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Monday, July 1, 2013

उत्तराखंड की त्रासदी पर कुछ हाइकु ....

१६  जून २०१३ को उत्तराखंड में भारी बारिश से आई तबाही पर
 कुछ हाइकु ....


महाकाल के
आगोश में समाया
उत्तराखंड

(२)

फटा बादल
उमड़ा यूँ सैलाब
आया प्रलय

(३)

कुदरत ने
कहर बरपाया
मची तबाही
(४)

प्रकृति रोई
लगा लाशों का ढेर
डूबे शहर

(५)

डूबी बस्तियां
केदारनाथ अब
बना श्मशान

(६)

मत खेलना
कभी प्रकृति से,थी
ये चेतावनी

(७)

मिट्टी  बांधते
पेड़ - पौधे जड़ों से
न काटो इन्हें

(८)
कटते पेड़
उफनती नदियाँ
भू-स्लखन


१६  जून २०१३ को उत्तराखंड में भारी बारिश से आई तबाही पर.....
रोया केदारनाथ ....

इक तबाही
कयामत भरी रात में
ले डूबी हजारों सपने
हजारों ख्वाहिशें , हजारों ख्वाब
बह गई बस्तियां
उजड़ गए घर बार
टूटे पहाड़ , आया सैलाब
टूटे संपर्क , रूठी जिंदगियां
खौफनाक चीखें और मलबे का ढेर
लाशों का मंज़र , कुदरत का कहर
जल का तांडव बचा न कोई 

मची तबाही हाल बेहाल
बंद आँखों में हजारों सवाल

देव भूमि में  बरपा आज कहर
लील ले गई उफनती लहर
सूने हो गए घर के चिराग
कैसी ये विभीषिका
कैसा या सैलाब .....?

उजड़ा उत्तराखंड 
रोया केदारनाथ ....

27 comments:

  1. बहुत सुंदर मेम
    बहुत सुंदर

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  2. आजीवन हो
    आह्लादित हृदय
    एक साथ तेरा ......
    1-7-13 .....

    अतुलनीय
    सार्थक है हाइकु
    समयानुकूल .....

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  3. भावनाओं को उद्द्वेलित करते हाइकू .. बहुत ही मर्मस्पर्शी !

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  4. आपकी यह रचना कल मंगलवार (02-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  5. .
    सार्थक प्रस्तुति आभार मुसलमान हिन्दू से कभी अलग नहीं #
    आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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  6. शोर मचाती वर्षा बूँदें,
    हमें डराती वर्षा बूँदें।

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  7. सच में प्रकृति रोई ....... भीतर तक उतरती पंक्तियाँ

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  8. बहुत सुंदर मेम
    बहुत सुंदर

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  9. बहुत मर्मस्पर्शी हाइकु .... सच है तबाही ने सबके हृदय को व्याकुल कर दिया है ।

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  10. संवेदनशील हायकू इस त्रासदी पर जिसके लिये हम सब भी कुछ हद तक जिम्मेदार हैं.

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  11. अरसे बाद आपकी शायरी से फिर रूबरू हुआ हूँ .वैसे ही इंसानी दर्द और पीड़ा की अभिव्यक्ति .फिलहाल अरसे से न्यू यॉर्क में हूँ .शायद अगस्त में मुंबई पहुंचू .

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  12. इन हाइकु में समाई है त्रासदी की पूरी व्यथा ...सचमुच लम्बी चौड़ी बात को हाइकू में समेट कर सारी बात समझा दी

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  13. बहुत ही संवेदन शील.

    रामराम.

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  14. स्थिति अनुसार मार्मिक प्रस्तुति। इस त्रासदी पर सभी संवेदनशील हृदयों को दर्द महसूस हो रहा है।

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  15. हमारी नादानी, प्रकृति की चेतावनी का सांगोपांग वर्णन खुबसूरत हाइगा लाजवाब

    मत खेलना
    कभी प्रकृति से,थी
    ये चेतावनी

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  16. बहुत मार्मिक, सार्थक हाइकु

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  17. हुए शंकर
    अतिभयंकर
    थे जो भोले ।

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  18. मत खेलना
    कभी प्रकृति से,थी
    ये चेतावनी ..

    उफ़ कैसा ये सैलाब ... इन हाइकू में पूरी दास्तां को उतार दिया ...

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  19. त्रासदी पर सार्थक और मार्मिक हाइकू
    सादर


    जीवन बचा हुआ है अभी---------

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  20. अभी तक इस त्रासदी के ज़ख्म नहीं भरे हैं...

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  21. त्रासदी पर सटीक हाइकू

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  22. सार्थक हाइकु ....

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  23. मन को छूती पंक्तियाँ...
    प्रलय सब कुछ ले गया बस तबाही की निशानियाँ छोड़ गया यादों की जमीनों पर....

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  24. अभी कुदरत यह खेल तला तुम (पानी के थपेड़े ) बहुत दिखाएगी
    कभी होगी बहुत भरी वर्षा वर्फ फिर बांध नदिया बहेगी !
    भोतिक-कोहे-निदा जब सीमा पार कर जायगा !
    तो कारवाने सदा भी पलट जायगा !
    खिची रहेंगी सारो पार नफरत की ये तलवारे !
    मताए जीस्त का अहसास बढता जायगा ,
    यूँ ही होता रहा अगर दुनिया में सैलाव
    सतेह जमी पर चलना भी आजायेगा ,
    दरवाजे अपने डर से खोलते ही नहीं ,
    सिबा पानी के कौन अन्दर आयगा ?
    अभी कुदरत यह खेल नेह्दूत दुनिया को
    तला तुम बहुत दिखाएगी !
    "नेह्दूत"

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  25. uttarkhand kee trasdee ke dukhad paksh ko apne shabdon ke madhyam se ukera hai aapne ..hardik badhayeee sweekarein

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