आज पेश है यादों में उलझी-सुलझी इक नज़्म .....
यादें ......
गुलाबी सी सपनों की चादर
जलता सा ख़्वाब ज़हन में
इक आग का दरिया है औ'
इक कम्पन सी बदन में
आज भूली बिसरी बातों की
यादें साथ आई हैं ....
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं ....
वक़्त के सीने में सिमटी
कुँवारी सी हसीन कहानी
इश्क़ के पानियों पर लिखी
बीज की इक जिंदगानी
सुलगती सी रात ये
नुक्ते पर सिमट आई है ...
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं ....
दीवानी सी हर गली थी
हँसती थी तन्हाई में
अक्षर-अक्षर जश्न मनाती
रात गुजरती शहनाई में
हवा दे रही हिचकोले
चनाब चढ़-चढ़ गदराई है ...
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं ....
बावरी सी कोई महक ये
भीगती है मेरे संग संग
कौन रख गया है आज
यादों में इक खुशनुमा रंग
देह में रौशनी की इक
लकीर सी कुनमुनाई है ...
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं ....
वह सोहणी थी या सस्सी
साहिबां थी या कोई हीर
इश्क़ में डूबी जीती-जागती
मोहब्बत की थी कोई ताबीर
पूरे आसमान में इक
खलबली सी मच आई है ...
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं ....
आज चाँद की छाती में फिर से
प्यार की इक हूक उठी
सितारों की चादर में किसने
बादलों की नज्म लिखी
आज वादियों से तेरे नाम की
सदा उठ -उठ आई है ....
भूली बिसरी बातों की
यादें साथ आई है ....
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं ....
हीर ......
यादें ......
गुलाबी सी सपनों की चादर
जलता सा ख़्वाब ज़हन में
इक आग का दरिया है औ'
इक कम्पन सी बदन में
आज भूली बिसरी बातों की
यादें साथ आई हैं ....
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं ....
वक़्त के सीने में सिमटी
कुँवारी सी हसीन कहानी
इश्क़ के पानियों पर लिखी
बीज की इक जिंदगानी
सुलगती सी रात ये
नुक्ते पर सिमट आई है ...
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं ....
दीवानी सी हर गली थी
हँसती थी तन्हाई में
अक्षर-अक्षर जश्न मनाती
रात गुजरती शहनाई में
हवा दे रही हिचकोले
चनाब चढ़-चढ़ गदराई है ...
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं ....
बावरी सी कोई महक ये
भीगती है मेरे संग संग
कौन रख गया है आज
यादों में इक खुशनुमा रंग
देह में रौशनी की इक
लकीर सी कुनमुनाई है ...
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं ....
वह सोहणी थी या सस्सी
साहिबां थी या कोई हीर
इश्क़ में डूबी जीती-जागती
मोहब्बत की थी कोई ताबीर
पूरे आसमान में इक
खलबली सी मच आई है ...
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं ....
आज चाँद की छाती में फिर से
प्यार की इक हूक उठी
सितारों की चादर में किसने
बादलों की नज्म लिखी
आज वादियों से तेरे नाम की
सदा उठ -उठ आई है ....
भूली बिसरी बातों की
यादें साथ आई है ....
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं ....
हीर ......
31 comments:
वाह हरकीरत जी ! एक दम नया सा लगा ये तो - चनाब गदराई है ...
बहुत ही खुबसूरत नज़्म . ख्यालों की हवा में पींग सी बढाती हुई
बहुत ही खुबसूरत नज़्म
वक़्त की छाती में
दबा है इक रहस्य
अंतर के पानी में
कोई बीज ले रहा जन्म
सुलगती सी रात ये
नुक्ते पर सिमट आई है ...
वाह, बहुत ही खूबसूरत.
रामराम.
शुक्रिया ब्लॉग बुलेटिन .....
स्मृतियों का रेला, बहता झर झर आता..
यादों की खुबसूरत नज्म दिल में घर कर गई..
यादों का परचम जब लहराए ,
यादों में जब यादें याद आयें ।
गुजरी यादों को याद कर के ,
मन बावरा बहका बहका जाये।
आज कुछ जो अलग सा लिखा है, सच मानिये हीर जी , बहुत अच्छा लगा।
बेहद खूबसूरत नज़्म हीर जी....
मन चनाब हो गया...बह निकला यादों के साथ........
सादर
अनु
बहुत बहुत ही सुन्दर
बड़ी खूबसूरत हैं ये यादें !
beautiful expression
साधू-साधू...
अतिसुन्दर
बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें ,कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
बहुत ख़ूबसूरत नज़्म...
क्या कहें! शब्द ही नहीं मिल रहे हीर जी...~ चिनाब की लहरें... और यादों की लक़ीरें....~बहुत ही खूबसूरत!
~सादर!!!
एक याद तेरी
एक याद मेरी
बन गई एक
फ़साने की महफ़िल ||...अंजु(अनु)
बहुत ही खूबसूरती स वयक्त किया है मन के भावो को....
बहुत खूबसूरत सी यादें आई हैं .... इतनी प्यारी नज़्म की बस पढ़ते जाएँ ...लिखने को कुछ भी नहीं बस महसूस किया ।
आज चाँद की छाती में फिर से
प्यार की इक हूक उठी
सितारों की चादर में किसने
बादलों की नज्म लिखी
आज वादियों से तेरे नाम की
सदा उठ -उठ आई है ....
खुबसूरत नज़्म .
वह सोहणी थी या सस्सी
साहिबां थी या कोई हीर
इश्क़ में डूबी जीती-जागती
मोहब्बत की थी कोई ताबीर
पूरे आसमान में इक
खलबली सी मच आई है ...
बहुत उम्दा ख्याल ... नज़्म शायद ऐसे ही पैदा होती हैं ... यादों का कारवाँ ले के खलबली मचाते हुए ... बहुत खूब ...
बहुत ही खूबसूरत ..... कोमल
सुंदर रचना संझा करने के लिये शुक्रिया :)
बहुत ही खुबसूरत रचना...
बेहतरीन और मनभावन...
:-)
वाह !!!!!!!!!!! यादों की गलियों में
ऐसे मोड़
ऐसी दीवानगी
जो हर अक्षर को बना देती है बावरा ....
कुछ यादें जिंदगी की धड़कन बन जाती हैं
और बना जाते हैं कई नज्म
बहुत खूब
साभार!
वह सोहणी थी या सस्सी
साहिबां थी या कोई हीर
इश्क़ में डूबी जीती-जागती
मोहब्बत की थी कोई ताबीर
पूरे आसमान में इक
खलबली सी मच आई है ...
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं .
kya likhu tareef ke liye shabd km pd rhe hain ....aabhar Heer ji
blog pr aamantran sweekaren .
बावरी सी कोई महक ये
भीगती है मेरे संग संग
कौन रख गया है आज
यादों में इक खुशनुमा रंग
देह में रौशनी की इक
लकीर सी कुनमुनाई है ...
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं ...
आ हा दिल खुश हो गया इस नज्म को पढ कर ।
मैं भी '' सदा '' जी के शब्दों में कहना चाहूँगा -
...यादों की गलियों में
ऐसे मोड़
ऐसी दीवानगी
जो हर अक्षर को बना देती है बावरा ...
बावरी सी कोई महक ये
भीगती है मेरे संग संग
कौन रख गया है आज
यादों में इक खुशनुमा रंग
देह में रौशनी की इक
लकीर सी कुनमुनाई है ..
bahut sundar hai ...
behtareen najm..saadar badhaayee ke sath
☆★☆★☆
वक़्त के सीने में सिमटी
कुँवारी सी हसीन कहानी
इश्क़ के पानियों पर लिखी
बीज की इक जिंदगानी
सुलगती सी रात ये
नुक्ते पर सिमट आई है ...
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं ....
बावरी सी कोई महक ये
भीगती है मेरे संग संग
कौन रख गया है आज
यादों में इक खुशनुमा रंग
देह में रौशनी की इक
लकीर सी कुनमुनाई है ...
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं....
शुक्र है , यादें बदसूरत बेवफ़ा नहीं होतीं...
आदरणीया हरकीरत 'हीर' जी
इस नज़्म के बारे में कुछ कहना सूरज को दीया दिखाने के समान होगा...
क्या कहा जाए !
मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार
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