सुना है तेरे यहाँ कलम कभी घुटती नहीं .....बड़ी ही रंगीन नज्में हैं तेरे सफ़्हों में .....कभी मुझे भी अपने घर बुलाना ज़िन्दगी ......
कई सितारों के
टूटने के बाद
रात के अंधेरे में
जब र्दद पास आ
मुस्कुराने लगता है
तब दिल के किसी गोशे में
खिल उठते हैं
कई सुर्ख गुलाब ....
एक हलकी सी सुगंध
महक उठती है
हम दोनों के बीच .....
वह मेरा हाथ ...
अपने हाथों में लेकर
तकता है आंखों में
और आँखें ...
खामोशी में भी
कर डालतीं हैं उससे
कई सारे सवालात ....
तभी ....
कोरों में उभर आई
कुछ शबनम की बूंदों पर
वह झुककर ...
रख देता है
अपने तप्त होंठ
और धीमें से कहता है
मैं हूँ न तेरे पास ...
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
Tuesday, September 22, 2009
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72 comments:
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
बहुत ही सुंदर कविता कही आप ने
धन्यवाद
बहुत खूब... दिल में एक सिहरन सी उठ गयी
बस एक ख्वाब है ये हकीकत नहीं.बहुत सुंदर
Dard ke aagosh men sans leti ye muhabbat dil ko kitana sukoon pahunchatee hai. A moment of love is enough to overcome a shower of troubles
मै हूँ न तेरे पास यह अहसास ही कितना सुखद है
It's beutiful poems Harkirat jee, Ireally like it.
ਲਾਜਬਾਬ
ਤੁਹਾਨੂੰ ਉਸਤਾਦ ਧਾਰਨ ਨੂੰ ਦਿਲ ਕਰਦਾ
ओह, कितना जीवंत लिख जाती हैं आप, आपकी लेखिनी यूँ ही युवा बनी रहे..........
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
सुन्दर विवेचना है।
सीधे मन पर चोट करती है।
बधाई!
कहीं कुछ थिरकन हुई...कहीं कुछ सिरहन हुई/// न जाने क्या बात है इस नज़्म मे...कहीं कुछ ...जाने क्या बात है कि शबद देने को मन नहीं.जबकि शब्दकोष ऐसा भी कंगाल नहीं.
बहुत खूब!!
आप भरिये न खाली स्थान!!
सजीव कविता जो अपना-सा लगता है।
बहुत सुंदर नज्म. शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत ही सुन्दर व लाजवाब रचना। बहुत-बहुत बधाई........
हर किरात जी,
मन में उठने वाले कोमल विचारों, दिमाग में उपजनेवाले तूफानों और जेहन के अन्तंग प्रसगों को जिस करीने से आप ज़ुबान देती हैं कि बस पढ़नेवाले हैरत में पड़े रह जाते हैं; आपके इन शब्दों पर 'आह' कहूँ या 'उफ़' कहूँ या 'वाह-वाह' कहूँ... सच में मुश्किल में हूँ :
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
इतना कह सकता हूँ कि--
''इस कलम ने उन्हें विषबुझी नोक दी है,
अभावों ने भावों के जिगर में छुरी भोंक दी है !!''
साभिवादन... आ.
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में
बहूत खूब!
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
बहुत ही सुन्दर कविता बधाई
बहुत खूब !!
कई सितारों के
टूटने के बाद
रात के अंधेरे में
जब दर्द पास आ
मुस्कुराने लगता है
तब दिल के किसी गोशे में
खिल उठाते हैं
कई सुर्ख गुलाब ....
हाँ, अहसास ऐसे ही फलक पर आते रहते हैं.
वाह !! अति सुन्दर !! यही में कहता हूँ तारा से में हूँ न तेरे साथ !!
तभी ....
कोरों में उभर आई
कुछ शबनम की बूंदों पर
वह झुककर ...
रख देता है
अपने तप्त होंठ
और धीमें से कहता है
मैं हूँ न तेरे पास . bahut badiya
हरकीरत जी,
सच आपकी कविता पढ़ किसी और ही जहां में पहुंच गया
धन्यवाद
bahut khoob.... dil me dabi hui ik yaad ubhar kar saamne aa gaye...
dhanywaad
kuch pal ki saansen,dard ke aagosh me........bahut sundar
वाह! अहसास कितनी शिद्दत से मुखर होते हैं आपकी रचनाओं में.
एक एहसास ही तो है जो कभी कभी जिंदगी चलाये रखता है
mohabbat aur dard ka rishta hai hi kuch aisa.........ek ke bina dooja dhura hai...........behtreen ahsaason se saji kavita.
pls visit my new blog also:
http://ekprayas-vandana.blogspot.com
http://vandana-zindagi.blogspot.com
http://redrose-vandana.blogspot.com
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
waaah
prem dard ke bina lagtaa hi nahi ki vo prem he.../dono ka apas me kesa roshtaa he/ jese gulab aour kaanto ka/
aapki rachna ko padhhna aour fir shbdo ke artho ke saath ekaakaar hona..sachmuch mohit kar deta he/
roshta ki jagah "rishta" padhhiye ji
दिल को छू लेने वाली रचना....
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में ...
सुन्दर विवेचना है।
बधाई!
bahut hi sundar....... dil ko chhu gayi aapki kavita
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
komal bhavnaaon ki sunder abhivyakti, badhaai.
बहुत बेहतरीन रचना .
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
मोहब्बत दर्द के आगोश में ही
पल-पल साँस लेने को अभिशप्त क्यों है ?
हरकिरत जी कभी इस पर भी अपनी कलम की रोशनाई डालिए !!!
सुंदर रचना प्रस्तुत करने के लिए शुक्रिया... वाहे गुरु जी दी मेहर तुहाडे उते हमेशा बनी रवे ।
बूंद-बूंद टपकते शहद की तरह चाट गया यह खूबसूरत नज़्म...बाहर के खुशगवार नज़ारों के साथ दिल के अंदर के वातावरण का खूबसूरत तादात्म्य बिठाया है आपने..ऐसे सुखद संयोग मे ही तो खिलते हैं सबसे कोमल अहसास..और महकती है कोई खूशबूदार नज़्म..बधाई.
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में ...
Bahut sundar panktiyan---
Hemant Kumar
दर्द से प्यार / दर्द से रिश्ता / दर्द ही सब कुछ / सिवा उसके कुछ भी नहीं........पूरी कविता की जान हैं ये शब्द...मैं हूँ न तुम्हारे पास....और मैं, निःशब्द हूँ. अरे हाँ, ईद मुबारक.
दिल के किसी गोशे में खिल उठाते हैं कई सुर्ख गुलाब..आँखें करती हैं सवालात ...और फिर यह एहसास की कोई हर पल साथ है ... कोमल शीतल मधुर रचना ..!!
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
लाजवाब हरकीरत जी दोल के सब से आखिरी छोर से निकलती है आपकी रचनायें बहुत सुन्दर शुभकामनाये
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
अपरिपक्व, एकतरफा प्रेम की शायद यही नियति है जो लोगों को दिखाई देती है, पर प्रेम के दीवानों को तो उस दर्द में भी सुखद अनुभूति ही होती है.
आपकी रचना हमेशा की तरह गहरे भाव लिए बहुत ही सुन्दर बन पड़ी है.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
आपकी नज़्म की तारीफ़ के लिए मेरे पास लफ्ज़ हमेशा या तो कम पड़ जाते हैं या फिर मिलते ही नहीं... आप दिल से लिखती हैं बल्कि दिल की असीम गहराईयों से लिखती हैं...जिसे पढ़ कर दिल से वाह निकलती है...
नीरज
Aap ka dard ka nagma ham sabka nagma hai.Yeh jindgi kab ek jang jaisi ho jayegi socha na tha.
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
title ke saath saath rachana bhi shaandar .aap ko to main kuchh kahne layak hi nahi .
मैं हूँ न तेरे पास ...
इस पंक्ति को पढ़ते हुए अजीब एहसास हुआ...शब्द इसे व्यक्त नहीं कर पायेगा
सो इसके सहारे मौन कि गहराई में डूब गया हूँ .....
बेहतरीन रचना के लिए आपका आभार ....
Ankh ki koron mein shabnam kee boondein. Wah kya bat hai. Too good Harkirat Ji. My compliments
दर्द ओर आपकी नज़्म .इनमे कुछ रिश्ता जरूर है
"जब दर्द पास आ मुस्कराने लगता है" रचना का ये टाईटल सबसे पहले पसंद आया। सच मोहब्बत और दर्द एक दूसरे से जुड़े होते है। और किस खूबसूरती से दोनो को बयान किया आपने। वाकई पढने के बाद काफी देर तक उसका असर रहता है। और शब्द तैरते रहते है।
और धीमें से कहता है
मैं हूँ न तेरे पास ...
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
कमाल का लेखन।
इस बार मैं सभी से मुआफी चाहती हूँ .....आप सभी को पता होगा हमारे जांबाज़ ब्लोगर...देश के रक्षक गौतम राजरिशी ...सीमा पर आतंकवादियों से लड्ते घायल हो गए हैं ...उनके हाथ और पैर में गोली लगी है ....आइये उनके लिए दुआ करें कि वो जल्द ठीक हो जायें ......!!
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
मोहब्बत दर्द के आगोश मे वज़ूद पाने के लिये अभिशप्त है शायद.
ज़ज्ब ए एहसास है आपकी यह रचना.
अस्तित्व को छूकर गुजरती है
राजऋषि के स्वस्थ होने के लिए दुआ भी। और आपकी इस शानदार कविता के लिए आपको बधाई भी।
जब दर्द पास आ
मुस्कुराने लगता है
तब दिल के किसी गोशे में
खिल उठाते हैं
कई सुर्ख गुलाब ....
-अहसासों को बहुत सुन्दरता से शब्द दिये हैं. हमेशा की तरह बहुत उम्दा रचना. बधाई.
हरकीरत जी,
यह आपकी ही जादूगिरी है कि शब्द जब कविता में गूंथे जाने लगते हैं तो महकने लगते हैं।
खूबसूरत जज्बात भरी कविता।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में ....
खूबसूरत ख्वाब आपकी कलम पा कर सांस लेने लगा है ............ आपकी रचना पढ़ कर मन उड़ने लगता है मुक्त गगन में ...... अनजानी राह की और .......... बहूत ही लाजवाब लिखा है .........
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
कितना जीवंत !!!! कमाल का लेखन।
एक हलकी सी सुगंध
महक उठती है
हम दोनों के बीच ...
bahut kuch kah gai ye panktiya .
sudar abhivykti.
बेहद सुंदर कविता, आपको ढेर सारी बधाई। ऐसा ही लिखती रहें और हम पढते रहें।
बहुत मासूम नज़्म है। पहले पैरा की वर्तनी में सुधार कर लें-
--दिल के किसी गोशे में
खिल उठते हैं
कई सुर्ख गुलाब।
इष्टमित्रों और परिवार सहित आपको, दशहरे की घणी रामराम.
रामराम.
बेहद सुंदर कविता, आपको ढेर सारी बधाई
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
waah !!
bahut khoobsurat paloN ko smete hue bahut hi sundar nazm....
ek sher yad a rahaa hai . .
"zindgi bhr zindgi
hm se rahi na-aashnaa ,
zindgi ki aas meiN
hm ne guzaari zindgi..."
khair ,,,
phir se ek bahuit achhee nazm
phir se tareef ke liye
lafzoN ki kamee...
---MUFLIS---
तभी ....
कोरों में उभर आई
कुछ शबनम की बूंदों पर
वह झुककर ...
रख देता है
अपने तप्त होंठ
और धीमें से कहता है
मैं हूँ न तेरे पास ...
yeh line bahut achchi lagi/................. haan! main hoon na tere paas............ kisi ka aisa kah dena hi bahut bada sambal hota hai......
aapse maafi chahta hoon......... deri se aane ke liye.........
Sorry once again..........
regards
\
\\\\
mahfooz
अभी नज्म पढने नहीं..
ये कहने आया हूँ के अपना शेरे-बब्बर ठीक है...
डोंट वरी मैडम जी..
wah harkirit ji behterin kavita !!
sada ki bhanti...
"वह मेरा हाथ ...
अपने हाथों में लेकर
तकता है आंखों में
और आँखें ...
खामोशी में भी
कर डालतीं हैं उससे
कई सारे सवालात ...."
मोहब्बत जैसे .....
कुछ पल के लिए ही सही
साँस लेने लगती है
दर्द के आगोश में .....!!
bahut dino ke baad aapki is nazm ko padhkar aapki kalam ko salaam karne ka dil chahta hai ..
just keep it up . is baar to shabdo ne jaadu sa kiya hai ..
badhai
हर कीरतजी कैसी हें ,आज अभी आपके शब्दों को लहरों की तरह बहते देखा ...बस दिन अच्छा बीतेगा यकीन है बधाई....कभी मुझे भी अपने घर बुलाना ज़िन्दगी ....
एहसास के समंदर से पुनः एक सुन्दर कृति की प्राप्ति हुई......
फिर से एक भावपूर्ण और शिल्प में बुनी हुई कविता ! बधाई !
Mohabbat ek aisa ehsas hai jiske bina vyakti samvedna shunya hota hai.
Vastav men bahut achchhe dhang se kaha gaya hai.Main ismen apni char panktiyan dena chahunga-
Dristi to dristi hai phir thahar jayegi.
Gandh hai to hawa men bikhar jayegi.
Dil lagakarke to dekhiye doston,
Jindgi aap ki bhi sanwar jayegi.
-Umeshwar Dutt"Nisheeth"
dhai jodiyan hai jo zinda raheingi adeebo ke beech
sahir_amrita_imroz
krishnachander_salma
aapko milne wali dad iski gawah hain...hamein zindabad hone ka ahsas dilati rahein..
Kumar Zahid
http://kumarzahid.blogspot.com
aisi samvedansheelta ki wajah se hum aap ki kavitaon ke mureed ho gaye hain..
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