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Wednesday, September 18, 2013

हल्दी घाटी का महाराणा प्रताप संग्रहालय और श्रीमाली जी …

हल्दी घाटी का महाराणा प्रताप संग्रहालय और श्रीमाली जी  …

जैसा कि फेस बुक से आप सब को पता चल ही गया होगा  कि हल्दी घाटी में मुझे राष्ट्रीय साहित्य , कला और संस्कृति परिषद् द्वारा साहित्य रत्न राष्ट्रिय सम्मान दिया गया। . जिस संग्रहालय में हमें ये सम्मान दिया गया आइये उसके बारे में थोड़ी सी जानकारी आप सब को दूँ   ….

सब से पहले मिलवाती हूँ उस संग्रहालय से जहां हमारा कार्यक्रम आयोजित हुआ और जिसका निर्माण श्री मोहन लाल श्रीमाली जी ने अपने बल बूते पे किया । जिसके लिए वे राष्ट्रपति  के हाथों सम्मानित भी हो चुके हैं ……
‘‘मंजिलें उनको मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौंसलें से उड़ान होती है’’

उदयपुर के एक शिक्षक मोहनलाल श्रीमाली ने अकेले दम एक पूरा संग्रहालय बनाकर इन दो पंक्तियों को पूरी शिद्दत से साकार कर दिखाया है। 
                                              डॉ अमर सिंह वधान जी के साथ बैठे हुए श्रीमाली जी  ….

झीलों की इस खूबसूरत नगरी में आने वाले देश विदेश के मेहमान हल्दीघाटी संग्रहालय जरूर जाते हैं और श्रीमाली की मेहनत और जज्बे की दाद दिए बिना नहीं रहते.
श्रीमाली ने विषम परिस्थितियों में इस बेहतरीन संग्रहालय को आकार दिया है जो यहां आने वालों को इतिहास के गर्भ में छिपी बहुत सी कहानियों की दास्तान सुनाता है. 
सूत्रों के अनुसार मोहन लाल श्रीमाली ने अध्यापक की नौकरी से अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेने के बाद राज्य सरकार से मिली पूंजी से संग्रहालय का तिनका तिनका बटोरना शुरू कर दिया. उनकी साधना रंग लाई और हल्दीघाटी संग्रहालय आकार सजने संवरने लगा.
हल्दीघाटी संग्रहालय, भक्ति और स्वाभिमान के प्रतीक राष्ट्रनायक महाराणा प्रताप के जीवन की घटनाओं और दृष्टान्तों को विविध रूपों में संजो कर ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण का एक अनूठा प्रयास है. 



संग्रहालय में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जीवन की यादों को इस तरह से संजोया गया है कि उन्हें देखने वाला इतिहास के पन्नों में गुम हो जाता है.
यहां आने वालों का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर से साक्षात्कार होता है. यह संग्रहालय महाराणा प्रताप और मानसिंह के बीच हुए युद्ध की साक्षी रही हल्दी घाटी पहुंचने वाले सैलानियों विशेष तौर से युवा पीढी को देशभक्ति का संदेश और प्रेरणा देता है.
संग्रहालय में मेवाड़ का राज्यचिन्ह, पन्ना धाय का बलिदान, गुफाओं में महाराणा प्रताप की अपने मंत्रियों से गुप्त मंत्रणा, शेर से युद्ध करते प्रताप, भारतीय संसद में स्थापित महाराणा प्रताप की झांकी की प्रतिमूर्ति, मानसिंह से युद्ध करते महाराणा प्रताप, महाराणा प्रताप एवं घायल चेतक घोड़े का मिलन, महाराणा प्रताप का वनवासी जीवन के साथ-साथ उनसे जुड़े अन्य प्रसंगों को यहां आकर्षक माडल, चित्र और झांकी के रूप में प्रदर्शित किया गया है.
संग्रहालय में कृष्ण दीवानी मीरा, महाराणा अमर सिंह, महाराणा उदय सिंह, महाराणा संग्राम सिंह राणा सांगा महाराणा कुम्भा और महाराणा बप्पा रावल के बड़े-बड़े चित्र बडी सुन्दरता से प्रदर्शित किए गए हैं.
ऐतिहासिक विरासत का सजीव प्रस्तुततीकरण कलाकृतियों और मूर्तियों के रूप में किया गया है.

१६ वर्ष पूर्व प्रारंभ किया गया संग्रहालय निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ रहा है और आज काफी विकसित रुप में यहां आने वाले सैलानियो की पहली पसन्द बन गया है। 
                    संग्रहालय के बाहर ऊंटों की सवारी भी मौजूद रहती है हल्दी घाटी घुमने के लिए  ….


संग्रहालय में महाराणा प्रताप के जन्म से लेकर मृत्यु तक के घटनाक्रम को आकर्षक मुर्तियों के मॉडल, चित्रों झांकियों के रूप में आकर्षक रूप में पदर्शित किया गया है। एक मिनी थियेटर में महाराणा प्रताप के जीवन पर आधारित फिल्म का पदर्शन भी किया जाता हैं। साथ ही राजस्थान से लुप्त हो रही संस्कृति, कुंए से पानी बाहर निकालने के लिए रहट, पिराई लिए कोल्हू, तेल की घाडी, रथ, बैलगाडी, गाडिया लौहार, कृषि यंत्र, वाद्य यंत्र, वेश भूषा आदि का प्रदर्शन भी किया गया है। आने वालों के लिए मनोरंजन हेतु कृत्रिम झील का निर्माण कर बोटिंग की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। हस्तशिल्प को प्रचलित करने की दृष्टि से हस्तशिल्प यहां मौजूद है। श्रीमाली का ही प्रयास है कि अब हल्दीघाटी आने वालों को प्रताप के घोडे चेतक की समाधी, रक्त तलाई के साथ-साथ यह संग्रहालय देखने को मिलता है

                                 पीछे तस्वीर में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से सम्मानित होते श्रीमाली जी …


इस संग्रहालय के निर्माण के लिए श्रीमाली ने अपनी वी.आर.एस. का एक-एक पैसा, पुश्तैनी जमीन, जेवर व मकान बेच कर पूरा पैसा इसमें लगा दिया। प्रारंभ में बैंको ने कर्जा देने से मना कर दिया परन्तु जब संग्रहालय निर्माण का कार्य तेजी पर नजर आया तो बैंकों ने ऋण भी उपलब्ध कराया। संग्रहालय का निर्माण ही नहीं वरन् संग्रहालय के लिए जमीन भी उन्होंने अपने रूपयों से खरीदी। संग्रहालय के निर्माण के लिए कोई आर्किटेक्ट नहीं मिला तो इन्होंने संपूर्ण कल्पना को स्वयं ही अपनी इच्छा शक्ति के साथ साकार किया। हल्दीघाटी संग्रहालय की स्थापना से पूर्व यहां वर्ष में करीब २५ हजार पर्यटक यहां आते थे जबकि अब प्रति वर्ष ४ लाख से अधिक पर्यटक यहां आने लगे हैं।



             हमारे कार्यक्रम में भी श्रीमाली जी को सम्मानित किया गया  …. 


हल्दी घाटी में महाराणा प्रताप की पावन स्मृति में प्रताप संग्रहालय के निर्माता श्री मोहनलाल श्रीमाली को "राष्ट्र गौरव के प्रतीक" की उपाधि से अलंकृत किया गया।
आप भी कभी हल्दी घाटी जाएँ तो ये संग्रहालय जरुर देखें …
अगली बार हल्दी घाटी के कुछ अन्य ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी दूंगी …. !!

20 comments:

  1. पहली बार आपका लिखा लेख पढ़कर अत्यंत हर्ष की अनुभूति हुई. श्रीमाली जी के बारे में जानकर अच्छा लगा. साहित्य रत्न राष्ट्रिय सम्मान के लिए हार्दिक बधाई।

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  2. हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

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  3. सम्मान हेतु बहुत बहुत बधाई ..... संग्राहलय की विस्तृत जानकारी मिली .... श्री माली जी ने सच ही बहुत सराहनीय कार्य किया है ....

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  4. सम्मान हेतु बहुत बहुत बधाई ....
    यह संग्रहालय हमने देखा है ..वाकई बहुत ही अच्छा है.

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  5. आपको बहुत बहुत बधाई और श्रीमाली जी के प्रयास को भी सादर नमन

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  6. सम्मान के लिये आपको ढेरों बधाई

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  7. बहुत बढ़िया पोस्ट...
    सम्मान के लिए आपको बहुत बहुत बधाई....
    ऐसे और भी ढेरों सम्मान आप पायें ऐसी कामना है...
    सादर
    अनु

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  8. बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें आपको......

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  9. सम्मान हेतु बहुत बहुत बधाई

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  10. सम्‍मान की प्राप्ति पर बहुत-बहुत बधाई
    आप यूँ ही निरन्‍तर प्रगतिपथ पर अग्रसर रहें
    .......

    ....

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  11. इस सामान हेतु बहुत बहुत बधाई ...
    श्री माली जी के बारे में उनके व्यक्तित्व से मिलना अचा लगा ... उनका कार्य सचमुच सराहना के योग्य है ...

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  12. सम्मान के लिए आपको बहुत बहुत बधाई....!!!

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  13. ये तो वाकई बहुत महान कार्य है।

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  14. सम्मान के लिए आपको बहुत बहुत बधाई....!!!

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  15. बधाई और शुभकामनायें आपको सम्मान के लिए
    श्रीमाली जी भारत के सच्चे सपूत

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  16. बधाई. आप इस सम्मान की पूरी हक़दार हैं. श्रीमालीजी को साधुवाद.

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  17. साहित्य रत्न सम्मान की बधाई। श्रीमाली जी का कार्य अत्यंत सराहनीय है। और आपका लेख जानकारी भरा।

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  18. बहुत सुन्दर ऐतिहासिक किन्तु वास्तविक महाराणा के बारे में पढने से रोमांचित हो जाता हूँ ,बहुत-बहुत बधाई.

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  19. हरकीरत जी हमारी भी आपको तहे दिल से बधाई और शुभकामनाएँ..

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  20. आज अचानक इस लेख पर नज़र गयी ...देरी से सही मगर एक बहुत ही खूबसूरत लेख और जानकारी मिली ...बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया...सादर नमन

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