Pages

Pages - Menu

Thursday, July 11, 2013

यादें ......

आज पेश है यादों में उलझी-सुलझी इक नज़्म .....

यादें ......
 
गुलाबी सी सपनों की चादर
जलता सा  ख़्वाब ज़हन में
इक आग का  दरिया  है औ'
 इक कम्पन सी बदन  में
आज भूली बिसरी बातों की
यादें साथ आई हैं  ....
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं  ....

वक़्त के सीने में सिमटी
कुँवारी सी हसीन कहानी
इश्क़ के पानियों पर  लिखी
बीज  की इक जिंदगानी
सुलगती सी रात ये
नुक्ते पर सिमट आई है ...

धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं  ....


दीवानी सी हर गली थी
हँसती थी तन्हाई  में
अक्षर-अक्षर जश्न मनाती 
रात गुजरती शहनाई में
हवा दे रही हिचकोले
 चनाब चढ़-चढ़ गदराई  है ...

धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं  ....


बावरी सी कोई महक ये
भीगती है मेरे  संग संग
 कौन रख गया है आज
यादों में इक खुशनुमा रंग
देह में रौशनी की इक
लकीर सी कुनमुनाई है ...

धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं  ....


वह सोहणी थी  या सस्सी
साहिबां थी या कोई हीर
इश्क़ में डूबी जीती-जागती
मोहब्बत की थी कोई ताबीर
पूरे  आसमान में इक
 खलबली सी मच आई  है ...

धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं  ....


आज चाँद की छाती में फिर से
प्यार की इक हूक  उठी
सितारों की चादर में किसने
बादलों  की नज्म लिखी
आज वादियों से तेरे नाम की
सदा उठ -उठ आई है ....

भूली बिसरी बातों की
यादें साथ आई है ....
धड़कती सी ज़िन्दगी की
कुछ नज्में याद आई हैं  ....



हीर ......

31 comments:

  1. वाह हरकीरत जी ! एक दम नया सा लगा ये तो - चनाब गदराई है ...

    बहुत ही खुबसूरत नज़्म . ख्यालों की हवा में पींग सी बढाती हुई

    ReplyDelete
  2. बहुत ही खुबसूरत नज़्म

    ReplyDelete
  3. वक़्त की छाती में
    दबा है इक रहस्य
    अंतर के पानी में
    कोई बीज ले रहा जन्म
    सुलगती सी रात ये
    नुक्ते पर सिमट आई है ...

    वाह, बहुत ही खूबसूरत.

    रामराम.

    ReplyDelete
  4. शुक्रिया ब्लॉग बुलेटिन .....

    ReplyDelete
  5. स्मृतियों का रेला, बहता झर झर आता..

    ReplyDelete
  6. यादों की खुबसूरत नज्म दिल में घर कर गई..

    ReplyDelete
  7. यादों का परचम जब लहराए ,
    यादों में जब यादें याद आयें ।
    गुजरी यादों को याद कर के ,
    मन बावरा बहका बहका जाये।

    आज कुछ जो अलग सा लिखा है, सच मानिये हीर जी , बहुत अच्छा लगा।

    ReplyDelete
  8. बेहद खूबसूरत नज़्म हीर जी....
    मन चनाब हो गया...बह निकला यादों के साथ........

    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  9. बहुत बहुत ही सुन्दर

    ReplyDelete
  10. बड़ी खूबसूरत हैं ये यादें !

    ReplyDelete
  11. साधू-साधू...
    अतिसुन्दर

    ReplyDelete

  12. बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें ,कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

    ReplyDelete
  13. बहुत ख़ूबसूरत नज़्म...

    ReplyDelete
  14. क्या कहें! शब्द ही नहीं मिल रहे हीर जी...~ चिनाब की लहरें... और यादों की लक़ीरें....~बहुत ही खूबसूरत!
    ~सादर!!!

    ReplyDelete
  15. एक याद तेरी
    एक याद मेरी
    बन गई एक
    फ़साने की महफ़िल ||...अंजु(अनु)

    ReplyDelete
  16. बहुत ही खूबसूरती स वयक्त किया है मन के भावो को....

    ReplyDelete
  17. बहुत खूबसूरत सी यादें आई हैं .... इतनी प्यारी नज़्म की बस पढ़ते जाएँ ...लिखने को कुछ भी नहीं बस महसूस किया ।

    ReplyDelete
  18. आज चाँद की छाती में फिर से
    प्यार की इक हूक उठी
    सितारों की चादर में किसने
    बादलों की नज्म लिखी
    आज वादियों से तेरे नाम की
    सदा उठ -उठ आई है ....

    खुबसूरत नज़्म .

    ReplyDelete
  19. वह सोहणी थी या सस्सी
    साहिबां थी या कोई हीर
    इश्क़ में डूबी जीती-जागती
    मोहब्बत की थी कोई ताबीर
    पूरे आसमान में इक
    खलबली सी मच आई है ...

    बहुत उम्दा ख्याल ... नज़्म शायद ऐसे ही पैदा होती हैं ... यादों का कारवाँ ले के खलबली मचाते हुए ... बहुत खूब ...

    ReplyDelete
  20. बहुत ही खूबसूरत ..... कोमल
    सुंदर रचना संझा करने के लिये शुक्रिया :)

    ReplyDelete
  21. बहुत ही खुबसूरत रचना...
    बेहतरीन और मनभावन...
    :-)

    ReplyDelete
  22. वाह !!!!!!!!!!! यादों की गलियों में
    ऐसे मोड़
    ऐसी दीवानगी
    जो हर अक्षर को बना देती है बावरा ....

    ReplyDelete
  23. कुछ यादें जिंदगी की धड़कन बन जाती हैं
    और बना जाते हैं कई नज्म
    बहुत खूब
    साभार!

    ReplyDelete
  24. वह सोहणी थी या सस्सी
    साहिबां थी या कोई हीर
    इश्क़ में डूबी जीती-जागती
    मोहब्बत की थी कोई ताबीर
    पूरे आसमान में इक
    खलबली सी मच आई है ...

    धड़कती सी ज़िन्दगी की
    कुछ नज्में याद आई हैं .
    kya likhu tareef ke liye shabd km pd rhe hain ....aabhar Heer ji
    blog pr aamantran sweekaren .

    ReplyDelete
  25. बावरी सी कोई महक ये
    भीगती है मेरे संग संग
    कौन रख गया है आज
    यादों में इक खुशनुमा रंग
    देह में रौशनी की इक
    लकीर सी कुनमुनाई है ...

    धड़कती सी ज़िन्दगी की
    कुछ नज्में याद आई हैं ...

    आ हा दिल खुश हो गया इस नज्म को पढ कर ।

    ReplyDelete
  26. मैं भी '' सदा '' जी के शब्दों में कहना चाहूँगा -
    ...यादों की गलियों में
    ऐसे मोड़
    ऐसी दीवानगी
    जो हर अक्षर को बना देती है बावरा ...

    ReplyDelete
  27. बावरी सी कोई महक ये
    भीगती है मेरे संग संग
    कौन रख गया है आज
    यादों में इक खुशनुमा रंग
    देह में रौशनी की इक
    लकीर सी कुनमुनाई है ..

    bahut sundar hai ...

    ReplyDelete


  28. ☆★☆★☆

    वक़्त के सीने में सिमटी
    कुँवारी सी हसीन कहानी
    इश्क़ के पानियों पर लिखी
    बीज की इक जिंदगानी
    सुलगती सी रात ये
    नुक्ते पर सिमट आई है ...

    धड़कती सी ज़िन्दगी की
    कुछ नज्में याद आई हैं ....

    बावरी सी कोई महक ये
    भीगती है मेरे संग संग
    कौन रख गया है आज
    यादों में इक खुशनुमा रंग
    देह में रौशनी की इक
    लकीर सी कुनमुनाई है ...

    धड़कती सी ज़िन्दगी की
    कुछ नज्में याद आई हैं....

    शुक्र है , यादें बदसूरत बेवफ़ा नहीं होतीं...

    आदरणीया हरकीरत 'हीर' जी
    इस नज़्म के बारे में कुछ कहना सूरज को दीया दिखाने के समान होगा...
    क्या कहा जाए !

    मंगलकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete