Friday, February 14, 2014

आज के दिन के नाम कुछ 'हाइकु'

आप सबको मुहब्बत का ये पाक दिन मुबारक
आज के दिन के नाम कुछ 'हाइकु'

मुहब्बत के
दिन छलके हैं क्यूँ ?
आँखों से आँसू

हौले में तुम
छू जाना सबा संग
यादों की तार

देख उगा है
मुहब्बत का चाँद
मुस्कान लिए

आयेगीं याद
तुम्हें भी इस दिन
गुजरी बातें

देह से नहीं
होती है मुहब्बत
पाक रूह से

मुहब्बत है
रब्ब की इबादत
खेल नहीं है

लिखना तुम
सागर की छाती पे
प्रेम का गीत

हीर रांझे की
मुहब्बत वो पाक
सदियों याद

चनाब रोई
सोहणी महिवाल
आया न कोई

हीर …

Thursday, February 6, 2014

दर्द (क्षणिकाएं )

दर्द    (क्षणिकाएं )

(1)

दर्द  हैरान था
ये किसने आह भरी है
जो मेरी कब्र पर से आज
फिर रेत उड़ी  है  …
(२)
सीने में ये कैसा
फिर इश्क़ सा जला है
कि इस आग की लपल से
आज मेरा दुपट्टा जला है  …
(३)
ख्यालों में
टूटा है कोई धागा
के आज मेरे पैर फिर
दरगाह की ओर बढ़े हैं ....
(४)
उम्र खामोश थी
ये किसने बाँध दिए हैं
मेरे पैरों में दर्द के घुंघरू
कि रात की छाती में
यूँ हूक उठी है  ....
(५)
मुहब्बत हँसने लगी है
दर्द आशिक बना बैठा है
और नामुराद सबा तेरी यादों का
पुलिंदा उड़ा लाई है ....

हीर  …