Wednesday, August 26, 2009

उसने कहा है अगले जन्म में तू फ़िर आएगी मोहब्बत का फूल लिए .....(जन्मदिन मुबारक हो अमृता)

उसने कहा है अगले जन्म में तू फ़िर आएगी मोहब्बत का फूल लिए .....(जन्मदिन मुबारक हो अमृता)

कांटेदार झाड़ियों में उगा दर्द का फूल थी ....जो ताउम्र गैरों के टूटे परों को अपने आँचल में समेटती रही .....चूड़ियाँ टूटतीं ...तो वह दर्द की गवाही बन खड़ी हो जाती ....दर्द की शिद्दत कोई तभी समझ सकता है जब वह अपने बदन पर उसे झेलता है ....वह तो दर्द की ही मिट्टी से पैदा हुई थी ....रूह, ज़िस्म से हक़ मांगती तो वह चल पड़ती कलम लेकर ....और तमाम दर्द एक कागज़ के पुलिंदे में लपेट कर सिगरेट सा पी जाती ....और जब राख़ झाड़ती तो दर्द की कई सतरें कब्रों में उग आतीं ....उन्हीं कब्रों से कुछ सतरें उठाकर लाई हूँ आज के दिन ......


रा ....
बहुत
गहरी बीत चुकी है
मैं हाथों में कलम लिए
मग्मूम सी बैठी हूँ ....
जाने क्यूँ ....
हर साल ...
यह तारीख़
यूँ ही ...
सालती है मुझे.....


पर तू तो ...
खुदा की इक इबारत थी
जिसे पढ़ना ...
अपने आपको
एक सुकून देना है ...


अँधेरे मन में ...
बहुत कुछ तिड़कता है
मन की दीवारें
नाखून कुरेदती हैं तो...
बहुत सा गर्म लावा
रिसने लगता है ...

सामने देखती हूँ
तेरे दर्द की ...
बहुत सी कब्रें...
खुली पड़ी हैं...
मैं हाथ में शमा लिए
हर कब्र की ...
परिक्रमा करने लगती हूँ ....

अचानक
सारा के खतों पर
निगाह पड़ती है....
वही सारा ....
जो कैद की कड़ियाँ खोलते-खोलते
कई बार मरी थी .....
जिसकी झाँझरें कई बार
तेरी गोद में टूटी थीं ......
और हर बार तू
उन्हें जोड़ने की...
नाकाम कोशिश करती.....
पर एक दिन
टूट कर...
बिखर गयी वो ....

मैं एक ख़त उठा लेती हूँ
और पढने लगती हूँ .......
"मेरे बदन पे कभी परिंदे नहीं चहचहाये
मेरी सांसों का सूरज डूब रहा है
मैं आँखों में चिन दी गई हूँ ...."

आह.....!!
कैसे जंजीरों ने चिरागों तले
मुजरा किया होगा भला ....??
एक ठहरी हुई
गर्द आलूदा साँस से तो
अच्छा था .....
वो टूट गयी .......

पर उसके टूटने से
किस्से यहीं
खत्म नहीं हो जाते अमृता ...
जाने और कितनी सारायें हैं
जिनके खिलौने टूट कर
उनके ही पैरों में चुभते रहे हैं ...

मन भारी सा हो गया है
मैं उठ कर खिड़की पर जा खड़ी हुई हूँ
कुछ फांसले पर कोई खड़ा है ....
शायद साहिर है .. .....
नहीं ... नहीं ...... .
यह तो इमरोज़ है .....
हाँ इमरोज़ ही तो है .....
कितने रंग लिए बैठा है . ...
स्याह रात को ...
मोहब्बत के रंग में रंगता
आज तेरे जन्मदिन पर
एक कतरन सुख की
तेरी झोली डाल रहा है .....

कुछ कतरने और भी हैं
जिन्हें सी कर तू
अपनी नज्मों में पिरो लेती है
अपने तमाम दर्द .... ...

जब मरघट की राख़
प्रेम की गवाही मांगती है
तो तू...
रख देती है
अपने तमाम दर्द
उसके कंधे पर ...
हमेशा-हमेशा के लिए ....
कई जन्मों के लिए .....

तभी तो इमरोज़ कहते हैं ....
तू मरी ही कहाँ है ....
तू तो जिंदा है .....
उसके सीने में....
उसकी यादों में .....
उसकी साँसों में .....
और अब तो ....
उसकी नज्मों में भी...
तू आने लगी है ....

उसने कहा है ....
अगले जन्म में
तू फ़िर आएगी ....
मोहब्बत का फूल लिए ....
जरुर आना अमृता
इमरोज़ जैसा दीवाना
कोई हुआ है भला ......!!

"जन्मदिन मुबारक हो अमृता"

72 comments:

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

आज सच कहूँ तो मैं टिप्पणी करने में खुद को असमर्थ पा रहा हूँ.....!!
बस एक शब्द.....""गज़ब.....!!""
"उसने कहा है अगले जन्म में तू फ़िर आएगी मोहब्बत का फूल लिए .....(जन्मदिन मुबारक हो अमृता)"................

नवनीत नीरव said...

"kitne arman dafn hue sine mein,
magar ik tamanna aisi hai ki marti hi nahi"
man ki gahri parton mein utar gayi ye rachna.........ek kasak si uthti hai..uf kya kahein...Janmdin mubarak ho Amrita.
Navnit Nirav

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

हरकीरत जी आपकी इस प्रेम भरी राय के लिए मैं आपका भी शुक्रिया अदा करता हूँ....दरअसल मैं ख़ुद भी यही करना चाह रहा था....मगर कुछ प्रेमियों के प्रेम के कारण ऐसा कर नहीं पा रहा था....आज आपकी आज्ञा से ये मैं कर रहा हूँ.....................आपको भी धन्यवाद......!!
एक बात आपसे और कहूँ....अभी मुझे भूतनाथ ही रहने दें.....इसके पीछे कोई बात है.....जो मैं बाद में सबको बता पाउँगा.....आज आखिरी बार मैं सभी ब्लॉगों पर दिखायी दूंगा.....!!कल से सिर्फ़ अपने ब्लाग एवं दो कम्युनिटी ब्लॉगों पर ही रहूंगा.....मुझसे कोई गलती हुई हो तो मैं तहे-दिल से खेद प्रकट करता हूँ....और सबसे क्षमा माँगता हूँ.....!!

Collection from world said...

Such a heart touch update, Thank you for sharing with us and world.

उसने कहा है ....
अगले जन्म में
तू फ़िर आएगी ....
मोहब्बत का फूल लिए ....
जरुर आना अमृता
इमरोज़ जैसा दीवाना
कोई हुआ है भला ......!!

"जन्मदिन मुबारक हो अमृता"

really really heart touch....

Yogesh Verma Swapn said...

BAHUT HI BADHIA. BADHAI.

वाणी गीत said...

बहुत सुन्दर लिखा है..क्या कहें..अमृता के बारे में अमृता सा ही लिखा पढना बहुत अद्भुत लगा.. आपकी अमृता को जन्मदिन मुबारक हो..!!

दिनेशराय द्विवेदी said...

जो प्रेम करते हैं वे नहीं मरते।

Udan Tashtari said...

हमेशा की तरह...न शब्द, न सामर्थय!!

बस...

’अद्भुत’


वाह!!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

अमृता एक स्वप्नदृष्टा थीं. सुंदर.

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत लाजवाब और अदभुत. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

सदा said...

बहुत ही खुबसूरत शब्‍दों में व्‍यक्‍त यह रचना बहुत ही गहराई लिए हुए हर पंक्ति बधाई ।

रंजू भाटिया said...

पर तू तो ...
खुदा की इक इबारत थी
जिसे पढ़ना ...
अपने आपको
एक सुकून देना है ...

बहुत सही अमृता को भुला पाना वाकई मुश्किल है ...बधाई

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

shabd nahi hain likhne ko......... ab isse zyada kuch na kah sakunga........ bahut hi khoobsoorat.........



मग्मूम means?

Unknown said...

जय हो !

विनोद कुमार पांडेय said...

सामने देखती हूँ
तेरे दर्द की ...
बहुत सी कब्रें...
खुली पड़ी हैं...
मैं हाथ में शमा लिए
हर कब्र की ...
परिक्रमा करने लगती हूँ,

बहुत ही खुबसूरत रचना!!
बधाई!!!
जन्मदिन मुबारक हो अमृता!!

मुकेश कुमार तिवारी said...

हरकीरत जी,

अमृता-इमरोज शायद इस सदी के बाद प्रेम के शास्वत प्रतीक बन जायें, और हम लोग भी शायद याद किये जाये कि हम भी उस दौर में थे।

हजारों दर्द अपने में समेटे रिश्ते को एक नई परिभाषा देते हुये कविता भिगो गई।

सादर,


मुकेश कुमार तिवारी

डिम्पल मल्होत्रा said...

"जन्मदिन मुबारक हो aapko bhi....many many happy returns of the day...

निर्मला कपिला said...

हर बार जब भी इसे पढा है आँखें नम हो जाती हैं निशब्द हूँ बहुत बहुत धन्यवाद इस रचना के लिये

हरकीरत ' हीर' said...

महफूज़ जी मग्मूम means उदास या दुखित ...वो इस लिए क्योंकि इस नामुराद का भी जन्मदिन आज ही है ....!!

कंचन सिंह चौहान said...

Amrita Ji ko aur aap ko dono ko hi janmadin mubaraq...!

ताऊ रामपुरिया said...

आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, आप ऐसी ही नायाब रचनाएं लिखती रहें.

रामराम.

दिगम्बर नासवा said...

पर तू तो ...
खुदा की इक इबारत थी
जिसे पढ़ना ...
अपने आपको
एक सुकून देना है ...

vaah ,......... कितना dilkash, मन को choo जाने waala लिखा है .......... बार बार padhne को मन करता है ......... jaadoo है आपकी kalam में .......... और ये jaadoo इस rachnaa में khil कर आ रहा है ..........

daanish said...

HAPPY
BIRTH
DAY

to

AMRITA
&
AMRITA

नीरज गोस्वामी said...

बेहतरीन...लाजवाब...वाह...
नीरज

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

janmdin ki aapko bahut bahut shubhkaamnayen..........


kitna achcha ittefaq hai........ yeh ........ ki do mahaan hastiyon ka janmdin ek din hi hota hai........


Once again happy Birthday to U......... May dis day of ur arrival in dis beautiful world........ (will) alwyz be blessed with happiness and gaiety....... by the blesings of almighty........

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

janmdin ki aapko bahut bahut shubhkaamnayen..........


kitna achcha ittefaq hai........ yeh ........ ki do mahaan hastiyon ka janmdin ek din hi hota hai........


Once again happy Birthday to U......... May dis day of ur arrival in dis beautiful world........ (will) alwyz be blessed with happiness and gaiety....... by the blesings of almighty........

ओम आर्य said...

बधाई के साथ, एक लिंक भेंट करता हूँ आपके जन्म दिन पे, आपको
यहाँ अमृता मिलती हैं,,,
http://shaifaly.mywebdunia.com/

Udan Tashtari said...

आज आपका जन्म दिन है, बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाऐं.

manu said...

आपने बहुत दर्द भरा तोहफा दिया अमृता को आज उसके जन्मदिन पर...
इस पे टिपण्णी करना मुश्किल है
और जो आपने पहले भुमिका बाँधी है
वो भी एक नज़्म ही है..

जन्मदिन मुबारक हो जी..
आप दोनों को.....
:)

प्रिया said...

amrita ji ke tamam prashansako mein ham bhi hai...sach bolu to amrita ji par likhi ye rachna hamko sarsari nazar se padh kar samajh nahi aayi isliye dobara padhi ....tab aisa laga ki amrita ko hi padh rahe hai....Bejod, bemisaal rachna hai......Aur han aapko Janmdin ki hardik badhai. Kuch aapke liye " Laati hai zindgi ghadiya naseed se , jaante hai aapki kavitao ko kareeb se , Lambi si zindgi ho, har lamhe mein khushiya hazaar ho nikli hai dil se dua aapke naseeb se" :-) Always smiling and be happy

विवेक सिंह said...

आपको भी जन्म दिन मुबारक हो जी !

अमिताभ मीत said...

बहुत खूब. और जन्मदिन मुबारक़ !!

jamos jhalla said...

Sirf yehi kah saktaa hoon ki VIA HARKIRAT janm din mubaraq ho great AAAAAAMMMMMRRRRRIIIIITTTTTAAAAAA

Meenu Khare said...

आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई. आकर बहुत अफ़सोस हुआ कि बहुत पहले ही क्यों न आई ...!!!!


सस्नेह,
मीनू खरे

جسوندر سنگھ JASWINDER SINGH said...

ਜਰੂਰ ਅਉਣਾ ਅਮ੍ਰਿਤਾ ਜੀ
ਕੁਛ ਉਹਨਾ ਲਈ ਵੀ ਜਰੂਰ ਲਿਖਣਾ ਜਿਹਨਾਂ ਅਬਲਾਵਾਂ ਦੀ ਇੱਜ਼ਤ ਇਸ ਅਜ਼ਾਦ ਦੇਸ ਵਿੱਚ ਧਰਮ ਦੇ ਨਾਮ ਥੱਲੇ ਅਜਾਦ ਲੋਕਾਂ ਵੱਲੋਂ ਲੁੱਟੀ ਗਈ

दिलीप कवठेकर said...

खूबसूरत मगर गंभीर...

gs panesar said...

ek dard bhari bahut pyari rachna...

Khushdeep Sehgal said...

हरकीरत जी, जन्मदिन दियां लख-लख बधाईयां...

वीनस केसरी said...

हरकीरत जी,

जन्मदिन की बधाई!

venus kesari

के सी said...

जन्मदिन पर एक शानदार तोहफा, नज़्म हज़ार किस्से समेटे एक दर्द का सागर सी लगती है.

के सी said...

जन्मदिन पर एक शानदार तोहफा, नज़्म हज़ार किस्से समेटे एक दर्द का सागर सी लगती है.

मनोज भारती said...

अमृता जी को याद करने
और उनकी यादों में इमरोज को बसाने
और
इस बहाने खुद के जन्म दिन को मनाने
का यह दिल-ए-ब्यां अच्छा लगा !!!

कुछ मोहब्बते हमेशा जिंदा रहती हैं
अमृता-इमरोज की तरह ।

Unknown said...

जी, आपको मेरी बिटिया की कविता पसंद आई.....बहुत बहुत धन्यवाद !

जाने क्यूँ ....
हर साल ...
यह तारीख़
यूँ ही ...
सालती है मुझे.....

बहुत ही खुबसूरत शब्‍दों में व्‍यक्‍त यह रचना बहुत ही गहराई लिए हुए हर पंक्ति ,बहुत बहुत बधाई ।

मोहन वशिष्‍ठ said...

सच में निशब्‍द कर दिया


harkirat Ji Many Many Happy Returns of the day

हरकिरत जी आपको जन्‍मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं

स्वप्न मञ्जूषा said...

Amrita Ji ko aur aap ko....... dono ko hi janmadin ki bahut bahut mubaraqbaad....
Nazm ki tareef mein kya kahen !!!

सुशील छौक्कर said...

बडी शिद्द्त से याद किया आपने अमृता जी को। एक एक शब्द उनकी कहानी कहता है। और ये भी सच कहा कि

तभी तो इमरोज़ कहते हैं ....
तू मरी ही कहाँ है ....
तू तो जिंदा है .....
उसके सीने में....
उसकी यादों में .....
उसकी साँसों में .....
और अब तो ....
उसकी नज्मों में भी...
तू आने लगी है

सच पूछिए तो वो हमारे दिलों में बस गई है। उनका लिखा एक एक शब्द उनका अहसास कराता है। जन्मदिन मुबारक हो अमृता जी।
और हाँ आपको भी जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।

Mumukshh Ki Rachanain said...

तू मरी ही कहाँ है ....
तू तो जिंदा है .....
उसके सीने में....
उसकी यादों में .....
उसकी साँसों में .....
और अब तो ....
उसकी नज्मों में भी...
तू आने लगी है ....

ऐसा ही होता है..........
अमरता जी के जन्म दिन की बधाई.

इतनी बेहतरीन नज़्म बतौर जन्म-दिन के तोहफे के , भला कोई कैसे न स्वीकार करेगा.
बधाई स्वीकार करें.

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

SACCHAI said...

dil me utarti hui rachana

----- eksacchai {AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

सर्वत एम० said...

आपकी इस नज़्म ने निः शब्द कर दिया. आप इतने जानदार-शानदार कंटेंट कहाँ से लाती हैं. आज का दिन बहुत अच्छा है. मयंक इंडियन पर बेहद शानदार गजल पढ़ने को मिली. संजीव गौतम के ब.....हु ....त दिनों के बाद कमेन्ट की शक्ल में लम्बी चिट्ठी मिली. अब आप का यह शाहकार नजरों के सामने है. दिली मुबारकबाद.
मैं शनिवार-रविवार भी आपके ब्लॉग पर गया था, तब पिछली पोस्ट ही मिली, आज यह नज़्म २६ तारीख की डेट- लाइन दर्शा रही है. ऐसा क्या? असोम का जादू? मेरी एक ख्वाहिश है कि ब्लॉग के 'बड़ों' पर कभी मेरा कमेन्ट 'पहला' हो. लेकिन आप लोग अदृश्य करने का फन जानते हैं. अंदर-अंदर ख़ास लोगों को कमेन्ट देने का पूरा अवसर देने के बाद ही हमा-शुमा को मौक़ा देते हैं. मैं तो यह सोचता ही रह जाऊँगा शायद कि ..'मेरा नम्बर कब आएगा!'

प्रदीप कांत said...

मैं एक ख़त उठा लेती हूँ
और पढने लगती हूँ .......
"मेरे बदन पे कभी परिंदे नहीं चहचहाये
मेरी सांसों का सूरज डूब रहा है
मैं आँखों में चिन दी गई हूँ ...."


!!!!!!!!!!!!!!!!!

Desk Of Kunwar Aayesnteen @ Spirtuality said...

Bahut Khub ....Kho Gaya tha..abhi abhi lauta hoon.

डॉ .अनुराग said...

किसी ने कहा है की कई बार लिखने के बाद भी ऐसा लगता है जो सफ्हो पे आया है वो अधूरा है .मन अभी भी भरा हुआ है कुछ उलीचने को.....आपको पढता हूँ तो लगता है जैसे किसी उदास ओर पाक रूह के नजदीक बैठा हूँ .....जिसने कई दिलो को अपने एक दिल के भीतर छिपा रखा है ...


अँधेरे मन में ...
बहुत कुछ तिड़कता है
मन की दीवारें
नाखून कुरेदती हैं तो...
बहुत सा गर्म लावा
रिसने लगता है ...

ओर यहाँ देखिये आप फिर किसी रूह में उतरती है....

मैं एक ख़त उठा लेती हूँ
और पढने लगती हूँ .......
"मेरे बदन पे कभी परिंदे नहीं चहचहाये
मेरी सांसों का सूरज डूब रहा है
मैं आँखों में चिन दी गई हूँ ...."

यहाँ अमृता जी उठी है आपकी नज़्म में ....

कुछ कतरने और भी हैं
जिन्हें सी कर तू
अपनी नज्मों में पिरो लेती है
अपने तमाम दर्द .... ...

संजय भास्‍कर said...

अमरता जी के जन्म दिन की बधाई.

इतनी बेहतरीन नज़्म बतौर जन्म-दिन के तोहफे के , भला कोई कैसे न स्वीकार करेगा.
बधाई स्वीकार करें.

संजय भास्‍कर said...

dil me utarti hui rachana
Bhut hi sunder

Alpana Verma said...

हरकीरत ji,जन्मदिन मुबारक हो... हार्दिक शुभकामनाऐं.

शरद कोकास said...

अमृता जी से कभी नहीं मिला लेकिन उनके साहित्य का दीवाना हूँ मैं .. मेरी पुरानी कापियों मे कई जगह उनके लेखन के वाक्यांश हैं .. इसलिये मुझे भी नहीं लगता कि वो इस दुनिया में नहीं हैं आएये हम सब मिलकर उनकी याद को जीवित रखे .. उन्हे इस तरह याद करने के लिये आपको क्या कहूँ धन्यवाद बहुत छोटा शब्द है। -शरद कोकास-- हाँ आपको जन्म दिन की बधाई

XG said...

Harkeerat Ji,

Thanks for visiting my blog urdymadeeasy.blogspot.com ,
Kindly also provide suggestions for improvement,I can't teach you urdu,Its like teaching Manto how to write.
Please Provide feedback .
Thanks
Akshaya

Unknown said...

yah rachna aapki tarh hi khoobsurat hai harirat ji

www.neerajkavi.blogspot.com

Unknown said...

yah rachna aapki tarh hi khoobsurat hai harirat ji

www.neerajkavi.blogspot.com

Unknown said...

yah rachna aapki tarh hi khoobsurat hai harkirat ji

www.neerajkavi.blogspot.com

दर्पण साह said...

मैं एक ख़त उठा लेती हूँ
और पढने लगती हूँ .......
"मेरे बदन पे कभी परिंदे नहीं चहचहाये
मेरी सांसों का सूरज डूब रहा है
मैं आँखों में चिन दी गई हूँ ...."

pinjar ki lekhika ko janmdin ki subh kamnaayein.

aur aapko kavita ya yun kahein ki itne acche sansmaran ki....

pritigupta said...

"मेरे बदन पे कभी परिंदे नहीं चहचहाये
मेरी सांसों का सूरज डूब रहा है
मैं आँखों में चिन दी गई हूँ ...."
Shabd aur artho kaa itnaa sunder samaayojan ke mai mook ho gayi hoo
Priti

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

"अँधेरे मन में ...
बहुत कुछ तिड़कता है
मन की दीवारें
नाखून कुरेदती हैं तो...
बहुत सा गर्म लावा
रिसने लगता है ..."
इन पंक्तियों का जवाब नहीं......
अमृता जी और आप के जन्म दिन पर बहुत बहुत बधाई...

Prem said...

bahut hi sunderbhavo se bhari abhivyakti bahut khoob badhai

Prem said...

bahut hi sunderbhavo se bhari abhivyakti bahut khoob badhai

Prem said...

bahut hi sunderbhavo se bhari abhivyakti bahut khoob badhai

Prem said...

bahut hi sunderbhavo se bhari abhivyakti bahut khoob badhai

Dr. Shreesh K. Pathak said...

aapki lekhani me kavita mano swayam ka shringar kar rahi ho......bhavabhibhoot ho gaya hoon mai,,,,,,,,badhaiyan...

हैरान परेशान said...

हरकीरत जी,
आप हकीर तो बिलकुल नहीं हैं. कभी, एक दिन, ऐसा करें, दुःख, दर्द, अवसाद, पीडा, कष्ट, मुसीबत, तकलीफ, रंज, गम, अलम वगैरह से अलग, कोई हंसती, मुस्कुराती रचना पोस्ट करें. जिंदगी में ये भी तो है, और आप जिंदगी की मिसाल हैं, जीती जागती.

गौतम राजऋषि said...

विलंब से आने के लिये दिले से क्षमा-प्रार्थी हूँ मैम कि इस शुभ-दिन पे आपको शुभकामनायें न दे सका...

जन्म-दिवस की हार्दिक बधाईयां...ईश्वर से यही कामना है कि आपकी लेखनी का जादू हम सब पर यूँ ही कहर बरपाती रहे!!!!!!!

hem pandey said...

अमृता और इमरोज के बहाने एक बेहतरीन रचना की प्रस्तुति के लिए साधुवाद.

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह said...

adbhut abhivyakti,kya kahoon ki kaise kahoon?Gazab ka akelapan,man ki gaharai se likhi rachna ,aapka hridaya se abhinandan
aapka sadar,dr.bhoopendra