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Saturday, March 8, 2014

महिला दिवस पर एक कविता  …… 

 खुराफ़ाती जड़ …

इतना नीचे मत गिर जाना
कि तमाम उम्र मैं अपनी नज़रों में
फिर तुम्हें उठा न सकूँ
और मेरी अंगुलियां सनी रहे 
तुम्हारे उगले घिनावने शब्दों के
रक्त से …

देखो ! कोने की मकड़ी
खुद ही फंस गई है अपने बनाये जाल में
लो मैंने तोड़ दिया है एक तंतु
पूरे का पूरा जाल हिलने लगा है
सुनो ! तुम मत फंस जाना
अपने बनाये जाल में
वर्ना एक तंतु के टूटते ही
हिलने लगेगा तुम्हारा पूरे का पूरा वजूद …

बौखला क्यों गए ?
अभी तो चींटी ने अपने दांत भी नहीं गड़ाये
बस एक अंगुली भर में काटा है
और तुम धड़ से अलग हो गए हो ?
जब चींटियों की लम्बी कतार करेगी
तुम पर हमला
तब तुम जड़ से विहीन
खड़े भी न रह पाओगे
क्योंकि चींटियों ने तुम्हारी
खुराफ़ाती जड़ को तलाश लिया है ....

हरकीरत 'हीर '

15 comments:

  1. एक न एक दिन ऐसा जरुर आएगा।

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  2. खुराफ़ाती जड़ वाह क्या शब्द प्रयोग किया है :)
    बहुत पसंद आयी यह रचना बधाई आपको !

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  3. आज की लिए विशिष्ट रचना
    महिलाओं की क्षमताओं का परिणाम - यह महिला दिवस

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  4. लोग अपने लिये स्वयं ही गढ्ढे खोद लेते है। समभाव यथासम्भव बना रहे।

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  5. आज के दिन के लिये यह बेउन वान नज़्म काफी कुछ कहती है...!! बहुत कुछ!! बधाई!

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  6. चीटियाँ ग्रुप गतिविधियों को खूबसूरती से अंजाम देतीं हैं...उनकी ताकत है नेटवर्किंग और सह अस्तित्व...खुराफात से लड़ने ले किये संगठित होना आवश्यक है...

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  7. बहुत ही सार्थक और सशक्त अभिव्यक्ति... अब सार्थक महिला दिवस मनाएँ, महिला दिवस की शुभकामनाएँ …

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  8. प्रतीक एक माध्यम से कितना कुछ कहती पोस्ट ... लाजवाब ...

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  9. इस विशिष्‍ट रचना ..... एवं दिवस की बधाई

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  10. "क्योंकि चींटियों ने तुम्हारी खुराफ़ाती जड़ को तलाश लिया है"
    सुन्दर.......

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  11. क्योंकि चींटियों ने तुम्हारी
    खुराफ़ाती जड़ को तलाश लिया है ....
    ...बहोत खूब...वाह...!!!!!

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  12. सुन्दर और सामयिक पोस्ट...
    आप को होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
    नयी पोस्ट@हास्यकविता/ जोरू का गुलाम

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  13. क्योंकि चींटियों ने तुम्हारी
    खुराफ़ाती जड़ को तलाश लिया है ... बहुत बढिया

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  14. बौखला क्यों गए ?
    अभी तो चींटी ने अपने दांत भी नहीं गड़ाये बस एक अंगुली भर में काटा है और तुम धड़ से अलग हो गए हो ?
    bahut hi damdar sawaal?

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