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Saturday, October 22, 2011

दिवाली पर कुछ क्षणिकाएं ....

कुछ दीये ऐसे भी होते हैं ...चाहे लाख आँधियाँ आये ...आसमां फटे ....उनकी रौशनी कभी कम नहीं होती ...'मोहब्बत' कुछ ऐसे ही दीये जलाती है दिलों में ......इसलिए .....


दो सांसों की बीच की ख़ामोशी में है ग़र , बुझता दीया
लिख दो ढाई अक्षर प्रेम के, जी जायेगा दिल का दीया ....



(१)

अमावस की रात .....

क कंपकंपाती ..
सूत के धागे की लौ
इक लम्बी दर्द भरी साँस के बाद
सो जाना चाहती है
आँखें भींचकर
उफ्फ.......
कितनी खौफजदा है यह
कोहरे भरी लम्बी रात ......!

(अस्पताल से )

(२)

उम्र का दीया .....

म्र का दीया छूती हूँ तो
सिर्फ कुछ काली सी लकीरें
उभर आती हैं ...
रब्बा...!
धुआँ उठने के लिए ही सही
कुछ बूंदें ज़िस्म में
बची रहने दे
अभी फर्ज को
कुछ दिन और जीना है ......!!


(३)

आखिरी बूंद तक.......

ह....
नहीं थकती
दौड़े चले आते हैं उसके पास
दुःख, दर्द, ज़ख्म ,
अपमान , अपशब्द, तिरस्कार
अवहेलना , आँसू, गम, खौफ़ , ख़ामोशी जैसे
अनगिनत शब्द .....
वह नहीं थकती .....
ताउम्र उन्हें संभाले रखती है
थपथपाकर रुमाल में
दीये की बाती सी जलती रहती है
तेल की आखिरी बूंद तक.......

(४)

रौशनी का रंग .....

ज़िन्दगी के .....
कितने ही दीये
वक़्त की कोख में बुझे हैं
टटोलती हूँ तो पत्थरों का
कोई हिस्सा नहीं पिघलता
इन आँखों में अब नहीं है कोई
हँसी तसव्वुर ....
फिर तू ही बता ...
इस रक्त-मांस की देह में मैं
रौशनी का रंग कैसे भरूं ....?

(५)

आस की लौ....

ई बार ....
दरवाज़ा खटखटाया है
ज़िन्दगी के कुछ हिस्से
कभी मेरी पकड़ में नहीं आये
जब-जब मुट्ठी खोली
दर्द तर्जुमा करने लगा
आज मैंने फिर छाती की आग को जलाया है
देखना है इन जलती-बुझती आँखों में
आस की लौ टिमटिमाती है या नहीं .....!

(६)

मोहब्बत का दीया ....

टूटती उम्मीदों के साथ
न जाने दिल के कितने दीये बुझे हैं
ऐसे में एक बार फिर तुम्हारा ख़त
ठहरी ख़ामोशी को
रुला गया है .....
मेरे लहू में अब
नहीं बचा कोई इश्क का कतरा
बता ! मैं मोहब्बत का दीया
कैसे जलाऊँ .....?


(७)

मन्नतों के चिराग ....

य खुदा !
अब पेड़ पर से
मेरी बाँधी वह कतरन खोल दे
मेरी मन्नतों के चिराग
बुझने लगे हैं .....

(८)

तेरा नाम .....

स घुप्प ...
अँधेरी रात में
तेरा नाम लेकर
रक्खा जो हाथ
दिल की कब्र पर
चिराग जल उठा .....

(९)

बाती ....

बाती हूँ
जलती हूँ
तड़पती हूँ
मेरा पैगाम है
मोहब्बत फैलाना
कुछ चीखती आवाजें
टूटे शीशे , रस्सियाँ ,
रक्त के कतरे ...
नहीं रोक सकते
मेरी मोहब्बत को .....

(१०)

इस बार आओ तो ....

स बार आओ तो
जला जाना मन का वह दीप भी
जो बरसों पहले
जाते वक़्त
प्रेम.....
बुझा गया था .....

(११)

दीया .....

हते हैं मोहब्बत
देह को ....
आखिरी बूंद तक
जिलाए रखती है
रांझेया...!
आज हीर फिर
अपने ज़िस्म की रुई से
तेरी मजार पर
मोहब्बत का .....
दीया जलाने आई है .....!!


( आप सब को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं ....और एक बार फिर राजेन्द्र स्वर्णकार जी का शुक्रिया जिन्होंने मुझे दूरदर्शन पर हुए कवि सम्मलेन की तस्वीरें लगाने का आग्रह किया उन्हीं तस्वीरों की बदौलत मुझे दिल्ली आकाशवाणी ने अपनी नज्मों की सी डी भेजने का आग्रह किया .....जिसका प्रसारण ३१ अक्तू. रात :३० पर होगा ....)

99 comments:

  1. कहते हैं मोहब्बत
    देह को ....
    आखिरी बूंद तक
    जिलाए रखती है
    रांझेया...!
    आज हीर फिर
    अपने ज़िस्म की रुई से
    तेरी मजार पर
    मोहब्बत का .....
    दीया जलाने आई है .....!!

    नि:शब्‍द करती क्षणिकाएं ...शुभकामनाओं के साथ बेहतरीन प्रस्‍तुति की बधाई ।

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर क्षणिकाये…………दीपावली की शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  3. आपको भी दीपवाली की शुभकामनायें...बहुत अच्छा लिखती अहिं,आप.प्रेम पगा हुआ है...दर्द घुला हुआ है...हरेक क्षणिका में

    ReplyDelete
  4. आपकी पंक्तियों ने इस बार हमारी दिवाली में चार चाँद लगा दिए

    ReplyDelete
  5. वह....
    नहीं थकती
    दौड़े चले आते हैं उसके पास
    दुःख, दर्द, ज़ख्म ,
    अपमान , अपशब्द, तिरस्कार
    अवहेलना , आँसू, गम, खौफ़ , ख़ामोशी जैसे
    अनगिनत शब्द .....
    वह नहीं थकती .....
    ताउम्र उन्हें संभाले रखती है
    थपथपाकर रुमाल में
    दीये की बाती सी जलती रहती है
    तेल की आखिरी बूंद तक.......
    बहुत खूब हरकीरत जी. भावों को शब्द देने की कला तो कोई आप से सीखे, सच्ची. जब भी आप लिखती हैं, कहीं न कहीं गहरे तक असर होता है. सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर हैं. दीपावली की शुभकामनाएं भी.

    ReplyDelete
  6. कई बार ....
    दरवाज़ा खटखटाया है
    ज़िन्दगी के कुछ हिस्से
    कभी मेरी पकड़ में नहीं आये
    जब-जब मुट्ठी खोली
    दर्द तर्जुमा करने लगा
    आज मैंने फिर छाती की आग को जलाया है
    देखना है इन जलती-बुझती आँखों में
    आस की लौ टिमटिमाती है या नहीं .....!
    .... dil karta hai her ehsaason ko utha lun , aur diye kee lau unchi kar dun

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति, बधाई .

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  8. मेरे ब्लॉग में आने लिए आभार,शुक्रिया,दिवाली पर लिखी क्षणिकाएं,बहुत अच्छी लगी सुंदर पोस्ट,बधाई....

    दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाये....

    ReplyDelete
  9. कहते हैं मोहब्बत
    देह को ....
    आखिरी बूंद तक
    जिलाए रखती है
    रांझेया...!
    आज हीर फिर
    अपने ज़िस्म की रुई से
    तेरी मजार पर
    मोहब्बत का .....
    दीया जलाने आई है ...

    हीर जी क्या कहूँ स्तब्ध हूँ । दीवाली की सुभ कामनाएँ ।

    ReplyDelete
  10. निशब्द!!!
    यादें....सिर्फ यादें ......
    किसी की दो लाइन याद आ रहीं हैं ....
    जीना भी बहुत बड़ा जुर्म है आखिर
    शायद ,इसी लिए हर शक्स को सज़ाएँ-मौत मिलती है ...???
    रीत तो पूरी करने के लिए ही होती है सो ....
    दिवाली की शुभकामनाएँ!
    खुश और स्वस्थ रहें !

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  11. वाकई आपने दिवाली गिफ्ट दिया है...! एक से बढ़कर एक। सभी आहें भरने को मजबूर करती हैं।

    बातों में हंसी
    क्षणिकाओं में दर्द घोलने की कला
    या खुदा!
    कहां से सीखी आपने?

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  12. हीर जी बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति ....
    इस रक्त-मांस की देह में मैं
    रौशनी का रंग कैसे भरूं ....?
    इसी तरह जिंदगी कितनी ही बार असहाय हो जाती है ....मगर ..nothing new undar the sun ..दिल का दिया जलाए बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता .....

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  13. वाह....ग्यारह क्षणिकाएं...सब एक से बढ़कर एक...
    दर्द समेटे हुए सब लाजवाब हैं.
    आपको भी दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं...

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  14. एहसास के ये करीबी दीये ..
    बहुत करीने से जल उठे हैं

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  15. ohhhhhhhhh,,,,
    kya shabd du in kshadikawo ko,
    bas nih, shabd ho gaye ham to.

    ap ko bhi dwali ki hardik subhkamnaye.

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  16. हरकीरत जी,

    तुम्हारी कवितायें कहीं दूर नीम गहरे में ले ज़ाती हैं.

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  17. कुछ बूंदें ज़िस्म में
    बची रहने दे
    अभी फर्ज को
    कुछ दिन और जीना है ....

    सभी क्षणिकाएं कमाल की हैं, बहुत सुन्दर.

    दीपावली की शुभकामनायें !! आपके और सभी परिवार जनों की अच्छे स्वास्थ्य के लिए शुभकामनायें (पता चला था कि आप Father-In-Law की सेवा-सुश्रुषा में लगी थीं).

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  18. उफ़..एक से बढकर एक...
    दूसरी और पांचवी तो छू गयी दिल को....
    आपके ब्लॉग को पढ़कर काफी कुछ मिलता है सीखने को....

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  19. खुबसूरत क्षणिकाएं हैं.... बधाई....

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  20. इस दीवाली पे
    जो रौशनी बिखरी है
    लोग कहते हैं,
    हीर ने
    गम के पहाड़ों पे आग लगाई है.
    दुखों की बाती
    उम्मीदों के तेल में भिगोकर
    जिजीविषा से रगड़कर
    भक्क से जलाई है
    जिसकी रौशनी में
    गुवाहाटी से दिल्ली तक
    दुनिया जगमगाई है.
    आपको सच्चे दिल से
    हमारी बधायी है.

    ReplyDelete
  21. कहते हैं मोहब्बत
    देह को ....
    आखिरी बूंद तक
    जिलाए रखती है
    रांझेया...!
    आज हीर फिर
    अपने ज़िस्म की रुई से
    तेरी मजार पर
    मोहब्बत का .....
    दीया जलाने आई है ....

    बेहतरीन प्रस्‍तुति की बधाई ....

    ReplyDelete
  22. बहुत सुन्दर प्रस्तुति, बधाई .

    ReplyDelete
  23. दीपावली की शुभकामनाएं,

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  24. Santosh Kumar said...

    (पता चला था कि आप Father-In-Law की सेवा-सुश्रुषा में लगी थीं).

    जी संतोष जी ...बेहद नाजुक स्तिथि से से गुजर कर एक बार फिर मौत को मात दी है उन्होंने

    ये सारी क्षणिकाएं अस्पताल में ही लिखी हैं ....

    फिलहाल वे घर पर हैं .....!!

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  25. गजब ..
    सब एक से बढकर एक !!

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  26. अस्पताल से पढ़कर दिल हिला...

    आपके पिताजी (ससुर साहब) के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना...

    जय हिंद...

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  27. अय खुदा !
    अब पेड़ पर से
    मेरी बाँधी वह कतरन खोल दे
    मेरी मन्नतों के चिराग
    बुझने लगे हैं .....

    क्या कहना चाहिए ऐसी स्थिति में समझ नहीं आ रहा है .....बस ....???

    ReplyDelete
  28. इस क्षणिकाओं की संवेदना और शिल्पगत सौंदर्य मन को भाव विह्वल कर गए हैं।

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  29. तेरा नाम .....

    इस घुप्प ...
    अँधेरी रात में
    तेरा नाम लेकर
    रक्खा जो हाथ
    दिल की कब्र पर
    चिराग जल उठा .....

    यूँ ही जला रहे चिराग और रौशनी फैलाए ..हर क्षणिका बेहद खूबसूरत ..

    दीपावली की शुभकामनायें

    ReplyDelete



  30. स्वागतम् !
    :)

    आपको सपरिवार
    दीपावली की बधाइयां !
    शुभकामनाएं !
    मंगलकामनाएं !

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  31. bahut sundar kshanikayen ..deepawali ki shubhkamnayen

    ReplyDelete
  32. बढिया समसायिक कविताए। दीपावली शुभकामनाएं॥

    ReplyDelete
  33. वह....
    नहीं थकती
    दौड़े चले आते हैं उसके पास
    दुःख, दर्द, ज़ख्म ,
    अपमान , अपशब्द, तिरस्कार
    अवहेलना , आँसू, गम, खौफ़ , ख़ामोशी जैसे
    अनगिनत शब्द .....
    वह नहीं थकती .....
    ताउम्र उन्हें संभाले रखती है
    थपथपाकर रुमाल में
    दीये की बाती सी जलती रहती है
    तेल की आखिरी बूंद तक......

    बहुत सुंदर क्षणिकाएं !!

    दीपोत्सव मुबारक हो !

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  34. क्षणिकाओं के माध्यम से शाश्वत दीप रौशन हुए हैं!

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  35. आदरणीय हरकीरत जी
    नमस्कार !

    बहुत सुन्दर क्षणिकाएँ ... सब ही एक से बढ़ कर एक
    .......आपको भी दीपवाली की शुभकामनायें.....

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  36. अद्भुत....!!

    दीप पर्व की सादर बधाईयाँ....

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  37. दो सांसों की बीच की ख़ामोशी में है ग़र , बुझता दीया / लिख दो ढाई अक्षर प्रेम के, जी जायेगा दिल का दीया ....सभी क्षणिकाएँ एक से बढ़कर एक ! दीपावली की शुभकामनाएँ ...

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  38. आदरणीया हीरजी,
    आपकी नज्मों पर टिप्पणी कर पाने की कूवत मुझमें नहीं है.
    बस दर्द की बौछारों का अहसास ही कर सकता हूँ मैं.

    "तेरी मर्जी है ज़न्नत में जगह दे यारब,
    जी चाहे तो दोज़ख की सज़ा दे यारब,
    हीर की दो चार नज्में साथ रख सकूं,
    बस इतनी सहूलियत दिला दे यारब."

    ReplyDelete
  39. सुन्दर प्रस्तुति
    परिवार सहित ..दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं

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  40. सुन्दर सृजन , प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें

    समय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.

    प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.

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  41. बोलती बंद कर देती हैं आपकी सभी क्षणिकाएं ... लाजवाब ... दीपों का पर्व मंगलमय हो ...

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  42. मुहब्बत के दीये..
    कभी जल गये
    कभी बुझ गये
    केवल धुआं देने के लिये...।

    क्षणिकाएं हैं या मुहब्बत का एलबम...!
    बहुत सुंदर कविताएं।

    ReplyDelete
  43. ज़िन्दगी के .....
    कितने ही दीये
    वक़्त की कोख में बुझे हैं
    टटोलती हूँ तो पत्थरों का
    कोई हिस्सा नहीं पिघलता
    इन आँखों में अब नहीं है कोई
    हँसी तसव्वुर ....
    फिर तू ही बता ...
    इस रक्त-मांस की देह में मैं
    रौशनी का रंग कैसे भरूं ....?

    बहुत दिनों बाद नज़र आई ..कहाँ गुम हो जाती हैं ? हाय रब्बा !दिखलाई भी नहीं देती ..ज़ालिम ?????

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  44. दीवाली की अनेको शुभ कामनाए ..क्योकि पता हैं अब अगले महीने मिलेगी ?

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  45. इस बार आओ तो ....

    इस बार आओ तो
    जला जाना मन का वह दीप भी
    जो बरसों पहले
    जाते वक़्त
    प्रेम.....
    बुझा गया था .

    मात्र इस पर मुहर ...
    मुझे साहित्य की आशावादी प्रवृत्ति बेहतर लगती है ...
    बहुत पहले भी कहा था मैंने ....याद है मुझे ,आपको याद हो या न याद हो :)

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  46. हरकीरत जी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  47. आद अरविन्द जी ,
    नहीं याद तो नहीं .....
    पर मैं निराशावादी नहीं हूँ .....
    पर itane ज़ख्म हैं कि अब लाख खुशियाँ मिल जायें
    मुस्कुराने को जी ही नहीं चाहता .....
    शायद इसलिए dard से अलग हो ही नहीं pati .....

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  48. इस दीवाली पर कुछ ज़ख़्मी यादों के दीये !

    आह कहें या वाह कहें ,
    हैरत में पड़ गए हैं कि क्या कहें ।

    कभी कभी दीवाली भी दर्द लेकर आती है ।
    आशा करते हैं कि यह दीवाली आपके सब दर्द और ग़म मिटाकर नई आशाओं के दीप जलाये ।
    राजेन्द्र जी का हमारी ओर से भी शुक्रिया ।

    ReplyDelete
  49. जिजीविषा और दर्द , हम निःशब्द है . पिताजी के स्वास्थ्य और प्रकाश पर्व की शुभकामनायें .

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  50. सभी क्षणिकाएं लाज़वाब...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  51. लाजवाब क्षणिकाएं अच्छा लगी ये दीपावली कि भेंट
    आपको व आपके परिवार को दीपावली कि ढेरों शुभकामनायें

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  52. आपकी क्षणिकाएं दिए के अस्तित्व में खुद के अस्तित्व को महसूस करके जज्ब हों गयीं हैं मुहब्बत की दुनिया में ......दीपावली की अग्रिम शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  53. नि:शब्‍द करती क्षणिकाएं ..दिवाली की शुभकामनाएँ...

    ReplyDelete
  54. अय खुदा !
    अब पेड़ पर से
    मेरी बाँधी वह कतरन खोल दे
    मेरी मन्नतों के चिराग
    बुझने लगे हैं .....

    बाती हूँ
    जलती हूँ
    तड़पती हूँ
    मेरा पैगाम है
    मोहब्बत फैलाना
    कुछ चीखती आवाजें
    टूटे शीशे , रस्सियाँ ,
    रक्त के कतरे ...
    नहीं रोक सकते
    मेरी मोहब्बत को .....

    बहुत ही खुबसूरत थी सारी.....ये दोनों तो मुझे बहुत पसंद आई..........आपको और आपके प्रियजनों को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें|

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  55. sbhi rachnaaye bhaavpoorn hain....
    ye alag baat hai ki usmen kahin naummeedi dikhti hai aur kahin kahin umeeden bhi....lekin bhav mein kahin koi kamee nahin hai..
    deewali ki shubhkaamnayen....

    ReplyDelete
  56. बहुत सुन्दर क्षणिकाये…………दीपावली की शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  57. वह नहीं थकती .....
    ताउम्र उन्हें संभाले रखती है
    थपथपाकर रुमाल में
    दीये की बाती सी जलती रहती है
    तेल की आखिरी बूंद तक.......
    .... शायद विधि का लेख ...
    ...आप क्षणिकाओं का माध्यम से जीवन की हताशा-निराशा, ख़ुशी-गम में डूबकर लिखती हैं की वे एक चलचित्र के भांति आँखों के सामने से झिलमिलाते हुए मन में गहरे उतरने लगते है..
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    आपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  58. बहुत खुबसूरती से अपने दिल के भावो को पन्नो पर बिखेर दिया ..बहुत सुन्दर...दीपावली की शुभकामनायें।

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  59. had to google translate this but great post love!

    FRASSY
    FRASSY

    www.befrassy.com

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  60. भावपूर्ण भावान्वेषण,बहुत ही अच्छी क्षणिकाएं,डा. दराल जी की बातोँ से सहमत हूँ।दीपावली की हार्दिक शुभकामनायेँ

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  61. कल 26/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, दीपोत्‍सव की अनन्‍त शुभकामनाएं . धन्यवाद!

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  62. दीपावली के पावन पर्व पर आपको मित्रों, परिजनों सहित हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ!

    way4host
    RajputsParinay

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  63. आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । .मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । दीपावली की शुभकामनाएं ।

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  64. आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!

    सादर

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  65. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    आपकी पोस्ट की हलचल आज (26/10/2011को) यहाँ भी है

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  66. bahut sunder , hamesha ki tarah ,
    happy deepawali harkeerat ; doosri amrita :)

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  67. kuch kahne ke liye shabd hi nahin hain.......bemisaal.

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  68. दीपावली के अवसर पर आपकी क्षणिकाओं की यह प्यारी-सी भेंट बहुत अच्छी लगी। कई क्षणिकायें तो पकड़कर ही बैठ जाती हैं… अपने पास से जाने ही नहीं देतीं… बधाई ! दीपावली की शुभकामनाएं…

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  69. बहुत सुन्दर क्षणिकाये दीपावली की शुभकामनाएं,

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  70. शानदार अंदाज़...
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  71. ਖ਼ੁਸ਼ਿਯਾ ਦੇ ਤ੍ਯੋਹਾਰ ਬੰਦੀ ਛੋੜ ਦਿਹਾੜੇ ਦੀ ਆਆਪ ਜੀ ਦੇ ਪੂਰੇ ਪਰਿਵਾਰ ਨੂ ਲਖ ਲਖ ਵਧਾਈ
    http://ekprayasbetiyanbachaneka.blogspot.com/
    http://www.facebook.com/groups/SwaSaSan/

    ReplyDelete
  72. ਖ਼ੁਸ਼ਿਯਾ ਦੇ ਤ੍ਯੋਹਾਰ ਬੰਦੀ ਛੋੜ ਦਿਹਾੜੇ ਦੀ ਆਆਪ ਜੀ ਦੇ ਪੂਰੇ ਪਰਿਵਾਰ ਨੂ ਲਖ ਲਖ ਵਧਾਈ
    http://ekprayasbetiyanbachaneka.blogspot.com/
    http://www.facebook.com/groups/SwaSaSan/

    ReplyDelete
  73. हमेशा की तरह लाजवाब करती हुई क्षणिकाये
    दीपावली की शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  74. सभी क्षणिकाएँ एक से बढ़कर एक हैं|बधाई!
    मेरे ब्लॉग पर आने हेतु आभार|

    ReplyDelete
  75. **************************************
    *****************************
    * आप सबको दीवाली की रामराम !*
    *~* भाईदूज की बधाई और मंगलकामनाएं !*~*

    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    *****************************
    **************************************

    ReplyDelete
  76. बढ़िया प्रस्तुति शुभकामनायें आपको !
    आप मेरे ब्लॉग पे आये आपका में अभिनानद करता हु

    दीप उत्‍सव स्‍नेह से भर दीजिये
    रौशनी सब के लिये कर दीजिये।
    भाव बाकी रह न पाये बैर का
    भेंट में वो प्रेम आखर दीजिये।
    दीपोत्‍सव की हार्दिक शुभकामनाओं सहित
    दिनेश पारीक

    ReplyDelete
  77. राजेन्द्र जी ,
    आपका ब्लॉग खोलने पर ये सन्देश आ रहा है ......

    Blog has been removed

    Sorry, the blog at shabdswarrang.blogspot.com has been removed. This address is not available for new blogs.

    और इस बारे में तो मुझसे ज्यादा आपको पाबला जी , समीर जी या ब्लॉग टिप्स वाले आशीष जी जानकारी दे सकते हैं कि ऐसा क्यों ....

    वैसे आप चिंता न करें गूगल समस्या भी हो सकती है .....

    इतने fallowes का बोझ नहीं उठा पा रहा होगा बेचारा ......:))

    ReplyDelete
  78. #
    मुझे बधाई दें हीर जी !
    मेरे दोनों ब्लॉग कुछ देर पहले लौट आए हैं
    :)))))))))

    ReplyDelete
  79. bahut sundar rachna ek se badhkar ek
    ...bahut umda prastuti..
    mai apke blog pe pehli bar lagbhag saari rachna padha ...bahut achha ..
    mai sadasya ban raha hu..
    abhar

    ReplyDelete
  80. dil ki gahraiyon ko chhoo lene vali kshanikayen....deepawali ki shubhkamnayen..

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  81. सभी दिए रोशन और बाकमाल , जलालोजौहर से मालामाल। इस्तकबाल इस्तकबाल । खासकर यह दियरी (क्षणिका) अत्यधिक सुन्दर लगी।

    उम्र का दीया छूती हूँ तो
    सिर्फ कुछ काली सी लकीरें
    उभर आती हैं ...
    रब्बा...!
    धुआँ उठने के लिए ही सही
    कुछ बूंदें ज़िस्म में
    बची रहने दे
    अभी फर्ज को
    कुछ दिन और जीना है ......!!

    एक कवि के अनुसार
    मेरी एक एक सांस खाकर भी
    थकता नहीं है
    रात दिन खटता है
    जब भी आंख खुलती है
    फ़र्ज़ सिरहाने दिखता है।

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  82. बहुत सुन्दर रचना|
    आपको तथा आपके परिवार को दिवाली की शुभ कामनाएं!!!

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  83. बहुत सुन्दर रचना|
    आपको तथा आपके परिवार को दिवाली की शुभ कामनाएं!!!

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  84. lajwaab ji .. waise aapki lekhni kaa jadu to hai zabardast .. deewali ki hardik shubhkaamnaae ....

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  85. वाह क्या बात है ...बहुत भावपूर्ण रचना.
    कभी समय मिले तो http://akashsingh307.blogspot.com ब्लॉग पर भी अपने एक नज़र डालें .फोलोवर बनकर उत्सावर्धन करें .. धन्यवाद .

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  86. आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेर नए पोस्ट पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  87. der se padhi, par sabhi kshanikayein bahut khoob lagi, shuru ki kuch kshanikayein bahut bheetar utar jaati hai, baad ki thodi halki hai.. par sabhi acchi lagi.. badhai

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  88. .

    इस बार आओ तो
    जला जाना मन का वह दीप भी
    जो बरसों पहले
    जाते वक़्त
    प्रेम.....
    बुझा गया था .....
    बहुत सुन्दर.

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  89. सभी नज्में ....गहन भावों की सार्थक प्रस्तुतियां
    मन को झकझोरने में समर्थ .........

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  90. शब्दों को आपने भावों के कितने करीब पहुंचा दिया है ..निशब्द हूँ मई...कोमल बिम्बों की बेहद घनी छाँव ........शुभ कामनायें आभार....

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  91. हरकीरत जी आपका ब्लॉग देख कर दिल खुश हो गया...और आप जैसी हस्ती ने मेरे ब्लॉग पर पधार कर और मेरी रचना की तारीफ की,ये मेरे किये बहुत बड़ी बात है...आपका बहुत आभार...आपकी दिवाली पर कही क्षणिकाएं मन को छू गयी...
    अय खुदा !
    अब पेड़ पर से
    मेरी बाँधी वह कतरन खोल दे
    मेरी मन्नतों के चिराग
    बुझने लगे हैं .....
    बेमिसाल लिखा है.दाद कबूल करें....

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  92. हरकीरत जी आप की क्षणिकाएं बहुत बहुत खूबसूरत हैं . हर एक बूँद में सागर समाया है . आप को पढ़ कर बहुत अच्छा लगा .

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  93. नि:शब्‍द करती सभी क्षणिकाएं ....बहुत सुन्दर

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  94. to yeh hoti hain chhanikaayen;kitna hasaas likhtiin hain aap;itne kam shabdon mein kitni baRi-Bari baaten aap ne likhii hai yahaan;aur har ek ka apna rhythm hai,jise pingal ya behr nahiin pakad sakte.Aap kahin arkaan,maatraa seekhate aisa likhna na tark kar diijiyega.Bahut baRaa nuqsaan ho jaayega literature ka

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