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Thursday, February 6, 2014

दर्द (क्षणिकाएं )

दर्द    (क्षणिकाएं )

(1)

दर्द  हैरान था
ये किसने आह भरी है
जो मेरी कब्र पर से आज
फिर रेत उड़ी  है  …
(२)
सीने में ये कैसा
फिर इश्क़ सा जला है
कि इस आग की लपल से
आज मेरा दुपट्टा जला है  …
(३)
ख्यालों में
टूटा है कोई धागा
के आज मेरे पैर फिर
दरगाह की ओर बढ़े हैं ....
(४)
उम्र खामोश थी
ये किसने बाँध दिए हैं
मेरे पैरों में दर्द के घुंघरू
कि रात की छाती में
यूँ हूक उठी है  ....
(५)
मुहब्बत हँसने लगी है
दर्द आशिक बना बैठा है
और नामुराद सबा तेरी यादों का
पुलिंदा उड़ा लाई है ....

हीर  …

18 comments:

  1. दर्द के इतने सारे शेड्स देखकर तो दर्द से मोहब्बत होने लगी है!!
    सारी की सारी क्षणिकाएँ दर्द को एक नए सिरे से डिफ़ाइन करती हैं!

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  2. सलिल को बोलो
    मोहब्बत कर ले !

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  3. सीने में ये कैसा
    फिर इश्क़ सा जला है
    कि इस आग की लपल से
    आज मेरा दुपट्टा जला है
    ...बेहद दर्द भरी हैं नज्म... रभावशाली पीड़ा शदों में घुल सी गयी है...!!

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  4. गहराई लिये होती हैं आपकी शब्द-संरचना...हरकीरत जी

    आग्रह है-- हमारे ब्लॉग पर भी पधारे
    शब्दों की मुस्कुराहट पर ....दिल को छूते शब्द छाप छोड़ती गजलें ऐसी ही एक शख्सियत है

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  5. दर्द में आशिकी इतनी !
    लाजवाब !

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  6. ...दर्द की स्याही से भीगी हुई कलम ...
    बहुत खूबसूरत लिखा है ...

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  7. हर ओर से दर्द को कुरेदा है, कौन जाने किसके दर्द अधिक है।

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  8. फिर वोही दर्द ,वोही तन्हाई
    दोनों को इक-दूजे की याद आई ....
    दर्द ही दर्दे दिल की दवा है .....
    शुभकामनायें!

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  9. प्रखर प्रेम में दर्द की आह सुनाती क्षणिकाएं !
    बेहतरीन, साभार !

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  10. बहुत सुन्दर क्षणिकाएं .. दर्द की सुन्दर बयानी

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  11. मर्म को छू गयीं पंक्तियाँ

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  12. छू गयीं पंक्तियाँ ...बहुत खूब

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  13. अंतस को छूती लाज़वाब क्षणिकाएं...

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  14. गहन अभिव्यक्ति...

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  15. दर्द को इतनी खूबसूरती से बयां किया जा सकता है.., सोचा न था.. अलग-अलग बिम्ब और प्रतीक.. इस दर्द में एक राग है, सहज प्रवाह है जो सीधे हमारे अंतर्मन को स्पर्श करता है...बकौल ग़ालिब 'दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना..'
    इल्तिजा है कि अपनी बेशकीमती रायों से ब्लॉग को नवाजते रहा करें...हौसला अफजाई होगी...

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  16. दर्द को किस अंदाज़ से बयाँ किया है ... बहुत ही अलग बिम्ब और अलग अभिव्यक्ति ...

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  17. दर्द हैरान था
    ये किसने आह भरी है
    जो मेरी कब्र पर से आज
    फिर रेत उड़ी है …

    bahutkhub !

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  18. बहुत खूबसूरत नज्में ...

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