'अभिनव इमरोज़' पत्रिका के अप्रैल अंक में मेरे कुछ हाइकू ......
कुछ अन्य हाइकु .......
कुछ अन्य हाइकु .......
1
बिन रोए ही
बहे आँखों से आँसू
जख्मों की रात
2
आँखों में बसी
इक आग इश्क की
प्यार ये कैसा ?
3
यह तो बता
ऐ ! ठहरी ज़िन्दगी -
‘जिऊँ मैं कैसे ?’
4
बता तो ज़रा -
भेजूँ कहाँ पैगाम
तुझे ज़िन्दगी ?
5
आधी रात में
रोया दस्तक दे -दे
दिल का पंछी ।
6
लूट ले गए
मीठे -मीठे बोल वो
पलों में दिल ।
7
आ अए दिल !
घड़ी बैठ, सुनाऊँ
दर्द के किस्से
8
दे न सकी मैं
यकीं मुहब्बत का
टूटे बुत को ।
9
क्यों बजती है
बाँसुरी-सी रातों में
यहीं है राँझा ।
***************
अहसासों को जी ले
सपनों की चादर
अरमानों से सी ले
(3)
थीं इश्क-पगी बातें
अब तो बीत रही
रो-रो के सब रातें
(4)
कसम तेरे नाम की
साँसों में उठती
तड़प तेरे प्यार की
(५)
आज हवा है बहकी
इश्क-झरोखे पर
बिन रोए ही
बहे आँखों से आँसू
जख्मों की रात
2
आँखों में बसी
इक आग इश्क की
प्यार ये कैसा ?
3
यह तो बता
ऐ ! ठहरी ज़िन्दगी -
‘जिऊँ मैं कैसे ?’
4
बता तो ज़रा -
भेजूँ कहाँ पैगाम
तुझे ज़िन्दगी ?
5
आधी रात में
रोया दस्तक दे -दे
दिल का पंछी ।
6
लूट ले गए
मीठे -मीठे बोल वो
पलों में दिल ।
7
आ अए दिल !
घड़ी बैठ, सुनाऊँ
दर्द के किस्से
8
दे न सकी मैं
यकीं मुहब्बत का
टूटे बुत को ।
9
क्यों बजती है
बाँसुरी-सी रातों में
यहीं है राँझा ।
***************
कुछ माहिया भी देखें ...
(१)
आँखों में ख्व़ाब
उगा
वक़्त
कहे हर दम
उल्फ़त की पौध लगा -
उल्फ़त की पौध लगा -
(२)
अहसासों को जी ले
सपनों की चादर
अरमानों से सी ले
(3)
थीं इश्क-पगी बातें
अब तो बीत रही
रो-रो के सब रातें
(4)
कसम तेरे नाम की
साँसों में उठती
तड़प तेरे प्यार की
(५)
आज हवा है बहकी
इश्क-झरोखे पर
इक चिड़िया है चहकी
-0-
हरकीरत जी ,
ReplyDeleteआपके हाइकु पढे नहीं जा रहे .... पत्रिका में छपने की बधाई
संगीता जी हाइकू पढने के लिए हाइकू के ऊपर दो बार क्लिक ......
ReplyDeleteकोशिश करके देखते हैं...
ReplyDeleteविफल रहा. फांट सामान्य नहीं हो पाया. बेहतर है इन्हें अलग से पोस्ट कर दें..
ReplyDeleteजी पढ़ तो पाए लेकिन ---
ReplyDeleteकितनी तारीफ करें , यह समझ नहीं आ रहा। :)
छपने के लिए बधाई।
एक से बढ़कर एक | बधाई हीर जी |
ReplyDeleteहमको तो पढने में आरहे हैं जी, बहुत लाजवाब साथ में हार्दिक बधाई भी.
ReplyDeleteरामराम.
@ संगीता जी, डबल क्लिक करके Ctrl + दबाईये और जितना चाहे उतना बडा कर लिजिये. Ctrl_ करने से फ़ोंट छोटा हो जायेगा.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत भावपूर्ण हाईकु.... हीर जी !
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई आपको!:-)
~सादर!!!
बहुत सुंदर,
ReplyDeleteक्या कहने
बहुत बहुत शुभकामनाएं
पढ़े ...सुंदर हाइकू हैं....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति congrats heer ji .आभार जया प्रदा भारतीय राजनीति में वीरांगना .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत...
ReplyDeleteबधाई हीर जी......
सादर
अनु
बहुत बधाई हो आपको..
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन हाइकू हैं,आभार.
ReplyDeleteआई है खुशी, निक्की की फ्राक हंसी है रस्सी में। कितना सुंदर बिंब
ReplyDeleteसुन्दर हाइकु.
ReplyDeleteले आई संग
ReplyDeleteजी पाने योग्य हँसी
तेरी गली से
जबरदस्त ....
हाइकु के प्रकाशन पर बहुत-बहुत बधाई
सादर
हीर जी ..मुझसे पढ़ा नही जा रहा !पर टिप्पणियाँ पढने के बाद आप हक़दार है !
ReplyDeleteमुबारक और शुभकामनायें कबूलें !
शुक्रिया हीर .... अब पढ़ पायी हूँ :):) हर हाइकु जैसे मन को छू गया ।
ReplyDeleteबधाई....
ReplyDeleteअक्षर छोटे होने से पढ़ने मे दिक्कत तो हुई लेकिन हाइकु की चंद लाइनों मे बहुत कुछ पढ़ने को मिला ।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत
bahut khoobsurat...
ReplyDeleteमुझे भी पढ़ने नहीं आ रहे ...
ReplyDeleteबधाई हरकीरत जी इनके प्रकाशन पर ...
आपने ज़िन्दगी को पर दे दिए आसमां में उड़ने के लिए .
ReplyDeleteपत्रिका में हाइकु पढ़ा है. यहाँ अक्षर छोटे होने के कारण स्पष्ट दिख नहीं रहे. सभी हाइकु बहुत उम्दा, बधाई.
ReplyDeletelajawab-***
ReplyDeleteसभी हायकू सुंदर और भावपूर्ण यादों और इन्तेज़ार के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए.
ReplyDeleteअभिनंदन हीर जी.
बहुत सुन्दर हाइकु
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाइकू | पढ़कर आनंद आया | आपको
ReplyDeleteनव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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dral saheb se shat prtishat shmat hu , kitni tareef kru samajh nhi aa rha .
ReplyDeleteसुंदर हाइकू । पढे भी और खूब अच्छे लगे ।
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