मित्रो कुछ दिन पहले मुझे शामिख फ़राज़ जी का मेल आया कि वे उन व्यक्तियों के लिए ब्लॉग बनाना चाहते हैं जिनका जीवन संघर्षों के बीच गुजरा है ताकि हम उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें , जिसके लिए उन्होंने मुझे एक प्रेरणा दायक कविता लिखने का अनुरोध किया.... आप सब से अनुरोध है कि आप उनके ब्लॉग पर भी जायें और मुझे बतायें कि मैं उसमें कितनी सफल हो पाई हूँ .......!!
और अब पेश है इक नज़म ....''दर्द की दवा......."
दर्द की दवा........
तमाम रात मैं
अधमुंदी आंखों से
तारों की लौ में
टूटे शब्दों पर टंगी
अपनी नज़म
ढूंढती रही .....
मुस्कानों का खून कर
ज़िन्दगी भी जैसे
चलते - चलते
ख़ुद अपने ही कन्धों पर
सर रख
रो लेना चाहती है ....
मैंने
रात के आगोश में डूबते
सूरज से पुछा
चाँद तारों से पुछा
अंगडाई लेती
बहारों से पुछा
सभी ने
अंधेरे में रिस्ते
मेरे ज़ख्मों को
और कुरेदना चाहा ....
मैंने अधमुंदी पलकें
खोल दीं
गर्द का गुब्बार
झाड़ दिया
और अपनी
बिखरी नज्मों को
समेटकर
सीने से लगा लिया ....
यही तो है
मेरे दर्द की दवा
मैंने उन्हें चूमा
और अपने जिस्म का
सारा सुलगता लावा
उसमें भर दिया ....!!
Sunday, February 8, 2009
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30 comments:
बहुत ही भावपूर्ण रचना है।बहुत बढिया!!
nice, as always
बहुत ही सुंदर भावपूर्ण है आप की यह कविता.
धन्यवाद
दर्द की इंतेहा है ये..
इतना दर्द कि शब्दों में सिमट नही पा रहा है.
बेहद खुबसूरत रचना ,बढ़िया भव भरे है बहोत खूब लिखा है आपने ढेरो बधाई आपपको
अर्श
hi
nice poems. like publishind pls log on to
http://katha-chakra.blogspot.com
आपकी कविता सुन्दर बन पड़ी है
हम्म -यह हम्म इसलिए कि कविता कभी कभी इतनी वैयक्तिक,व्यष्टिगत और आत्मकेंद्रित हो उठती है कि वह समष्टि से तादात्म्य नहीं बना पाती -यद्यपि उसके शिल्प और भाषाई सौन्दर्य में कहीं कोई गिरावट नहीं रहती -यह कुछ माडर्न आर्ट जैसी हो रहती है -कुछ समझ में आता है तो बहुत कुछ अनसमझा ,अनसुलझा ही रह जाता है पर शायद इसी को कविता कहते है !
harkiraat ji ,
this is one of your best creations . badhai ..
बहुत ही सुदंर भावों से भरी रचना।
मुस्कानों का खून कर
ज़िन्दगी भी जैसे
चलते - चलते
ख़ुद अपने ही कन्धों पर
सर रख
रो लेना चाहती है ....
ये दर्द इतना क्यूँ मिलता है?
'मैंने उन्हें चूमा
और अपने जिस्म का
सारा सुलगता लावा
उसमें भर दिया ....!!'
-तभी तो आपके नज्में इतने उष्मा लिए हुए हैं. साधुवाद.
बहुत अच्छी लगी कविता
बहुत भाव पूर्ण, जिंदगी का दर्द समेटे,
मैंने अधमुंदी पलकें
खोल दीं
गर्द का गुब्बार
झाड़ दिया
और अपनी
बिखरी नज्मों को
समेटकर
सीने से लगा लिया
ऐसे ही यह रचना भी अद्भुद रचना बन गयी है
बहुत उत्तम रचना है
एक खूबसूरत नज़्म के लिए शुक्रिया......खास तौर से आखिरी के कुछ लफ्ज़ खास पसंद आये
कमाल के लफ्जों से बुनती हैं आप अपनी रचना...बेहद खूबसूरत एहसास...वाह
नीरज
यही तो है
मेरे दर्द की दवा
मैंने उन्हें चूमा
और अपने जिस्म का
सारा सुलगता लावा
उसमें भर दिया ....!!
वाह जी वाह....बहुत ही सही कहा आपने....कम लफ़जो मे सारी बात बयान करदी आपने....बधाई....
यही तो है
मेरे दर्द की दवा
मैंने उन्हें चूमा
और अपने जिस्म का
सारा सुलगता लावा
उसमें भर दिया ....!!
Harkeerat ji,
Bahut achchhee ashavadee kavita.badhai.thodee der pahale hee apkee kavita Faraz ji ke blog par padhee.donon kavitaon ke liye badhai.
HemantKumar
मैंने अधमुंदी पलकें
खोल दीं
गर्द का गुब्बार
झाड़ दिया
bahut khubsurat alfaj
main to jab bhi apne najma dhoondhne jaata hoon, raat amaavas kar deti hai.meri saari najme andhere ki paidaish hai
हमेशा की ही तरह बहुत बेहतरीन नज़्म.....पढ़ते पढ़ते मन डूब जाता है उसमे.
harkirat ji aapki har nazm bahut khub hoti hai aur khastor par lafz
यही तो है
मेरे दर्द की दवा
मैंने उन्हें चूमा
और अपने जिस्म का
सारा सुलगता लावा
उसमें भर दिया ....!!
www.salaamzindadili.blogspot.com
कमाल है,,,,,,,,, हरकीरत जी,,,,,
अभी दो दिन पहले यही कह रहा था शामिख जी से,,,,,,,,,
के नज़्म या ग़ज़ल कविता कुछ हो जाए ना ,,,तो अपना सारा दर्द पी लेती है,,,पर पता नही के पी कैसे लेती है,,,इस नज़्म में भी वोही अपने ख्याल नज़र आए...शामिख जी भी सहमत होंगे...?
बहुत बढ़िया...आभार..
कुछ कहना इस नज़्म की खूबसूरती पर....मेरे वश की बात नहीं।
जाने कैसे आप ऐसे इन तमाम शब्दों को इतनी कोमलता और कशिश से इस तरह सजा देती हैं कि लगभग सारी की सारी पंक्तियां खुद में उतरती सी लगने लगती...
और हाँ ब्लौग का नया जिल्द खूब फ़ब रहा है
बहुत खूब
.
दर्द की
लाजवाब
दवा
लेकर आई हैँ आप.
किसी ने कहा है:
`दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना'
प्रकृति ने हमें केवल प्रेम के लिए यहाँ भेजा है. इसे किसी दायरे में नहीं बाधा जा सकता है. बस इसे सही तरीके से परिभाषित करने की आवश्यकता है. ***वैलेंटाइन डे की आप सभी को बहुत-बहुत बधाइयाँ***
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'युवा' ब्लॉग पर आपकी अनुपम अभिव्यक्तियों का स्वागत है !!!
बेहद दर्द है आपकी रचनाओं में ....
शुभकामनायें !
bahut hi pyaari nazm...
Dear Harkiratji,
Dard ki Dava.......
men sabdo aur chando ka jo mail hai voh kabele tareef hai.
yeh kavita padhne vale ko apne men sarobar kar dete hai.
Men is se bahut hi prabhavit hua hoon.
Take care.
Narry
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