tag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post1936084934121287058..comments2023-12-14T13:04:08.227+05:30Comments on हरकीरत ' हीर': कुछ कड़वाहटें ...ख़ामोशी ...और रब्ब से इक सवाल .........हरकीरत ' हीर'http://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comBlogger63125tag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-85281637366704993542010-03-26T18:53:15.870+05:302010-03-26T18:53:15.870+05:30"मैंने घोल दीं हैं हवाओं में
सारी कड़वाहटें उ..."मैंने घोल दीं हैं हवाओं में<br />सारी कड़वाहटें उम्रों की<br />अब यहाँ कोई पत्ता<br />इश्क़ का नहीं खिलता<br />कांपती है जुबाँ मोहब्बत के नाम से<br />कई छाले इश्क़ के बदन से<br />फूटते हैं ......"<br /><br /><br />waah!!!!!!<br /><br />aapki nazm padhkar bas karaahna baaki raha......aansu to chhalak aaye the bas subaknaa baaki raha!!!CS Devendra K Sharma "Man without Brain"https://www.blogger.com/profile/14027886343199459617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-29488884980312130472010-03-04T06:27:36.794+05:302010-03-04T06:27:36.794+05:30हरकीरत जी..
अर्श की बात से सहमत हैं हम भी...
एक सा...हरकीरत जी..<br />अर्श की बात से सहमत हैं हम भी...<br />एक साथ कई ख्याल ज्यादा उलझा जाते हैं...<br />और पंजाबी ज्यादा समझ नहीं आती हमें.लेकिन ...<br /> खुशदीप जी वाली समस्या हमें भी है...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-32812052318041553492010-02-28T23:30:50.488+05:302010-02-28T23:30:50.488+05:30बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति |बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति |संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-63923843974065943532010-02-25T23:48:05.855+05:302010-02-25T23:48:05.855+05:30हरकीरत जी ,आप शब्दों को जिंदगी के गहरे अहसासों मे...हरकीरत जी ,आप शब्दों को जिंदगी के गहरे अहसासों में उतार कर प्रस्तुत करती हैं ,सहज संवेदना कि इन कविताओं के लिए हार्दिक बधाई.सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-53393947227686151642010-02-25T02:49:35.821+05:302010-02-25T02:49:35.821+05:30आपको पढते पढते अचानक से एक सौंधी सी हवा का झ...आपको पढते पढते अचानक से एक सौंधी सी हवा का झोंका गुज़र गया आस पास से...<br />छेड़ गया जज्बातों की गली में खेल रहे ख्यालों के शैतान से बच्चों को...<br />ओह अमृता ! तू कहीं पास है बहुत !रोमेंद्र सागरhttps://www.blogger.com/profile/15893431216162497924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-66690302330544199422010-02-25T00:54:52.563+05:302010-02-25T00:54:52.563+05:30आपकी कविताओं की ’इंटेंसिटी’ और व्यंजना जितनी मंत्र...आपकी कविताओं की ’इंटेंसिटी’ और व्यंजना जितनी मंत्र-मुग्ध करती है अक्सर..उसमे मौजूद वीरानापन और टूटन उतना ही डराती भी है..फिर उस पर यह नया टेम्पलेट..!!<br />मगर कविताओं की इस जानलेवा खूबसूरती पर मेरे जैसा स्वार्थी पाठक बस वाह-वाह ही कर सकता है..जो काफ़ी भी नही होगा यहाँ..<br /><br />और फिर यह पंक्तियाँ..?<br />इक पत्थर धीरे-धीरे तोड़ता है चूडियाँ<br />सांसों की .......<br /><br />क्या कहूँ....अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-91103144307459846672010-02-23T07:54:52.466+05:302010-02-23T07:54:52.466+05:30कुछ दिन गुजारे हैं फिर
ख़ामोशी की गलियों में
वहाँ ...कुछ दिन गुजारे हैं फिर<br />ख़ामोशी की गलियों में<br />वहाँ पेड़ों की छाया नहीं थी<br />सांसों का भी कोई पता नहीं<br /><br />बस पत्ते पैर छूते रहे .......<br /><br />क्या कलम है आपके पास..जो लिखती है सब अनसुना होता है..लगता है किसी ने बस अभी उठाकर कानो पर रखा हो..<br /><br />सारी की सारी बेमिसाल..Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-45433618762496104752010-02-23T00:42:12.743+05:302010-02-23T00:42:12.743+05:30क्षणिकाएं बेहतरीन है..
कडवाहटें और रब्ब से सवाल तो...क्षणिकाएं बेहतरीन है..<br />कडवाहटें और रब्ब से सवाल तो बेमिसाल है.!प्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-12602149247009852582010-02-21T19:00:27.661+05:302010-02-21T19:00:27.661+05:30मैंने घोल दीं हैं हवाओं में
सारी कड़वाहटें उम्रों क...मैंने घोल दीं हैं हवाओं में<br />सारी कड़वाहटें उम्रों की<br />अब यहाँ कोई पत्ता<br />इश्क़ का नहीं खिलता<br />कांपती है जुबाँ मोहब्बत के नाम से<br />कई छाले इश्क़ के बदन से<br />फूटते हैं ......"<br /><br /> वाह बहुत ही बढ़िया |अंजना https://www.blogger.com/profile/07031630222775453169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-82003264376493908792010-02-20T21:07:59.007+05:302010-02-20T21:07:59.007+05:30बीजती हूँ सवाल
तो उग आता है पसीना
रब्बा तेरी दुनिय...बीजती हूँ सवाल<br />तो उग आता है पसीना<br />रब्बा तेरी दुनियाँ की किसी कोख में<br />जवाब नहीं उगते क्या .....?<br />lajawab..........<br />such to te hai ki sabhee kshnikae bemisal hai.......Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-44179065543258017092010-02-20T14:49:10.927+05:302010-02-20T14:49:10.927+05:30मैंने घोल दीं हैं हवाओं में
सारी कड़वाहटें उम्रों ...मैंने घोल दीं हैं हवाओं में<br />सारी कड़वाहटें उम्रों की<br />अब यहाँ कोई पत्ता<br />इश्क़ का नहीं खिलता......<br />बार-बार पढऩे को जी करता है<br /><br />सच कहूं तो किसी एक की तारीफ करना मुश्किल है, हर क्षणिका अपने आप में एक अलग ही खूबसूरती लिये हुये, बधाई ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-82408478859280048182010-02-19T23:22:25.472+05:302010-02-19T23:22:25.472+05:30तू हादसों की तफ़सील सुनाती रही ज़िन्दगी
मैं रफ्ता-र...तू हादसों की तफ़सील सुनाती रही ज़िन्दगी<br />मैं रफ्ता-रफ्ता तुझे तलाक देती रही .....<br />aaj aapki nai rachna dekhne aai rahi magar in panktiyon par achnak najar pad gayi jo dil ko chhuye bina nahi rahi ,is khoobsurat andaj par bina shukriya kiye jaa nahi saki .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-26007604529672331362010-02-19T19:25:00.594+05:302010-02-19T19:25:00.594+05:30हर क्षणिका अपनी अलग बात कहती हुई। रब्ब से किया सवा...हर क्षणिका अपनी अलग बात कहती हुई। रब्ब से किया सवाल वाजिब है। आपकी रचनाएं पढने के बाद सोचने के लिए मजबूर करती है। यही आपके लेखन की खासियत है। काफी दिनों के बाद आना हुआ आपके ब्लोग पर।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-85673257622716160062010-02-19T15:56:54.374+05:302010-02-19T15:56:54.374+05:30अब यहाँ कोई पत्ता
इश्क का नहीं खिलता
कांपती है ज...अब यहाँ कोई पत्ता <br />इश्क का नहीं खिलता <br />कांपती है जुबाँ मोहब्बत के नाम से.......<br /><br />क्या होता होगा ऐसा अहसास भी अनंत वीरानगी का .दर्द से कैसा रिश्ता जोड़ लिया है आपने ' हीर 'RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-83232966259451532010-02-19T12:58:43.529+05:302010-02-19T12:58:43.529+05:30बहुत सुन्दर सवाल
रब्ब से सवाल ......
बीजती हूँ स...बहुत सुन्दर सवाल <br />रब्ब से सवाल ......<br />बीजती हूँ सवाल<br />तो उग आता है पसीना<br />रब्बा तेरी दुनियाँ की किसी कोख में<br />जवाब नहीं उगते क्या .....?<br />बहुत बहुत आभारPushpendra Singh "Pushp"https://www.blogger.com/profile/14685130265985651633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-25963559001972984832010-02-19T12:00:33.374+05:302010-02-19T12:00:33.374+05:30harkirat ji,
is behatarin post ke liye...harkirat ji,<br /> is behatarin post ke liye <br />mujhe shabd hi nahi mil pa rahe hain.<br />iske jawab me yahi kah sakati hun ,<br />ek shandar , jaandaar belajabab rachana.<br /> poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-24510820732790128422010-02-19T10:14:05.667+05:302010-02-19T10:14:05.667+05:30जब भी उठता है
धुआँ लफ़्ज़ों में
ज़िस्म की चिता जलने ल...जब भी उठता है<br />धुआँ लफ़्ज़ों में<br />ज़िस्म की चिता जलने लगती है<br />धीरे-धीरे हवाएं गाने लगतीं हैं<br />मर्सिया ...............<br />उफ़ क्या अंदाज़ है लफ़्ज़ों -अहसासों का !<br />बहुत ही शानदार नज़्म है यह......Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-67618385858351660722010-02-18T21:42:54.813+05:302010-02-18T21:42:54.813+05:30न दर्द लब्जों के काँधे से उतरे
न उन लब्जों से बने...न दर्द लब्जों के काँधे से उतरे <br />न उन लब्जों से बने सवालों को हीं मौत आई <br /> <br />ना हीं सन्नाटे के कान पिघले उन सवालों से <br />और न खामोशिओं के पाँव हीं रुके <br /><br />पत्थर था, जिसपे वो सर पीटती थीसंध्या आर्यhttps://www.blogger.com/profile/12304171842187862606noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-47996974060003111072010-02-18T21:11:25.348+05:302010-02-18T21:11:25.348+05:30मौत.......
तुमने देखी है
नीली आँखों वाली
सुनहरी म...मौत.......<br /><br />तुमने देखी है<br />नीली आँखों वाली<br />सुनहरी मौत .....?<br />मैंने बांध रखी है<br />हथेली पे ...... हरकीरत जी, सभी उम्दा क्षणिकाओं में से इस पर दिल और दिमाग दोनों ठहर गये। पूनमपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-28919196255230334462010-02-18T11:17:37.139+05:302010-02-18T11:17:37.139+05:30ख़ामोशी की गलियों में...
छोड़ आए हम वो गलियां...
...ख़ामोशी की गलियों में...<br /><br />छोड़ आए हम वो गलियां...<br /><br />हरकीरत जी, इक सलाह देणी सी, ए काले रंग दी बैकग्राउंड नू बदल देयो...काले नाल रीडेबिलिटी घट लगदी वे...हो सकदा ए मेरा वहम होए...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-84787118811136205892010-02-18T10:38:21.595+05:302010-02-18T10:38:21.595+05:30har chhadika bahut hi ummda hai...aapka naam dekha...har chhadika bahut hi ummda hai...aapka naam dekhar man barbas hi aapki rachnao tak pahuch jata hai...hai padhane ke baad lagta hai..sabse pahle maine kyon nahi padha...!Ravi Rajbharhttps://www.blogger.com/profile/16224660000339492496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-10022243140960984112010-02-17T23:36:59.225+05:302010-02-17T23:36:59.225+05:30heer ji....shayed ham sab ke paas kuchh shabd hi h...heer ji....shayed ham sab ke paas kuchh shabd hi hai jinse ham dard ko surat de pate hai...aur aap ke paas to in shabdo ka bharpoor stock hai..na jane kon se sagar se moti chun kar lati hai jo dard ki surat kristal clear si ho jati hai..naman apki lekhni ko...aur apko.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-69650621555467404612010-02-17T17:53:09.271+05:302010-02-17T17:53:09.271+05:30क्षणिकाएं हैं या आसमा से बरसता गम का तूफ़ान..
कैसे ...क्षणिकाएं हैं या आसमा से बरसता गम का तूफ़ान..<br />कैसे वश में कर देती हो इसे शब्दों में पिरो कर? ..neerahttps://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-89959744415917955722010-02-17T17:45:34.084+05:302010-02-17T17:45:34.084+05:30तडपती काया ...छाले बदन के ...मन की लाशें ...सुनहरी...तडपती काया ...छाले बदन के ...मन की लाशें ...सुनहरी मौत ...<br />क्या क्या रंग दिखा रही है हर क्षणिका ....<br />हमारे रंग में रंग कर देखिये ....सब कालिख धुल जायेगी ...ग़मों की ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-428364154866066678.post-76026716021665590612010-02-17T11:06:57.147+05:302010-02-17T11:06:57.147+05:30"अर्श" said...
नज्मों की रानी से एक गुजा..."अर्श" said...<br />नज्मों की रानी से एक गुजारिश है के इतनी कीमती रचनाएँ एक बार में ना पोस्ट करें ... एक एक कर के ही रखें बर्दास्त के लिए एक ही काफी है ... किश्तों में खुदकशी का मजा हमसे पूछिये...<br /><br />अर्श जी ,<br /> आपकी इस पंक्ति ने मुस्कुराहट ला दी ....सच कहा आपने ....एक ही बार मरने से अच्छा है तड़प तड़प कर मरा जाये दर्द के साथ ....वाह -वाह ...क्या बात कही ....जिसने दर्द का मज़ा न लिया उसने क्या जिया ......बहुत खूब .....आपकी बात का ध्यान रखा जायेगा ......!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.com