कैद मुहब्बत ....
तीखे दांतों से
काटती है रात ....
तेरे बिना जकड़ लेती है उदासी
बेकाबू से हो जाते हैं ख्याल
खिड़की से आती हवा
सीने में दबे अक्षरों का
पूछने लगती है अर्थ
बता मैं उसे कैसे बताऊँ
मुहब्बत की कोई सुनहरी सतर
रस्सियाँ तोड़ना चाहती है ....
हीर ....
(२)
दरारें ....
आज शब्द ...
फिर कड़कड़ाये जोर से
उछाल कर फेंके गए चाँद की ओर
कोई बूंद छलक के उतरी
दरारें और गहरी हो गईं ....
.हीर ..........
तीखे दांतों से
काटती है रात ....
तेरे बिना जकड़ लेती है उदासी
बेकाबू से हो जाते हैं ख्याल
खिड़की से आती हवा
सीने में दबे अक्षरों का
पूछने लगती है अर्थ
बता मैं उसे कैसे बताऊँ
मुहब्बत की कोई सुनहरी सतर
रस्सियाँ तोड़ना चाहती है ....
हीर ....
(२)
दरारें ....
आज शब्द ...
फिर कड़कड़ाये जोर से
उछाल कर फेंके गए चाँद की ओर
कोई बूंद छलक के उतरी
दरारें और गहरी हो गईं ....
.हीर ..........
दोनों ही बेहद नाजुक और मार्मिक रचनाएं, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
आज फिर जीने की तमन्ना है --१
ReplyDeleteआज फिर मरने का इरादा है ---२
तमन्ना ही रहे तो कैसा रहे !
शुभकामनाएं जी।
आपकी यह रचना कल मंगलवार (11-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteआह! और वाह! मज़बूरी की इन्तहा ....
ReplyDeleteदरारे भी मजबूर हैं ...अपने काम से ?
स्वस्थ रहें!
बहुत सुंदर
ReplyDeleteअच्छा लगा
उम्दा अभिव्यक्ति...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार (11-06-2013) के "चलता जब मैं थक जाता हुँ" (चर्चा मंच-अंकः1272) पर भी होगी!
सादर...!
शायद बहन राजेश कुमारी जी व्यस्त होंगी इसलिए मंगलवार की चर्चा मैंने ही लगाई है।
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
परन्तु रस्सियाँ टूटती हैं तो बिखरती मोहब्बत ही है ।
ReplyDeleteउत्कृष्ट रचना सदैव की तरह ।
बहुत ही मर्मस्पर्शी
ReplyDeleteबेहद नाजुक और मार्मिक रचनाएं, उम्दा अभिव्यक्ति...
ReplyDeletevery touching ...
ReplyDeleteदुआ चंदन
ReplyDeleteबस रहे पावन
जहाँ भी रहे !
आज शब्द ...
ReplyDeleteफिर कड़कड़ाये जोर से
उछाल कर फेंके गए चाँद की ओर
कोई बूंद छलक के उतरी
दरारें और गहरी हो गईं ..
मार्मिक
ReplyDeleteदोनों ही रचनाएँ दिल की बेकरारी बताती है ,मार्मिक
latest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
मर्मस्पर्शी नज़्में
ReplyDeletemarmik abhivyakti... :)
ReplyDeleteaap jo bhi likhte ho dil se likhte ho
दर्द में भिंगोती आपके रचनाएँ हमेशा मानसपटल तीव्र प्रहार कर मन को उदेलित कर जाती हैं ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति ..
ReplyDeleteवाह . सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन यात्रा रुकेगी नहीं ... मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार.
ReplyDeleteमुहब्बत की कोई सुनहरी सतर
ReplyDeleteरस्सियाँ तोड़ना चाहती है ...
sundar.
बहुत खूब ... नाज़ुक एहसास लिए ...
ReplyDeleteनिःशब्द करती दोनों रचनाएं ...
हीरजी ......बस क्या कहूं...!!!
ReplyDeleteदिल को छूने वाली रचनाएं
ReplyDeleteसार्थक रचनाएँ
ReplyDeleteवाह.....
ReplyDeleteहर लफ्ज़ रस्सियाँ तोड़ दिल की दरारों में समा गया...
लाजवाब!!!
सादर
अनु
बहुत सुंदर रचना हरकीरत मैम
ReplyDeleteबहुत सुंदर
मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html
भावों को गाढ़ा उतारती कविता।
ReplyDeleteDono hi rachna bahut umda...
ReplyDeleteआज शब्द ...
ReplyDeleteफिर कड़कड़ाये जोर से
उछाल कर फेंके गए चाँद की ओर
कोई बूंद छलक के उतरी
दरारें और गहरी हो गईं ....
bahut sundar lagi yah najm,
हीर जी
ReplyDeleteअच्छी ही होंगी!
ढ़
--
थर्टीन ट्रैवल स्टोरीज़!!!
आज शब्द ...
ReplyDeleteफिर कड़कड़ाये जोर से
उछाल कर फेंके गए चाँद की ओर
कोई बूंद छलक के उतरी
दरारें और गहरी हो गईं ....-----
जीवन के मर्म को संवेदनाओं के साथ व्यक्त करतीं दोनों रचनायें
सुंदर अनुभूति
सादर
आग्रह है- पापा ---------
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
ReplyDelete
ReplyDeleteमुहब्बत की कोई सुनहरी सतर
रस्सियाँ तोड़ना चाहती है ...
हीर जी नमस्ते !!
हर बार जब भी आपका ये और पंजाबी वाला ब्लॉग पढ़ती हूँ तो सच में हीर की फीलिंग आती है !!
इस छोटी सी पंछी को अपना आशीष जरुर देना !
पोस्ट !
वो नौ दिन और अखियाँ चार
हुआ तेरह ओ सोहणे यार !!
kahin bahut door le gayi mujhe ye rachna...alfaazon ke sailaab ko rokne ka dard pata hai mujhe....
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteबेहद खुबसूरत रचनायें।