Friday, October 30, 2009

मोहब्बत........

"मोहब्बत" ....दवा भी है ... दर्द भी, ....सुकूं भी है .... बेकरारी, बेकसी भी , .....करार भी है... बेताबी भी ,.....विश्वास भी है फरेब भी .... किसी शायर का बडा प्यारा सा शे' याद रहा है ......

मुहब्बतों के खेल में जो पास था गवां दिया
ये दर्दे दिल सही मगर मुझे कुछ मिला तो है



से ....
आज भी याद है
कहाँ से शुरू हुए थे शब्द
वो बेतरतीब सी धड़कती धडकने
वो खामोशी , वो इन्तजार ...

वो सारा आसमां
मुट्ठी में भर लेती
रात जब मुट्ठी खोलती
तो चाँद ,तारे , आसमां
सारा जहां अपना सा लगता ....

वो तमाम नज्में
जो अब तक अनछुई थीं
स्पर्श के एहसासों से
गुनगुनाने लगीं थीं
वह अपनी अँगुलियों के पोरों से
लिख डालता हर बार इक नई ग़ज़ल
वह छुई- मुई सी सुन्दरता के
बन जाती कई गीत .....

वो मुस्कुरा के पूछता ...
डायरी मिल्क या
किट- कैट....?
वो खिलखिला के कहती
किट - कैट ....
वो उदास हो जाता ...

बातों ही बातों में वे गढ़ लेते
कई हसीं नगमें...
वो ख़त लिखता
तो रोमानियत के कई आवरण
खोल देता ....
वह समेट लेती
अहसासों का समुंद्र
होंठों की छुअन
ख़त में लिखी सतरों को
और भी पाक कर देती ...

दूर कहीं आसमां
मिलन का भ्रम देता
सामने दरख्त पर बैठे
दो पंक्षी घंटों बैठ
ज़िन्दगी की बातें करते...

वक्त बीतता गया .......
वर्ष बीतते गए .....

वह आज भी लिखती है नज्में
पर वह कहीं आस-पास नहीं होता
वह भी लिखता है गजलें
पर वह कहीं आस-पास नहीं होती.....!!

59 comments:

मनोज कुमार said...

जिसको चाहा वही मिला होता
तो मुहब्बत मज़ाक़ हो जाती

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

bahut hi ehsaason se paripurn ek romani si .... bahut hi achchi kavita.... is kavita mein bachchon jaisi zid bahut achchi lagi....

आनन्द वर्धन ओझा said...

हरकीरतजी,
बेहतरीन नज्म ! अंतिम बंद और उसकी अंतिम पंक्ति तो सारे कहे पर आग की बूँद-सी गिरी है :
वह आज भी लिखती है नज्में
पर वह कहीं आस-पास नहीं होता
वह भी लिखता है गजलें
पर वह कहीं आस-पास नहीं होती

सुना है उसे अब फ़िर से ख़त आने लगे हैं ......!!

वल्लाह ! अहसासों और जज्बातों को बयाँ करनेवाली क्या उम्दा कलम पायी है आपने !!
बधाई !!! साभिवादन--आ.

राज भाटिय़ा said...

वाह बहुत सुंदर रचना,धन्यवाद

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर।एक अजीब-सी कसक महसूस होती है।

वह आज भी लिखती है नज्में
पर वह कहीं आस-पास नहीं होता
वह भी लिखता है गजलें
पर वह कहीं आस-पास नहीं होती

सुना है उसे अब फ़िर से ख़त आने लगे हैं ......!!

अपूर्व said...

एक और बेमिसाल कविता आपकी..हमेशा की तरह..जज्बात को पिघला कर अलग-२ पैकर देने वाले सांचों की कमी नही आपके पास...
..और इस बार अमृता नही परवीन शाकिर याद आयीं

दिल मे फूल खिलते हैं
रूह मे चिरागाँ है
जिंदगी मुअत्तर है
फिर भी दिल ये कहता है
बात कुछ बना लेना
वक्त के खजाने से
एक पल चुरा लेना
काश! वह खुद आ जाता !!

Unknown said...

कलेजे में सट से लगने वाली बात
बात में करामात
करामाती कविता.............अद्भुत कविता ,,,,,,,,

जियो भैण जी जियो !
तुहाडी प्रतिभा नू सलाम !

M VERMA said...

सामने दरख्त पर बैठे
दो पंक्षी घंटों बैठ
ज़िन्दगी की बातें करते...
आपकी नज़्मो को पढना ऐसा लगता है जैसे जिन्दगी के सिलसिले को पढ रहे है.
नायाब

Randhir Singh Suman said...

दूर कहीं आसमां
मिलन का भ्रम देता
सामने दरख्त पर बैठे
दो पंक्षी घंटों बैठ
ज़िन्दगी की बातें करते...nice

विनोद कुमार पांडेय said...

जिंदगी के हँसीन लम्हों को याद दिलाता एक सुंदर गीत...एक सुंदर एहसास प्रस्तुत किया आपने..गीत बढ़िया लगी..धन्यवाद!!!

ओम आर्य said...
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ओम आर्य said...

जारी रहे,
इन खतों का सिलसिला
अब न टूटे कभी

व्यक्ति शाख से टूट कर भी जीता रहता है और जीते हुए एक दिन पाता है कि उसकी कोंपले फिर से निकलने लगी हैं...

मैं थाम नहीं पा रहा इस असीम सुख को...इस नज़्म को...

श्याम जुनेजा said...

1.आज फिर जख्मी हुआ दिल
..आज फिर उसको पढ़ा
..घाव जो भंरने लगा था
..आज फिर ताज़ा हुआ
2.suraj aag ka nahin
..dard ka gola hai
..kirnein shabd mein dal jati hain
..mat samjhna ye nagme tere hain
3. aapki ye kavita .. A.K. 47

सदा said...

वह आज भी लिखती है नज्में
पर वह कहीं आस-पास नहीं होता
वह भी लिखता है गजलें
पर वह कहीं आस-पास नहीं होती

बहुत सुन्‍दर शब्‍द रचना, बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

mehek said...

बात कुछ बना लेना
वक्त के खजाने से
एक पल चुरा लेना
काश! वह खुद आ जाता !!
kash aisa ho pata,ek behtarin kavita ke liye badhai.mohobbat hai hi aisi chiz....mithas ki leheron ke niche khara paani...

राजाभाई कौशिक said...

शब्द सामंजस्य के लिए आदरणीय एवं अनुकरणीय
को प्रणाम !

डॉ टी एस दराल said...

बहुत मीठी यादों का अहसास लिए सुन्दर रचना.
कितना अच्छा लिखती हैं आप.

"अर्श" said...

नज़मो की रानी को मेरा सलाम और आगे कुछ नहीं कह पाउँगा ... वरना पोस्ट से लम्बी टिपण्णी कर बैठूँगा...

आपका
अर्श

Arshia Ali said...

हरकीरत जी, आपकी कविता तो रूमानी ख्यालों की है, लेकिन आपके ब्लॉग का लेआउटहॉरर फिल्मों जैसा लग रहा है, सम्भव हो तो मेरी बात पर विचार करें।
--------------
स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक
आइए आज आपको चार्वाक के बारे में बताएं

Prem Farukhabadi said...
This comment has been removed by the author.
Prem Farukhabadi said...

बहुत बेहतरीन रचना लगी . पढ़ते पढ़ते सांस कब रुक गयी पता ही नहीं चला .रचना समाप्त हुई तब पता चला कि सांस भी लेना है . बधाई !!!

वो बेतरतीब सी धड़कती धडकने
वो खामोशी , वो इन्तजार ...

नीरज गोस्वामी said...

शब्दों की जादूगरी तो कोई आपसे सीखे...क्या लिखती हैं आप...कमाल...वाह...मेरे पास प्रशंशा के शब्द नहीं हैं...
नीरज

सुशील छौक्कर said...

बहुत ही सुंदर मीठे अहसासों को लिख दिया। बस उसमें डूबता चला गया।

वो सारा आसमां
मुट्ठी में भर लेती
रात जब मुट्ठी खोलती
तो चाँद ,तारे , आसमां
सारा जहां अपना सा लगता ..

इन शब्दों में ना जाने क्या है? बयान नही कर सकता।

वह आज भी लिखती है नज्में
पर वह कहीं आस-पास नहीं होता
वह भी लिखता है गजलें
पर वह कहीं आस-पास नहीं होती

सुना है उसे अब फ़िर से ख़त आने लगे हैं

कुछ शब्दों को उधार दे दो कुछ कहने के लिए ........

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

hamesha ki tarah aapke shabd sketch bana rahe hain par is baar mujhe maaf kariyega... mujhe 'end' nahi samjha :(

सुना है उसे अब फ़िर से ख़त आने लगे हैं ......!!

thoda prakash daaliye? :(

डॉ .अनुराग said...

"सुना है उसे अब फ़िर से ख़त आने लगे हैं"

इस वाक़ये ने जैसे सांस फूंकी है पूरी नज़्म में ......पूरी नज़्म एक अजीब से अहसासों का भरा टोकरा है .जिसे छूने भर से छलकने का डर लगता है ...लगता है इस दिल में ढेरो नज्मे छुपी बैठी है ..सर झुकाए .अपनी अपनी बारी का इंतज़ार करती हुई.....

हरकीरत ' हीर' said...

अर्शिया said...
हरकीरत जी, आपकी कविता तो रूमानी ख्यालों की है, लेकिन आपके ब्लॉग का लेआउटहॉरर फिल्मों जैसा लग रहा है, सम्भव हो तो मेरी बात पर विचार करें।

अर्शियाजी सुझाव का शुक्रिया ...कुछ और लोग भी सुझाव दें तो विचार करूँ ....!!

मित्रों से अनुरोध है कि सुझाव दें ....वैसे ये हारर शब्द बड़ा डरावना है ....!!.


Pankaj Upadhyay said...
hamesha ki tarah aapke shabd sketch bana rahe hain par is baar mujhe maaf kariyega... mujhe 'end' nahi samjha :(

सुना है उसे अब फ़िर से ख़त आने लगे हैं ......!!

thoda prakash daaliye? :(


पंकज जी सुना है उसे फिर से ख़त आने लगे हैं ....भेजने वाली कोई और है वो नहीं .....!!

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

ohh ok :)..mujhe actually wahi confusion tha ki 'kise' khat aane lage hain...

shayad main likhta to ladki ko kisi aur ke khat aane lage hote.. :)

aur jaisa anurag ji ne bola sab ekdam wahi.. ab unse achha to nahi bol sakta .. aur kya bola hai unhone bhi :)

Thanks for helping me out.. likhti rahiye :)

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर और नायाब रचना.

रामराम.

vandana gupta said...

ek alag hi khyalon ki duniya mein le gayi aap ............bahut hi nazuk se ahsaas ...........badhayi

अलीम आज़मी said...

ehsaaso ki aahat honton ki chuan bahut hi umda ....behtareen bahut hi gud likhte rahiye

Asha Joglekar said...

वह आज भी लिखती है नज्में
पर वह कहीं आस-पास नहीं होता
वह भी लिखता है गजलें
पर वह कहीं आस-पास नहीं होती
सुना है अब फिर से आने लगे हैं उसके खत ।

वाह ! वाह ! वाह !

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

भई आप बहुत अच्छा लिखती हैं

दिगम्बर नासवा said...

KHWAABON AUR KHYAALON KI DUNIYA MEIN DOOBE ALFAAZ ...... PYAAR KI MAHAKTI RESHMI HAVA KE JHONKE SI AAPKI LAJAWAAB RACHNA .... BAHOOT HI LAJAWAAB .... KAMAAL KI HAI ...

शरद कोकास said...

सुना है उसे अब फ़िर से ख़त आने लगे हैं ......!

आमीन...।

shikha varshney said...

वो मुस्कुरा के पूछता ...
डायरी मिल्क या
किट- कैट....?
वो खिलखिला के कहती
किट - कैट ....
वो उदास हो जाता
बेहद खुबसूरत और मासूम अहसासों से भरी रचना .....अंत देख कर बहुत सुकून आया.

Yogesh Verma Swapn said...

wah,bahut sunder
वह आज भी लिखती है नज्में
पर वह कहीं आस-पास नहीं होता
वह भी लिखता है गजलें
पर वह कहीं आस-पास नहीं होती

सुना है उसे अब फ़िर से ख़त आने लगे हैं ......!!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सुना है उसे अब फिर से ख़त आने लगे हैं.....!
इस एक पंक्ति ने पूरी कविता को बेहतरीन बना दिया है।

pankaj goyal said...

jai mata di

mera nam pankaj hai mene aapki kavita padi mujhe bhut achhi agi

mere pass bhi bhut se sval hai sayad un svalo ke jvab aap de paye mujhe me aapke jvab ka intjar krunga

ki aap mujhe jrur mere kuch svalon ke jvab denge

meri email hai pankajgoyal525@gmail.com

jai mata di

Manav Mehta 'मन' said...

दूर कहीं आसमां
मिलन का भ्रम देता
सामने दरख्त पर बैठे
दो पंक्षी घंटों बैठ
ज़िन्दगी की बातें करते...

bahut achaa chitran....
सुना है उसे अब फ़िर से ख़त आने लगे हैं ......!!

laajwaab........

mark rai said...

वह आज भी लिखती है नज्में
पर वह कहीं आस-पास नहीं होता
वह भी लिखता है गजलें
पर वह कहीं आस-पास नहीं होती.....

बेहतरीन नज्म .....

प्रिया said...

वो तमाम नज्में
जो अब तक अनछुई थीं
स्पर्श के एहसासों से
गुनगुनाने लगीं थीं
fabulous

वो मुस्कुरा के पूछता ...
डायरी मिल्क या
किट- कैट....?
वो खिलखिला के कहती
किट - कैट ....
वो उदास हो जाता ...
excellent conversation

वह आज भी लिखती है नज्में
पर वह कहीं आस-पास नहीं होता
वह भी लिखता है गजलें
पर वह कहीं आस-पास नहीं होती

सुना है उसे अब फ़िर से ख़त आने लगे हैं ..

Marvelous

श्याम जुनेजा said...

HARKIRAT JI, "DARASHIKOH KI MOT" kahani ke liye DAD MERE KAVI MITR MAHARAJ KRISHAN SANTOSHI KE LIYE
YAH KAHANI UNKI KALAM SE HAI ..
SHYAM KI KOI HISEDARI NAHIN HAI SIWA THODE SE SAMPADAN KE

AAPKE IS "SHYAM1950 BLOG" KA TIPANI KALAM JAM HUA PADA HAI SO YAHAN AANA PADA

Manav Mehta 'मन' said...

धन्यवाद हरकीरत जी, आपके मेरे ब्लॉग पर आने से मेरा लिखने का होंसला बढ़ता है.....
आपसे निवेदन है की मेरे ब्लॉग www.saaransh-en-ant.blogspot.com पर भी कृपा दृष्टि डाला करें और मेरा होंसला बढायें....

Apanatva said...

bahut gaharaee liye hue sashakt rachana . badhai

अंजना said...

हरकीरत जी, आज आप के ब्लॉक पर आना हुआ | सबसे पहले आप को गुरुनानकदेव जी के प्रकाश उत्सव की लख-लख बधाई|आप बहुत अच्छा लिखती है|इसी तरह लिखती रहे| गुरुग्रन्थ साहिब में गुरू नानकदेवजी ने कहा है- हमारा आचरण कागज है और मन स्याही की दवात है। स्याही से जो लेख लिखे जाते हैं,वह ही हमारा स्वभाव बन जाता है।

Murari Pareek said...

aapke jadui shabdon ke jaal ne ek baar phir mohit karliayaa ati sundar!!

अर्कजेश said...

मुहब्बतों के खेल में जो पास था गवां दिया
ये दर्दे दिल सही मगर मुझे कुछ मिला तो है

आपकी कविताओं में मुझे धीरे-धीरे सम्हल के उतरना पडता है ।

Shruti said...

जिसको चाहा वही मिला होता
तो मुहब्बत मज़ाक़ हो जाती

thoda dard bhara magar sach

shayad kadwa sach

-Sheena

neera said...

वह आज भी लिखती है नज्में
पर वह कहीं आस-पास नहीं होता
वह भी लिखता है गजलें
पर वह कहीं आस-पास नहीं होती..

बस यही तो मुहब्बत है.. क्या खूब कहा है!!

ज्योति सिंह said...

aanand ji bahut sahi kahe aur is rachna se meri atit ki yaade taaza ho gayi .harkirat ji aap bahut umda likhti hai ,atit kaisa bhi ho zindagi ka hissaa hota magar kuchh log ki salaah hai ise chipkaane se kya fayda magar mitaya bhi nahi jaata ,kahana har cheej aasaan hai aur face karna muskil .

Neelesh K. Jain said...

aapko mera likha achcha laga...ye mujhe achcha laga.

Tere lkane mein chipa hai koi gahara sa dard purana
jab ye dosti ho jaye purani tab use tum humko batana

neelesh, mumbai

लोकेन्द्र विक्रम सिंह said...

वाह.....
सुना है के नाम पर कशिश छोड़ती हुई आपकी एक सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकारें......

संदीप said...

बेहतरीन नज्म !
धन्यवाद हरकीरत जी, आपके मेरे ब्लॉग पर आने से मेरा लिखने का होंसला बढ़ता है.

kumar zahid said...

बहुत अच्छे भाव आप पिरो जाती हैं। यह खासियत है काबिलियत शायद छोटा शब्द है

spare tim to visit
http://kumarzahid.blogspot.com

manu said...

हमेशा की तरह खूबसूरत नज़्म.. दिल को करीब से छूती हुई..

वो मुस्कुरा के पूछता ...
डायरी मिल्क या
किट- कैट....?
वो खिलखिला के कहती
किट - कैट ....
वो उदास हो जाता ...

बहुत ही प्यारा हिस्सा लगा नज़्म का...

manu said...

ब्लॉग का रंग रूप , कलर कम्बीनेशन एक दम दुरूस्त है...

लेकिन सबसे ऊपर बड़ा बड़ा लिखा
'' harkeerat haqeer ''

thodaa saa horrer look de rahaa hai..

:)
:)

isme kuchh badlaaw ho sake to dekhiygaa ji....

:)

हरकीरत ' हीर' said...

जी मनु जी जल्द ही कोशिश करुँगी बदलने की .....शायद मैं अपना तखल्लुस भी बदल लूँ ...इमरोज़ जी का बार-बार आग्रह है ....वे मुझे लिखते भी 'हीर' ही हैं बताइयेगा......!!

manu said...

अभी हम आपके ब्लॉग को चेक ही कर रहे हैं...
और इतनी जल्दी आपका जवाब भी आ गया हकीर जी...
या '' हीर '' जी....

तखल्लुस चेंज करना आपकी मर्जी है...
हाँ,
हम से हमारा तखल्लुस नहीं बदला जाता

निर्मला कपिला said...

निशब्द