दर्द को इतनी खूबसूरती से बयां किया जा सकता है.., सोचा न था.. अलग-अलग बिम्ब और प्रतीक.. इस दर्द में एक राग है, सहज प्रवाह है जो सीधे हमारे अंतर्मन को स्पर्श करता है...बकौल ग़ालिब 'दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना..' इल्तिजा है कि अपनी बेशकीमती रायों से ब्लॉग को नवाजते रहा करें...हौसला अफजाई होगी...
दर्द के इतने सारे शेड्स देखकर तो दर्द से मोहब्बत होने लगी है!!
ReplyDeleteसारी की सारी क्षणिकाएँ दर्द को एक नए सिरे से डिफ़ाइन करती हैं!
सलिल को बोलो
ReplyDeleteमोहब्बत कर ले !
सीने में ये कैसा
ReplyDeleteफिर इश्क़ सा जला है
कि इस आग की लपल से
आज मेरा दुपट्टा जला है
...बेहद दर्द भरी हैं नज्म... रभावशाली पीड़ा शदों में घुल सी गयी है...!!
गहराई लिये होती हैं आपकी शब्द-संरचना...हरकीरत जी
ReplyDeleteआग्रह है-- हमारे ब्लॉग पर भी पधारे
शब्दों की मुस्कुराहट पर ....दिल को छूते शब्द छाप छोड़ती गजलें ऐसी ही एक शख्सियत है
दर्द में आशिकी इतनी !
ReplyDeleteलाजवाब !
...दर्द की स्याही से भीगी हुई कलम ...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत लिखा है ...
हर ओर से दर्द को कुरेदा है, कौन जाने किसके दर्द अधिक है।
ReplyDeleteफिर वोही दर्द ,वोही तन्हाई
ReplyDeleteदोनों को इक-दूजे की याद आई ....
दर्द ही दर्दे दिल की दवा है .....
शुभकामनायें!
प्रखर प्रेम में दर्द की आह सुनाती क्षणिकाएं !
ReplyDeleteबेहतरीन, साभार !
बहुत सुन्दर क्षणिकाएं .. दर्द की सुन्दर बयानी
ReplyDeleteमर्म को छू गयीं पंक्तियाँ
ReplyDeleteछू गयीं पंक्तियाँ ...बहुत खूब
ReplyDeleteअंतस को छूती लाज़वाब क्षणिकाएं...
ReplyDeleteगहन अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteदर्द को इतनी खूबसूरती से बयां किया जा सकता है.., सोचा न था.. अलग-अलग बिम्ब और प्रतीक.. इस दर्द में एक राग है, सहज प्रवाह है जो सीधे हमारे अंतर्मन को स्पर्श करता है...बकौल ग़ालिब 'दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना..'
ReplyDeleteइल्तिजा है कि अपनी बेशकीमती रायों से ब्लॉग को नवाजते रहा करें...हौसला अफजाई होगी...
दर्द को किस अंदाज़ से बयाँ किया है ... बहुत ही अलग बिम्ब और अलग अभिव्यक्ति ...
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ReplyDeleteदर्द हैरान था
ये किसने आह भरी है
जो मेरी कब्र पर से आज
फिर रेत उड़ी है …
bahutkhub !
बहुत खूबसूरत नज्में ...
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