Thursday, June 14, 2012

शिलांग का एक यादगार दिन ......


दिनांक २५ मई से २७ मई २०१२ को शिलांग (मेघालय ) में भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् एवं पूर्वोत्तार हिंदी अकादमी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विकास सम्मलेन एवं अखिल भारतीय लेखक सम्मान समारोह  आयोजित किया गया . जिसमें लेखकों , रचनाकारों को उनके उत्कृष्ट लेखन के लिए   सम्मान प्रदान किये गए ....
  इसी समारोह में  हरकीरत 'हीर'  को उनके विशिष्ट लेखन व उनके काव्य -संग्रह ''दर्द की महक'' के लिए मेघालय के उप-मुख्य मंत्री श्री बी. ऍम . लानोंग के हाथों सम्मानित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ .........

   पर्यटन के लिए गए चेरापूंजी की कुछ और खुबसूरत तस्वीरें  .....















19 comments:

Asha Joglekar said...

Congratulations ! beautiful. Pictures?

उपेन्द्र नाथ said...

बहुत बहुत बधाई हो इस सम्मान के लिए.सारे फोटो बहुत अच्छे लगे. चेरापूंजी का प्रोग्राम बनते बनते रह जा रहा, अब तो जाना ही चाहिए.

पूनम श्रीवास्तव said...

is vishishht samman ke liye hardik badhai swikaren aur aage bhi yun soubhagy prapt hota rahe ---
inhi shubh kamnao ke saath
poonam

अशोक कुमार शुक्ला said...

इस सम्मान के लिए बहुत बहुत बधाई .

सुभाष नीरव said...

हीर जी, आपको इस सम्मान प्राप्ति पर बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं ! और आपने चेरापूंजी के जो चित्र दिए हैं, उन्होंने चेरापूंजी की मेरी परिवार-सहित यात्रा की याद दिला दी…

Satish Saxena said...

बधाई ...

डॉ टी एस दराल said...

बहुत गहराई में उतरने के बाद पोस्ट दिखाई दी है .
पहले तो आपको सम्मान की हार्दिक बधाई जी .
चेरापूंजी में तो सुना है बहुत बारिस होती है .
गुफा में लाईट जल रही है , फिर तो नहीं डरना चाहिए था .
और हाँ , फोटो खिंचवाते समय इस्माइल भी करना होता है . :)
आपके माध्यम से यहाँ भी घूम लिए , बढ़िया लगा .

हरकीरत ' हीर' said...

जी ...क्या करूँ मुस्काने की आदत जो नहीं .......:))

पता नहीं क्या बात है जब भी मैंने तस्वीरें डालीं पोस्ट दिखाई नहीं दी .....

डॉ टी एस दराल said...

जी , आदत बनाई जा सकती है . अन्ग्रेज़नी से ही कुछ सीख लीजिये ना --- :)
पोस्ट आपके ब्लॉग आर्काइव में दिख रही है लेकिन पेज पर नहीं ,न ही हमारे डैशबोर्ड पर .

Unknown said...

आपके चित्र मुझे लुभा वहाँ आने का आमंत्रण दे रहे हैं...

Dr.R.Ramkumar said...

आपके सैलानी तेवर को देखकर ये
पंक्तियां याद आयीं

घर से निकलते ही
वह सब मिलता हे
जो छींके में नहीं मिलता
खुली हवा नदी और पहाड़
अबूझे अनजाने रास्तों!
ऐसे न देखो
मैं तुम्हारी मुस्कुराटों को
पहचानती हूं.
=शील अमृत

S.N SHUKLA said...

सुन्दर , सार्थक पोस्ट , आभार .
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारकर अपना स्नेह प्रदान करें, आभारी होऊंगा .

Rakesh Kumar said...

हीर जी विशिष्ट लेखन व काव्य संग्रह 'दर्द कि महक' के लिए आपको सम्मानित किये जाने के लिए लख लख हार्दिक बधाईयां.

लगता है चेरापूंजी में अब कम बरसात हुआ करती है,वर्ना कुछ बरसात आप वहाँ से यहाँ जरूर ले आतीं.

चित्रमय सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार जी.

मेरे ब्लॉग पर भी आपके सुवचनों की ठंडी फुहार
चाहिये.

Arvind kumar said...

ढेर सारी बधाइयाँ....

इस्मत ज़ैदी said...

बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं हरकीरत जी

प्रेम सरोवर said...

यह पोस्ट बहुत ही अच्छा लगा। शिलांग मन में रच बस गया । मेरे पोस्ट पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

.

अच्छा , तो आपका काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ है … बधाई !

…और , विशिष्ट लेखन और काव्य संग्रह के लिए सम्मानित होने पर भी बधाई !

RAJ SINH said...

Bahut BADHAYIAN !

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

बहुत बधाईयाँ आपको....
दृश्यावली तो अति सुन्दर है...
सादर.