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Monday, June 10, 2013

कैद मुहब्बत ....

कैद मुहब्बत ....

तीखे दांतों से
काटती है रात ....
तेरे बिना जकड़ लेती है उदासी
बेकाबू से हो जाते हैं ख्याल
खिड़की से आती हवा
सीने में दबे अक्षरों का
 पूछने लगती है अर्थ
बता मैं उसे कैसे बताऊँ
मुहब्बत की कोई सुनहरी सतर
रस्सियाँ तोड़ना चाहती है ....

हीर ....

(२)

दरारें ....

आज शब्द ...
फिर कड़कड़ाये जोर से
उछाल कर फेंके गए चाँद की ओर
कोई बूंद छलक के उतरी
दरारें और गहरी हो गईं ....

.हीर ..........

35 comments:

  1. दोनों ही बेहद नाजुक और मार्मिक रचनाएं, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  2. आज फिर जीने की तमन्ना है --१
    आज फिर मरने का इरादा है ---२

    तमन्ना ही रहे तो कैसा रहे !
    शुभकामनाएं जी।

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  3. आपकी यह रचना कल मंगलवार (11-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  4. आह! और वाह! मज़बूरी की इन्तहा ....

    दरारे भी मजबूर हैं ...अपने काम से ?

    स्वस्थ रहें!

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  5. बहुत सुंदर
    अच्छा लगा
    उम्दा अभिव्यक्ति...

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार (11-06-2013) के "चलता जब मैं थक जाता हुँ" (चर्चा मंच-अंकः1272) पर भी होगी!
    सादर...!
    शायद बहन राजेश कुमारी जी व्यस्त होंगी इसलिए मंगलवार की चर्चा मैंने ही लगाई है।
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  7. परन्तु रस्सियाँ टूटती हैं तो बिखरती मोहब्बत ही है ।

    उत्कृष्ट रचना सदैव की तरह ।

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  8. बहुत ही मर्मस्पर्शी

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  9. बेहद नाजुक और मार्मिक रचनाएं, उम्दा अभिव्यक्ति...

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  10. दुआ चंदन
    बस रहे पावन
    जहाँ भी रहे !

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  11. आज शब्द ...
    फिर कड़कड़ाये जोर से
    उछाल कर फेंके गए चाँद की ओर
    कोई बूंद छलक के उतरी
    दरारें और गहरी हो गईं ..

    मार्मिक

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  12. दोनों ही रचनाएँ दिल की बेकरारी बताती है ,मार्मिक
    latest post: प्रेम- पहेली
    LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !

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  13. marmik abhivyakti... :)
    aap jo bhi likhte ho dil se likhte ho

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  14. दर्द में भिंगोती आपके रचनाएँ हमेशा मानसपटल तीव्र प्रहार कर मन को उदेलित कर जाती हैं ..
    बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति ..

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  15. वाह . सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति

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  16. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन यात्रा रुकेगी नहीं ... मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  17. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार.

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  18. मुहब्बत की कोई सुनहरी सतर
    रस्सियाँ तोड़ना चाहती है ...

    sundar.

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  19. बहुत खूब ... नाज़ुक एहसास लिए ...
    निःशब्द करती दोनों रचनाएं ...

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  20. हीरजी ......बस क्या कहूं...!!!

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  21. दि‍ल को छूने वाली रचनाएं

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  22. वाह.....
    हर लफ्ज़ रस्सियाँ तोड़ दिल की दरारों में समा गया...
    लाजवाब!!!

    सादर
    अनु

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  23. बहुत सुंदर रचना हरकीरत मैम
    बहुत सुंदर


    मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
    हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
    http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html

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  24. भावों को गाढ़ा उतारती कविता।

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  25. आज शब्द ...
    फिर कड़कड़ाये जोर से
    उछाल कर फेंके गए चाँद की ओर
    कोई बूंद छलक के उतरी
    दरारें और गहरी हो गईं ....
    bahut sundar lagi yah najm,

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  26. हीर जी
    अच्छी ही होंगी!
    ढ़
    --
    थर्टीन ट्रैवल स्टोरीज़!!!

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  27. आज शब्द ...
    फिर कड़कड़ाये जोर से
    उछाल कर फेंके गए चाँद की ओर
    कोई बूंद छलक के उतरी
    दरारें और गहरी हो गईं ....-----

    जीवन के मर्म को संवेदनाओं के साथ व्यक्त करतीं दोनों रचनायें
    सुंदर अनुभूति
    सादर

    आग्रह है- पापा ---------

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  28. ... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

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  29. मुहब्बत की कोई सुनहरी सतर
    रस्सियाँ तोड़ना चाहती है ...


    हीर जी नमस्ते !!


    हर बार जब भी आपका ये और पंजाबी वाला ब्लॉग पढ़ती हूँ तो सच में हीर की फीलिंग आती है !!

    इस छोटी सी पंछी को अपना आशीष जरुर देना !


    पोस्ट !
    वो नौ दिन और अखियाँ चार
    हुआ तेरह ओ सोहणे यार !!

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  30. kahin bahut door le gayi mujhe ye rachna...alfaazon ke sailaab ko rokne ka dard pata hai mujhe....

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  31. वाह...
    बेहद खुबसूरत रचनायें।

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