर’ साहिबा की ही फ़नकारी हो सकती है...
बिखरे हुए शब्दों से
अभी-अभी नज़्म बन
उतर आया है तेरा ख्याल
जरा सा छूती हूँ तो ....
गीत बन गुनगुनाने लगता है
तेरा ख्याल .......!!
वैसे मेरे ख़्याल से...
ये ख़्याल सबसे खूबसूरत बना है...
आपका क्या ख़्याल है?
वाह!
उनके ख्याल आए तो आते चले गए,
दीवाना ज़िंदगी को बनाते चले गए,
जो साथ आ रहा है, किसी का पयाम है,
बेताबियों को और बढ़ाते चले गए,
उनके ख्याल आए तो आते चले गए...
इस दिल से आ रही है, किसी यार की सदा,
वीरान मेरा दिल था, बसा के चले गए,
उनके ख्याल आए तो आते चले गए...
होश-ओ-हवास पे मेरे बिजली सी गिर पड़ी,
मस्ती भरी नज़र से पिलाते चले गए,
उनके ख्याल आए तो आते चले गए...
-हसरत जयपुरी
जय हिंद...
शब्दों का अच्छा मायाजाल फैलाया जी ...
अरे वाह इतने सारे खयालात ।
tareefe kabil abhivykti khuda se guzarish hai aap ko isee tarah ke mood me rakhe........
सहज सुंदर और गहरे एहसास लिए हुए ,कलियों की लड़ियों सी रचना ! धन्यवाद !
तेरा ख्याल हो या तपिश..शुरू से लेकर अंत तक हर एक क्षणिकाएँ लाज़वाब..इस सुंदर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत धन्यवाद हरकिरत जी
एक से एक बेहतरीन सिलसिलेवार क्षणिकाएं ... खास कर ये दो बहुत अछे लगे
3)
बड़ा ही बेहया है
तेरा ख्याल ...
जब भी तन्हा होती हूँ
शर्ट का ऊपरी बटन खोल
बेफिक्र चला आता है
तेरा ख्याल ......!!
5)
सड़क के किनारे लगे
बैनर , पोस्टरों से
इशारे करता है तेरा ख्याल
झिड़क देती हूँ तो
बड़ा मासूम सा .....
किसी लैम्प पोस्ट के नीचे
जा खड़ा होता है
तेरा ख्याल .......!!
लक्स की महक में
तारी होता है तेरा ख्याल
शाम होते ही .....
व्हाइट मिसचीफ सा
खिलखिला उठता है
तेरा ख्याल ......!!
:::;P
sach me shower ke niche jab lux ke saath tajgi aati hai to aise khi khayal aata hai.......:)
shabdo se khelna , koi aapse seekhe...:)
बिखरे हुए शब्दों से
अभी-अभी नज़्म बन
उतर आया है तेरा ख्याल
जरा सा छूती हूँ तो ....
गीत बन गुनगुनाने लगता है
तेरा ख्याल ।
बहुत ही खूबसूरती सी आपने अलग-अलग पलों को संवारा है, लाजवाब, बधाई ।
न जाने उसके ख़याल
कितने ख़ूबसूरत होँगे
जिन पर आपके ख़याल
इतने ख़ूबसूरत हुए हैँ।
ये बेअदब बेशर्म ढीठ खयाल है या वो खुद ही ....
हम तो इन ख्यालों में चक्करघन्नी हुए हैं ....
कहाँ जाकर रुकेंगे ये खयाल ....उसके खयाल ...
बिखरे हुए शब्दों से
अभी-अभी नज़्म बन
उतर आया है तेरा ख्याल
जरा सा छूती हूँ तो ....
गीत बन गुनगुनाने लगता है
तेरा ख्याल .......!!
वाह बहुत सुन्दर लगा यह ख्याल सच के करीब एक दम ..बाकी भी पसंद आये
बस गुलज़ार की एक त्रिवेणी याद आती है.........
कुछ इस तरह तेरा ख्याल जल उठा कि ......
जैसे दिया-सलाई जली हो अंधेरे में
अब फूँक भी दो, ..वर्ना ये उंगुली जलायेगा
बेबाकी पसंद आयी..आपके .इस ख्याल की
हीर जी,
तेरा ख्याल आपकी ही तरह खूबसूरत है। खासकर इस रचना में आपकी बेबाकी की दाद देने का मन है-
बड़ा ही बेहया है
तेरा ख्याल ...
जब भी तन्हा होती हूँ
शर्ट का ऊपरी बटन खोल
बेफिक्र चला आता है
तेरा ख्याल ......!!
पर मेरा ख्याल यह है कि साबुन और मदिरा के ख्याल वाली रचना बहुत हल्की रचना है। उसे इन सशक्त ख्यालों के बीच से हटाना ही बेहतर है। इसलिए नहीं कि उसमें साबुन और मदिरा है,बल्कि इसलिए कि वह ब्रांड विशेष का विज्ञापन जैसा लगता है। वैसे आप उसे इस तरह भी कह सकती हैं-
सुब्ह उठती हूँ
तो चंदन की महक में
तारी होता है तेरा ख्याल
शाम होते ही .....
सुरमई नशे सा
खिलखिला उठता है
तेरा ख्याल ......!!
शुभकामनाएं
शुभकामनाएं
kitne hi bhaavon ko samet kar chand alfaazon mein hi sab keh diya aapne....yeh kaarogari sirf aap h kar sakti hain!
तेरा ख्याल
कभी रुकता नहीं
मानसून के मिजाज़ सा
वक़्त बे वक़्त बेखौफ
भिगोने चला आता है
तेरा ख्याल .....!!बहुत ही शानदार रचना।
राजेश त्यागी जी ,
आपका ख्याल संभाल कर रख लिया है .......
शुक्रिया ......!!'
बहुत ही सुन्दर लिखा है हरकीरत जी
ख़याल पर लिखी सुन्दर रचना ....
बधाई....
i like your composition very beautiful . while on goggle i found another very good write up on similar thoughts.
तेरा ख्याल -
आकाश से उतरता हुवा
शंख से श्वेत हंस का एक जोड़ा है
महक -अगरबत्ती के धुवे सा
या
कभी सुनहरी धुप है
कभी
स्वप्नों में एक मधुर स्वप्न है
तेरा ख्याल
सरोवर मे गिरी पीपल की छाँव है
कभी -
शहर की यादो मे बसा एक् गाँव है
या फिर
मुझे निरंतर निहारती तेरी दो आँखों
के जल में तैर आया महीन प्यार है
या
सुबह की पहली ताजी बहुत मीठी चाय है
{किशोर }
मेरा ख्याल संभालकर रखने के लिए शुक्रिया हीर जी। पर आपने मेरा नया नामकरण कर दिया। मैं राजेश त्यागी नहीं राजेश उत्साही हूं।
Ji utsahi ji ....nam galti se hi likh ho gya tha .....!!
Rajesh Utsahi .....ab thik hai n ....?
मैं ख़याल हूं किसी और का , मुझे सोचता कोई और है
सर-ए-आइना मेरा अक्स है , पस-ए-आइना कोई और है
मैं किसी के दस्त-ए-तलब में हूं , तो किसी के हर्फ़-ए-दुआ में हूं
मैं नसीब हूं किसी और का , मुझे मांगता कोई और है
हीरजी,
कुछ भी कहते न बने … वह लिखा है इस बार आपने !
… तब्दीली मुबारक !!
इन कविताओं तक तो तब पहुंचूं , जब भूमिका के भंवर के आग़ोश से निकल पाऊं …
....ख्यालों ने रंगों की चूड़ियां पहनी और बदन खिल उठा ....मैंने ऊपर देखा ....सामने वही परिंदा था जिसे रात मैंने मुक्त किया था .....मुझे देख मुस्कुराने लगा
सौ कविताओं पर भारी …
....ख्वाबों ने कई साज़ तरन्नुम भरे छेड़ दिए .....रब्ब ने इक खामोश नदी में मोहब्बत का पत्थर फेंका .....इश्क़ ने धड़कना सीख लिया
काश !
हमारी क़लम को भी कुछ लम्हे आपकी सोहबत नसीब होती , कुछ पुरअसर लिखना तो सीख लेती !
बड़े भाईसाहब नीरजजी ने शुरू में ही मेरी बात कह दी । … शब्दहीन कर दिया है आपकी इस बेहतरीन रचना ने !
तमाम ख़यालात डायरी में सहेज कर रख लिए हैं
डायरी महफ़ूज़ रखने के ठिकाने की ख़ोज़ है… क्योंकि ऐसे बेशक़ीमती लालो-गौहर पर कितनी नज़रें नहीं होंगी …
एक बार फिर से बधाई !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
tarif karne ki..kuch kehne ki jarurat nahi..yahan jo ek baar aaye..baar baar aayega :)
harkirat ji ,kitani gaharaaai mai utarana para rachana parakar ' prashanshaniy .
मुहब्बत के सभी ख्यालों पर कुर्बान! हरकीरत जी अभी तक आपके सुंदर दर्द को जाना है और अब मुहब्बत की इल्तज़ा से मिले और मिलते रहेंगे...
इश्क़ ने धड़कना सीख लिया ...
बस ये ख्याल थे जो
एक-एक कर सामने आते रहे ......
क्या बात है हक़ीर जी वाह
बेहतरीन रचना...
तेरा ख्याल - एक खुशनुमा ख्याल
हीर जी .. मैं आपकी लेखन शैली का कायल हो गया हूँ .. इक जज्बे के एहसास कि अभिवक्ति अनूठी है.. अब तो बस आपकी नयी रचना का इन्तेजार रहेगा !!!
गुरमीत
http://emotional-fools.blogspot.com/
http://biogeosciences.googlepages.com/gurmeet
.........................
...............................
................................
आप ने कुछ लिखने लायक छोड़ा भी..
हाय मैं शर्म से लाल हुआ!
हीर जी,
ऐसा ही लिखा करें, हम मंदबुद्धियों को भी समझ आ जाता है!
मेरा ख्याल..........
वाकिफ हूँ,
तू नहीं आएगा!
फिर भी, परेशां कर जाता है,
तेरा ख्याल!
आशीष :)
इट्स टफ टू बी ए बैचलर!
ati sundar.
bahut khoob
ati sundar.
bahut khoob
kavitaa apne rang mey hai hai achchhi lagi. ख्याल kaa ham ख्याल rakhen to jeevanmey koi malaal hi na rahe. sarthak rachanaa ke liye badhai. aur haan, व्हाइट मिसचीफ kyaa hai, samajh me nahi aara thaa,par tippani se samajh mey aaya. kavitaa ke sath ek jankaaree bhi mili.ye sharaab vale bhi gazab karte hai.
पहली बार आपके ब्लॉग पर आया. आपकी कलम में सम्मोहन का जादू है. अगली पोस्ट का इंतज़ार ......
Ham to aapke is khyaal par hairaan hai...Is baar bilkul diff nai si heer nazar aai aap hamko aur bahut sweat bhi....ye positivity bahut suit kar rahi hai aapko...May god give you all strength, happiness,affection and off course sharpness to your pen too.Cheers :-)
क्या खूब लिखती है आप, अपने स्टाईल से जरा हटकर लिखा,बहुत अच्छा लगा कुछ इसी फ़्लेवर की रचनायें और पढ्ने को मिलेंगी,उम्मीद तो रख ही सकती हूं
तेरा ख़याल /
विशेष है /
बहुत बढियां /
बिखरे हुए शब्दों से
अभी-अभी नज़्म बन
उतर आया है तेरा ख्याल
जरा सा छूती हूँ तो ....
गीत बन गुनगुनाने लगता है
तेरा ख्याल .......!!
(७)
तपिश देती
गर्म हवाओं में भी
सर्द हवा का सा एहसास
दे जाता है तेरा ख्याल
बड़ा ही काज़िब* है
कहता है -" मैं नहीं आता
तेरे ही दिल में बसा है
मेरा ख्याल" ......!!
बहुत खूब ..........ये ख्यालों की सरगोशी ही है जो शब्दों मे ढल कर सामने आई है.....
वाह वाह!! अद्भुत!! आनन्द आ गया..देर से आने का अफसोस!
सारे ख्याल एक से बढ़ कर एक हैं चाहे वो लक्स में नहाये हो या गीत बने हो या भीड़ में मुस्काए हों.
इस बार हट के लगी आपकी ये बे-खायालियाँ.
ख्यालो का क्या है कही भी कभी भी चले आते हैं.
लेकिन ये खयाल बेहद खूबसूरत हैं.
बधाई हो......
nice one.
हरकीरत हीर जी बहुत दिनो से शेष फिर और खानाबदोश पर आपका आना नही हुआ,कोई नाराज़गी है क्या?
ब्लागिंग के टिप्पणी आदान-प्रदान के शिष्टाचार के मामले मे मै थोडा जाहिल किस्म का इंसान हूं लेकिन आपमे तो बडप्पन है ना...!
डा.अजीत
www.monkvibes.blogspot.com
www.shesh-fir.blogspot.com
शानदार रचना।
आपकी कविताओं का जादो फिर मुझे आपके ब्लॉग पर खीच लाया. ऐसा लगा की सितम्बर के आसमा पर आ गया हूँ.
itne sare khayaal ... bhead shandaar hain .. :)
बेहद खतरनाक ख्याल। मजा आ गया।
'nice'
अच्छा लगा यह पढ़कर
'very nice'
aur kyaa kahun...?
koi bhi bataa de..aap mein se...
achchhi choice hai aapki mam...
aap wo kafan mein taankaa bhi achchhe s4 lagaa letin hain..
aur kafan hataakar....
vah ! kya bat hai . khyal se is trha ru b ru hona dil our dimag ke liye bhut jruri khurak hai .sukun milta hai.
mai to khti hu khyal ko mutthi me bnd kr lo . jb ji chahe chupke se thoda sa kholo guftgu kro fir aahista se mutthi bnd kr uspe jhina sa gila duptta dal do . mai to aisa hi krti hu is nrm ehsas ke bad vo khi nhi jata hmesha pas rhta hai .
dard ko shabdon me pirone ka shaandaar hunar dikha
आप बेशक हटा सकती हैं..
हम ने कुछ गलत नहीं कहा की आप जो पहले लिखतीं थीं..उसमें अक्सर कफ़न की बातें होतीं थीं...कफ़न में फूल..सितारे आदि टांकने की बातें..इस पर हमने पहले भी कई बार कमेंट्स दिए हैं...आप पिछली पोस्टों में जाकर तलाश कर सकती हैं...
इस बार आपकी लेखनी का अंदाज इतना हटकर लगा कि यकीन ही नहीं हुआ कि जिन्हें कफ़न में कुछ कुछ टांकते हुए इतनी बार पढ़ा...कि आदत सी हो गयी वैसा ही पढने की... वह लेखिका कफ़न हटाकर....एकदम नए तरह की रचना लिए हाजिर है......जिसमें लक्स और व्हाईट मिस्चिफ भी...
सो उस वक़्त जैसा दिल में आया वैसा कमेन्ट दे दिया.....हटा तो इसे हम भी सकते हैं..मगर हमें नहीं लगता कि हमने कुछ गलत कहा है...
हाँ,
नाईस वाले कमेन्ट पर आप हमारी क्लास ले सकती हैं....मगर जब हमारा नाईस लिखने का ही मूड होता तो हम नाईस ही लिखते हैं.....
आपको सही ना लगा हो तो इसे भी हटा सकती हैं...हम नहीं हटायेंगे...
:)
जी मनु जी ,
आपसे बात करने के बाद अपना कमेन्ट हटा देना चाहती थी पर उस समय ये गूगल महाराज की किरपा से दिख ही नहीं रहा था .... कमबख्त फिर कहाँ से आ गया .....अब कोई मलाल नहीं .....कई बार समझने में गलती हो जाती है .....शुक्रिया .....!!
har khayaal behad khubsurat...!
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