Friday, August 30, 2013

बाकी बची उम्र …

                           जन्मदिन पर आदरणीय राजेन्द्र स्वर्णकार जी की भेंट ये तस्वीर


नामुराद सांसें भी आईं कुछ इस तरह अहसान से आज
चलते - चलते ज़िन्दगी जो उम्र का इक पन्ना फाड़ गई ….!
!

बाकी बची उम्र   …
 
हर रोज घटती हैं रेखाएं 
उम्र के साथ -साथ
एक जगह से उठाकर
रख दी जाती हैं दूसरी जगह
बार-बार दोहराये जाते हैं शब्द,
तारीखें बदल जाती हैं
दर्द थपथपा कर देता है तसल्ली
पार कर लिया है उम्र का
एक पड़ाव  ….
बंधे हुए गट्ठरों में 
अब कुछ नहीं बचा बिखर जाने को
तुम चाहो तो रख सकते हो
मेरी चुप्पी के कुछ शब्द
छटपटाते हुए
ओस की बूंदों में लिपटे
उतर आयेंगे तुम्हारी हथेलियों पर
रात की बेचैनियों का खालीपन
दर्द की लहरों के संग
खड़ा मिलेगा तुम्हें
अकेला और बेचैन ….
तुम्हें यकीं कैसे दिलाऊँ
बेशक सांसें अभी ज़िंदा हैं
पर खुशियों की एक भी उम्र
बाकी नहीं है इनमें …
जीने की कोशिश में आँखों की रेत
बहती जा रही है कोरों से …
आओ …
आज की रात ले जाओ
बांह पकड़कर  …. 
फ़िक्र के पानियों से दूर
बादलों इक टुकड़ा ढूँढता हुआ
आया है तुम्हारे पास
आओ कि अब
उदासियों में बाकी बची उम्र
सुकून की तलाश में
कब्रें खोदने लगी है …!!

हीर  ….

37 comments:

Shikha Kaushik said...

gahan bhavon kee sarthak abhivyakti hetu badhai

Pushpendra Vir Sahil पुष्पेन्द्र वीर साहिल said...

जीने की कोशिश में आँखों की रेत बहती जा रही है कोरों से .....

लाजवाब !

वृजेश सिंह said...

उदासी,सुकून,कब्र और दर्द की लहरें काफी कुछ कहती हैं......ज़िंदगी और मौत के बीच लम्हों की पड़ताल का सुंदर बयान जो मन उहापोह को शब्द देता है. बहुत-बहुत शुक्रिया हरकीरत ही जी.

Vandana Ramasingh said...

बैचैन भावों को खूबसूरत शब्दावली में पिरोया है आपने

अनुपमा पाठक said...

जीने की कोशिश में आँखों की रेत
बहती जा रही है कोरों से …
***
मार्मिक!

Ramakant Singh said...

ये उदासी क्यूँ ज़िन्दगी बहुत खुबसूरत है वैसे भी आपने कहा उस पर आपको दो लाइन समर्पित मेरे नए पोस्ट

कल तलक मेरी पेशानी पर अक्स था तेरा
आज हाथ की लकीरों में ढूंढ़ता हूं तेरे निशां

तेरे निशां से उद्धृत

विभा रानी श्रीवास्तव said...

जन्मदिन की हार्दिक बधाई और
ढेरों शुभकामनायें
सादर

प्रवीण पाण्डेय said...

अपने योग्य कर सकने की तड़प, पर अपने योग्य क्या है, कौन बताये। क्या वे बतायें जो स्वयं को ही नहीं जानते।

सदा said...

उदासियों में बाकी बची उम्र
सुकून की तलाश में
कब्रें खोदने लगी है …!!
....

उम्र के हिस्‍से में
उम्‍मीद की कलम हो जब

जिंदगी रास्‍ते बना लेती है मुस्‍कराने के :)
जन्‍मदिन की अनंत शुभकामनाएँ
....

...

Arun sathi said...

जिंदगी के यथार्थ को शब्दों में पिरोया है. आभार

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आज की रात ले जाओ
बांह पकड़कर ….
फ़िक्र के पानियों से दूर
बादलों इक टुकड़ा ढूँढता हुआ
आया है तुम्हारे पास


किसी तरह तो सुकून मिले .... जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें

डॉ टी एस दराल said...

जन्मदिन तो आज है , आप पहले ही मायूस हो गई !
बहुत बहुत बधाइयाँ जी. खुश रहें।

ashokkhachar56@gmail.com said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

मेरा मन पंछी सा said...

कोमल अहसास ,सुन्दर अभिव्यक्ति..
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ..
:-)

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

कविता उदास कर गयी. जन्मदिन की बधाई.

ताऊ रामपुरिया said...

अंदर तक अभिव्यक्त होती रचना.

जनम दिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...



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जन्मदिवस के मंगलमय अवसर पर
♥ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! ♥
♥ जीवन में खिलता रहे , बारह मास बसंत !♥
♥ ख़ुशियों का , सुख-हर्ष का कभी न आए अंत !! ♥

-राजेन्द्र स्वर्णकार
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Prakash Jain said...

Sukun ki talaash.....
Behtareen....:-)

Onkar said...

बहुत सुन्दर कविता. जन्मदिन की शुभकामनाएँ

Ramakant Singh said...

नामुराद सांसें भी आईं कुछ इस तरह अहसान से आज
चलते - चलते ज़िन्दगी जो उम्र का इक पन्ना फाड़ गई ….!!

जन्मदिन की हार्दिक बधाई

दिगम्बर नासवा said...

दर्द का गहरा एहसास जकड लेता है जैसे काली अँधेरी रात बीत नहीं पाती हो उम्र भर ...
लाजवाब ...

Maheshwari kaneri said...

मन में उठते भावो को सुन्दर शब्दो में ढाल दिया..हीर जी आप ने ..जन्‍मदिन की अनंत शुभकामनाएँ

Satish Saxena said...

तुम चाहो तो रख सकते हो
मेरी चुप्पी के कुछ शब्द..

निशब्द !

विभा रानी श्रीवास्तव said...

मंगलवार 03/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी एक नज़र देखें
धन्यवाद .... आभार ....

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

sundar rachna .. badhayi :)

रजनीश तिवारी said...

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ ...
सुंदर रचना

Suman said...

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं जी,
बस देने में जरा सी देर हो गई :)
बहुत सुन्दर रचना है !

Satish Saxena said...

उफ़ ..
आपकी चुप्पियाँ भी ..!!
मंगलकामनाएं !! :)

Unknown said...

'उम्र की लकीरें घिसती गयीं
पेशानी पे कब्रों के निशां बनते गए'
.....आपकी नज़्म को नज़र

अरुण चन्द्र रॉय said...

जन्मदिन की हार्दिक बधाई

Dr ajay yadav said...

जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ|“अजेय-असीम"

Anupama Tripathi said...

जीने की कोशिश में आँखों की रेत
बहती जा रही है कोरों से

gahan evam hridaysparshi ....
bar bar padhane ka man kar raha hai .....

Asha Joglekar said...

रात की बेचैनियों का खालीपन
दर्द की लहरों के संग
खड़ा मिलेगा तुम्हें
अकेला और बेचैन …

दर्द को शब्द देने में आपका कोई सानी नही।
बेहतरीन प्रस्तुति।

Rajeysha said...

बाकी बची उम्र को अतीत के गड्ढों से उबारने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए...?

Rajeysha said...

बाकी बची उम्र को अतीत के गड्ढों से उबारने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए...?

Vandana Ramasingh said...

हरकीरत जी अभिनव इमरोज़ का पता बताइयेगा वैसे fb पर सन्देश भेजा है अगर वहां से मिल सका तो ठीक

प्रियंका.... said...

लाजवाब ...बहुत खूब ...कितना खूब तराशा है अपने दर्द को अपने अल्फजों से ....जैसे आपने कुछ मेरे मन का सुन लिख दिया पल भर के लिए यही लगा ....बहुत खूब ...लाजवाब ....बधाई आपको .....