अक्सर आप सब की शिकायत रही है कि मैं इक ही मौजूअ (विषय) पर मुसलसल लिखती जा रही हूँ ..... 'मोहब्बत ' जहाँ प्यार करने वालों के लिए दुखदायी लफ्ज़ रहा ....वहीं शायर और अदबकारों का सबसे प्रिय विषय भी .....पेश है मोहब्बत से भरी इक जदीद सी नज़्म ......" आज दिल फिर शाद के फूलों से नहाया है ....."
आज दिल फिर शाद के फूलों से नहाया है......
आज दिल फिर शाद के फूलों से नहाया है
खुशबू का इक मंज़र तेरी याद बन आया है
मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर
बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है
मुआहिदा* किया जब-जब तेरा हवाओं से
दुपट्टा हया का आँखों तक सरक आया है
महजूज़* है , ममनून* है दिल का परिंदा
नगमा मोहब्बत का लबों पे उतर आया है
अय खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से
हीर की मजार पे सुर्ख फूल खिल आया है
मुआहिदा - ज़िक्र , मह्जूज - आनंदित , ममनून- आभारी
Saturday, March 20, 2010
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80 comments:
एक बार फिर खतरनाक पोस्ट।
पर ये मोहब्बत दुखदायी लफ्ज तो नहीं शायद...
ham bhi nahai liye is dilshaad gazal mein.....
मुआहिदा* किया जब-जब तेरा हवाओं से
दुपट्टा हया का आँखों तक सरक आया है
Wah wah ...daad kubool farmaaein
हीर जी आपको निरंतर रचनारत देखकर खुशी होती है। बहुत अच्छी रचनाएं लिख रही हैं आप। इसी प्रकार अपने भावों-विचारों को अभिव्यक्ति देती रहें और हम सबसे शेयर करती रहें अपने ब्लॉग और किताबों के माध्यम से, यही मेरी कामना है।
ऐसे लिखने पर तो लोग लुट जायेंगे जी......
........
...........
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से..
.................
विश्व गौरैया दिवस-- गौरैया...तुम मत आना.
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_20.html
मैं मरजावाँ कित्थे साँभी बैठे सी अल्फाजां नूँ?
bahut accha laga ye andaz...........
subhan allah........
''मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर
बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है''
वाह क्या बात है !!!!!!!!
हीर जी, अपने पसंदीदा विषय से हटकर लिखने के लिए धन्यवाद्,
"मुआहिदा किया ज़ब ज़ब तेरा हवाओं से
दुपट्टा हया का आँखों तक सरक आया है "
वाह क्या बात है ! लाज़वाब !
आज दिल फिर शाद के फूलों से नहाया है,
खुशबू का इक मंज़र तेरी याद बन आया है...
आज फिर दिल ने इक तमन्ना की है,
आज फिर हमने दिल को समझाया...
जय हिंद...
ब्लॉग पर आया ही था कि आपकी नज़्म पर नज़र पड़ गई; बिना पढ़े तो आगे बढना नामुमकिन था...
नज़्म का इंट्रो कहता है, ये प्रेम की नज़्म है... लेकिन नज़्म पढ़ी, तो वो सच बोली :
कविता, नज़्म, शेरो-शायरी और दिल की खतो-किताबत हमेशा से ईमान की मुहताज रही है, वह जब बोलती है, बोलने पे आती है, सच बोलती है ! प्रेम की इस नज़्म पे भी गहरी उदासी का साया क्यों है ?
'अय खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से
हीर की मजार पे सुर्ख फूल खिल आया है !'
और--
'मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर,
बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है !'
यह तो हुई पहली प्रतिक्रिया ! वास्तविकता यह है कि नज़्म मन के गोशे-गोशे तक पहुंचती है और एक आह छोड़ जाती है ! आपकी रचनाओं के आखिरी प्रभाव ki तरह....
साभिवादन--आ.
मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर
बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है
ये प्रेम नही तो क्या है जो पलको पर आया है...
क्या बात है...
अय खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से
हीर की मजार पे सुर्ख फूल खिल आया है
बहुत अच्छी रचना ,
धन्यवाद
मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर
बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है
बेहद खूबसूरत रचना
आपको पढना अपने आप में तजुर्बा है
शाद के फूलो से .... इसका कोई जवाब नही ।
मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर
बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है
बहुत खूब
अय खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से
हीर की मजार पे सुर्ख फूल खिल आया है
बहुत अच्छी रचना ,
धन्यवाद
main to fida ho gaya hoonnn
मैंने भेजे थे कुछ एहसास (पैगाम ) पीपल के पत्तों पर ...वाह ...
खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से...बहुत खूब ...!!
मुहब्बत में पगी यह नज़्म कितनी मिठास भर गयी ...
बहुत सुन्दर ...!!
मोहबत को बहुत ही नज़ाक़त के साथ पेश किया है आपने!ये तो होती भी ऐसी ही है..!बहुत ही खूबसूरत शब्दों से पिरोया है आपने!!कुछ अलग सा पढ़ कर अच्छा लगा,मेरी शुभकामनाये!!
बहुत से सुंदर क्षणिकाओं के बाद आज ग़ज़ल पढ़ने को मिला आपके ब्लॉग पर ये भी लाज़वाब...बहुत सुंदर भाव...बधाई हरकिरत जी
महजूज़* है , ममनून* है दिल का परिंदा
नगमा मोहब्बत का लबों पे उतर आया है
इस बार ज़रा हटके लिखा है । इसके लिए तो मैं आपको मुबारकवाद देना चाहूँगा।
आज दिल फिर शाद के फूलों से नहाया है......
बहुत सुन्दर अहसास।
आपकी हीरे जैसी गजल पढ़ी। मन प्रसन्न हो गया। बस ऐसी ही लिखती रहें, जिससे अपने लिखे से मुक्ति पाने के लिए दो घड़ी सुख की तो बिता सकें।
बेहद नायाब रचना.
रामराम.
मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर
बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल....हर शेर अपनी महक देता हुआ....
heer ji bahut umda gazel...aur is se kuchh naye lafzo ki jaankari mujhe bhi mili...aapki rachna ka har rang shokh hai.
harkeerat ji,
achchhi ghazal kahi hai badhai.
maine bheje the kuchh paigam pipal ke patton par
badal bhigi palakon se unke jabab laya hai
bahut sunder sher badhai
chandrabhan Bhardwaj
dil ek baar fir bheeg gaya ! behatreen !
मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर
बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है
bahut khoob dard ke sath sath meethi tees de di hai in pnktiyo ne .
आपको पढना अमृता जी को पढ़ने जैसा लगता है.............
पीपल के पत्ते पर लिखा पैगाम एक ख्याल ही भेज सकता है
बहुत बढ़िया
अय खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से
हीर की मजार पे सुर्ख फूल खिल आया है
बहुत बढिया है हीर जी ,कमाल की बात कह दी आपने !!!
मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर
बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है
आप की इस ग़ज़ल में विचार, अभिव्यक्ति शैली-शिल्प और संप्रेषण के अनेक नूतन क्षितिज उद्घाटित हो रहे हैं।
bahut sunder abhivyakti........harkeerat ji , aapka andaz vakai naayab hai.
अय खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से
हीर की मजार पे सुर्ख फूल खिल आया है बहुत खूबसूरत---काव्य और दर्शन सभी कुछ समाहित है इसमें।
मोहतरमा,
बुरा न मानें;
आपकी ग़ज़ल जगह जगह बेबहर है.
मुआहिदा* किया जब-जब तेरा हवाओं से
दुपट्टा हया का आँखों तक सरक आया है
बहुत-बहुत सुन्दर गज़ल. बधाई.
सोणे फुल दी वधाइयां अब तो रांझे के आने की भी आस लग ही गई
सोणे फुल दी वधाइयां अब तो रांझे के आने की भी आस लग ही गई
' एक पंक्ति' जनाब जी ,
मैंने कब कहा ये ग़ज़ल है ......????
मुआहिदा* किया जब-जब तेरा हवाओं से,
दुपट्टा हया का आँखों तक सरक आया है !
बस इतना ही काफी है..........
मेरी ख़ातिर ये शेर जान-ए-ग़ज़ल है |
प्यार के इस पैगाम के लिये शुक्रिया
मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर
बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है
............बेहतरीन प्रस्तुति...बधाई !!
__________________
''शब्द-सृजन की ओर" पर- गौरैया कहाँ से आयेगी
Heer ji
kis misre ko jyada acha kahu taya nahi kar paya
kyonki puri ki puri gajal hi umda hai.
badhai.......
अय खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से
हीर की मजार पे सुर्ख फूल खिल आया है
mohabbat ke ahsason ko sundar lafzon mein piroya hai.
मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर
बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है
ओह्हो आज तो कुछ अलग ही अंदाज़ है...बड़ा खुशनुमा महौल है...कुछ दिन और कायम रहें...:)
'मोहब्बत ' जहाँ प्यार करने वालों के लिए दुखदायी लफ्ज़ रहा ....
ये कहना इतना शायद इतना आसान तो नहीं..
जनाब मीर तक़ी "मीर" ने कहा है कि..
"दिल की तह की कही नहीं जाती नाज़ुक है इसरार बहुत/ अक्षर इश्क के हैं तो दो ही लेकिन है विस्तार बहुत"
बहरहाल खूबसूरत नज्म के लिए शुकि्रया.
मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर
बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है
इस ज़ाबिये से
शायद पहली मरतबा
कहा गया बेहतरीन शेर....
और-
मुआहिदा किया जब-जब तेरा हवाओं से
दुपट्टा हया का आँखों तक सरक आया है
वाह...क्या कहने....मुबारकबाद
बहुत ही अच्छी लगी यह नज़्म भी बड़ी नज़ाकत से लिखी गयी हो जैसे..
आप का यह कहना कि
'अय खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से
हीर की मजार पे सुर्ख फूल खिल आया है,
sach kahin to dil ko chhu gaya hai
aapko padhkar kabhi isi mood me likhi apni ek kuch laaine si yaad aa gayi.....
भीग जायोगे जब किसी रोज़
मेरी ग़ज़लो को तलाश करोगे
तन्हाई जब गुज़रेगी पास से
तारो को तुम दरयाफ्त करोगे
मुझ जैसा मिलेगा जब कोई
घर आकर आईने को साफ़ करोगे
nazm aapki khasiyat hai...gar aapki ruh kahun.....
vaise mera pasandida sher ye vala hai.....
मुआहिदा* किया जब-जब तेरा हवाओं से
दुपट्टा हया का आँखों तक सरक आया है
अपना ओरिजनल रंग लिए सबसे खुबसूरत ...
मुआहिदा* किया जब-जब तेरा हवाओं से
दुपट्टा हया का आँखों तक सरक आया है
वाह वाह वाह वाह ! क्या बात, क्या बात क्या बात !
मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर
बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है
अफ .. कितना ग़ज़ब का लिखा है ... इन शेरों में भी आपकी माहतर है .... बहुत खूब ....
हीर की मोहब्बत ने फूल सुर्ख खिला दिया
दिल को अर्क-ए-शाद में डुबो, यादों का इत्र बिखेर दिया
बादल भी एसा पागल हुआ कि..........
खुश्क लम्हों को तरबतर कर दिया.
फिर क्यों न हीर के लवों पर........
उनकी मोहब्बत का नगमा इतरा-इतरा के उतरता!!!!!!!!!!
'मोहब्बत ' जहाँ प्यार करने वालों के लिए दुखदायी लफ्ज़ रहा ....वहीं शायर और अदबकारों का सबसे प्रिय विषय भी ..
क्या शायर को मुहब्बत नहीं हो सकती...??
शायर के लिए क्या महज़ एक विषय है मुहब्बत....?
जी मनु जी मैंने ये नज़्म मुहब्बत में नहीं लिखी ....सिर्फ विषय बना कर लिखी है ...यूँ इस शब्द से अब कोई कसक नहीं उठती .....!!
मुआहिदा किया जब-जब तेरा हवाओं से
दुपट्टा हया का आँखों तक सरक आया है
ye sher khas pasand aaya.
"अय खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से
हीर की मजार पे सुर्ख फूल खिल आया है"
kya baat hai ji....
kunwar ji,
हमेशा की तरह मन में समां जाये ऐसी शायिरी .
शानदार !
मुआहिदा* किया जब-जब तेरा हवाओं से
दुपट्टा हया का आँखों तक सरक आया है
वाह !! वाह !!
मज़ा आ गया ||
यूँ तो हर शेर लाजवाब है आपकी गज़ल का। पर ये वाला कुछ ज्यादा ही.........
मुआहिदा* किया जब-जब तेरा हवाओं से
दुपट्टा हया का आँखों तक सरक आया है
गज़ल की ग्रामर कहाँ से सीखी जा सकती है जरा हमको भी बतलाईए जी।
bahut sundar ...
एक से बढ़ कर एक शेर किस किस को मुकर्र कहूँ ..
बहुत बहुत बहुत ही प्यारी,, मनभावन,,
दिलकश रचना है ...
और है भी ग़ज़ल जैसी ही
पढ़ कर सुकून मिला
अभी भी गुनगुना रहा हूँ ...
"कौन आया कि निगाहों में
चमक जाग उठी..."
(:
(:
Wah! kya baat kahii hai aapane,jo dil me utar gai,khoobsurat rachana.
poonam
आप बहुत लोकप्रिय हैं you should contest election...
bahut hi shandar anubhav hai aapko padhna. bahut hi rich and exp. poetry ki mehak hai aapke shabdo main. aapke blog per aapka email id shayad sahi nahi hai. acha rahega yadi aap apna email id blog profile main dal de. all the best.
पहली बार आया हूँ इस गली
बहुत अच्छा लगा
आपके ज़ज्बात पड़कर
कुछ अपना सा लगा
यूँही पिरोते रहिये अपने दिले राज़
अन्दर-बाहर अपने जैसा भी लगा
कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा…
http://qatraqatra.yatishjain.com/
"अय खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से
हीर की मजार पे सुर्ख फूल खिल आया है"
खुदा करे ये सुर्खपन बना रहे - खुश्क हवाओं का साया भी उस तक ना पहुंचे.
oh my god,
kin shabdo me tarif karu didi aapki
ek repst. aapse kahi aapka kabya path UP me ho to mujhe jarur inform kijiyega aapke darshan chahta hun main.
Bahut behtreen,bahut umda likha hai apne.
Bahut behtreen,bahut umda likha hai apne.
हरकीरत जी
आपके शानदार और जानदार ब्लाग पर भ्रमण कर आनंद आया।
आप मेरे ब्लाग पर पधारीँ इस के लिए धन्यवाद अते जी आयां नूं!
आप को बता दूं कि मैँ हिन्दी राजस्थानी अते पंजाबी विच वि कवितावां लिखदा हां ।बो'त छेती मेरे ब्लाग ते तुसी पंजाबी कवितावां वी पड़ोँगे।
हरकीरत जी,
सत श्री अकाल!
तुसी ते अपणी माँ बोली पंजाबी विच्च कवतावां लिख ई सकदे हो पर साडे जेहे वी लिखण तां गल्ल वखरी हुंदी है। अपणी मां बोली विखे लिखण'च अखयाई नीँ होणी चाईदी।रही गल्ल पकड़ दी, तां आ है के 'करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान!'तुस्सी ते बस लिखो!आपे पकड़ बणज्यूगी।
*मैँ आपजी दे ब्लाग आया ते अपणा मुहांदरा वी [फोटो[ छड के आया पर तुस्सी ते इंज ई मुड़ गए! खैर!लिखदे रहो ते वसदे रहो!
baap re......aap bahut khatarnaak likhte ho sach.....!!
"dupatta haya ka aankho tak sarak aaya hai"...........uff!! dil ko chhoo lene wali rachna!!.......
''मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर
बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है''
वाह क्या बात है !!!!!!!!
सरे शेर एक से बढ़ कर एक ..किसकी तारीफ करूं..............
ग़ज़ल का हर शेर बहुत ही वज़नदार है हरकीरत जी !
आपको पढ़ कर बहुत अच्छा लगा.
अय खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से
हीर की मजार पे सुर्ख फूल खिल आया है
...बहुत खूब,सुन्दर,अतिसुन्दर भाव!!!!
mohabbat ka behad khoobsoorat rang..
अय खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से
हीर की मजार पे सुर्ख फूल खिल आया है
बहुत उम्दा लिखा है आपने
Bahut sundar....
kahin dil me ek kanta chubho gayi
ye nazm dil ko le uri, wo gayi...
bahut achhi lagi aapki nazm...
khas kar ye panktiyan..
अय खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से
हीर की मजार पे सुर्ख फूल खिल आया है
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