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Thursday, February 14, 2013

मुहब्बत का दिन ....

रात इमरोज़ जी का फोन आता है  संग्रह में दो नज्में कम हो रही हैं ( मेरा पंजाबी का काव्य संग्रह वे छाप रहे हैं ) तुरंत लिख कर भेजो ...आज रात सोना मत ....रात भर सोचती रही क्या लिखूं ..? .अचानक ध्यान आया आज तो वेलेंटाइन डे है और रात इन नज्मों का  जन्म हुआ ...ये मूल पंजाबी में लिखी गईं थीं यहाँ पंजाबी से अनुदित हैं .....


14 फ़रवरी ....(वेलेंटाइन डे पर विशेष )


मुहब्बत का दिन ....

तुमने कहा-
आज की रात सोना मत
आज तूने लिखनी हैं नज्में
मेरी खातिर ...
क्यूंकि ...
आज मुहब्बत का दिन है ..
लो आज की रात
मैं सारी की सारी हीर बन
आ गई हूँ तुम्हारे पास
चलो आज की रात हम
नज्मों के समुंदर में
डूब जायें .....!!



(2)
प्यास ....

अभी मेरे लिखे हर्फों की
कोई नज्म बनी भी न थी
कि तुम सारे के सारे उतर आये
मेरे सफहों पर ....
पता नहीं आज के दिन, प्यास
तुम्हें थी , मुझे थी
या सफहों को ....
पर किनारों पे बहती नदी
अशांत सी थी ....
मैंने लहरों को कसकर चूमा
और दरिया के हवाले
कर दिया .....!!



(3)

हार .....

उम्रों के ....
बूढ़े हुए जिस्मों को लांघकर
अगर कभी हम मिले , तो
उस वक़्त भी मेरी ठहरी हुई इन आँखों में
मुस्कुरा रही होगी तुम्हारी मुहब्बत
तुम्हें जीतने के लिए
मैंने कभी कोई बाज़ी नहीं खेली थी
अपने आप ही रख दी थीं
सारी की सारी नज्में तुम्हारे सामने
मुहब्बत तो हारने का
नाम है .....!!

41 comments:

  1. अपने आप ही रख दी थीं
    सारी की सारी नज्में तुम्हारे सामने
    मुहब्बत तो हारने का
    नाम है .....!!
    बहुत सुन्दर -मुहब्बत तो हारने का नाम है
    Latest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !

    ReplyDelete
  2. तुम्हें जीतने के लिए
    मैंने कभी कोई बाज़ी नहीं खेली थी
    अपने आप ही रख दी थीं
    सारी की सारी नज्में तुम्हारे सामने
    मुहब्बत तो हारने का
    नाम है .....!!
    नि:शब्‍द करते भाव ...

    ReplyDelete
  3. मैंने कभी कोई बाज़ी नहीं खेली थी
    अपने आप ही रख दी थीं
    सारी की सारी नज्में तुम्हारे सामने
    मुहब्बत तो हारने का
    नाम है .....!!

    Behtareen...bahut khoob :-)

    ReplyDelete
  4. अभी मेरे लिखे हर्फों की
    कोई नज्म बनी भी न थी
    कि तुम सारे के सारे उतर आये
    मेरे सफहों पर ....
    पता नहीं आज के दिन, प्यास
    तुम्हें थी , मुझे थी
    या सफहों को ....
    पर किनारों पे बहती नदी
    अशांत सी थी ....
    मैंने लहरों को कसकर चूमा
    और दरिया के हवाले
    कर दिया .....

    उफ़ ... कुछ सोचने लायक नहीं हूं ... बस मौन हो के पढते रहने का ही मन करता है ... सिम्पली ग्रेट ...

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  5. वाह! तारीफ़ के लिए शब्द नहीं मिल रहे ...हीर जी...
    ~समंदर के हर क़तरे में मोहब्बत....
    हर क़तरे में मोहब्बत का समंदर ...~ :-)
    ~सादर!!!

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  6. कमाल के भाव ...
    बहुत सुंदर रचना ...
    बधाई एवं शुभकामनायें हरकीरत जी ...

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  7. वाह! बहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है अपने......

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  8. वाह...
    मैंने लहरों को कसकर चूमा
    और दरिया के हवाले
    कर दिया .....!!
    क्या कहूँ...
    काश कि सौ नज्में कम हो रही होतीं...
    मोहब्बत के दिन की बहुत बहुत मुबारकबाद...
    सादर
    अनु

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  9. बहुत खूब..प्रेम को भी रतजगा करा दिया आपने।

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  10. subhan allah kya khoob likha hein..
    मैंने लहरों को कसकर चूमा
    और दरिया के हवाले
    कर दिया .....!!

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  11. # चलो
    आज की रात हम नज्मों के समुंदर में डूब जायें .....!!

    अपने एक ब्रज गीत की पंक्ति याद हो आई ...
    ई नदिया मं डूब गयो
    सच मान सो ही जग मं तरिहो...


    # किनारों पे बहती नदी अशांत सी थी ....
    मैंने लहरों को कसकर चूमा और दरिया के हवाले कर दिया .....!!

    इस दरियादिली का जवाब नहीं !

    # मुहब्बत तो हारने का नाम है .....!!
    सच !
    कई बार मालामाल हुए हैं हम फिर तो ... ... ...

    आदरणीया ♥हीर जी♥
    आपकी रचनाओं के हम यूं ही तो मुरीद नहीं हो गए ...
    :)
    बहुत बहुत सारी दुआएं पूरे दिल से ...
    :))
    शुक्र है तारीख बदलने से पहले घर पहुंच सका ...

    बसंत पंचमी एवं
    आने वाले सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
    राजेन्द्र स्वर्णकार

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  12. आज मुहब्बत का दिन है ..
    लो आज की रात
    मैं सारी की सारी हीर बन
    आ गई हूँ तुम्हारे पास
    चलो आज की रात हम
    नज्मों के समुंदर में
    डूब जायें .....!!prem ka sunder ahsas
    badhai

    ReplyDelete
  13. पर किनारों पे बहती नदी
    अशांत सी थी ....
    मैंने लहरों को कसकर चूमा
    और दरिया के हवाले
    कर दिया .....!!
    ...
    ...
    मुहब्बत तो हारने का
    नाम है .....!!

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  14. अभी मेरे लिखे हर्फों की
    कोई नज्म बनी भी न थी
    कि तुम सारे के सारे उतर आये
    मेरे सफहों पर ....
    पता नहीं आज के दिन, प्यास
    तुम्हें थी , मुझे थी
    या सफहों को ....

    बेहतरीन अभिव्यक्ति.

    ReplyDelete
  15. बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!बेहतरीन अभिव्यक्ति.

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  16. मोहब्बत की ''हीरयाली'' नज्में !
    सीधे दिल से निकलती सी पंक्तियाँ।

    हम सोते रहे, रात ढलती रही
    देखते रहे , वेलेंटाइन के रोज।

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  17. मेरे सफहों पर ....
    -----------------------
    गिरती- टूटती नज्म .....

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  18. सच कहा ...मोहब्बत तो हारने का नाम है ...
    "जब तक मोहब्बत न की थी तो हम सितारों से बाते किया करते थे !
    आज जब ऐ मोहब्बत ! तुझे देखा, तो इसी बात पे रोना आया !
    कभी तरसती थी मेरी निगाहें तेरे दीदार को ऐ मोहब्बत !
    आज जब फलक से उतरी तो तेरे नाम पे रोना आया ..!"

    छोटी बहना भूल गई मुझे ...

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  19. behtareen nazm ki...khoobsurat pyas...

    http://kumarkashish.blogspot.in/2013/02/blog-post_15.html

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  20. मुहब्बत तो हारने का
    नाम है .....!!
    स्वेदनाओं से ओत-प्रोत रचनाएँ ।
    बहुत खूबसूरत ।

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  21. काबिल-ए-गौर रचनाएं। मोहब्बत तो हारने का नाम है। कितनी अद्भुत बात है। हारने वालों के हौसलों की दाद देनी पड़ेगी। जीतने के लिए तो चारो तरफ होड़ मची है। हारने की तैयारी करने वाले तारीफ के काबिल हैं।

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  22. उम्रों के ....
    बूढ़े हुए जिस्मों को लांघकर
    अगर कभी हम मिले , तो
    उस वक़्त भी मेरी ठहरी हुई इन आँखों में
    मुस्कुरा रही होगी तुम्हारी मुहब्बत
    तुम्हें जीतने के लिए

    आदरणीया हरकीरत जी लाजबाब ...बहुत प्यारे और न्यारे भाव ..जय श्री राधे

    भ्रमर 5
    प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच

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  23. सुना है
    मोहब्बत को नींद नहीं आती कभी,
    जागती है रात-दिन|
    सोते हुए जिस्मों पर
    उसे पहरा जो देना है|


    बढ़ती रही तड़प
    खोयी रहीं आँखे|
    कौन हारा कौन जीता
    मुझे क्या पता,
    इस बीच
    वो अमर हो गयी|
    लोग कहते हैं
    कि वही तो मोहब्बत थी|

    ३-

    हमने नज़्म लिखी
    तुमने भी लिखी
    उसने भी लिखी|
    झूठ!
    नज़्म कोइ लिख ही नहीं सकता|
    मोहब्बत से बेहतर
    भला कोइ हो सकती है नज़्म
    जो लिखी नहीं जाती
    फैलती है
    खुशबू की मानिंद|
    इमरोज़ को पता है
    मोहब्बत की खुशबू
    कैसी समाई है
    ज़र्रे-ज़र्रे में|

    ४-

    आज फिर कुछ हुआ
    ......
    कहीं से गंध आ रही है
    कुछ जलने की|
    अभी-अभी लोगों ने बताया
    कि मोहब्बत गुज़री थी यहाँ से
    शायद
    कोइ दीवाना जला होगा|





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  24. महोब्बत के नाम सिर्फ एक ही दिन क्यों ?


    बेहद खूबसूरत रचनाएँ

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  25. बहुत गहरे एहसास...

    तुम्हें जीतने के लिए
    मैंने कभी कोई बाज़ी नहीं खेली थी
    अपने आप ही रख दी थीं
    सारी की सारी नज्में तुम्हारे सामने
    मुहब्बत तो हारने का
    नाम है .....!!

    सच है मोहब्बत में हार जीत कहाँ होती, पूर्णतः समर्पण... बहुत शुभकामनाएँ.

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  26. क्या खूब कहा आपने वहा वहा क्या शब्द दिए है आपकी उम्दा प्रस्तुती
    मेरी नई रचना
    प्रेमविरह
    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

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  27. हीरजी आप कैसे इतना अच्छा लिख लेती हैं...हर नज़्म दिल में उतरकर ...वहीँ रुक जाती है ..सांस के साथ ..धड़कन के साथ ...और दूसरी नज़्म पर फिर रवाँ होते हैं सब ...फिर थम जाने के लिए ...बस यही है जादू आपकी नज्मों का .....!

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  28. अभी मेरे लिखे हर्फों की
    कोई नज्म बनी भी न थी
    कि तुम सारे के सारे उतर आये
    मेरे सफहों पर ....

    क्या बात है. स्याह रात में प्रेम का दरिया.

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  29. इन कविताओं को पढ़कर ही जाना कि इमरोज ने आपको क्यों फोन किया था?

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  30. तस्लीम फ़ाज़ली का कहना है ...

    ख़ुदा ख़ुद प्यार करता है मुहब्बत एक इबादत है
    ये ऐसा ख़्वाब है जिस ख़्वाब की ताबीर जन्नत है

    फ़रिश्ते प्यार कर सकते तो फिर इंसान क्यूं आते
    न ये दुनिया बनी होती न तारे रोशनी पाते
    ज़माने की हर एक शै को मुहब्बत की ज़रूरत है
    ख़ुदा ख़ुद प्यार करता है मुहब्बत एक इबादत है

    मुहब्बत फूल है ख़ुश्बू है दरिया की रवानी है
    हर इक जज़्बा अधूरा है हर इक शै आनी जानी है
    क़यामत तक रहेगी जो मुहब्बत वो हक़ीक़त है
    ख़ुदा ख़ुद प्यार करता है मुहब्बत एक इबादत है



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  31. 1. आ गई हूँ तुम्हारे पास चलो आज की रात हम नज्मों के समुंदर में डूब जायें .....!!

    @1.मतलब..जो डूबे सो उबर जाये?

    2. मैंने लहरों को कसकर चूमा और दरिया के हवाले कर दिया .....!!

    @2. फिर कहां गई होगी वो मासूम...??

    3.रख दी थीं सारी की सारी नज्में तुम्हारे सामने मुहब्बत तो हारने का नाम है .....!!
    @3. और वही आंसू पोंछ कर कहती है
    ..ले मैं जीत गई!!!

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  32. मोहब्बत तो हारने का नाम है ... इसके आगे कुछ कहने की हिम्मत कहाँ .

    सलाम

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  33. बहुत ही प्यारी नज्में...दिल के भीतर तक उतर गई...इमरोज जी को (आपको फ़ोन करके आपसे ये नज्में लिखवाने का) शुक्रिया पहुंचा देंवे!
    बधाई और शुभकामनाएँ आपके संग्रह के लिए...

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