Monday, October 14, 2013

पहला ख़त …

पहला ख़त  …

क्या ऐसी ही
होती है मुहब्बत … ?
ख्याल कागज़ पर
लिखने लगते हैं नाम
रंग आखों में उतर आता है
ज़िन्दगी चुपके -चुपके
 लिखने लगती है नज़्म  ….

आँखों की बेचैनियाँ
खूबसूरती के सबसे सुंदर शब्द बन
मुस्कुराने लगती  हैं
रात बादलों की छाती पर
ओस कीबूंदें बन लिखती है गीत
ख़्वाबों  में कोई सुना जाता है
बहते झरने की मीठी कल -कल
उम्र घूँट -घूँट पी जाती है
दीवानगी की सारी हदें  ….

आज मैंने
सीने  में छुपा ली है
सोहणी महिवाल की तस्वीर
चनाब आतुर है कोई घड़ा
उतर आये पानी में
आज मेरी कलम के सारे शब्द
टूटे तारे से मुराद मांगने
आसमां की ओर निकल पड़े है   ….

बर्फ सी भीगी हवा
उड़ा ले गई है छाती से दुपट्टा मेरा
लोक गीतों का कोई स्वर
झड़ने लगा है हर सिंगार बन
चलो आज की रात
झील की गहराई में उतार दें
चाँद की सारी हँसी
और लिख दें एक दुसरे के नाम
मुहब्बत का पहला ख़त  …. !

हीर ….

24 comments:

ashokkhachar56@gmail.com said...

्वाह...............्लाझवाब

प्रवीण पाण्डेय said...

हर शब्द तरल,
हर शब्द विरल,
वह प्रथम भाव,
वह भाव सरल।

अशोक सलूजा said...

इस पहले ख़त की इंतज़ार में जिन्दगी के आखिरी पड़ाव पर आ गये ..चलो मरने से पहले आप का पहला ख़त तो पा गये !
खुबसूरत अहसास !
स्वस्थ रहें !

Anupama Tripathi said...

मुहब्बत के रंग मे डूबी ....जैसे चाँदनी डूब गयी है झील की गहराई मे.....
बहुत सुंदर नज़्म हरकीरत जी ....

सदा said...

चलो आज की रात
झील की गहराई में उतार दें
चाँद की सारी हँसी
और लिख दें एक दुसरे के नाम
मुहब्बत का पहला ख़त …. !
आपकी लेखनी का जादू इन पंक्तियों के साथ नि:शब्‍द कर गया ...

ANULATA RAJ NAIR said...

बेहद सुन्दर नज़्म.....

सादर
अनु

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुंदर नज़्म

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बेजोड़ ..... अति सुंदर

Maheshwari kaneri said...

शब्द शब्द दर्द से लबालब भरा है..प्याला लाओ कहीं छलक न जाए...

मेरा मन पंछी सा said...

ये ख़त नहीं मोहब्बत से भरा हुआ दिल है...
लाजवाब...
:-)

कालीपद "प्रसाद" said...

भावों का सहज प्रवाह ,सुन्दर अभिव्यक्ति !
अभी अभी महिषासुर बध (भाग -१ )!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (15-10-2013) "रावण जिंदा रह गया..!" (मंगलवासरीय चर्चाःअंक1399) में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

वाणी गीत said...

बड़ा खूबसूरत है मुहब्बत का यह पहला ख़त !

समयचक्र said...

सुन्दर नज्म … आभार

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत ही सुंदर नज्म, शुभकामनाएं.

रामराम.

Arun sathi said...

जी ऐसी ही होती है मोहब्बत और उसकी कविता...दिल से..लिखी गयी रचना ...आभार ..

Dr. Shorya said...

सुंदर रचना

Vandana Ramasingh said...

आज मेरी कलम के सारे शब्द
टूटे तारे से मुराद मांगने
आसमां की ओर निकल पड़े है

वाह बहुत खूबसूरत

Asha Joglekar said...

वाह,
कोमल भावनाएं, जब उतर आती हैं कागज़ पर
तब बन जाता है कोई गीत चांदनी की चासनी में डूबा।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आज मैंने
सीने में छुपा ली है
सोहणी महिवाल की तस्वीर
चनाब आतुर है कोई घड़ा
उतर आये पानी में
आज मेरी कलम के सारे शब्द
टूटे तारे से मुराद मांगने
आसमां की ओर निकल पड़े है ….

आपकी हर नज़्म बस महसूस करने की होती है ...बहुत सुंदर ।

दिगम्बर नासवा said...

मुहब्बत के इस पहले खत में उनके नाम से आगे कुछ कहां लिखा है ... चांदनी की स्याही से लिखा उनका नाम जिंदगी की आबे हयात ही तो है ...
बहुत ही खूबसूरत शब्दों से बंधी नज़्म ...

डॉ टी एस दराल said...

मोहब्बत की अनेक परिभाषायें छुपी हैं नज़्म मे , सुन्दरता के साथ !

palaash ki talaash said...

"आज मेरी कलम के सारे शब्द
टूटे तारे से मुराद मांगने
आसमां की ओर निकल पड़े है....."

bahut hi sundar khayaal hain aapki nazm mein....ek ek chun ke kya bataun...bus ye aapki panktiyon mein saaari bhavna dikhayi de rahi hai...bahut sundar laga...kafi dinon baad aapki rachna padhi..share karne ke liye shukhriya....

Rajput said...

बहुत खूबसूरत रचना।