tag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post4212750223971256959..comments2023-12-14T13:04:08.227+05:30Comments on हरकीरत ' हीर': तहज़ीब....पुकार....और तबशीर ......हरकीरत ' हीर'http://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comBlogger91125tag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-4639112614883540462010-12-02T12:14:38.789+05:302010-12-02T12:14:38.789+05:30beautiful...........beautiful...........Ruchinhttps://www.blogger.com/profile/14496446123836438119noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-72876240971372573492010-11-02T20:24:23.052+05:302010-11-02T20:24:23.052+05:30ਮੈਨ੍ਕ੍ਯ ਹੀਰ ਜੀ,
ਸਤ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ!
ਅਸੀਂ ਕਿਤ੍ਥੋਂ ਲਾਇਏ ਇੰ...ਮੈਨ੍ਕ੍ਯ ਹੀਰ ਜੀ,<br />ਸਤ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ!<br />ਅਸੀਂ ਕਿਤ੍ਥੋਂ ਲਾਇਏ ਇੰਨਾ ਮਗਜ ਜੇ ਸਾਨੂ ਸਮਝ ਆ ਜਾਉ ਤੁਹਾਡੀ ਕਵਿਤਾ!?<br />ਫੇਰ ਵੀ ਜੇ ਤੁਸ੍ਸੀਂ ਲਿਖੀ ਹੈ ਤਾਂ ਵਧਿਯਾ ਹੀ ਹੋਗੀ!<br />ਆਸ਼ੀਸ਼<br />---<br />ਪਹਿਲਾ ਖੁਮਾਰ ਔਰ ਫਿਰ ਉਤਰਾ ਬੁਖਾਰ!!!सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-55013924384947966072010-11-02T20:22:02.224+05:302010-11-02T20:22:02.224+05:30ਮੈਨ੍ਕ੍ਯ ਹੀਰ ਜੀ,
ਸਤ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ!
ਅਸੀਂ ਕਿਤ੍ਥੋਂ ਲਾਇਏ ਇੰ...ਮੈਨ੍ਕ੍ਯ ਹੀਰ ਜੀ,<br />ਸਤ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ!<br />ਅਸੀਂ ਕਿਤ੍ਥੋਂ ਲਾਇਏ ਇੰਨਾ ਮਗਜ ਜੇ ਸਾਨੂ ਸਮਝ ਆ ਜਾਉ ਤੁਹਾਡੀ ਕਵਿਤਾ!?<br />ਫੇਰ ਵੀ ਜੇ ਤੁਸ੍ਸੀਂ ਲਿਖੀ ਹੈ ਤਾਂ ਵਧਿਯਾ ਹੀ ਹੋਗੀ!<br />ਆਸ਼ੀਸ਼<br />---<br />ਪਹਿਲਾ ਖੁਮਾਰ ਔਰ ਫਿਰ ਉਤਰਾ ਬੁਖਾਰ!!!सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-3984663918896192822010-11-02T19:37:18.646+05:302010-11-02T19:37:18.646+05:30कोई तो तबशीर दे मुझे
के आज मुहब्बत
अपनी हथेली फैला...कोई तो तबशीर दे मुझे<br />के आज मुहब्बत<br />अपनी हथेली फैला<br />खूब रोई है .....!!<br />अब इसके आगे क्या कहें। बेहतरीन रचना है।रवि धवनhttps://www.blogger.com/profile/04969011339464008866noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-44207583590719144632010-11-02T19:22:13.720+05:302010-11-02T19:22:13.720+05:30जानती हूँ ....
तुम्हारे मंदिर में
अब जगह नहीं है म...जानती हूँ ....<br />तुम्हारे मंदिर में<br />अब जगह नहीं है मेरी<br />फिर भी न जाने क्यों<br />ये सूरज ज़िस्म की डोर<br />खींचे लिए जाता है ...<br />लिखने दे इक बार ख़त मुझे<br />गुलाब की पत्तियों से<br />के मौत ने आज जरा सा<br />घूँघट उतारा है ......!!<br />....Har vishya par bahut hi sadhe, sughad shabdon mein aapki lekhni jab chalti hai to sach mein padhte-padhte man kahin sudoor kho saa jaata hai...<br />..bahut sundar bhav sampreshanकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-27720547657025974542010-11-01T23:46:09.848+05:302010-11-01T23:46:09.848+05:30इतने भाव इतना दर्द कहाँ से ले आती है आप !!इतने भाव इतना दर्द कहाँ से ले आती है आप !!VIJAY KUMAR VERMAhttps://www.blogger.com/profile/06898153601484427791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-46486158214698504432010-11-01T23:16:28.971+05:302010-11-01T23:16:28.971+05:30आदरणीया हरकीरत हीर साहिबा
नमस्कार !
दीपावली क...<b><i>आदरणीया हरकीरत हीर साहिबा </i></b> <br />नमस्कार ! <br />दीपावली की अग्रिम मंगलकामनाएं !<br /> <br /><b>गुलाबी रंग मुबारक हो ! </b> <b> </b> परिवर्तित टेम्पलेट अच्छा है । हालांकि मेरी आंखें उस काले ज़ादू की अभ्यस्त हो चली थीं । <br />कोई बात नहीं , इसका भी अभ्यास हो ही जाएगा … धीरे - धीरे … !<br />आपकी रचनाओं पर कहने की सामर्थ्य , योग्यता तलाश रहा हूं … कभी बता दूंगा ।<br /><br />राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-81702595849897125662010-11-01T22:59:49.929+05:302010-11-01T22:59:49.929+05:30पिछले एक माह से कंप्यूटर पर काम करने की सख़्त मनाही...पिछले एक माह से कंप्यूटर पर काम करने की सख़्त मनाही थी। आँख का आप्रेशन हुआ था। अब इजाजत मिली तो आपके ब्लॉग पर आया। आपकी इन कविताओं को पढ़कर पूरे एक माह की बोरियत और उदासी दूर हो गई। भीतर तक स्पर्श कर गईं एकबार फिर आपकी कविताएँ… एक एक लफ़्ज कविता में मोती सा पिरोआ हुआ है… इतनी गहरी सोच और इतनी प्रभावशाली अभिव्यक्ति ! उफ़्फ़ !सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/06327767362864234960noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-87467856383698279222010-11-01T20:53:52.367+05:302010-11-01T20:53:52.367+05:30हरकीरत आपा !
आपकी इन छोटी छोटी नज्मों में बहुत दर...हरकीरत आपा !<br />आपकी इन छोटी छोटी नज्मों में बहुत दर्द भरा है.<br />कहाँ से उठा लाई हैं आप इतना सारा दर्द ?<br /><br />"बहुत गहरी तीरगी है<br />तीर-सी गहरी चुभन<br />बख्शती है कसमसाहट<br />छीन कर चैन-ओ-अमन"jogeshwar garghttps://www.blogger.com/profile/18415761246834530956noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-14391120351075629202010-10-31T14:44:14.023+05:302010-10-31T14:44:14.023+05:30हीर जी
हर नज़्म बहुत ही सुंदर लगी... इसके बारे जिन...हीर जी <br />हर नज़्म बहुत ही सुंदर लगी... इसके बारे जिनता कुछ कहा जाये कम है........उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-60401541347885313432010-10-31T13:48:42.620+05:302010-10-31T13:48:42.620+05:30sab umda mgr pukar , kya khe ab ise ! aaj sirf mer...sab umda mgr pukar , kya khe ab ise ! aaj sirf meri shbdo ki kmi ko mhsoos kro .RAJWANT RAJhttps://www.blogger.com/profile/15964389673143254011noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-58951713741214409802010-10-31T02:04:20.651+05:302010-10-31T02:04:20.651+05:30वाह
जख्मी जुबाँ बहुत कुछ कहना चाहती थी ...पर कलम न...वाह<br />जख्मी जुबाँ बहुत कुछ कहना चाहती थी ...पर कलम ने मुँह फेर लिया ...इस बीच मन में कई चूडियाँ टूटीं <br /><a href="http://voi-2.blogspot.com/2010/10/blog-post_30.html/" rel="nofollow">विरहणी का प्रेम गीत </a>बाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-42759237378910368172010-10-28T19:05:43.016+05:302010-10-28T19:05:43.016+05:30Really very nice..... like always.
Congrats.Really very nice..... like always.<br />Congrats.वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17461991763603646384noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-64811982514914362292010-10-28T15:03:55.400+05:302010-10-28T15:03:55.400+05:30बहुत ही सुंदर कविताएंबहुत ही सुंदर कविताएंसुधीर राघवhttps://www.blogger.com/profile/00445443138604863599noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-45672757477008394592010-10-28T14:53:33.609+05:302010-10-28T14:53:33.609+05:30हीर जी,
मेरे ब्लॉग जज़्बात....दिल से दिल तक.........हीर जी,<br /><br />मेरे ब्लॉग जज़्बात....दिल से दिल तक....... पर मेरी नई पोस्ट जो आपके ज़िक्र से रोशन है....समय मिले तो ज़रूर पढिये.......गुज़ारिश है |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-75157351134000202662010-10-28T13:06:25.609+05:302010-10-28T13:06:25.609+05:30हर नज़्म मन तक पहुंचती हुई ...अंतिम वाली बेमिसाल ....हर नज़्म मन तक पहुंचती हुई ...अंतिम वाली बेमिसाल ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-37665297179174394612010-10-27T22:38:38.380+05:302010-10-27T22:38:38.380+05:30शब्द और भाव दोनों कहीं से किसी से कम नही..सब कुछ ल...शब्द और भाव दोनों कहीं से किसी से कम नही..सब कुछ लाजवाब...बहुत बढ़िया रचना हरकिरत की एक यूनिक और बेहतरीन ब्लॉगिंग...धन्यवादविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-89683604926284285752010-10-26T17:28:14.239+05:302010-10-26T17:28:14.239+05:30karva chauth ki shubhkamnayenkarva chauth ki shubhkamnayenजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-24581986785748510672010-10-24T15:59:08.794+05:302010-10-24T15:59:08.794+05:30हरकीरत जी,
नमस्कारम्!
आज ‘मुक्तछंद’ कविता को ‘छंद...हरकीरत जी,<br />नमस्कारम्!<br />आज ‘मुक्तछंद’ कविता को ‘छंदमुक्त’ बनाने पर तुली हज़ारों कवियों की भीड़ में खड़ा होकर यह कहने का साहस कर सकता हूँ कि-- <br /><br />भीड़ के बहुतेरे कवियों को ‘मुक्तछंद’ में सृजन हेतु काव्य-भाषा की समझ Develop करने के लिए आपके इस ब्लॉग पर आना ही चाहिए।<br /><br />अब एक बात आपसे यह कि ब्लैक टेम्पलेट जल्दी ही बदल दें, पढ़ने में असुविधा होती है। आपकी कविताएँ मुझसे ज़बरदस्ती कर रही थीं कि--"रुक जा ‘जौहर’...यहाँ गम्भीर सरोकारों की कविताएँ हैं!" <br /><br />लेकिन...आँखें कह रही थीं कि-- "जल्दी भागो यहाँ से...वरना धुँधलका छा जाएगा, आँखों पर!"जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-86275299783016429842010-10-24T11:22:27.628+05:302010-10-24T11:22:27.628+05:30और ओढ़ लूँ
किसी ताबूत में बैठ ...
यहाँ इल्म की आँख...और ओढ़ लूँ<br />किसी ताबूत में बैठ ...<br />यहाँ इल्म की आँखें बड़ी हैं<br />और मेरी तहज़ीब छोटी<br />और सोचती हूँ अगले जन्म के लिये ----- <br />वाह हरकीरत जी आप तो इतनी गहराई मे चली जाती हैं कि कुछ कहते नही बनता। मन करता है आपकी कलम चूम लूँ। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-37383674695050664022010-10-24T03:44:27.701+05:302010-10-24T03:44:27.701+05:30Very much thanks for your nice comment with regard...Very much thanks for your nice comment with regardsजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-37136017806805916702010-10-23T22:03:06.683+05:302010-10-23T22:03:06.683+05:30बहुत सुन्दर. हरकीरत जीबहुत सुन्दर. हरकीरत जी#vpsinghrajputhttps://www.blogger.com/profile/04480432808853552862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-86321044518715150862010-10-23T17:18:36.330+05:302010-10-23T17:18:36.330+05:30प्रणाम....
चीखती ख़ामोशी क्या होती है आपकी नज्मे...प्रणाम.... <br />चीखती ख़ामोशी क्या होती है आपकी नज्में पढ़ के पुख्ता हुआ ........<br />गत माह आपने उत्साह बढाया था......धन्यवाद! <br />एक और रचना प्रस्तुत है.....कृपया मार्गदर्शन करें ..<br /><br />http://pradeep-splendor.blogspot.com/2010/09/blog-post.htmlPradeephttps://www.blogger.com/profile/11889016060575376117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-17883267912029635862010-10-23T17:12:19.613+05:302010-10-23T17:12:19.613+05:30यहाँ इल्म की आँखें बड़ी हैं
और मेरी तहज़ीब छोटी
तु...यहाँ इल्म की आँखें बड़ी हैं<br />और मेरी तहज़ीब छोटी<br />तुम्हारे लफ्ज़ अभी भी जिन्दा हैं<br />मेरे हाथों में .....<br />और इसलिए भी कि ....<br />इनके पीछे छिपी हैं<br />दो जोड़ी उदास आँखें<br />जो मेरी सोच को<br />और पुख्ता करती हैं<br />मुझ से न्याय मांगती हैं<br />हो सके तो उन आँखों से कभी<br />दो बूंद आँसू बहने देना .....!!<br /><br /><br />अगर एहसास कोई शख्स होता...और अगर उसकी ज़ुबां होती तो भी शायद वो खुद को इतने बेहतर तरीके से बयां नहीं कर पाता...<br />क्या बात है...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16885990187990290194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-88196357915424364982010-10-23T13:34:20.444+05:302010-10-23T13:34:20.444+05:30हीर जी,
आपका बहुत-बहुत शुक्रिया की आपने कोशिश की....हीर जी,<br /><br />आपका बहुत-बहुत शुक्रिया की आपने कोशिश की........मैंने नेट पर बहुत खोज की पर पंजाबी साहित्य की सिर्फ यही एक वेबसाइट मिली मुझे ........<br /><br />एक बात.... क्या आपको उर्दू आती है?<br /><br />- अगर हाँ तो यहाँ एक लिंक है जिसमे सम्पूर्ण 'हीर' है ......आप देख लें...<br />लिंक - http://www.apnaorg.com/poetry/heercomp/<br /><br />- अगर नहीं तो गूगल में पंजाबी भाषा में सर्च करें ...वो मैं नहीं कर सकता, क्योंकि मैं पंजाबी बिलकुल भी नहीं पढ़ सकता.......<br /><br />- अगर फिर भी नहीं तो मैं कोशिश करूँगा की कहीं से आपको किताब उपलब्ध करवाऊं |<br /><br />- अगर वो भी नहीं मिलती तो इसे सिवाय मेरी ख़राब किस्मत के क्या कहिये| <br /><br />फिर भी आपने कोशिश की उसका तहेदिल से शुक्रिया|Anonymousnoreply@blogger.com