(१)
बरसों पहले
जो तुम
इक धूप का टुकड़ा
मेरे आँगन में
रोप गए थे
अब उसमें
मुहब्बत के बीज
उगने लगे हैं
शायद अबके
नागफनी खिल उठे .......!!
(२)
आज
न जाने क्या बात हुई
छितरे बादल
आवारा टुकडियों में
चाँद से
अटखेलियाँ करते रहे
मैंने रोशनदान से झाँका
रात भी करवट बदल
सोने का बहाना
कर रही थी ......!!
(३)
आज ये
दोपहर की
लम्बी सांसें
न जाने क्यों
उम्मीद के धागे
बुनने लगीं है
रब्बा....!
वह लाल दुपट्टा आज भी कहीं
मेरे पास पड़ा है ....!!
55 comments:
तीन के तीनो बेहतरीन .
pehlaa kaam aaj se apko follow karta hoon taki aage se koi behtareen rachna na chhote , aapka naam suna tha aur theek suna tha ...
सबसे पहला कमेन्ट मैं ही दे रही हूँ ....इस क्षमा के साथ कि इस बार मैं व्यस्तता के कारण शिलांग यात्रा का विवरण नहीं लिख पाई ...अगली बार कोशिश करुँगी .....अनुराग जी का अनुरोध था नज़्म का ....ये कुछ क्षणिकाएं उन्हीं को समर्पित हैं.....!!
रब्बा....!
वह लाल दुप्ट्टा
आज भी कहीं
मेरे पास पड़ा है ....!!
बहुत खूब आपकी रचना पढ़कर यह गीत याद आ गया " मेरा लाल दुपट्टा मलमल का " बहुत सुन्दर
बेहतरीन.... ..... जहाँ तक मैंने महसूस किया है आपकी नज्मों में उदासी का रंग ज्यादा गहरा होता है.... कोई खास वजह....
दिल को छू लेने वाली रचनाए
बधाई
TINO KI TINO KSHANIKAAYEN KAMAAL KI HAI .... BEHATARIN AUR ADBHUT HAI ... SABSE PAHALAA TO PADH KE JAISE AWAAK RAH GAYAA THA... AISAA LAGAA JAISE KHUD GULZAAR SAHIB KO PADH RAHAA HUN WAHI MULATAH AISE SHABDON KA UPYOG KARTE HAI MAGAR AAPNE JIS TARAHSE INKA PRAYOG KIYA HAI AAPNE AAP ME BEMISHAAL HAI AUR BHAV KE KYA KAHANE KAMAAL KI BAAT KAHI HAI AAPNE ... BAHOT BAHOT BADHAAYEE APAKO...
ARSH
mujhe aapka likha hua padhkar bahut achchha lagta hai
दिल को छू लेने वाली रचना है। बहुत बढिया। धन्यवाद इस सुन्दर रचना के लिए।
dhhop k tukde se jab muhabbat ki naagfani khil uthe toh raushandan par lal dupatta mat latkana....varna chand athkheliyan karna bhool jaayeega kyonki voh tumhe dekhne dooooooooooor se aayega toh bechare ka saans phool jaayega
ACHHI RACHNAYEN>>>>
badhaiyan!!!
बहुत खूबसूरत .
रामराम.
Tooooooooooooooooooo
Gooooooooooooooooood.
Shabd kam hain.
Dhoop jyaadaa hai.
~Jayant
मुहब्बत के बीज
उगने लगे हैं
शायद अबके
नागफनी खिल उठे .......!!
kyaa baat hai ........
सोचता हूँ आपसे विनती करूँ कि एक बार, कम-से-कम एक बार तो किसी नज़्म के क्लाईमेक्स को सुखांत रखिये मैम...
फिर सोचता हूँ कि नहीं ! पढ़ने का सऊर तो मुझे ही लाना होगा... इस एंटी-क्लाईमेक्स में ही तो हरकीरत-नज़्मों की खूबसूरती रची-बसी है।
शायद अबके धूप में नागफनी खिल उठे कि रात फिर से करवट बदल कर सोने का बहाना कर रही है
"इक दर्द" की हस्ताक्षरित प्रति की प्राप्ति के लिये क्या जतन करने पड़ेंगे? आप अनुमति दें, तो वहीं आपके करीबी शहर से मेरा एक नुमाइंदा मेरी ओर से इस अनमोल नज़्मों की किताब को ले सकता है जो मुझ तक सैन्य-डाक से यहा~म पहुँच जायेगा///
बहुत ख़ूब~
muhabbat ke beej..se lekar...ummeed ke dhage...tak ki lalak bhari aur aashavadi udan par ham pathakon ko le jane ka khubsurat hausla aapne kiya....ham apki rachnatmak yatra ke is prasthan bindu ka istakbaal karte hain harkeeratji...dubara parda uthne ka intjaar rahega
आज
न जाने क्या बात हुई
छितरे बादल
आवारा टुकडियों में
चाँद से
अटखेलियाँ करते रहे
मैंने रोशनदान से झाँका
रात भी करवट बदल
सोने का बहाना
कर रही थी ......!!
waah bahut hi sunder,teeno rachana bahut pasand aayi.
शब्द तो शायद ही बयाँ कर पाएं जोमै महसूस कर रही हूँ । बहुत बहुत बहुत ही सुंदर ।
आज ये
दोपहर की
लम्बी सांसें
न जाने क्यों
उम्मीद के धागे
बुनने लगीं है
anjaani aashankaaoN ke aage jb
aashaaoN ki kiraneiN athkheliyaaN
karne lageiN, to armaanoN ki karvatoN par vishwaas kar lena
jaayaz hota hai....
bahut hi achhi aur umdaa rachnaaeiN
bhaavnaaoN ki bahut hi sundar abhivyaktee . . . .
badhaaee svikaareiN
---MUFLIS---
अनुपम प्रस्तुति.....शुभकामनायें......यात्रा विवरण की प्रतीक्षा में....साभार
हमसफ़र यादों का.......
wah. teenon rachnayen behtareen. badhai sweekaren.
क्या अभिव्यक्ति है अव्यक्त प्रेम की.....वाह..
खुबसुरत रचना..........यह सिर्फ आप ही लिख सकती है......बहुत खुब
as usual...brilliant :)
"rabba" shabd ka prayog gazab laga!..pata nahi kyon par is shabd ka achha khasa asar lagaa
आज ये
दोपहर की
लम्बी सांसें
न जाने क्यों
उम्मीद के धागे
बुनने लगीं है
रब्बा....!
वह लाल दुप्ट्टा
आज भी कहीं
मेरे पास पड़ा है ....speechless....
तीनो ही अंदाज़ बेहद भाये .बहुत बढ़िया लगी तीनों
हरकीरत जी,
मैंने पहले भी यही कहा है कि आप शब्दों को बहुत अच्छे से जानती हैं जैसे कि किसी आँगन में कोई चुनता है गेंहू का दाना भूसर से।
अभिव्यक्तियों में शब्दों के अनुप्रयोग शायद ऐसी ही कोई शोध होना चाहिये।
लाजवाब रचनायें।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
हरकीरत जी,
मैंने पहले भी यही कहा है कि आप शब्दों को बहुत अच्छे से जानती हैं जैसे कि किसी आँगन में कोई चुनता है गेंहू का दाना भूसर से।
अभिव्यक्तियों में शब्दों के अनुप्रयोग शायद ऐसी ही कोई शोध होना चाहिये।
लाजवाब रचनायें।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
तीनों क्षणिकाएं बहुत ही जबरद्स्त रुप में लिखी गई है। लाल दुप्ट्टा कुछ ज्यादा ही पसंद आया।
रात भी करवट बदल
सोने का बहाना
कर रही थी ......!!
इन पंक्तियों में कुछ अपने मन के भाव दिखे... वैसे पूरी रचना भावभीनी...
दिल को छू लेने वाली रचनाए
तीनो बेहतरीन .
बधाई ...
अद्भुत रचनाएँ...लाजवाब.
नीरज
बेहतरीन......लाजवाब.teenon rachnaayen nayee रंग में...........अलग andaaz में...........कितनी ajeeb बात है आज मैंने भी ३ choti choti rachnayen अपने blog पर daali हैं...............laal dupatta और baadal का tukdaa ..... adhbhudh हैं
बहुत-बहुत ही अच्छी रचनाएँ
pahlee kshanikaa vaakai zabardast hai... shaandaar
बेहतरीन......लाजवाब........दिल को छू लेने वाली रचनाए ! तीन के तीनो बेहतरीन !!
देखिये न ....किताबो से परे आकर कितनी खूब नज्मे आयी है.....हमने भी तो बस यही गुजारिश की थी....(जबरिया वादा लेकर ) .पहली नज़्म के बारे में कुछ नहीं कहूँगा ...आपको अपना एक शेर भेजूंगा ....अब बाकी नज़मो पे एक नजर .
मैंने रोशनदान से झाँका
रात भी करवट बदल
सोने का बहाना
कर रही थी ......!!
सुभानालाह .......
रब्बा....!
वह लाल दुपट्टा आज भी कहीं
मेरे पास पड़ा है ....!!
क़त्ल!!!!!!
ओर हाँ किताब कैसे पहुचेंगी हम तक .इस पर भी कुछ रौशनी डाले...एक बड़ा सा शुक्रिया फेंका है आसमान में शायद अब पहुंचा के अब पहुंचा......
harkirat ji,
Kavita ki teen contradictory forms...aur aapka andaaz ...sakaratmakta ke saath bahut bhaya is baar... Mubarak ho !
शायद अबके
नागफनी खिल उठे .......!!
बहुत खूब
शानदार नज्म पर मेरे ये शेर निछावर
नागफनी आँखों में लेकर सोना हो पाता है क्या
उम्मीदों में उलझके कोई चैन कहीं पाता है क्या
बीज मोहब्बत के रोपे फिर छोड़ गए रुसवाई में
दर्द को मैंने कैसे भोगा कोई समझ पाताहै क्या
धुप का टुकडा हुआ चांदनी खुसबू से लबरेज़ हुआ
चाँद देख कर दूर देश में याद कोई आता है क्या
awesome !!! all three are very good.
bahut hi behtareen....
lajawab vimb prayog.
मैंने रोशनदान से झाँका
रात भी करवट बदल
सोने का बहाना
कर रही थी .....
VAH BHUT KHOOB
RAT SE ASI UMEED NHI THI .
ABHAR
तीनो एक से बढ कर एक, लेकिन पहली कविता दिल के पास लगी.
धन्यवाद
padh kar zoobaa khamosh hai alfaaz tatolne par bhii nahi milta
utkrasht
priti
Meri kahani gaanth par comments ke liye shukriya. apki yatra vritant kaa besabri se intzaar hai
priti
इतनी शानदार है कि मेरे पास अल्फ़ाज़ नहीं हैं। बहुत ख़ूब हरकीरत जी..
बहुत बार कुछ कहने को ही नहीं होता...या कि कहने को कुछ बचता ही नहीं....आज भी शायद वही दिन है....!!
आपकी कविता में बिखरे बिम्बों का अंतर मन से जोड़ने का सौन्दर्य ......और उनके द्वारा अनुभूति की सहज अभिव्यक्ति ..........अनूठे प्रयोग हैं .
आशा है आगे भी मिलेगा यही आनंद .
वाह साहब ,,,
क्या कही हैं आपने तीनो रचनाएँ,,,
नाग फनी ,,,,
सोने का बहना,,,
और
लाल दुपट्टा,,,
आज भी कहीं मेरे पास पडा है,,,,,
गौतम जी,
ये रिक्वेस्ट तो हम भी कर चुके है कई बार के कुछ तो ,,,कभी तो ऐसा कहिये के जो दर्द में डूबा ना हो,,,, मगर कोई फायदा नहीं,,,उल्टे हमें ही इस दर्द का आदि बना दिया गया है,,, पर खैर,,
सुना है दर्द बढ़ जाने से भी आराम मिलता है
दवा का फिर कहो अहसां उठाये क्यों भला कोई,
हरकीरत जी मेरी होंसला अफजाई के लिए शुक्रिया ,
वह लाल दुपट्टा आज भी कहीं पड़ा है ,क्या भाव हैं ....
पड़ा हुआ दुपट्टा इसी तरह दर्द भरी नज़्म लाएगा ,लाइए दुपट्टा हमें दे दीजीये ,अग्रिम क्षमा के साथ ----
harkirat
just one word for all this compositions .......
" ULTIMATE "
These are your very best.
regards
aaj na jaane kyaa baat hui------------bahut hee bhavmay abhvyakti hai badhai
na jaane kaise aaj talak idhar nahin aaya aur sach maniye bahut afsos ho raha hai..aapki saari posts padhta hoon main agar samay milta hai to..Kya likhti hain aap..
ekdam khatarnaak...
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