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Sunday, November 30, 2014

इश्क़ इक खूबसूरत अहसास  ....

तुमने ही तो कहा था
मुहब्बत ज़िन्दगी होती है
और मैंने  ज़िन्दगी की तलाश में
मुहब्बत के सारे फूल तेरे दरवाजे पर टाँक दिए थे
 तुमने भी खुली बाहों से उन फूलों की महक को
अपने भीतर समेट लिया था
उन दिनों पेड़ों की छाती से
फूल झरते थे
हवाएं नदी में नहाने जातीं
अक्षर कानों में गुनगुनाते
छुईमुई सी ख़ामोशी
आसमां की छाती से लिपट जाती
लगता कायनात का कोना -कोना
मुहब्बत के रंग में रंगा
चनाब  को घूंट घूंट पीये जा रहा हो
छत पर चिड़ियाँ मुहब्बत के गीत लिखतीं
रस्सी पर टंगे कपड़े
ख़ुशी से झुम -झूम मुस्कुराने  लगते
सीढियों की हवा शर्माकर हथेलियों में
चेहरा छिपा लेती .......

तुमने ही तो कहा था
मुहब्बत ज़िन्दगी होती है
और मैं मुहब्बत की तलाश में
कई छतें कई मुंडेरें लांघ जाती
न आँधियों की परवाह की
न तूफ़ानों की  ...
सूरज की तपती आँखों की
न मुझे परवाह थी न तुझे
हम इश्क़ की दरगाह से
सारे फूल चुन लाते
और सारी-सारी रात उन फूलों से
मुहब्बत की नज़्में लिखते ....

उन्हीं नज़्मों में मैंने
ज़िन्दगी को पोर पोर जीया था
ख़ामोश जुबां दीवारों पे तेरा नाम लिखती
मदहोश से हर्फ़ इश्क़ की आग में तपकर
सीने से दुपट्टा गिरा देते ...
न तुम कुछ कहते न मैं कुछ कहती
हवाएं बदन पर उग आये
मुहब्बत के अक्षरों को
सफ़हा-दर सफ़हा पढने लगतीं ...

तुमने ही तो कहा था
मुहब्बत ज़िन्दगी होती है
और मैंने कई -कई जन्म जी लिए थे
तुम्हारी उस ज़रा सी मुहब्बत के बदले 
आज भी छत की वो मुंडेर मुस्कुराने लगती है
जहां से होकर मैं तेरी खिड़की में उतर जाया करती थी
और वो सीढियों की ओट से लगा खम्बा
जहां पहली बार तुमने मुझे छुआ था
साँसों का वो उठना वो गिरना
सच्च ! कितना हसीं था वो
इश्क़ के दरिया में
मुहब्बत की नाव का उतरना
और रफ़्ता -रफ़्ता डूबते जाना ....डूबते  जाना  .....!!

हीर  .....


20 comments:

  1. इश्क के दरिया में मोहब्बत की नाव का रफ़्ता-रफ़्ता डूब जाना...इन एक पंक्तियों में मोहब्बत का पूरा सार सिमट आया है. हरकीरत जी बहुत-बहुत शुक्रिया आपकी सुंदर कविता के लिए. बहुत दिनों बाद आपको पढ़कर काफ़ी अच्छा लगा.

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  2. मुहब्बत के रंग में डूबी बहुत ही लाज़वाब और खूबसूरत नज़्म. दिली दाद पेश करता हूँ.. एक लम्बे अरसे बाद आपको पढ कर अच्छा लगा...

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  3. बहुत ही अच्छा...

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  4. बहुत खूबसूरत ......

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  5. हवाएं नदी में नहाने जातीं...बहुत खूबसूरत पंक्ति

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  6. सच है -मुहब्बत ज़िन्दगी होती है और यह मुहब्बत जिन्दगी भर ही नहीं जिन्दगी के बाद भी बनी रहती है।

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  7. प्रिय दोस्त मझे यह Article बहुत अच्छा लगा। आज बहुत से लोग कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त है और वे ज्ञान के अभाव में अपने बहुत सारे धन को बरबाद कर देते हैं। उन लोगों को यदि स्वास्थ्य की जानकारियां ठीक प्रकार से मिल जाए तो वे लोग बरवाद होने से बच जायेंगे तथा स्वास्थ भी रहेंगे। मैं ऐसे लोगों को स्वास्थ्य की जानकारियां फ्री में www.Jkhealthworld.com के माध्यम से प्रदान करती हूं। मैं एक Social Worker हूं और जनकल्याण की भावना से यह कार्य कर रही हूं। आप मेरे इस कार्य में मदद करें ताकि अधिक से अधिक लोगों तक ये जानकारियां आसानी से पहुच सकें और वे अपने इलाज स्वयं कर सकें। यदि आपको मेरा यह सुझाव पसंद आया तो इस लिंक को अपने Blog या Website पर जगह दें। धन्यवाद!
    Health Care in Hindi

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  8. तुमने ही तो कहा था
    मुहब्बत ज़िन्दगी होती है
    और मैंने कई -कई जन्म जी लिए थे
    तुम्हारी उस ज़रा सी मुहब्बत के बदले
    आज भी छत की वो मुंडेर मुस्कुराने लगती है
    जहां से होकर मैं तेरी खिड़की में उतर जाया करती थी
    और वो सीढियों की ओट से लगा खम्बा
    जहां पहली बार तुमने मुझे छुआ था
    साँसों का वो उठना वो गिरना
    सच्च ! कितना हसीं था वो
    इश्क़ के दरिया में
    मुहब्बत की नाव का उतरना
    और रफ़्ता -रफ़्ता डूबते जाना ....डूबते जाना ..
    ..खूबसूरत प्यार भरे अहसास जो जगाती पंक्तियाँ ....
    बहुत प्यारी रचना

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  9. उन दिनों पेड़ों की छाती से
    फूल झरते थे
    हवाएं नदी में नहाने जातीं
    अक्षर कानों में गुनगुनाते
    छुईमुई सी ख़ामोशी
    आसमां की छाती से लिपट जाती
    लगता कायनात का कोना -कोना
    मुहब्बत के रंग में रंगा
    चनाब को घूंट घूंट पीये जा रहा हो
    छत पर चिड़ियाँ मुहब्बत के गीत लिखतीं
    रस्सी पर टंगे कपड़े
    ख़ुशी से झुम -झूम मुस्कुराने लगते
    सीढियों की हवा शर्माकर हथेलियों में
    चेहरा छिपा लेती .......

    बेहद खूबसूरत है यह मुहब्बत का माहौल।

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  10. इस कविता पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती । हाँ सच ....कोई टिप्पणी करना शायद एक ग़ुनाह होगा । पता है, पीला दुपट्टा ओढ़े सरसों के खेत को जब फागुन की हवा बड़ी लापरवाही से छूकर निकल जाती है तो सरसों चुप रह जाती है ....कभी कोई टिप्पणी नहीं करती क्योंकि उसे पता है यह एक ग़ुनाह होगा । ज़िन्दगी के उस पल को सिर्फ़ और सिर्फ़ जिया भर जा सकता है और टिप्पणी ज़िन्दगी जीने में ख़लल डालती है ।

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  11. बेहद खूबसूरत आप की हर कविता बहुत बेहतरीन होती हैं

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  12. दिल की गहराई तक उतरने में कामयाब


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  13. अद्भुत ऐवम उत्तम

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  14. इस में प्यार भी बहुत है, और दर्द भी बहुत।

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  15. आपकी लिखी रचना सोमवार 25 जुलाई 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  16. आहा ,पुरानी नज़्म पढ़कर आनंदित हुए !!

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  17. आह..वाह..क्या खूब लिखा है। बहुत सारे पुराने ब्लॉगर अगर सक्रिय हो जाए तो एक बार फिर से उनका लिखा पढ़ने को मिले। शुभकामनाएँ।

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  18. मन में उतरती गहरी अभिव्यक्ति।
    सादर।

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  19. उन दिनों पेड़ों की छाती से
    फूल झरते थे
    हवाएं नदी में नहाने जातीं
    अक्षर कानों में गुनगुनाते
    छुईमुई सी ख़ामोशी
    आसमां की छाती से लिपट जाती
    लगता कायनात का कोना -कोना
    मुहब्बत के रंग में रंगा
    चनाब को घूंट घूंट पीये जा रहा हो
    छत पर चिड़ियाँ मुहब्बत के गीत लिखतीं
    रस्सी पर टंगे कपड़े
    ख़ुशी से झुम -झूम मुस्कुराने लगते
    सीढियों की हवा शर्माकर हथेलियों में
    चेहरा छिपा लेती .......
    वाह!!!
    बहुत ही खूबसूरत एहसास
    अद्भुत एवं लाजवाब सृजन।

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  20. इश्क़ के दरिया में डूबना और फिर उसे हर्फ दर हर्फ पिरोना कोई आप से सीखे

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