Tuesday, December 30, 2008

कुछ उदास सी चुप्‍पियाँ ....

कुछ उदास सी चुप्‍पियाँ ....

कुछ उदास सी चुप्‍पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात...

बिजलियों के टुकडे़
बरस कर
कुछ इस तरह मुस्‍कुराये
जैसे हंसी की खुदकुशी पर
मनाया हो जश्‍न

चाँद की लावारिश सी रौशनी
झाँकती रही खिड़कियों से
सारी रात...

रात के पसरे अंधेरों में
पगलाता रहा मन
लाशें जलती रहीं
अविरूद्ध सासों में
मन की तहों में
कहीं छिपा दर्द
खिलखिला के हंसता रहा
सारी रात...

थकी निराश आँखों में
घिघियाती रही मौत
वक्‍त की कब्र में सोये
कई मुर्दा सवालात
आग में नहाते रहे
सारी रात...

जिंदगी और मौत का फैसला
टिक जाता है
सुई की नोक पर
इक घिनौनी साजि़श
रचते हैं अंधेरे

एकाएक समुन्‍द्र की
इक भटकती लहर
रो उठती है दहाडे़ मारकर
सातवीं मंजिल से
कूद जाती हैं विखंडित
मासूम इच्‍छाएं

मौत झूलती रही पंखे से
सारी रात...

कुछ उदास सी चुप्‍पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात...

55 comments:

सुशील छौक्कर said...

क्या कहूँ। शब्द नही मिल रहे।
मन की तहों में
कहीं छिपा दर्द
खिलखिला के हंसता रहा
सारी रात...

अद्भुत।

"अर्श" said...

bahot khub likha hai aanpe, आपको तथा आपके पुरे परिवार को नव्रर्ष की मंगलकामनाएँ...साल के आखिरी ग़ज़ल पे आपकी दाद चाहूँगा .....

अर्श

नीरज गोस्वामी said...

नव वर्ष की आप और आपके समस्त परिवार को शुभकामनाएं....
नीरज

mehek said...

bahut khubsurati se dard ko bayan kiya hai bahut badhai

Vinay said...

क्या कहूँ शब्द ख़मोश रह जायेँगे। बहुत ही उम्दा नज़्म है!

नववर्ष की बहुत-बहुत बधाई, नववर्ष आप सबके लिए कल्याणकारी हो।

Arvind Mishra said...

बहुत ही भावपूर्ण और सशक्त अभिव्यक्ति ! बधाई ...जारी रहें !

कडुवासच said...

... नव वर्ष में / रचित करें, खुशहाल घर / खुशहाल राज्य, खुशहाल राष्ट्र / बिखेरें खुशियाँ-खुशबू-रौशनी / चहूँ ओर ...
... नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।

vijay kumar sappatti said...

bahut acchi rachna.
badhai

Manuj Mehta said...

एक एक पंक्ति जैसे दर्द की स्याही में डुबो कर लिखी गई हो, किसको सराहूं किसको छोडूँ.

रात के पसरे अंधेरों में
पगलाता रहा मन
लाशें जलती रहीं
अविरूद्ध सासों में
मन की तहों में
कहीं छिपा दर्द
खिलखिला के हंसता रहा
सारी रात...

seema gupta said...

"नव वर्ष २००९ - आप सभी ब्लॉग परिवार और समस्त देश वासियों के परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं "
Regards

रश्मि प्रभा... said...

कुछ उदास सी चुप्‍पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात...
amazing

महेन्द्र मिश्र said...

नूतन वर्ष की हार्दिक ढेरो शुभकामना और बधाई . आपका भविष्य उज्जवल हो की कामना के साथ.
महेंद्र मिश्रा जबलपुर.

daanish said...

NAV VARSH
2 0 0 9
KI
SHUBH
KAAMNAAYEI

---MUFLIS---

गौतम राजऋषि said...

वर्ष के इन आखिरी क्षणों में आसमान से टपकती ये उदास चुप्पियां पूरे ब्लौग को उदास कर रही है...
ब्लौग का नया गेट-अप बड़ा मनभावन है...

नये साल की ढ़ेर सारी शुभकामनायें...ईश्‍वर करे ये आनेवाला नया साल आपकी लेखनी से और-और नये चमत्कार दिखलवाये...!!!

अमिताभ मीत said...

बहुत खूब !
वाह !!

shama said...

Harkirat,
Naye saalki kya kaamnaa karun tumhare liye, tumhee kaho na ! Manah shaanti aur sanmati iske siwa maine apne liye kabhi kuchh aur chaha nahee....tumhare liyebhi wahi chahti hun .....Haan, Harkirat, hame apna tamasha, apneehee aankhen dikhatee hain, banke tamashayi.....seeneme chhupe dardpe bhi apneehi chunarke pehre hote hain...par dard fisalhee jaate hain....aur hampe hanste rehte hain....apnee simtee-si chunarko taana dete hain...kaho, chhupaa sakee hame ? Ham to sare aam ho gaye, tumse aazaad, harwaqt tumpe hanste rahe....
Eeshwar kare, naye saalme kuchh der to ye silsila thame....tahe dilse tumhare liye dua karti hun...

manu said...

मुझे मालूम था के आज भी ऐसी ही नज़्म पढ़वाओगी.....नए साल पर तो एक खिलखिलाहट बखेर दो ....चाहे एक दिन झूठी ही सही...
और ब्लॉग पर बड़े कारपेट शारपेट बिछा रखे हैं.............कब लिए ...? कहाँ से लिए...?? क्यूं लिए...??? और कित्ते में लिए......??????
बड़े अच्छे लगे ..
अब नए साल की मुबारक बाद कबूल करो......
मनु

प्रदीप मानोरिया said...

bahut bhav bharee rachna hai badhaaii
नव वर्ष में वंदन नया ,
उल्लास नव आशा नई |
हो भोर नव आभा नई,
रवि तेज नव ऊर्जा नई |
विश्वास नव उत्साह नव,
नव चेतना उमंग नई |
विस्मृत जो बीती बात है ,
संकल्प नव परनती नई |
है भावना परिद्रश्य बदले ,
अनुभूति नव हो सुखमई |

Dr. Nazar Mahmood said...

नववर्ष की हार्दिक ढेरो शुभकामना

BrijmohanShrivastava said...

हर पद दर्द और पीड़ा से भरा हुआ

Anonymous said...

bahut hi sshakt abhivyakti....
badhai

Nikhil said...

आपके ब्लॉग पर पहली बार आया...अच्छी लगी कविता...

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

नववर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाऎं.
पहने सपनों की विजय माल
हो बहुत मुबारक नया साल

नए साल की नई किरन
सब गान मधुर पावन सुमिरन

सब नृत्य सजे सुर और ताल
हो बहुत मुबारक नया साल

फिर से उम्मीद के नए रंग
भर लाएँ मन में नित उमंग

खुशियाँ ही खुशियाँ बेमिसाल
हो बहुत मुबारक नया साल

उपहार पुष्प मादक गुलाब
मीठी सुगंध उत्सव शबाब

शुभ गीत नृत्य और मधुर ताल
हो बहुत मुबारक नया साल

अनुपम अग्रवाल said...

कुछ उदास सी चुप्‍पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
और दर्द इतना बढ़ा
कि बेदर्द हो गया,उदास,
सारी रात.....

Prakash Badal said...

नव वर्ष आपको भी मुबारक हो आप को खुशियों के साथ बढ़िया कविता कहने का हुनर और भी विकसित हो और आप ऐसे ही लिखती रहें । आपके सभी परिजनो को मेरी नव वर्ष की मंगल कामनाएं

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

शब्दों के माध्यम से भाव और िवचार का श्रेष्ठ समन्वय िकया है आपने ।

आपको नववषॆ की बधाई । नया आपकी लेखनी में एेसी ऊजाॆ का संचार करे िजसके प्रकाश से संपूणॆ संसार आलोिकत हो जाए । -

http://www.ashokvichar.blogspot.com

Smart Indian said...

आपको, आपके परिजनों और आपके मित्रों और परिचितों को भी नव वर्ष की शुभकामनाएं. ईश्वर आपको सुख-समृद्धि दे!

अनुराग शर्मा

सुनील मंथन शर्मा said...

आपकी कवितायें और क्षणिकाएं आज पहली बार मनोयोग से पढ़ी. मन को छू गई कवितायें और सच कहूँ आगे भी पढने का मन कर रहा है. पढता रहूँगा.

Dr.Bhawna Kunwar said...

आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ...

hem pandey said...

सुंदर रचना !

पुरुषोत्तम कुमार said...

बहतु अच्छी लगीं आपकी कविताएं।

दिगम्बर नासवा said...

बहुत दर्द से लिखी है यह कविता. कुछ कहने को शब्द नही मिल रहे

कुछ उदास सी चुप्‍पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात...

admin said...

बहुत खूबसूरत कविता है, बधाई।


नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाऍं।

दिल का दर्द said...

हरकीरत जी मुझे पता पर मैं भी दिल से मजबूर हूँ. इसलिए उसे नही भूल सकता.

आपको भी नववर्ष की हार्दिक सुभकामनाये

sandhyagupta said...

Nav varsh ki dher sari shubkamnayen !

डॉ .अनुराग said...

कुछ उदास सी चुप्‍पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात...

कितनी जुदा जुदा शक्ल होती है दर्द की पर सीरत वही......
इस उम्मीद में की नया साल शायद कुछ खुशनुमा रंग लेकर आए ओर गमो को पीछे छोड़ दे.....

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

बहुत ही अच्छी....बहुत-बहुत ही अच्छी....मैं समझ ही नहीं पा रहा की कहूँ तो क्या कहूँ....सच....!!

Alpana Verma said...

जिंदगी और मौत का फैसला
टिक जाता है
सुई की नोक पर
इक घिनौनी साजि़श
रचते हैं अंधेरे

बहुत ही भावपूर्ण !

''नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं "

विक्रांत बेशर्मा said...

एकाएक समुन्‍द्र की
इक भटकती लहर
रो उठती है दहाडे़ मारकर
सातवीं मंजिल से
कूद जाती हैं विखंडित
मासूम इच्‍छाएं
bahut shandaar!!!!!!

neera said...

बेहद खूबसूरत.. बेहद दर्दनाक ....हर पंक्ति में कई तह छिपी हैं गम की..

वर्षा said...

बड़ी सुंदर कविता

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूबसूरत कविता है, बधाई।

सारिका मुकेश said...

मन की तहों में बरसों से छिपी चुप्पी को स्वर मिल गए हों ऐसा लगा...बेहतरीन नज्म...बधाई!!!

सारिका मुकेश said...

मन की तहों में बरसों से छिपी चुप्पी को स्वर मिल गए हों ऐसा लगा...बेहतरीन नज्म...बधाई!!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 08 - 11 -2012 को यहाँ भी है

.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
कुछ पटाखे , कुछ फुलझड़ियाँ और कुछ उदास चुप्पियाँ.. .

प्रतिभा सक्सेना said...

'रात के पसरे अंधेरों में
पगलाता रहा मन'
- ...और भटकता रहा धुंध भरी अजानी वादियों में ...'

Madan Mohan Saxena said...

बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार !

मेरा मन पंछी सा said...

भावविभोर करती संवेदनशील रचना...
दीपावली एवं नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ..

vandana gupta said...

बेहद भावमयी

shalini rastogi said...

रात भर दर्द की शम्मा जलती रही
रात भर चांदनी जलती-झुलसती रही...... हरकीरत जी , बहुत हृदयस्पर्शी प्रस्तुति ... आज बहुत दिन बाद आपको पढ़कर बहुत अच्छा लगा.

वीना श्रीवास्तव said...

दर्द के भावों में डूबी रचना....

Dr. sandhya tiwari said...

कुछ उदास सी चुप्‍पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात... .......बहुत सुंदर

Anju (Anu) Chaudhary said...

कुछ उदास सी चुप्‍पियाँ
टपकती रहीं आसमां से
सारी रात...
simply aowsam....


गहन रात की चुप्पी
जब तोड़ देती है
सारी हदे
तो एक तूफ़ान के
आने का आभास होता है ||

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

पीडा को एक नई अभिव्यक्ति । बहुत सुन्दर ।

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

पीडा को एक नई अभिव्यक्ति । बहुत सुन्दर ।