कुछ हाइकू पंजाबी से अनुदित .....
(१)
लम्बी लगती
वापसी ऐ रांझे
कब आओगे ...?
(੨)
पंछी प्रीत का
उड़ गया कहीं है
संग हवा के ...
(੩)
बिछड़े -मिले
द्वारे ज़िन्दगी के
आँख-मिचौली
(੪)
सारी उम्र न
शज़र दो लफ़्जों का
खिला ऐ रब्बा ..!
(5)
धर्म वही है
पहन के जिसको
बने तू बंदा
(6)
तेरी महक
हो अक्षर -अक्षर
बनी नज़्म है
(7)
बहते पानी
ने पूछा वजूद है
खड़े पानी का ?
(8)
रखी ग्रंथों में
तहज़ीब संभाली
खुद किसी ना
(9)
रब्ब जैसी है
उडीक अय रांझे
वक्त आखिरी
(1੦)
बंद हो गई
उमरों की खिड़की
तुम ना आये
**************
(१)
खामोशियाँ हैं
आवाजों में सासों की
गुमनाम सी
(२)
क्षणभंगुर
जीवन की ये डोर
मौत का शोर
(३)
रात ख़ामोशी
संग टूट के रोई
दर्द हंसा था
(४)
दर्द की रात
छलकी है आँखों
अक्षर राये
(५)
जाने कैसे ये
गुज़रे फिर रात
छाती में आग
(६)
खो गई कहीं
है ज़िन्दगी की हँसी
नज्म रूठी है
(७)
उधड़ गईं
सुर्ख कतरने, है
स्याह अन्धेरा
(८)
कब्रें रोती हैं
शापित समय की
मौन बुत सी
(९)
फटा है अब्र
आसमां में दर्द का
बरसे आंसू
(१०)
खुदाया ! जाने
कैसी तलब तेरी
आज आँखों में ..!!
(११)
सात रंगों की
आँख से टपकी है
दर्द की धूप
(१२ )
नहीं जानती
तुम थे या था भ्रम
ख़्वाबों में संग
(१३)
इक दर्द था
जो जला रात भर
संग मेरे था
कुछ हाइकु पर्यावरण पर ....
रोया पत्ता .....
पत्ता रोया
बंद हैं रोम सब
लूँ साँस कैसे ?
(२)
कैसे दूँ पानी
पालिथिन हैं बस
मेरे सीने में .
(३)
दमा साँस में
फेफड़ों में कैंसर
कैसी ये हवा ?
(४)
चलो न कहीं
दम घुटता यहाँ
बोला शज़र
(५)
खड़े बुत से
सूखे पत्तों संग,ये
रोते शज़र
.....................
दिल्ली में ५ साल की बच्ची के साथ हुए रेप केस पर कुछ हाइकु
अपराधी प्रवृत्ति
कृत्य घिनौना
(२)
इक गुड़िया की
फिर लूटी इज्ज़त
जड़ है दिल्ली
(३)
चीखें थीं मेरी
औ' देह तुम्हारी,मैं
अस्मत हारी
(४)
थे दो दरिन्दे
लूट ले गए नन्ही
मासूम हँसी
(५)
रेप शब्द है
बना खिलौना ,हर
दिन घटना
(६)
गहरा ज़ख्म
ज़िन्दगी भर का,दे
गये दरिंदे
(७)
अब आई है
'बड़ी गलती ' याद
ओ ! बदजात .?
(८)
खींच लो जुबां
कर दो नंगा इन्हें
सरे -बाज़ार
(९)
अदालत दे
न दे ,रब्ब देना तू
सजा रूह की
34 comments:
धर्म वही है
पहन के जिसको
बने तू बंदा
उत्कृष्ट हाइकु
हीर जी ....सारे सवालों के ज़वाब तो इसी में हैं ..
बंद हो गई
उमरों की खिड़की
तुम ना आये .....
बस!स्वस्थ रहें !
बहुत सुंदर हाइकु .... आभार
dana dana moti moti
सुन्दर हाइकू.
हरकीरत जी,
आपकी रचनाओं में हमेशा शब्द और भावों का
अद्भुत संगम रहता है इसी कारण मन को छू जाती है रचनाएँ ! सभी रचनाएँ सुन्दर है खासकर यह रचना ....
बहते पानी
ने पूछा वजूद है
खड़े पानी का ?
यह रचना शायद इंगित करती है सदियों से रुकी हुई उन सड़ी गली परंमपराओं की ओर है न ?
उम्दा हाईकु। गागर में सागर
सभी हाइकू जबरदस्त ....
सादर
बहुत सुन्दर हाइकू !
बहुत-बहुत खूबसूरत हाइकु!:)
~सादर!!!
बहुत बहुत सुन्दर हर हाइकु
लम्बी लगती
वापसी ऐ रांझे
कब आओगे ...?.......... अब तो शाम हो चली
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धर्म वही है
पहन के जिसको
बने तू बंदा
बहुत-बहुत & बहुत-बहुत खूबसूरत हाइकु :))
~सादर~
लाजवाब.
रामराम
सभी हाइकू बहुत अच्छे लगे ....ख़ास तौर पर यह तीन
लम्बी लगती
वापसी ऐ रांझे
कब आओगे ...?
तेरी महक
हो अक्षर -अक्षर
बनी नज़्म है
बंद हो गई
उमरों की खिड़की
तुम ना आये
बहुत बढ़िया प्रेरक हाइकू
बहुत ही बढ़ियाँ हाइकु
:-)
बंद हो गई
उमरों की खिड़की
तुम ना आये
बेहतर कोशिशें हमेशा कामयाब होती हैं...
इसके साथ ही अर्ज़ किया है...
1.
तोड़ तोड़ तू
अभी और जी भर
जी की गठानें
2.
दुआएं हारीं
रांझड़े की गलियां
रहीं कुंआरी
3.
अब जो रोना
खयाल ये रखना
रावी हो जाना
बहते पानी
ने पूछा वजूद है
खड़े पानी का ?
ग़ज़ब !
बहुत सुन्दर हाइकु।
इस बार थोडा अलग सा लगा।
बेहतरीन। इंतजार और बंदगी के अलावा विविध रंगों को खुद में समेटे हुए, हाइकू हैं। स्वागत है। शुक्रिया।
भावनाओं से सनी हाइकू बहुत सुन्दर लगी।
कम शब्द, भाव पूरे पहुँचाते, बहुत सुन्दर..
✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥
♥सादर वंदे मातरम् !♥
♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿
पंछी प्रीत का
उड़ गया कहीं है
संग हवा के ...
बुलाना पड़ेगा वापस
हीर जी !
:)
बहुत सुंदर हाइकु हैं ...
पता ही नहीं चल रहा कि पंजाबी से अनूदित हैं ...
बहुत ख़ूब !!
♥ लोहड़ी की बहुत बहुत बधाई और हार्दिक मंगलकामनाएं ! ♥
... साथ ही
मकर संक्रांति की शुभकामनाएं !
राजेन्द्र स्वर्णकार
✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿
धर्म वही है
पहन के जिसको
बने तू बंदा ...
सच कहते सभी हाइकू ... लाजवाब ...
हीर जी नमस्ते!
जो समझ आये, वो अच्छे!
जो नहीं आये, वो और भी अच्छे!
ढ़
--
थर्टीन रेज़ोल्युशंस
तेरी महक
हो अक्षर -अक्षर
बनी नज़्म है
सच्चाई यही है.
शुभकामनायें आपको लोहड़ी, मकर संक्रांति और माघ बिहू की.
बहते पानी
ने पूछा वजूद है
खड़े पानी का ?
(8)
रखी ग्रंथों में
तहज़ीब संभाली
खुद किसी ना
(9)
रब्ब जैसी है
उडीक अय रांझे
वक्त आखिरी
Sabhee haiku sunder jindgee ke behad kareeb, par ye wale kuchh jyada hee bha gaye.
सारी उम्र न शज़र दो लफ़्जों का खिला ऐ रब्बा ..!
.......बहुत ही बढ़ियाँ हाइकु
ਹੀਰ ਜੀ ਸਤ ਸ਼੍ਰੀ ਅਕਾਲ !!
बंद हो गई
उमरों की खिड़की
तुम ना आये .....
ਹੁਣ ਤੇ ਆਜਾ ਢੋਲਣਾ ਤੈਨੂੰ ਅਖੀਆਂ ਉਡੀਕਦੀਆਂ !!
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Gift- Every Second of My life.
बहुत सुन्दर हाइकू
बहुत सुन्दर हाइकु .सार्थक रचना.
बहते पानी
ने पूछा वजूद है
खड़े पानी का ?
बहुत सुंदर हाइकू !
खूब..
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