पर उससे पहले आपसे दो खुशखबरियाँ सांझा करना चाहूंगी ....
एक तो 'द सन्डे- इन्डियन ' विकली ( संपा. अरविन्द्र चौधरी ) में वर्ष २०११ की सर्वश्रेष्ठ महिला लेखिकाओं (लगभग ५०० प्रतिभागियों में )में हमारा नाम भी शुमार है ....
दुसरे आज के ही दिन 'हिंद-युग्म' ऑन लाइन मेरे काव्य-संकलन 'दर्द की महक' का विमोचन भी कर रहा है .....

यहाँ क्लिक कर आप हिंद-युग्म के विमोचन समारोह में भी पहुँच सकते हैं ....
अमृता के जन्म दिन पर .......
आज ...
ये कब्र कैसे खुल गई ...?
ये किसने मिट्टी का लेप कर
मुझे ज़िंदा कर दिया ....?
ये किस समुन्दर की प्यास थी
जो मिट्टी में दरार पड़ी ...?
दर्द और आंसुओं की इक आवाज़
उतर आई आज की तारीख में
इश्क की कोख में ज़ुहूर हुआ
रौशनी का इक कण
आकार ले उठा
आग की शक्ल में ...
खुदा की इक इबादत
अक्षरों की धड़कन बन गई
आज ये कब्र कैसे खुल गई .....?
ज़ुहूर- उत्पन्न
(इस बीच इस खुशखबरी के साथ एक दुखद समाचार भी मिला
हमारे ब्लोगर मित्र डॉ अमर कुमार जी अब नहीं रहे ... उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि .....)
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