लिखकर तेरा नाम दीयों से , इन अंधेरों ने आज तुझे बुलाया है ....
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं .......
(१)
दिवाली .....
ज़िन्दगी ....
हर रोज़ हादसों से
गुज़रती रही .....
और हर हादसे के बाद
इक चिराग़ बुझता गया ...
आज दिवाली है ......!!
(२)
वक़्त के निशान .....
आज.....
बरसों बाद जब ...
अपना पुराना संदूक खोला
उसमें तुम्हारा दिया
वो पीतल का दीया भी था .....
जो अब वक़्त के साथ
काला पड़ चूका है ......!!
(३)
मोहब्बत के दीये ....
मैं तो ...
जन्मों से
तुम्हारी ही थी ....
तो क्या हुआ, जो हम
साथ-साथ न जल सके
बस ख्याल रखना ...
हवा बुझा न दे कहीं
मोहब्बत के ये जलते दीये
हमारे दिलों से .....!!
(४)
रौशनी .....
बरसों पहले ...
इसी दिन .....
छोड़ आई थी मैं
अपनी रौशनी तुम्हारे पास
गर तुमने .....
दिल के किसी कोने में उसे ....
संभाले रखा है ....
तो दे जाना इस बार
मेरे चिराग़ अब ...
बुझने लगे हैं .....!!
(५)
तेल .....
कई बार ...
अंगुलियाँ जलाई हैं
कई बार....
छालों को सुई से कुरेदा है .....
अय मोहब्बत ! सच्च मान ....
तुझसे किये वादे की खातिर ही
मैं ताउम्र ........
अपने दीयों में
तेल डालती रही .....!!
(६)
पैगाम .....
कभी जो ...
दरिया किनारे बैठो
लहरों को दूर तलक
गौर से देखना ........
कहीं कोई , मझधार में ...
लड़खडाता सा दीया ...
मोहब्बत के ....
जिन्दा होने का
पैगाम .....
दे जायेगा .....!!
(७)
छाले .....
मेरा दीपक
काँपता है ....
शायद ............
बरसों के छाले हैं .....
इसके दिल पर ....!!
(८)
फ़रियाद.....
तुम्हें याद होगा ...
कभी हमने लिखे थे
दीयों से इक-दूसरे के नाम ....
आज भी दिवाली है ...
तुम लिखना इस बार फिर
अपने आँगन में मेरा नाम
मैं भी जलाऊंगी......
तुम्हारे नाम की शमा
मोहब्बत अब .......
रौशनी मांगती है ......!!
(९)
उम्मीदों के दीये ......
रातों की उदासी
और मायूसी के बीच
इस बार फिर जलाये हैं
कुछ उम्मीदों के दीये .......
देखना है चिरागों में रौशनी
लौटती है या नहीं .....!?!
(१०)
खुशबू .....
चारों तरफ
अँधेरा था ....
न चाँद की चाँदनी ......
न तारों की रौशनी .......
मैंने अपने भीतर झाँका
शायद कोई दीया मिल जाये ..
वहाँ भी अँधेरा था .............
अचानक किवाड़ों पे दस्तक हुई
मैंने हौले से पूछा : कौन है ...?
वह बोली : मैं हूँ ...........
मैंने धीमे से दरवाजा खोला
सबा थी ........
तेरे बदन की खुशबू लिए
और.....
चिराग़ जल उठे ....!!
79 comments:
अय मोहब्बत ! सच्च मान ....
तुझसे किये वादे की खातिर ही
मैं ताउम्र ........
अपने दीयों में
तेल डालती रही .....
क्या बात है....एक से एक नायाब...क्षणिकाएं...
किन्हें कितनी बार पढ़ें...जज्बातों का सैलाब सा आया हो जैसे...
दीपावली कि शुभकामनाएं
मैंने धीमे से दरवाजा खोला
सबा थी ........
तेरे बदन की खुशबू लिए
चिराग़ जल उठे ..........!!
बहुत खूब
पुराने पड़े काले दिए कि मिसाल भी खूब दी है आपने २ में.
वैसे यह मन सन्दूक ही तो है जिसमे ना जाने कितने अनगिनत लोगों कि यादें बुझे हुए दीयों कि भांति समय कि कालिख लिए पड़ी रहती हैं.
मनोज
रौशनी .....
बरसों पहले ...
इसी दिन .....
छोड़ आई थी मैं
अपनी रौशनी तुम्हारे पास
गर तुमने .....
दिल के किसी कोने में उसे ....
संभाले रखा है ....
तो दे जाना इस बार
मेरे चिराग़ अब ...
बुझने लगे हैं .....!!
00
कई बार ...
अंगुलियाँ जलाई हैं
कई बार....
छालों को सुई से कुरेदा है .....
अय मोहब्बत ! सच्च मान ....
तुझसे किये वादे की खातिर ही
मैं ताउम्र ........
अपने दीयों में
तेल डालती रही .....
00
ज़िन्दगी ....
हर रोज़ हादसों से
गुज़रती रही .....
और हर हादसे के बाद
इक चिराग़ बुझता गया ...
क्या कहूं हरकीरत जी? हर क्षणिका एक से बढ कर एक है. सच कहूं, तो बहुत दिनों के बद ऐसा मौका आया है, जब मुझे आपकी सारी क्षणिकाएं बहुत-बहुत अच्छी लगी हैं. बुरा नहीं मानेंगीं न? बार बार पढा है आज मैने इन्हें.
और पेज़ का नया कलेवर? काबिलेतारीफ़ है. बहुत सुन्दर.
दीपावली की शुभकामनायें देने आउंगी दोबारा.
वंदना जी ,
अब आप मुझे रुलायेंगी .....
लिखते वक़्त न जाने कितनी बार
आँखें भर आयीं थी .....
सभी दसों लघु रचनाएँ दिल के अन्दर तक पहुँचीं.
-विजय
दीपोत्सव पर हमारी अशेष शुभ-भावनाएँ.
इस दीपावली के पावन प्रकाश से आपका
जीवनजगत खुशियों से आलोकित हो.
#links
दिये जलायें, प्रकाश बाटें, मन हल्का करें।
हर नज़्म तराशी हुई ..
रोशनी --- गज़ब की ...
तेल -- इसे पढ़ कर ऐसा लगा की अभी भी आप तेल डाल रही हो ...
फ़रियाद और खुशबू लाजवाब ...
दीपावली की शुभकामनायें
हे भगवान ! पहली क्षणिका पढ़ी तो लगा ये बहुत अच्छी है फिर दुसरी पढ़ी तो लगा ये सबसे अच्छी फिर पढ़ती गई और सोचती गई ये उससे भी अच्छी.एक से बढकर एक कैसे लिख लेती हैं आप ऐसा?
इस बार फिर जलाए हैं
कुछ उम्मीदों के दिए
देखना है चिरागों में रोशनी
लौटती है या नहीं।
हृदय की गहराइयों से निकले हैं-शब्द और भाव...
कविताएं हैं या मन के जगमगाते दीये...बहुत सुंदर।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
इन दस क्षणिकाओं में मोहब्बत की मिठास और दर्द दोनों साथ साथ दिखाई दे रहे हैं ।
लाज़वाब अभिव्यक्ति है प्रेम की ।
अभी तो इतना ही , फिर पढेंगे और फिर पढेंगे ।
आप को क्या लगता है .... क्या कहूँ यहाँ .... अगर मैं गलत नहीं तो हर किसी के जीवन में यह सब पल या इस से मिलते जुलते पल कभी ना कभी जरूर आयें होंगे ..... क्या कहा जा सकता है उन पलो के बारे में .... हर कोई आपकी तरह शायर तो नहीं होता !
खैर ....जाने दीजिये !
आपको और आपके परिवार में सभी को धनतेरस और दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! !
कई मर्तबा क्या होता है कि मैं कोई कहानी, उपन्यास या कविता थोड़ी सी ही पढ़कर छोड़ देता हूं. कारण है कि मैं बेहद संवेदनशील हूं और इसीलिये अधिक टची चीजों से दूर रहता हूं. कई दफा आप की कवितायें भी दो-तीन लाइनें पढ़कर ही छोड़ दीं. आज आपकी पहली रचना कुछ ऐसी ही थी. लेकिन फिर भी आज सारी रचनायें पढ़ीं. दिल में कैसे प्रवेश कर लेती हैं..
वाह! एक से बढ़कर एक...।
शुक्रिया !
आपके जलाये दिये यूँ ही जलते रहें और रोशनी बिखराते रहें। हार्दिक शुभकामनाएँ।
क्या कहूँ मैं आपको ....कभी कभी भावनाएँ व्यक्त करने को हर शब्द छोटा प्रतीत होता है .आज वाही हो रहा है मेरे साथ . किसी एक क्षणिका का नाम लेना मुश्कील है ....हर एक बहुत गहरा असर छोड़ रही है . दर्द के दरिया में अपनी कलम डूबो डूबो कर जब अथाह प्रेम के विस्तृत आकाश पर ये रचनाएं उकेरती है तो न मिटने वाली छाप छोड़ जाती है ये दिल पर ...
आपको सपरिवार प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
उल्फ़त के दीप
बहुत सुन्दर! बेहतरीन!दिल को गहरे तक छु लिया!
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामना!
इतनी बेहतरीन नज्में कि तारीफ के शब्द नहीं. बस कब पढना शुरू किया और कब ख़त्म हो गया पता ही नहीं चला. खूबसूरत यादों से सजा ये दीप बस जलता रहे................
दीपावली कि हार्दिक शुभकामनाएं.
सभी क्षणिकाएं सुंदर हैं लेकिन ख़ास तौर पर
पैग़ाम
फ़रियाद और
उम्मीदों के दिये
ये मुझे बहुत बहुत अच्छी लगीं
बधाई इतनी सुंदर रचनाओं के लिये
आप को और आप के परिवार को दीवाली की बहुत बहुत बधाई और शुभ्कामनाएं
त्यौहार के सुंदर अवसर पर बहुत खूबसूरत रचनाएँ साझा की आपने.... बेहतरीन .... ब्लॉग का नया रंग रूप भी जंच रहा है... आपको भी दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें
बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपको और आपके परिवार में सभी को दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ! !
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
सभी अद्भुत!!!
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
सुंदर नज्म हैं जी
दीवाली की शुभकामनाएं
मैं तो ...
जन्मों से
तुम्हारी ही थी ....
तो क्या हुआ, जो हम
साथ-साथ न जल सके
बस ख्याल रखना ...
हवा बुझा न दे कहीं
मोहब्बत के ये जलते दीये
हमारे दिलों से .....!!
diwali ki shubhkamnayen, ye raushni salamat rahe
shabd kam pad jaate hain taareef main,
tareef karun main kya uski, jisne rach daali ye behtreen rachnaayen
" dipawali ki bahut bahut Shubh-kaamnayen"
हीर जी,
सुभानाल्लाह........ क्या करूँ आपकी रचनाएँ पढ़ने के बाद मेरे पास शब्द ही नहीं बचते कुछ कहने के लिए और मैं समझता हूँ की मेरा मौन ही बहुत है और आप उसे समझ लेती हैं........दीये और चिरागों को लेकर हर रचना खुबसूरत...ये सिर्फ आप ही कर सकती हैं|
ब्लॉग का नया स्वरुप अच्छा है ......
आपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें......
मैं तो ...
जन्मों से
तुम्हारी ही थी ....
तो क्या हुआ, जो हम
साथ-साथ न जल सके
बस ख्याल रखना ...
हवा बुझा न दे कहीं
मोहब्बत के ये जलते दीये
हमारे दिलों से .....
वाह...कमाल का लेखन
हर नज़्म अपना अलग ही प्रकाश फैलाती हुई
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
बेहद खूबसूरत रचनाएँ हैं...
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
"लफ़्ज़ों को
आवाज़ देता
थक कर बैठा गया है,
रोशनाई से लबालब मेरा कलम...
पता नहीं क्यूँ अलफ़ाज़
आते नहीं पास..."
नई साज सज्जा और दीपावली की सादर बधाईयाँ.
हरकीरतजी आपकी कविताओँ मेँ बहुत गहरे भावार्थ छिपे हैँ।कविताएँ कई रँग समेटे हैँ।आपकी ब्लागिँग शानदार है
wah kya baar hai,
tarif ke liye sabd nahi mere pass
aapko diwali ki bahut-2 subhkamnaye
हरकीरात जी,
मौन हूँ और
उन अहसासों मे
गोते लगा रही हूँ
जिन्हें बिना
तेल के दीये मे
उतारा है और
बाती सी
सुलग रही हूँ
इंतज़ार में
किसी हवा के
झोंके के
फिर से
बुझने के लिये
बस इतना ही कह सकती हूँ और आप समझ सकती हैं मौन की भाषा।
bahut sundar diye aur unme nihit paigam!
regards,
गजब गजब गजब एक से बढ़कर एक..
हरकीरत जी सभी रचनाये एक से बढकर एक बार नहीं कई बार पढ़ा सभी लाइने दिल को छूने वाली रचना भी ऐसी की पढ़ते पढ़ते आखो के सामने दृश्य भी आ जाता था पुन:अच्छी रचना के लिए बधाई !
दीपमाला पर्व की आपको बहुत बहुत बधाई हो ...........
मेरी ख़ास पसंदीदा... तेल और खुशबू...
और ये तो बस कमाल........
वह बोली : मैं हूँ ...........
मैंने धीमे से दरवाजा खोला
सबा थी ........
तेरे बदन की खुशबू लिए
और.....
चिराग़ जल उठे ....!!
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.......
hrkirt bhn mkkhn lgane ki bat nhin he bhut bhut nye or behtrin andaz men atukaant lekhn se bhut kuch kh dala he mza aa gya mubark ho haappy divali. akhtar khan akela kota rajsthan
मेरा दीपक
काँपता है ....
शायद ............
बरसों के छाले हैं .....
इसके दिल पर ....!!
हरेक क्षणिकाएं अपने आप में गहन पीड़ा और कसक सजोये..भावनाओं के सैलाब से परिपूर्ण..लाज़वाब..दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं..
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
एक से बढ़कर एक..
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं ...
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
बुझते दीप बचाओ
नये दीप जलाओ
बहुत अंधेरा है :(
दीपावली की शुभकामनाएं॥
har baar ki tarah is baar bhi bahut hi kamal ki sari rachnaye. happy diwali.
कभी जो ...
दरिया किनारे बैठो
लहरों को दूर तलक
गौर से देखना ........
कहीं कोई , मझधार में ...
लड़खडाता सा दीया ...
मोहब्बत के ....
जिन्दा होने का
पैगाम .....
दे जायेगा .....!!
बहुत खूबसूरत नज्में हैं ....
दिवाली पर इन रोशन चरागों की एक माला सी
पहनाई है किसी के तसव्वुर को .....
बहुत बधाई !
आपको;आपके मित्रों व समस्त परिवारीजनों को दीवाली की शुभ कामनाएं.
मुक्तक शानदार रहे..
आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं..
हैपी ब्लॉगिंग
आज.....
बरसों बाद जब ...
अपना पुराना संदूक खोला
उसमें तुम्हारा दिया
वो पीतल का दीया भी था .....
जो अब वक़्त के साथ
काला पड़ चूका है ......!!
दीपावली कि शुभकामनाएं
ज़िन्दगी ....
हर रोज़ हादसों से
गुज़रती रही .....
और हर हादसे के बाद
इक चिराग़ बुझता गया ...
हीर जी आपकी,
हर नज्म को अपने दिल के करीब पाया है मैंने ,
आज फिर किसी की याद में आंसू बहाया है मैंने .
वो लौटने का वादा, तो नहीं करके गए
फिर भी उनकी याद में ,एक सुंदर सपना सजाया है मैंने .
काश वो जान पाते मेरे दिल का दर्द
इसलिए हर दर्द को जमाने से छुपाया है मैंने ...!
बहुत सुंदर प्रस्तुति ....!
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें
आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
दिपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
हीर जी, दीपावली के दिन आपके ये मोहब्बत के दीये हमें बहुत हमें बहुत प्यारे लगे… दीये, मोहब्बत, रौशनी, पैगाम… और इनमें समाया एक दर्द… बहुत खूब…
हम सबके मनों के भीतर के अँधेरों को यह दीपपर्व उजालों में बदल दे… उन्हें रौशन कर दे… यही शुभकामना करता हूँ…
"तुम्हें याद होगा/ कभी हमने लिखे थे/ दीयों से इक-दूसरे के नाम .../ आज भी दिवाली है ../ तुम लिखना इस बार फिर/ अपने आँगन में मेरा नाम/ मैं भी जलाऊंगी.../ तुम्हारे नाम की शमा
मोहब्बत अब .../ रौशनी मांगती है ...!!"
हरकीरत जी...!
ये क्याऽऽऽ...!!!??? मोहब्बत तो हमेशा से रौशनी देती आयी है, पर यहाँ तो ख़ुद मोहब्बत ही रौशनी माँग रही है...!
यदि आप-जैसी गम्भीर कवयित्री को यह लिखना पड़ा है, तो निश्चित रूप से मुझे कहना पड़ेगा कि: "कोई शीशा कहीं गहरे में टूटा है...!"
यक़ीनन इन रचनाओं के पार्श्व में दर्द का पूरा-का-पूरा दरिया बहता हुआ दिखायी दे रहा है। मैं समझता हूँ कि जब आपने उरपुर से उतरती हुई ये लघु रचनाएँ काग़ज़ पर बटोरी होंगी, उन सृजन-पलों में न जाने कितनी ही यादों के चलचित्र आपके स्मृति-पटल पर तैर रहे होंगे...दृश्य-दर-दृश्य!
हरकीरत जी,
कहाँ-कहाँ पर नज़र दौड़ाऊँ..? हर सिम्त दर्द-ही-दर्द है। ऐसा लगता है कि मानो ‘दीवाली’ ने दस्तक देकर आपको कुरेद-सा दिया है...और दर्द बरस पड़ा... बादल बनकर! अब यहीं पर देख लीजिए; यहाँ एक बिछोह झलक रहा है जिसकी यादों को समेटे खड़ी दीखती है आपकी कवयित्री।बहरहाल वस्तुस्थिति जो भी हो मुझ-जैसे भावुक कवि की आँखों में नमी आ गयी है यह सब पढ़कर-
बरसों पहले ...
इसी दिन .....
छोड़ आई थी मैं
अपनी रौशनी तुम्हारे पास
गर तुमने .....
दिल के किसी कोने में उसे ....
संभाले रखा है ....
तो दे जाना इस बार
मेरे चिराग़ अब ...
बुझने लगे हैं .....!!
आपके मनोलोक पर छाये गहन नैराश्य के बादल अन्त में जाकर छँटते दिखे जब ‘उसके बदन को छूकर आयी एक हवा का स्पर्श पाकर आपके दिल के चराग़ जल उठे। ...इन्हीं जलते हुए चराग़ों की रौशनी के बीच आपको दीवाली की अनन्त-आत्मीय मंगलकामनाएँ...!
यहाँ चलते-चलते यह बात विशेष रूप से कहना चाहूँगा कि मैं जिस ब्लॉग पर भी जाता हूँ, वहाँ यक़ीनन पूरे इत्मीनान से पढ़ता हूँ या यूँ कहें कि लेखक/कवि/कवयित्री के साथ भाव-लोक की सहयात्रा करता हूँ। उस यात्रा के दौरान जो भी और जैसा भी मेरी लघुबुद्धि में धँसता है...उसे वैसा ही प्रतिक्रिया-रूप में छापकर लौटता हूँ..एकदम बेवाक और निर्भीक! फिर चाहे कोई मुझसे खफ़ा हो या ख़ुश...? आप संभवतः ‘अभिनव प्रयास’ के पन्नों पर मेरी इस निर्भीकता को देखती आयीं हैं।
हरकीरत जी सभी रचनाये एक से बढकर एक,बहुत खूब .........
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
लो, आ गई फिर से..... दीपावली की असीम-अनन्त शुभकामनायें.
दीवाली के दीये आपकी जिंदगी में नई रौशनी भर दें , यही दुआ करते हैं । दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें हरकीरत जी ।
आदरणीया हरकीरत हीर जी
नमस्कार !
एक से बढ़ कर एक अच्छी रचनाओं के लिए बधाई !
यूं तो आपका कोई सानी है ही नहीं , जो भी आपका लिखा आज तक पढ़ा है … बेजोड़ है ! अद्वितीय है !! फिर भी कुछ ऐसी रचनाएं होती हैं जो ख़ास मन से जुड़ जाती हैं । यहां भी दुविधा ही है … मन से वे रचनाएं भी जुड़ती हैं , जिनको पढ़ कर आंखें नम और कलेजा भारी हो जाता है । आज मैं आपकी इन रचनाओं को साथ लिये' विचरण करता रहूंगा …
(३)
मोहब्बत के दीये ....
मैं तो ...
जन्मों से
तुम्हारी ही थी ....
तो क्या हुआ, जो हम
साथ-साथ न जल सके
बस ख्याल रखना ...
हवा बुझा न दे कहीं
मोहब्बत के ये जलते दीये
हमारे दिलों से .....!!
आह !
(९)
उम्मीदों के दीये ......
रातों की उदासी
और मायूसी के बीच
इस बार फिर जलाये हैं
कुछ उम्मीदों के दीये .......
देखना है चिरागों में रौशनी
लौटती है या नहीं .....!?!
ईश्वर से दुआएं हैं … … …
आशा है , दीपावली पूजन से निवृत हो चुके होंगे आप भी …
आपको और परिवारजनों को दीवाली की हार्दिक मंग़लकामनाएं !
सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान !
लक्ष्मी बरसाए कृपा , बढ़े आपका मान !!
" आज दीवाली है , ख़ुश रहिए न प्लीज़ !"
- राजेन्द्र स्वर्णकार
वाह .... हर नज़्म कमाल की है .... एक एक लफ्ज़ तराशा हुआ ...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
मैं तो ...
जन्मों से
तुम्हारी ही थी ....
तो क्या हुआ, जो हम
साथ-साथ न जल सके
बस ख्याल रखना ...
हवा बुझा न दे कहीं
मोहब्बत के ये जलते दीये
हमारे दिलों से .....!!
बरसों पहले ...
इसी दिन .....
छोड़ आई थी मैं
अपनी रौशनी तुम्हारे पास ...।
यूं तो सभी क्षणिकाएं एक दूसरे पर भारी हैं जैसे कोई कहे यह अच्छी तो दूसरा कहे नहीं वो ...और आपकी कुछ पंक्तियां पुन: आपके सामने कर दी ...उसी के चलते आपकी लेखनी का जादू बस यूं ही कायम रहे, इस प्रकाश पर्व पर आपके लिये यही शुभकामनायें .......।
Umeedon ke diye sada jalaye rakhna.
Is haseen zindagi ko sajaye rakhna.
Ek bar padhne se man nahi bhara- Bar- Bar padhuga. Nice post.
बेहतरीन खुशबू !
ज़िन्दगी ....
हर रोज़ हादसों से
गुज़रती रही .....
और हर हादसे के बाद
इक चिराग़ बुझता गया ...
..तेरे बदन की खुशबू लिए
चिराग़ जल उठे ..........!!
....एक से एक नायाब...क्षणिकाएं...
...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
Ek ek najm khoobsoorati se aapka dard bayan kartee hai
Par ummeed ke jo diye jalaye hain unmen roshani gajab kee hai.
गज़ब की रचनाएँ.दीपावली की शुभकामनायें
दीपावली की शुभकामनायें ...
दिया, बाती, तेल ............ सब कुछ मोहब्बत । मोहब्बत की दिवाली यूँ ही रोशन होती रहे... और सृजन की धारा बहती रहे.......
बरसों पहले ...
इसी दिन .....
छोड़ आई थी मैं
अपनी रौशनी तुम्हारे पास
गर तुमने .....
दिल के किसी कोने में उसे ....
संभाले रखा है ....
तो दे जाना इस बार
मेरे चिराग़ अब ...
बुझने लगे हैं .....!!
heat touching lines
the magic of punjab
वाह!!! हरकीरत जी जवाब नहीं. किस कदर दर्द उकेरा है दीपों के जरिये.
मुझे मंजूर है जल जाना गर उससे तेरा घर रौशन हो ।
हीर जी आज एक ब्लाग पर जाना हुआ आपके बारे में पढ कर अच्छा लगा , पर ऐसा लगा जैसे आपक अभी वहाँ पर जाना नही हुआ है , मै लिंक आपको भेज रही हूँ और अनुरोध है कि एक बार जरुर जायें
http://jhanjhat.blogspot.com/2010/11/blog-post_10.html
इधर बहुत दिनों से आपका हमारे ब्लाग पर भी आना नही हुआ।
आपको देख कर अच्छा लगता है ।
समय मिले तो जरूर आइयेगा
देर से आपको दीवाली की शुभकामनायें भेज रही हूँ , स्वीकार करें ।
सच कहूँ तो मेरे पास आपकी तारीफ़ के लिए शब्द ही नहीं है .
इतना बढ़िया लिखा है आपने .....
यहाँ पर इस पोस्ट की तारीफ़ में लिखे सभी कॉमेंट्स से मैं दिल से सहमत हूँ .
और आपका आभार व्यक्त करता हूँ.
kitna sundar likhtin hain aap.
जलते ही रहने चाहिए ये मोहब्बत के दिए।
---------
मिलिए तंत्र मंत्र वाले गुरूजी से।
भेदभाव करते हैं वे ही जिनकी पूजा कम है।
sabhiu bahut hi sundar nazm hain.
itna achha koyi kaise likh sakta hai.
namaskaar,kuch likha hai use pdhne ke liye aamantrit kar raha hu,samay mile to jarur aaiyega,,,
der se aana hua..par kya kehoon..jo kehoon kam hai bas.
पिछले कुछ दिनों में आपका पूरा ब्लॉग पढ़ डाला..मन फिर भी नहीं भरता,,बस चाहता है आपको पढ़ती hi रहूँ.....कमाल का लिखती है आप,,सीधे दिल में उतरता है गहराई तक कहीं और उसकी गूँज भी कई दिनों तक रहती है,,यकीन मानिए.. :)
sabhi kshanikaye bahut khubsurat hai..........
sabhi kshanikaye bahut khubsurat hai..........
मैंने धीमे से दरवाजा खोला
सबा थी ........
तेरे बदन की खुशबू लिए
चिराग़ जल उठे
लाज़वाब अभिव्यक्ति है प्रेम की
ज़िन्दगी ....
हर रोज़ हादसों से
गुज़रती रही .....
और हर हादसे के बाद
इक चिराग़ बुझता गया ....सोचने पर मजबूर करती है यह क्षणिका....बधाई.
_________________
'शब्द-शिखर' पर पढ़िए भारत की प्रथम महिला बैरिस्टर के बारे में...
8.5/10
इस पोस्ट का मूल्यांकन करना बेहद मुश्किल है. जिस नज़्म को भी पढता हूँ ..खो जाता हूँ. अक्सर हम जो महसूस करते हैं उसको कह पाना कितना मुश्किल होता है. बस इतना ही.
जिंदाबाद
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