आज देखिये शनिवार 24 नवम्बर 2012 को हुए मेरे संपादन में निकली पत्रिका 'सरस्वति-सुमन' और मेरे काव्य संग्रह 'दर्द की 'महक के लोकार्पण की कुछ तसवीरें ......
Tuesday, November 27, 2012
लोकार्पण की कुछ तसवीरें ......
Posted by
हरकीरत ' हीर'
at
9:48 PM
आज देखिये शनिवार 24 नवम्बर 2012 को हुए मेरे संपादन में निकली पत्रिका 'सरस्वति-सुमन' और मेरे काव्य संग्रह 'दर्द की 'महक के लोकार्पण की कुछ तसवीरें ......
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26 comments:
बहुत अच्छे ! तस्वीरें भी बहुत अच्छी हैं !:-)
हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाई !
~सादर !!!
इस विशेष उपलब्धि पर आपको बहुत बहुत बधाई..
और ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ...
:-)
badhai
हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
बहुत बहुत बधाईयाँ और शुभकामनाएँ इस सुअवसर पर.
.बधाई देर से ही सही प्रशासन जागा :बधाई हो बार एसोसिएशन कैराना .जिंदगी की हैसियत मौत की दासी की है
Nice pics.. ढेर साड़ी बधाइयाँ और सादर शुभकामनाएं
~ मधुरेश
आपको ढेरों बधाइयाँ..
पुस्तकों के लोकार्पण पर बहुत बधाई।
परन्तु सब इतने गंभीर क्यों हैं भाई ! :)
वाह जी बल्ले बल्ले
सुंदर तस्वीरें..बहुत बधाई..हाय! यह पत्रिका अपने हाथ नहीं आई!!
बधाई स्वीकार करें
हीर जी , बहुत-बहुत मुबारक और बहुत सारी शुभकामनाएँ आने वाले सुखमय जीवन के लिए ....
पत्रिका की इंतज़ार में ....
Bahut achchhi tasvire. Kshanikaon ke chayan men aap ne jo mehnat ki hai vah kabiletarif hai. Sabhi ek se badhkar ek hai. Iske alava aapki kavitayen kamal ki hai, dard men sarabor. Aapko badhai evam shubhkamnayen.
देवेन्द्र जी अपना पता दीजिये ....!!
बहुत बढ़िया उपलब्धि है ..........अनेकों बधाइयाँ !
Congrats!!!
आपकी उपलब्धियां यूँ ही दिनों दिन प्रगतिपथ पर अग्रसर रहें ... बहुत-बहुत बधाई सहित अनंत शुभकामनाएं !!!
सादर
बहुत बहुत बधाई
बहुत-बहुत बधाई...हरकीरत जी मैं तो केवल प्रयास कर रही हूं...उसमें कोई बुराई नहीं. प्रयास मिलजुलकर ही सफल होते हैं. उम्मीद है कारवां बनेगा....
बहुत बहुत बधाई ....
हरकीरत जी,
बहुत बहुत बधाई हो आपको !
अच्छा लगा...क्षणिकाएं तो जैसे लुप्तप्राय हैं...प्रयास के लिए बधाई. प्रति कहाँ मिलेगी बता देतीं तो मुझे प्राप्त करने में सहूलियत होती.
दर्द की महक के प्रकाशन और लोकार्पण के शुभ अवसर पर बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं स्वीकार कीजिए हरकीरत 'हीर' जी !
…और सरस्वती सुमन के बेहतरीन संपादन के लिए पुनः बधाई !
वाकई संग्रहणीय है यह विशेषांक …
आपने मुझ जैसे अदना रचनाकार की क्षणिकाओं को भी मान दिया … आभार !
दर्द की महक से हम अच्छी तरह परिचित हैं , … लेकिन आपके हस्ताक्षर सहित 'दर्द की महक' हमारे संग्रह के लिए पाने का सपना कभी सच होता है या नहीं , यह देखने की बात है…
इस पोस्ट के लिए विशेष आभार ! कम से कम दुनिया को आपकी ताज़ा तस्वीर तो देखने को मिली …
दराल साहब की बात पर ग़ौर कीजिएगा… :)
शुभकामनाओं सहित…
ढेर सारी बधाइयां. तसवीरें साझा करने के लिए शुक्रिया.
आद राजेन्द्र जी अब हीर के लिए इतना तो कर लीजिये
'दर्द की महक' फ्लिप कार्ड पे बिक रही है खरीद लीजिये
सुन्दर...बहुत बहुत बधाई...
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