कुछ उदास सी चुप्पियाँ ....
कुछ उदास सी चुप्पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात...
बिजलियों के टुकडे़
बरस कर
कुछ इस तरह मुस्कुराये
जैसे हंसी की खुदकुशी पर
मनाया हो जश्न
चाँद की लावारिश सी रौशनी
झाँकती रही खिड़कियों से
सारी रात...
रात के पसरे अंधेरों में
पगलाता रहा मन
लाशें जलती रहीं
अविरूद्ध सासों में
मन की तहों में
कहीं छिपा दर्द
खिलखिला के हंसता रहा
सारी रात...
थकी निराश आँखों में
घिघियाती रही मौत
वक्त की कब्र में सोये
कई मुर्दा सवालात
आग में नहाते रहे
सारी रात...
जिंदगी और मौत का फैसला
टिक जाता है
सुई की नोक पर
इक घिनौनी साजि़श
रचते हैं अंधेरे
एकाएक समुन्द्र की
इक भटकती लहर
रो उठती है दहाडे़ मारकर
सातवीं मंजिल से
कूद जाती हैं विखंडित
मासूम इच्छाएं
मौत झूलती रही पंखे से
सारी रात...
कुछ उदास सी चुप्पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात...
Tuesday, December 30, 2008
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55 comments:
क्या कहूँ। शब्द नही मिल रहे।
मन की तहों में
कहीं छिपा दर्द
खिलखिला के हंसता रहा
सारी रात...
अद्भुत।
bahot khub likha hai aanpe, आपको तथा आपके पुरे परिवार को नव्रर्ष की मंगलकामनाएँ...साल के आखिरी ग़ज़ल पे आपकी दाद चाहूँगा .....
अर्श
नव वर्ष की आप और आपके समस्त परिवार को शुभकामनाएं....
नीरज
bahut khubsurati se dard ko bayan kiya hai bahut badhai
क्या कहूँ शब्द ख़मोश रह जायेँगे। बहुत ही उम्दा नज़्म है!
नववर्ष की बहुत-बहुत बधाई, नववर्ष आप सबके लिए कल्याणकारी हो।
बहुत ही भावपूर्ण और सशक्त अभिव्यक्ति ! बधाई ...जारी रहें !
... नव वर्ष में / रचित करें, खुशहाल घर / खुशहाल राज्य, खुशहाल राष्ट्र / बिखेरें खुशियाँ-खुशबू-रौशनी / चहूँ ओर ...
... नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
bahut acchi rachna.
badhai
एक एक पंक्ति जैसे दर्द की स्याही में डुबो कर लिखी गई हो, किसको सराहूं किसको छोडूँ.
रात के पसरे अंधेरों में
पगलाता रहा मन
लाशें जलती रहीं
अविरूद्ध सासों में
मन की तहों में
कहीं छिपा दर्द
खिलखिला के हंसता रहा
सारी रात...
"नव वर्ष २००९ - आप सभी ब्लॉग परिवार और समस्त देश वासियों के परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं "
Regards
कुछ उदास सी चुप्पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात...
amazing
नूतन वर्ष की हार्दिक ढेरो शुभकामना और बधाई . आपका भविष्य उज्जवल हो की कामना के साथ.
महेंद्र मिश्रा जबलपुर.
NAV VARSH
2 0 0 9
KI
SHUBH
KAAMNAAYEI
---MUFLIS---
वर्ष के इन आखिरी क्षणों में आसमान से टपकती ये उदास चुप्पियां पूरे ब्लौग को उदास कर रही है...
ब्लौग का नया गेट-अप बड़ा मनभावन है...
नये साल की ढ़ेर सारी शुभकामनायें...ईश्वर करे ये आनेवाला नया साल आपकी लेखनी से और-और नये चमत्कार दिखलवाये...!!!
बहुत खूब !
वाह !!
Harkirat,
Naye saalki kya kaamnaa karun tumhare liye, tumhee kaho na ! Manah shaanti aur sanmati iske siwa maine apne liye kabhi kuchh aur chaha nahee....tumhare liyebhi wahi chahti hun .....Haan, Harkirat, hame apna tamasha, apneehee aankhen dikhatee hain, banke tamashayi.....seeneme chhupe dardpe bhi apneehi chunarke pehre hote hain...par dard fisalhee jaate hain....aur hampe hanste rehte hain....apnee simtee-si chunarko taana dete hain...kaho, chhupaa sakee hame ? Ham to sare aam ho gaye, tumse aazaad, harwaqt tumpe hanste rahe....
Eeshwar kare, naye saalme kuchh der to ye silsila thame....tahe dilse tumhare liye dua karti hun...
मुझे मालूम था के आज भी ऐसी ही नज़्म पढ़वाओगी.....नए साल पर तो एक खिलखिलाहट बखेर दो ....चाहे एक दिन झूठी ही सही...
और ब्लॉग पर बड़े कारपेट शारपेट बिछा रखे हैं.............कब लिए ...? कहाँ से लिए...?? क्यूं लिए...??? और कित्ते में लिए......??????
बड़े अच्छे लगे ..
अब नए साल की मुबारक बाद कबूल करो......
मनु
bahut bhav bharee rachna hai badhaaii
नव वर्ष में वंदन नया ,
उल्लास नव आशा नई |
हो भोर नव आभा नई,
रवि तेज नव ऊर्जा नई |
विश्वास नव उत्साह नव,
नव चेतना उमंग नई |
विस्मृत जो बीती बात है ,
संकल्प नव परनती नई |
है भावना परिद्रश्य बदले ,
अनुभूति नव हो सुखमई |
नववर्ष की हार्दिक ढेरो शुभकामना
हर पद दर्द और पीड़ा से भरा हुआ
bahut hi sshakt abhivyakti....
badhai
आपके ब्लॉग पर पहली बार आया...अच्छी लगी कविता...
नववर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाऎं.
पहने सपनों की विजय माल
हो बहुत मुबारक नया साल
नए साल की नई किरन
सब गान मधुर पावन सुमिरन
सब नृत्य सजे सुर और ताल
हो बहुत मुबारक नया साल
फिर से उम्मीद के नए रंग
भर लाएँ मन में नित उमंग
खुशियाँ ही खुशियाँ बेमिसाल
हो बहुत मुबारक नया साल
उपहार पुष्प मादक गुलाब
मीठी सुगंध उत्सव शबाब
शुभ गीत नृत्य और मधुर ताल
हो बहुत मुबारक नया साल
कुछ उदास सी चुप्पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
और दर्द इतना बढ़ा
कि बेदर्द हो गया,उदास,
सारी रात.....
नव वर्ष आपको भी मुबारक हो आप को खुशियों के साथ बढ़िया कविता कहने का हुनर और भी विकसित हो और आप ऐसे ही लिखती रहें । आपके सभी परिजनो को मेरी नव वर्ष की मंगल कामनाएं
शब्दों के माध्यम से भाव और िवचार का श्रेष्ठ समन्वय िकया है आपने ।
आपको नववषॆ की बधाई । नया आपकी लेखनी में एेसी ऊजाॆ का संचार करे िजसके प्रकाश से संपूणॆ संसार आलोिकत हो जाए । -
http://www.ashokvichar.blogspot.com
आपको, आपके परिजनों और आपके मित्रों और परिचितों को भी नव वर्ष की शुभकामनाएं. ईश्वर आपको सुख-समृद्धि दे!
अनुराग शर्मा
आपकी कवितायें और क्षणिकाएं आज पहली बार मनोयोग से पढ़ी. मन को छू गई कवितायें और सच कहूँ आगे भी पढने का मन कर रहा है. पढता रहूँगा.
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ...
सुंदर रचना !
बहतु अच्छी लगीं आपकी कविताएं।
बहुत दर्द से लिखी है यह कविता. कुछ कहने को शब्द नही मिल रहे
कुछ उदास सी चुप्पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात...
बहुत खूबसूरत कविता है, बधाई।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाऍं।
हरकीरत जी मुझे पता पर मैं भी दिल से मजबूर हूँ. इसलिए उसे नही भूल सकता.
आपको भी नववर्ष की हार्दिक सुभकामनाये
Nav varsh ki dher sari shubkamnayen !
कुछ उदास सी चुप्पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात...
कितनी जुदा जुदा शक्ल होती है दर्द की पर सीरत वही......
इस उम्मीद में की नया साल शायद कुछ खुशनुमा रंग लेकर आए ओर गमो को पीछे छोड़ दे.....
बहुत ही अच्छी....बहुत-बहुत ही अच्छी....मैं समझ ही नहीं पा रहा की कहूँ तो क्या कहूँ....सच....!!
जिंदगी और मौत का फैसला
टिक जाता है
सुई की नोक पर
इक घिनौनी साजि़श
रचते हैं अंधेरे
बहुत ही भावपूर्ण !
''नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं "
एकाएक समुन्द्र की
इक भटकती लहर
रो उठती है दहाडे़ मारकर
सातवीं मंजिल से
कूद जाती हैं विखंडित
मासूम इच्छाएं
bahut shandaar!!!!!!
बेहद खूबसूरत.. बेहद दर्दनाक ....हर पंक्ति में कई तह छिपी हैं गम की..
बड़ी सुंदर कविता
बहुत खूबसूरत कविता है, बधाई।
मन की तहों में बरसों से छिपी चुप्पी को स्वर मिल गए हों ऐसा लगा...बेहतरीन नज्म...बधाई!!!
मन की तहों में बरसों से छिपी चुप्पी को स्वर मिल गए हों ऐसा लगा...बेहतरीन नज्म...बधाई!!!
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 08 - 11 -2012 को यहाँ भी है
.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
कुछ पटाखे , कुछ फुलझड़ियाँ और कुछ उदास चुप्पियाँ.. .
'रात के पसरे अंधेरों में
पगलाता रहा मन'
- ...और भटकता रहा धुंध भरी अजानी वादियों में ...'
बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार !
भावविभोर करती संवेदनशील रचना...
दीपावली एवं नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ..
बेहद भावमयी
रात भर दर्द की शम्मा जलती रही
रात भर चांदनी जलती-झुलसती रही...... हरकीरत जी , बहुत हृदयस्पर्शी प्रस्तुति ... आज बहुत दिन बाद आपको पढ़कर बहुत अच्छा लगा.
दर्द के भावों में डूबी रचना....
कुछ उदास सी चुप्पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात... .......बहुत सुंदर
कुछ उदास सी चुप्पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात...
simply aowsam....
गहन रात की चुप्पी
जब तोड़ देती है
सारी हदे
तो एक तूफ़ान के
आने का आभास होता है ||
पीडा को एक नई अभिव्यक्ति । बहुत सुन्दर ।
पीडा को एक नई अभिव्यक्ति । बहुत सुन्दर ।
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