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Thursday, October 24, 2013

करवा चौथ पर दो नज्में ……

करवा चौथ पर दो नज्में  ……
(जो व्यस्तता के कारण उस दिन पोस्ट नहीं कर पाई )

(1)
एक कसक,एक बेचैनी
एक बेनाम सा दर्द
कुछ लिखा है वर्क दर वर्क
नमी में डूबे लफ्ज़
यादों के नगमें सुनाते
ख़ामोशी से उतर आये हैं
 थाली में …
चाँद तब भी था
चाँद  आज भी है
तन्हाइयाँ तब भी थीं
दूरियाँ अब भी हैं
पर दिलों में कुछ तो है
जो बांधे हुए है अब तक
आज के दिन कहीं भीतर
कुछ सालता है  …।

(२)

आज की रात
उफ़क पर निकल आया है चाँद
 तेरी सलामती का ….
इश्क का उड़ता पंछी
आ बैठा है मुंडेर पर
आँखों में उतर आई है
बरसों की दबी मोहब्बत
दीवानगी में चुपके से
चूम लेती हूँ तस्वीर तुम्हारी
 लम्बी उम्र की
दुआओं के साथ …

17 comments:

  1. बहुत सुन्दर नज़्में... आपसे जुड़े...अच्छा लगा !

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  2. कोमल और खूबसूरत ......

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (25-10-2013)
    ऐसे ही रहना तुम (चर्चा मंचः अंक -1409) में "मयंक का कोना"
    पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. बहुत ही सुन्दर नज्में है दिल को छू लेनेवाले..
    :-)

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  5. आँखों में उतर आई है
    बरसों की दबी मोहब्बत
    दीवानगी में चुपके से
    चूम लेती हूँ तस्वीर तुम्हारी
    लम्बी उम्र की
    दुआओं के साथ …

    प्रेम का कोमल और सच्चा अहसास
    बहुत सुंदर----
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    सादर-----

    आग्रह है---
    करवा चौथ का चाँद ------

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  6. वाह बहुत सुंदर दोनों नज्में
    प्रेम सुंदर तस्वीर उजागर करती -----
    बहुत खूब
    सादर

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  7. भावपूर्ण खूबसूरत नज़्म .... दोनों ही बेहतरीन

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  8. कोमल भावना से भरपूर।

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  9. प्रेम के गहरे एहसास को छूते हुए गुज़रते हैं आपके शब्द ... टीस जगाते ...

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  10. मन की थाली में लिए नैवेद्य
    मुंदी पलकों को खोल
    यादों के चाँद को देखा है
    इस तरह मैंने तुमको तुम्हारी यादों को पूजा है …

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  11. बहुत ही सुंदर और भावप्रवण, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  12. करवा चौथ पर सार्थक रचना ( हम तो मनाते ही नहीं ) !

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  13. बहुत उम्दा और सामयिक...हालांकि देर से आया हूँ फिर भी... बधाई...

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  14. वाह.... चाँद को भी रश्क हो रहा होगा आपकी नज़मों की खूबसूरतीसे ....:)

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  15. उम्दा ख्याल, उम्दा रचना

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