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Friday, May 24, 2013

इक कोशिश ....

इक कोशिश ....

ज़ख़्मी जुबान 
मिटटी में नाम लिखती है
कोई जंजीरों की कड़ियाँ तोड़ता  है
दर्द की नज़्म लौट आती है समंदर से
दरख्त फूल छिड़क कर
मुहब्बत का ऐलान करते हैं
मैं रेत से एक बुत तैयार करती  हूँ
और हवाओं से कुछ सुर्ख रंग चुराकर
रख देती हूँ उसकी हथेली पे
मुझे उम्मीद है
इस बार उसकी आँखों  से
आंसू जरुर बहेंगे ....!!

हरकीरत हीर ..

41 comments:

  1. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए शनिवार 25/05/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. मैं रेत से एक बुत तैयार करती हूँ और हवाओं से कुछ सुर्ख रंग चुराकर रख देती हूँ ....

    bahut khoob...

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  3. वाह........
    आँख से आँसू बहेंगे और लब मुस्कुराएंगे.

    सादर
    अनु

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  4. हृदयस्पर्शी ....बहुत सुन्दर ...

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  5. जख्मी जुबां और दर्द में डूबा दिल ....
    सिर्फ अपने ही आंसुओं का मोहताज़ होता है ???
    शुभकामनायें!

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  6. आंसू बहेंगे तो बुत पिघलेगा ....और मुहब्बत जाग उठेगी ...आदरणीय अशोक जी .....

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  7. बहुत खुबसूरत अहसास.....आंसू बहेंगे तो बुत पिघलेगा ....और मुहब्बत जाग उठेगी ...्क्या बात है हीर जी..एक पिघलता है दूसरा जागृत होता है..

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  8. इन आंसुओं से बुत तो क्या, पत्थर भी पिघल जायेगा ।

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  9. सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति .आभार . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
    BHARTIY NARI .

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  10. मैं रेत से एक बुत तैयार करती हूँ
    और हवाओं से कुछ सुर्ख रंग चुराकर
    रख देती हूँ उसकी हथेली पे-----

    प्रेम का अदभुत अहसास
    बहुत सुंदर नज्म
    बधाई

    आग्रह हैं पढ़े
    ओ मेरी सुबह--

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  11. बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .मन को छू गयी .आभार . कुपोषण और आमिर खान -बाँट रहे अधूरा ज्ञान
    साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN

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  12. मैं रेत से एक बुत तैयार करती हूँ
    और हवाओं से कुछ सुर्ख रंग चुराकर
    रख देती हूँ उसकी हथेली पे....
    --------------
    पत्थर भी पिघल जाएगा.......

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  13. बहुत ही बहतरीन रचना !
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post: बादल तू जल्दी आना रे!
    latest postअनुभूति : विविधा

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  14. रेट से बूट बनाने की कोशिश ही सारगर्भित है .... मर्मस्पर्शी ।

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  15. जिंदगी की एक सच्चाई

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  16. मैं रेत से एक बुत तैयार करती हूँ
    और हवाओं से कुछ सुर्ख रंग चुराकर
    रख देती हूँ उसकी हथेली पे
    मुझे उम्मीद है
    इस बार उसकी आँखें से
    आंसू जरुर बहेंगे ....!!

    बहुत ही रूहानी कल्पना, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  17. सुन्दर कविता....

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  18. ना जाने कितनी कोशिश करते हैं हम उन्हें अपने रंग में रगने के लिए
    बहुत सुन्दर ।।

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  19. ना जाने कितनी कोशिश करते हैं हम उन्हें अपने रंग में रगने के लिए
    बहुत सुन्दर ।।

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  20. बहुत ही बेहतरीन

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  21. kya likhti hai aap...main to bas yahi sochti rah jati hoon..sahi mein!

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  22. तड़प मजबूर कर देगी...
    शुभकामनायें आपको !

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  23. बहुत सुंदर रचना
    क्या बात

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  24. वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
    plz visit and listen-
    मेरी बेटी शाम्भवी का कविता पाठ

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  25. वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

    @मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ

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  26. बहुत बढ़िया हीर जी

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  27. दरख्त फूल छिड़क कर
    मुहब्बत का ऐलान करते हैं

    बहुत सुन्दर

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  28. दिल को छू गई सुप्रभात
    निःशब्द करती

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  29. उसकी आँखों में तो समंदर बस्ता है हीर जी , ये रेत ये प्रतिमा सब वही तो है बस कसीदाकारी आपकी है बहुत सुन्दर नज़्म !

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  30. मैं रेत से एक बुत तैयार करती हूँ
    और हवाओं से कुछ सुर्ख रंग चुराकर
    रख देती हूँ उसकी हथेली पे
    मुझे उम्मीद है
    इस बार उसकी आँखें से
    आंसू जरुर बहेंगे ....!!

    कुछ कहने लायक नहीं छोड़ती ये रचना ...
    निःशब्द ...

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  31. शब्द कहेंगे, भाव बहेंगे।

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  32. मुहब्बत मुकम्मल हो. सुंदर नज़्म.

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  33. मैं रेत से एक बुत तैयार करती हूँ
    और हवाओं से कुछ सुर्ख रंग चुराकर
    रख देती हूँ उसकी हथेली पे
    रेत का बुत ... हवाओं के सुर्ख रंग
    और उसकी हथेली
    वाह !!! कैसा ये मंज़र है बस नमी ही नमी है हर तरफ ...
    सादर

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  34. मुझे उम्मीद है
    इस बार उसकी आँखें से
    आंसू जरुर बहेंगे ....!!
    ,,सच उम्मीद कभी नहीं छोडनी चाहिए ..
    इस बार उसकी आँखें से...इस पंक्ति में ऑंखें की जगह "आँखों" या 'आँख' कर लीजिये ..

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  35. शुक्रिया कविता जी 'आँख' नहीं 'आँखों' होगा .... ध्यान नहीं गया ....

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  36. बुतों की बुतपरस्ती कब तक
    कोशिश कामयाब हो

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  37. आँसूओं से भी सुख की अभिव्यक्ति होती ही है ।

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  38. दर्द की नज़्म लौट आती है समंदर से....
    वाह बहुत खूब.

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  39. वाह हीर जी ... बहुत सुंदर

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  40. ये आँखे तो भीग गयी हैं।

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